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जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध Essay on Population Control In Hindi

जनसंख्या नियंत्रण निबंध Essay on Population Control In Hindi विगत कई वर्षों से भारत में जनसंख्या नियंत्रण Population Control एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा रहा हैं.

देश में एक बड़ा वर्ग जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग लम्बे समय से कर रहा हैं. आज के निबंध, भाषण, अनुच्छेद का हमारा विषय जनसंख्या नियंत्रण एक्ट हैं इसकी आवश्यकता, उद्देश्य, महत्व, इतिहास आदि को समझने का प्रयत्न करेंगे.

जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध Essay on Population Control In Hindi

इन दिनों जनसंख्या नियंत्रण एक्ट चर्चा का विषय बना हुआ है आज इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे कि जनसंख्या नियंत्रण क्या है यह क्यों आवश्यक है.

भारत की जनसंख्या का तुलनात्मक अध्ययन करने के साथ यह भी जानेंगे कि अधिनियम के अलावा कौन से कदम उठाए जा सकते हैं.

जिनसे जनसंख्या नियंत्रित हो तथा जनसंख्या का इतिहास तथा भारत के संदर्भ में  जनसंख्या नीति भारत में जनगणना इत्यादि का समावेश करने का प्रयास किया गया है.

जनसंख्या मानव संसाधन है क्योंकि मनुष्य उत्पादन करने के साथ ही जीवन की गुणवत्ता को भी संसाधनों के बेहतर उपयोग द्वारा बढ़ाता है.

वास्तविक अर्थों में विकास मानव संसाधन तथा अन्य संसाधनों के परस्पर संतुलित सामंजस्य के द्वारा ही किया जा सकता है. किसी भी देश में अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि विकास में बाधक भी साबित हो सकती है.

क्योंकि संसाधनों पर दवाब बढ़ता है जिससे लोगों के जीवन स्तर में कमी आती है. जनसंख्या नियंत्रण का अर्थ सीधे तौर पर कृत्रिम तरीकों के द्वारा जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करना है, जिससे संसाधनों के साथ सामंजस्य बना रहे.

पिछले वर्ष 15 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से बढ़ती हुई जनसंख्या तथा इससे उत्पन्न होने वाली चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया था.

उसके बाद न्यायालयों में याचिकाएं दर्ज होनी शुरू हुई तथा प्रधानमंत्री को पत्र लेखन द्वारा विभिन्न संगठनों तथा प्रबुद्ध लोगों ने इससे संबंधित अधिनियम पारित करने की पेशकश की.

वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में दर्ज याचिका में कहा गया है, कि 42 वें संविधान संशोधन 1976 के द्वारा समवर्ती सूची में जनसंख्या नियंत्रण एवं परिवार नियोजन विषय जोड़ा गया इसलिए केंद्र तथा राज्य सरकारों का यह कर्तव्य बनता है, कि वे इससे संबंधित अधिनियम पारित करें.इसके अलावा 2002 में सविधान समीक्षा आयोग ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया, कि वह जनसंख्या नियंत्रण संबंधी कानून बनाएं वर्तमान में दर्ज याचिका में सविधान समीक्षा योग की सिफारिशों को लागू करने की बात कही गई.

यहां हम आपको कुछ आंकड़े बताते हैं, जो यह साबित करते हैं कि भारत में जनसंख्या नियंत्रण का मुद्दा क्यों गरमाया हुआ है. विश्व के कुल क्षेत्रफल का 2% भूभाग भारत है, तथा यहां पर विश्व की 20% आबादी निवास करती है. कुल पीने योग्य जल का 4% भारत के पास है. तथा इसी प्रकार जनसंख्या विस्फोट होता है. तो आने वाले समय में भारत अनेक समस्याओं का सामना करेगा.

भारतीय जनसंख्या वृद्धि को समझने के लिए कुछ रोचक तथ्यों का विश्लेषण करना आवश्यक है. भारत में प्रत्येक दिन 70000 बच्चे जन्म लेते हैं.

अर्थात प्रत्येक मिनट में 51 बच्चों का जन्म होता है इस बार न्यू ईयर यानी 1 जनवरी 2020 को भारत में 67385 बच्चे पैदा हुए. दूसरे स्थान पर चीन रहा जहां इस दिन 46299 बच्चों ने जन्म लिया. भारत की जनसंख्या वर्तमान में 135 करोड़ है,

तथा यह इसी तरह बढ़ती है तो 2024 तक 140 करोड़ को पार कर जाएगी.  यूएनओ की एक रिपोर्ट के अनुसार 2025 तक भारत चीन को पीछे छोड़ते हुए जनसंख्या के मामले में पहले स्थान पर आ जाएगा.

भारत में कृषि उत्पाद की अधिकांश खपत हमारे देश में ही हो जाती है. हम हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु ईंधन का आयात करते हैं. इसके अलावा बढ़ती हुई जनसंख्या के चलते मूलभूत आवश्यकताओं यथा शिक्षा चिकित्सा तथा रोजगार की आपूर्ति देश के लिए चुनौती पेश कर रहे है. जिससे जीवन स्तर में कमी तथा और असमान आय वितरण मे दिनोंदिन वृद्धि देखी जा सकती है.

इनके अलावा बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण कुपोषण गरीबी बेरोजगारी जैसी समस्याओं से निजात पाने में कठिनाई पैदा हुई है. बड़े-बड़े शहरों में लंबे-लंबे यातायात जाम कोलाहल युक्त वातावरण बढ़ता प्रदूषण जनसंख्या विस्फोट के ई परिणाम है.

जनसंख्या नियंत्रण के प्रमुख उपायों में तर्क दिया जाता है, कि विवाह की न्यूनतम उम्र को बढ़ा दिया जाना चाहिए क्योंकि एक विशेष आयु तक प्रजनन की क्षमता अधिक होती है.

दूसरा सुझाव दिया जाता है, कि महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्म निर्भर बनाया जाए तथा महिला शिक्षा पर जोर दिया जाए. जिससे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिलेगा तथा जनसंख्या वृद्धि तथा ऐसी ही अन्य समस्याओं से निजात पाने में सुलभता होगी.

समाज की रूढ़ीवादी परंपराओं से ऊपर उठने में भी शिक्षा अहम योगदान देगी जनसंख्या वृद्धि एक प्रमुख कारण पुत्र प्राप्ति की लालसा भी है. अक्सर यह माना जाता है कि पुत्र वंश को आगे बढ़ाता है तथा बुढ़ापे में सहारा बनता है.

इस संदर्भ में सरकार द्वारा संचालित योजनाओं तथा कार्यक्रमों के द्वारा लोगों को अधिकाधिक जागरुक करने की आवश्यकता है.

देश के प्रबुद्ध लोगों का तर्क है की जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाकर किया जाना अनुचित है. इनका तर्क हैं कि भारत में ऐसे प्रयास पहले भी किए गए जो और सफल रहे. यहां उल्लेखनीय है कि भारत विश्व का पहला देश है. जिसने जनसंख्या नियंत्रण संबंधी कार्यक्रम चलाएं आजादी के बाद 1951 में इसका आरंभ हुआ. 1975 मे जनसंख्या नियंत्रण संबंधी सरकार के प्रयास आलोचनाओं से घिरे रहे उस समय किए गए अमानवीय बर्ताव से ना केवल सरकार की जनसंख्या नियंत्रण संबंधी कार्यक्रम व सफल हुए, साथ ही साथ आम जनता को विरोधी बना दिया.

सरकार कानून के अलावा अन्य उपायों में प्रोत्साहन के द्वारा लोगों को प्रेरित किया जा सकता है. साथ ही जागरूकता को बढ़ावा देकर जनसंख्या बढ़ोतरी को नियंत्रित किया जा सकता है.

जनसंख्या नियंत्रण संबंधी अवधारणा पुरानी नहीं है बीसवीं सदी के अंत में विश्व के कुछ देशों में यह महसूस किया गया कि जनसंख्या की अनियंत्रित बढ़ोतरी विकास में बाधक है. तथा इसे रोका जाना चाहिए जनसंख्या किसी भी देश के लिए संसाधन है.

आइए एक नजर डालते हैं जनसंख्या के इतिहास पर जनसंख्या का इतिहास पुराना है. तथा इसके प्रमाण रोमन साम्राज्य से प्राप्त हुए हैं. इजराइल में 1500 इस्सा पूर्व हजरत मूसा ने जनगणना करवाई थी.

चाणक्य के द्वारा रचित अर्थशास्त्र में भी आर्थिक गतिविधियों के लिए जनगणना को महत्वपूर्ण बताया गया है. अबुल फजल ने अपने ग्रंथ आईने अकबरी में जनगणना का वर्णन किया है.

आधुनिक जनगणना सर्वप्रथम स्वीडन में 1749 में शुरु हुई तथा ब्रिटेन में पहली जनगणना 1801 में हुई दशकीय जनगणना की शुरुआत अमेरिका से 1881 में होती है.

भारत में सर्वप्रथम 1872 में लॉर्ड मेयो के निर्देशन में पहली जनगणना हुई परंतु क्रमबद्ध प्रथम जनगणना 1881 में लॉर्ड रिपन के कार्यकाल में हुई थी.

2011 में संपन्न हुई जनगणना भारत की 15वीं जनगणना थी. 16वी जनगणना का कार्य वर्तमान में जारी है. यह स्वतंत्र भारत की आठवीं जनगणना होगी. 1901 में भारत की जनसंख्या 23.83 करोड़ थी.

जो 1951 तक बढ़कर 36.10 करोड़ तक पहुंच गई. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जनसंख्या वृद्धि में अचानक उछाल आया, तथा 1981 की जनगणना में भारत की जनसंख्या 84.86 करोड़ हो गई जो 2001 में 102 करोड तथा वर्तमान में 135 करोड़ तक पहुंच गई है.

संयुक्त राज्य अमेरिका इंडोनेशिया ब्राजील पाकिस्तान बांग्लादेश व जापान की संयुक्त जनसंख्या लगभग भारत के बराबर है. भारत की पहली जनसंख्या नीति 1976 में घोषित की गई. इसके द्वारा विवाह की न्यूनतम उम्र को बढ़ाकर लड़कियों की 15 से 18 तथा लड़कों की 18 से 21 वर्ष कर दी गई. इससे पहले भारत ने 1952 में परिवार नियोजन संबंधी राष्ट्रीय कार्यक्रम की शुरुआत की थी.

राष्ट्रीय जनसंख्या नीति 2000 के अनुसार परिवार नियोजन अपनाकर कुल प्रजनन दर को 2.1 प्रतिशत 2010 तक लाना शिशु मृत्यु दर को 30 से कम करना तथा मातृ मृत्यु दर को 100 से कम करने का लक्ष्य रखा गया.

इसके साथ ही इस नीति में प्रावधान किया गया, कि सभी जन्म मृत्यु तथा विवाह संबंधी पंजीकरण एवं टीकाकरण को बढ़ावा देना तथा परिवार नियोजन एवं परिवार कल्याण से संबंधित सामाजिक क्षेत्र के कार्यक्रमों पर बल देने की बात कही गई.

संपूर्ण प्रजनन दर का अर्थ किसी भी महिला की संपूर्ण प्रजनन काल सामान्य 15 से उम्र 49 वर्ष की आयु तक के दौरान पैदा हुए. बच्चों की संख्या को व्यक्त करती है भारतीयों की प्रजनन दर 1975 में जहां 4.7% थी जो वर्तमान में कम हो रही है.

2015 से 20 के बीच यह घटकर 2.3% तक पहुंची है. तथा 2040 के बाद इसका 1.7% रहने का अनुमान है. प्रजनन डर कम होना जनसंख्या नियंत्रण को दर्शाता है. 2050 तक भारत में प्रजनन दर 1.6% तक आती है, तो जनसंख्या की असामान्य बढ़ोतरी नियंत्रण मे होगी.

सरकार को चाहिए कि वह जनसंख्या नियंत्रण के मानवोचित प्रयास करें तथा इस परिस्थितियों को ध्यान में रखकर इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने जरूरी है. जिससे संसाधनों का कुशलतम उपयोग सुनिश्चित किया जा सके.

तथा जनसंख्या की असामान्य वृद्धि से उत्पन्न अनेक समस्याओं को अनियंत्रित होने से रोका जा सके. पिछले तीन-चार दशकों से सरकार ने योजनाएं तथा कार्यक्रमों के द्वारा इस दिशा में प्रयास तो किए लेकिन सफल नहीं रहे.

इसलिए जनसंख्या नियंत्रण कानून की आवश्यकता महसूस की गई. हालांकि भारत के 21 राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों की प्रजनन दर 2.1% है. वही उत्तर प्रदेश बिहार मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों की में प्रजनन दर उच्च स्तर पर बनी हुई है. उसे नियंत्रित करने की आवश्यकता है.

अब यह देखना दिलचस्प होगा न्यायालय ने सरकार से अपना पक्ष रखने को कहा है, तो आगामी सुनवाई में सरकार अपना क्या पक्ष रखती है. तथा उसके बाद कौन कौन से कदम उठाए जाएंगे.

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जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | Essay on Population Control in Hindi

जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | Essay-on-Population-Control-in-Hindi

Essay on Population Control in Hindi : दोस्तों पिछले कई वर्षों से भारत में जनसंख्या का मुद्दा एक अहम मुद्दा बन गया है, यह एक महत्वपूर्ण राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा है।

देश का एक बड़ा हिस्सा जनसंख्या नियंत्रण को लेकर एक कानून की मांग कर रहा है, आज का हमारा यह आर्टिकल जनसंख्या नियंत्रण पर है, बढ़ती जनसंख्या को रोकना एक बहुत ही बड़ा मुद्दा बन गया है, और अगर इसे नहीं रोका गया तो आने वाले समय में हमें बहुत सारी मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है आज के इस निबंध में मैं आपको जनसंख्या से जुड़ी तमाम जानकारियां दूंगा तो आप हमारे साथ आखिर तक बने रहें।

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विषय–सूची

जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध (Essay on Population Control in Hindi)

जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध: दोस्तों पिछले कई दिनों से जनसंख्या नियंत्रण एक्ट का मुद्दा छीड़ा हुआ है आज इस निबंध के जरिए मैं आपको बताऊंगा कि जनसंख्या नियंत्रण क्या है, और यह हमारे और संपूर्ण देश भर के लिए क्यों आवश्यक है।

दोस्तों हमारे देश भारत को कभी सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था और इसमें दूध की नदियां बहा करती थी लेकिन आज के समय में बढ़ती जनसंख्या के कारण ऐसा कुछ भी नहीं पता है, कुछ गरीब घर के बच्चों को तो दूध के रंग का भी नहीं पता है, बढ़ती जनसंख्या के कारण हमारे देश में बहुत ही चीजों की कमी होती जा रही है, कुछ गरीब लोगों को तो दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती और ना ही पहनने के लिए कपड़े प्राप्त होते हैं, आखिर यह सब क्यों हो रहा है? इन सब का मुख्य कारण बढ़ती जनसंख्या है, आपको यह जानकर बड़ी ही हैरानी होगी की भारत में पूरे विश्व की जनसंख्या का छठा भाग निवास करता है। क्योंकि इस तरीके की जनसंख्या को देखते हुए यह एक बहुत ही दुखदाई बात है।

जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध | Essay-on-Population-Control-in-Hindi

1951 में भारत की जनंसख्या 36.1 करोड़ थी जोकि 1981 में बढ़कर 68.40 करोड़ हो गई। इस तरह देखा जाए तो केवल तीन दशकों में भारत की जनसंख्या लगभग दोगुनी बढ़ गई। बाद में 1991 में हुई जनगणना के हिसाब से यह आंकड़ा बढ़कर 84.39 हो गया।

2001 में हुई जनगणना में यह जनसंख्या बढ़ कर 1,02,70,15,247 हो गई 2011 में हुई जनगणना के आंकड़ों के अनुसार यह जनसंख्या एक अरब 21 करोड़ तक पहुंच गई है। हमारा यह मानना भी ठीक होगा कि किसी देश या राज्य के लिए जनसंख्या की बढ़ोतरी एक अहम हिस्सा निभाती है, लेकिन इतनी ज्यादा बढ़ती जनसंख्या आज हमारे पूरे देश की एक गंभीर समस्या बन गई है।

जनसंख्या का मतलब यह होता है, कि किसी एक स्थान पर रहने वाले कुल जिलों की संख्या है, भारत में कुछ जगह ऐसी है, कि जहां पर बहुत अधिक पापुलेशन होने की वजह से वहां के लोग ब्यास की वजह से मर रहे हैं और अनेकों बीमारियों का सामना भी कर रहे हैं, हां के लोगों का विकास भी एक चिंता का विषय बन चुका है, और इन परेशानियों से भारत पूर्ण तरीके से जूझ रहा है और इसी के साथ ही हमारे पड़ोसी देश चीन की भी पॉपुलेशन बहुत अधिक है।

लेकिन भारत देश ने पॉपुलेशन के मामले में चीन को भी पीछे छोड़ दिया है यह कोई उपलब्धि हासिल करने की बात नहीं है, यह एक सोच का विषय है, बढ़ती जनसंख्या से हमारे देश भारत में भुखमरी, गरीबी, भ्रष्टाचार आदि बहुत अधिक मात्रा में अधिक तेजी से बढ़ेंंगे और बढ़ती जनसंख्या के कारण लोग बेरोजगार हो जाएंगे।

कब मनाया जाता है, विश्व जनसंख्या दिवस?

11 जुलाई 1989 को विश्व जनसंख्या दिवस की शुरुआत हुई थी। सन 1987 में डॉक्टर Dr. KC Zachariah के सुझाव पर इस दिवस को मनाने की की बात कही गई। हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। जनसंख्या दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को इसके दुष्प्रभावों के प्रति लोगों को सचेत करना है। लोगों को बढ़ती हुई जनसंख्या के प्रति सचेत करें और उन्हें यह भी बताएं कि बढ़ती हुई जनसंख्या हमारे लिए कितनी घातक सिद्ध हो सकती है और आने वाली हमारी पीढ़ी को क्या नुकसान हो सकता है।

  • 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस क्यों मनाया जाता है? जानिए इसका पूरा इतिहास व महत्त्व

भारत में जनसंख्या वृद्धि के मुख्य कारण

अधिक जनसंख्या के भारत में बहुत से कारण है जैसे बाल विवाह, बहु विवाह, दरिद्रता, मनोरंजन का एक साधन होना, लोगों का शिक्षित होना, रूढ़िवादिता, ग्रामीण क्षेत्र के लोग सरकार द्वारा चलाई गई निरोध सुविधा का गांव में कम प्रचार होना। पुत्र पाने की लालसा आदि अनिवार्यता कारण।

अशिक्षित लोग-

अपने बहुत से गांव और कस्बे ऐसे हैं जहां पर लोग अनपढ़ है, उन लोगों को बढ़ती जनसंख्या के बारे में कुछ नहीं पता वहां के लोग बिल्कुल ऐसी क्षित है तो वहां के लोगों को बढ़ती जनसंख्या के बारे में जागरूक करना और इससे भविष्य में होने वाली हानियों के बारे में अवगत कराना क्योंकि भारत में बढ़ती हुई जनसंख्या एक बहुत बड़े खतरे का रूप ले सकती है।

जन्म दर भी लगातार बढ़ रही जनसंख्या का एक मुख्य कारण है, लोग बहुत अधिक बच्चे पैदा कर रहे हैं जनसंख्या के साथ-साथ मानव जन्म दर भी बढ़ रहा है और इसी वजह से आबादी भी ज्यादा बढ़ रही है।

मृत्यु दर में कमी-

आज का समय पहले जैसा नहीं है पहले के समय में अनेक प्रकार की महामारी या हुआ करती थी और उन महा मारियो की दवाई उचित रूप से ना मिलने पर लोगों की बहुत अधिक मौत होती थी लेकिन आज के टेक्नोलॉजी के जमाने में बहुत सी सुविधाएं सरकार की तरफ से चलाई जा रही है जिसकी वजह से लोगों का मृत्यु दर भी बहुत कम हो गया है।

कम आयु में विवाह-

भारत में ऐसे बहुत से गांव है जहां के लोग बहुत ही रूढ़िवादी है, वह अपने बच्चों का बाल विभाग कर देते हैं, जिस से कम आयु में बच्चे पैदा होते हैं।

बढ़ती हुई जनसंख्या के नुकसान।

  • वैसे तो बढ़ती जनसंख्या का असर हम सभी लोगों पर पड़ रहा है, लेकिन यह असर सबसे ज्यादा नवजात बच्चों पर पड़ रहा है और उनके खानपान पर पड़ रहा है, क्योंकि एक परिवार में अधिक बच्चे होने से उनका पोषण सही तरीके से नहीं हो पाता इसी कारण व कुपोषण का शिकार हो जाते हैं, और उन्हें कई अन्य गंभीर बीमारियों का सामना भी करना पड़ता है।
  • देश में बेरोजगारी लाने में भी बढ़ती जनसंख्या का एक अहम हिस्सा है, क्योंकि अधिक पॉपुलेशन होने की वजह से लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता और इसी वजह से वह अपने परिवार का पोषण भी नहीं कर पाते और स्कूल से लेकर नौकरी तक युवाओं को हर फील्ड में कंपटीशन का बहुत ज्यादा सामना करना पड़ता है क्योंकि अधिक जनसंख्या की वजह से पूरे देश में कंपटीशन भी बहुत हो गया है।
  • हमारा देश कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था लेकिन अब इस देश को गरीबी की कगार पर लाने का एक अहम हिस्सा जनसंख्या बन चुकी है, क्योंकि ज्यादा सन जनसंख्या होने की वजह से मजदूरों को अपने रोज के काम में अधिक मेहनत करनी पड़ती है ऐसी आबादी अधिकांश देश के गरीबी रेखा से नीचे होती है।
  • बढ़ती जनसंख्या की वजह से हमारे देश को अपराध का सामना भी करना पड़ता है, क्योंकि जहां पर जनसंख्या अधिक होगी वहां पर लोगों को रोजगार नहीं मिल पाएगा तो वहां के लोग चोरी, लूटमार जैसे धंधे करने शुरू कर देंगे।
  • संसाधनों का भी बढ़ती जनसंख्या की वजह से सही तरह से बटवारा नहीं हो पा रहा है जिसे देश के कई हिस्सों में लोगों को बिना पानी, शुद्ध खाना, और पोषण के बिना रहना पड़ता है।

बढ़ती जनसंख्या को रोकने के उपाय।

  • बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए लोगों को फैमिली प्लानिंग के बारे में बताना चाहिए और उनसे फैमिली प्लानिंग का पालन भी करवाना चाहिए और इसके लिए सरकार को कड़े कानून भी बनाने चाहिए।
  • सरकार के साथ-साथ बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए समाज को भी एक अहम भूमिका निभानी चाहिए कहने का मतलब यह है, कि लोगों की रूढ़िवादी सोच में बदलाव लाना चाहिए।
  • कई लोग बेटी के बजाए बेटे पर अधिक जोर देते हैं तो ऐसे लोगों का भी समाज से बहिष्कार कर देना चाहिए या फिर उन्हें अच्छे से समझाना चाहिए।
  • बढ़ती जनसंख्या को लेकर सरकार को छात्रों में युवाओं को शिक्षा देने में सेक्स एजुकेशन को अधिक बढ़ावा देना चाहिए।

निष्कर्ष (Conclusion):-

तो दोस्तों कैसा लगा आपको हमारा आज का यह निबंध आज के इस निबंध में मैंने आपको बढ़ती जनसंख्या के बारे में बताया और इससे हमारे आने वाले जीवन में क्या हानियां हो सकती है, यह भी मैंने आपको बताया तो आप भी 11 जुलाई को जनसंख्या दिवस है , इसके में बारे में बताएं और बढ़ती हुई जनसंख्या को रोकने के लिए प्रेरित अवश्य करें।

अगर आपको हमारा आज का यह आर्टिकल पसंद आया है, तो इसे लाइक शेयर कमेंट अवश्य करें और साथ ही साथ इसे अपनी सोशल मीडिया साइट पर अवश्य शेयर करें अगर आपको हमारा यह लेख आर्टिकल- जनसंख्या नियंत्रण पर निबंध में कोई कमी नजर आए तो हमें कमेंट सेक्शन में अवश्य बताएं हम आपके कमेंट का जल्द से जल्द रिप्लाई करेंगे।

इन्हें भी जाने :-

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बढ़ती हुई जनसंख्या पर निबंध Essay on Increasing Population in Hindi

बढ़ती हुई जनसंख्या पर निबंध Essay on Increasing Population in Hindi

इस लेख में हमने बढ़ती हुई जनसंख्या पर निबंध हिंदी में (Essay on Increasing Population in Hindi) लिखा है। जिसमें जनसंख्या वृद्धि का अर्थ, प्रकार, कारण. दुष्परिणाम. कानून और नियंत्रण के उपाय को आकर्षक रूप से शामिल किया गया है।

Table of Contents

प्रस्तावना (बढ़ती हुई जनसंख्या पर निबंध Essay on Increasing Population in Hindi)

किसी भी परिवार को एक आदर्श परिवार तब कहा जा सकता है जब वह सभी प्रकार से संतुलित हो। परिवार में संतुलन अर्थात संख्या संतुलन, आर्थिक संतुलन और व्यवहारिक संतुलन होता है।

लेकिन जब संख्या में लगातार बढ़ोतरी होना शुरू हो जाता है तो परिवार आर्थिक, सामाजिक तथा व्यावहारिक रूप से कमजोर हो जाता है। ठीक इसी प्रकार किसी भी देश की बढ़ती जनसंख्या उसके अविकसित रहने का कारण बनती है।

जनसंख्या वृद्धि यह एक प्राकृतिक परिस्थिति है। लेकिन इसका संतुलन मनुष्य के विवेक के ऊपर निर्भर होता है। अर्थात मनुष्य चाहे तो अपने परिवार को संतुलित रख राष्ट्र को संतुलित रख सकता है।

आबादी की दृष्टि से दुनिया का सबसे बड़ा देश चीन है। भारत जनसंख्या की दृष्टि से दूसरे स्थान पर मौजूद है। लेकिन जिस गति से भारत में जनसंख्या वृद्धि हो रही है वह दिन दूर नहीं जब भारत पूरी दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश होगा।

संख्या में ज्यादा होने के कारण इंसानों को रहने तथा गुजर-बसर करने के लिए अधिक स्थान की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए जिस देश में जनसंख्या असंतुलन होती है वहां गरीबी, भुखमरी, महंगाई तथा बेरोजगारी अधिक मात्रा में देखने को मिलती है।

इस विषय की गहराई के बारे में हर भारतवासी को सोचना होगा। साथ ही ऐसे कड़े कानून की व्यवस्था करनी पड़ेगी जिसके माध्यम से लापरवाह और असंतुलित लोगों पर शिकंजा कसा जा सके।

जनसंख्या वृद्धि की परिभाषा Definition of population growth in Hindi

एक निश्चित आंकड़े के बाद बढ़ी हुई आबादी को जनसंख्या वृद्धि कहा जाता है। सरल शब्दों में कहे तो किसी भी देश की भौगोलिक परिस्थिति, विकास के अवसर तथा धन के आधार पर तय किए गए जनसंख्या मानक से अधिक संख्या को बढ़ती हुई जनसंख्या का नाम दिया जाता है।

जनसंख्या वृद्धि में किसी भी व्यक्ति, समूह को शामिल नहीं किया जाता है। जिसके कारण लोग बिना सोचे समझे जनसंख्या बढ़ा रहे हैं।

कुछ विशेष नियमों के अंतर्गत जनसंख्या वृद्धि की परिभाषा में बदलाव हो सकता है। क्योंकि पिछली परिभाषा के अनुसार जाहिल और पिछड़ी मानसिकता वाले लोगों की पहचान कर पाना नामुमकिन होता था।

वर्तमान समय में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कोई कठोर कानून नहीं है, इसलिए ऐसे लोगों पर लगाम कस पाना बेहद मुश्किल कार्यों में से एक है।

जनसंख्या घनत्व वृद्धि के प्रकार Types of Population Density Growth in Hindi

भारत में राज्य स्तर पर उपलब्ध जनसंख्या के आंकड़ों के आधार पर जनसंख्या घनत्व को तीन श्रेणियों में बांटा जा सकता हैः अधिक घनत्व वाले क्षेत्र, मध्य घनत्व वाले क्षेत्र तथा कम घनत्व वाले क्षेत्र।

जहां जनसंख्या का घनत्व चार सौ व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से अधिक होता है ऐसे जगह को ज्यादा घनत्व वाले जनसंख्या क्षेत्र कहते हैं। ऐसे क्षेत्र तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल राज्य में आते हैं। 

जिन क्षेत्रों का जनसंख्या घनत्व 100 से 400 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर के बीच होता है उन्हें मध्यम घनत्व वाले क्षेत्र कहते हैं। उदाहरण के तौर पर आंध्र प्रदेश, असम, गोवा, गुजरात, उड़ीसा, जैसे राज्य मध्यम जनसंख्या घनत्व वाले राज्य हैं।

जिन क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व 100 व्यक्ति या उससे कम प्रति वर्ग किलोमीटर होता है ऐसे क्षेत्रों को निम्न जनसंख्या घनत्व वाला स्थान कहते हैं। जैसे अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, सिक्किम तथा अंडमान निकोबार दीप समूह।

बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण Reason of Population increasing in Hindi

बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण देश में आर्थिक असंतुलन पैदा होता है। जिसके कारण देश का आर्थिक विकास दर बाधित होता है।

जनसंख्या वृद्धि का सबसे बड़ा कारण अशिक्षा का होना है। क्योंकि ज्ञान के अभाव में ही लोग अपनी तथा देश के भले बुरे के बारे में दूरदर्शिता नहीं रख पाते।

अशिक्षा के कारण लोग जनसंख्या वृद्धि को रोकने का विकल्प नहीं खोज पाते। जिसके कारण उनका पारिवारिक, सामाजिक जीवन असंतुलित हो जाता है।

कम पढ़े लिखे होने के कारण कम आयु में विवाह करने का प्रचलन भी बढ़ जाता है। परिणामस्वरूप परिवार संयोजन जैसे गंभीर विषयों पर सोचने लायक बुद्धि का विकास ही नहीं हो पाता। जिसके कारण जनसंख्या असंतुलन जैसे मुद्दे सामने आते हैं।

कम आयु अथवा कम समझ में विवाह हो जाने के कारण परिवार नियोजन के प्रति उदासीन भाव रखते हैं तथा विकल्पों को व्यर्थ की बात समझने लगते हैं।

बढ़ती हुई जनसंख्या के कारणों में सबसे मुख्य कारण चिकित्सा का अभाव भी होता है। जिसके माध्यम से लोगों को उनकी शारीरिक संरचना के प्रति आगाह किया जाता है। चिकित्सा के अभाव में जनसंख्या वृद्धि होना आज एक आम बात रह गई है।

इसके अलावा गरीबी और जनसंख्या विरोधाभास आदि ने जनसंख्या बढ़ाने में योगदान किया है। इसके कारण कुछ धर्म विशेष के लोग इन मुद्दों की गंभीरता को बिल्कुल भी नहीं समझते हैं तथा अंधविश्वास के कारण जनसंख्या वृद्धि को उनके ईश्वर की मर्जी मानते हैं।

आज अगर बढ़ती हुई आबादी को संतुलित करने के रास्ते न निकाले गए तो इसके दूरगामी परिणाम बहुत ही नकारात्मक देखने को मिल सकते हैं।

बढ़ती जनसंख्या के दुष्परिणाम Bad Effects of Population Increasing in Hindi

बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण किसी भी देश में तकलीफों का बढ़ना आम बात है। जिसमें उस देश के सभी नागरिकों की हानि होती है साथ में देश आर्थिक रूप से कमजोर होता है।

जब किसी देश में लोगों की संख्या बेलगाम बढ़ने लगती है तो वहां के संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ने लगता है। जो वहां के लोगों की प्रति ही खर्च हो जाता है और व्यवसाय के लिए नाम मात्र ही बचता है। 

उदाहरण के तौर पर चीन में अधिक जनसंख्या होने के कारण वह अपने देश में उगाए हुए चावल स्वयं ही उपयोग में लेता है।

मामूली सी बात है, कि जिस घर में खाने वाले अधिक तथा कमाने वाले कम होंगे वहां के लोगों का जीवन स्तर बहुत ही मामूली रह जाएगा। वर्तमान भारत के कई गांवों में आज निम्न स्तर के जीवन जीने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। 

कहते हैं कि पैसा पैसे को खींचता है और गरीबी को। गरीबी का कुचक्र एक ऐसा चक्र है जिसमें लोग आजीवन फंसे रह जाते हैं तथा अपने हित व समाज के हित की बात सोच ही नहीं पाते। 

जब लोगों के जीवन का स्तर निम्न होगा जाहिर सी बात है कि देश का स्तर भी गिरेगा। इसलिए जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम को कोई एक व्यक्ति नहीं बल्कि समस्त राष्ट्र भुगतता है।

जनसंख्या वृद्धि के सबसे बड़े दुष्परिणाम के रूप में पर्यावरण तथा प्राकृतिक संसाधनों की हानि के रूप में सामने आता है। जहां लोगों की वृद्धि होती है वहां उन्हें रहने के लिए अतिरिक्त जगह की आवश्यकता पड़ती है। जिसके कारण जंगलों तथा प्राकृतिक स्थानों का नाश किया जाता है।

इसके अन्य बहुत सारे दूरगामी दुष्परिणाम सामने आते हैं जैसे कि- बेरोजगार स्त्री पुरुषों की संख्या में बढ़ोतरी होना, प्रदूषण का बढ़ना , श्रम बाजार में प्रतिस्पर्धा का बढ़ना तथा आपराधिक प्रवृत्तियों में बढ़ोतरी होना इत्यादि।

जनसंख्या नियंत्रण कानून Population Regulation Bill in Hindi

जब तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी जी ने जबरदस्ती आपातकालीन लागू कर दिया था तब उन्होंने 60 लाख लोगों की जबरदस्ती नसबंदी कराई थी। जिसके बाद लगभग दो हजार लोगों की मृत्यु हो गई थी।

विगत सरकारों ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए बहुत से कानून बनाने के प्रयास किए। लेकिन वे सभी फाइलों में धूल खाती रह गई। 

सन 2000 में जनसंख्या नियंत्रण के लिए स्वर्गीय अटल बिहारी सरकार में गठित वेंकटचलैया आयोग ने कानून बनाने की सिफारिश की थी। वेंकटचलैया आयोग ने 31 मार्च 2002 को अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी थी।

इसके बाद सभी सरकारों ने जनसंख्या नियंत्रण के नाम पर अपने स्वार्थ साधना ही पूरी की। वर्तमान नरेन्द्र मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान लाल किले से जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे को उठाया था।

2015 से 2018 तक विभिन्न लोगों ने अपने अपने रिसर्च और रिपोर्ट को उजागर किया था जिसमें गैर कानूनी तरीके से भारत में रह रहे लोगों का उल्लेख खुलकर किया गया था।

समय-समय पर अनेक राजनेताओं ने जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने के विषय को उठाया। लेकिन जनसंख्या नियंत्रण यह परिवार का व्यक्तिगत मामला होता है इसलिए वर्तमान सरकार ने जागरूकता पर अधिक जोर दिया है।

लेकिन जो मुद्दे राष्ट्र की अखंडता और संप्रभुता के लिए जरूरी होते हैं उन मुद्दों के लिए जबरजस्ती कानून बनाने की आवश्यकता हो तो ही बनाने चाहिए। क्योंकि एक बार परिस्थिति हाथ से निकल जाती है तो पछताने के अलावा कुछ नहीं बचता। 

जनसंख्या वृद्धि के नियंत्रण के उपाय Measures to Control Population Growth in Hindi

जनसंख्या वृद्धि के नियंत्रण के लिए सबसे पहले लोगों में जागरूकता को फैलाना चाहिए। इसके लिए गांव देहातों में विभिन्न सभाओं व परिवार नियोजन संस्थाओं का निर्माण करना चाहिए।

शिक्षा के अभाव में लोग जनसंख्या वृद्धि को नजरअंदाज करते हैं। जिसके लिए लोगों को शिक्षित तथा अनुशासित करने का ताना-बाना बुनना चाहिए।

गैरकानूनी रूप से दाखिल हुए लोगों को बलपूर्वक देश के प्राकृतिक संसाधनों से बेदखल करना चाहिए तथा गैर कानूनी रूप से दाखिल हुए लोगों के लिए विशेष कानून बनाना चाहिए।

जनसंख्या विस्फोट को रोकने के लिए कड़े कानून बनाना ही एकमात्र उपाय है। जिसके माध्यम से लोगों में संतुलन बनाए रखने की जागरूकता में वृद्धि होगी।

बढ़ती हुई जनसंख्या पर 10 लाइन Best 10 lines on Population growth in Hindi

  • किसी भी देश के आर्थिक संपत्ति के मुकाबले अतिरिक्त जनसंख्या को बढ़ती हुई जनसंख्या कहते हैं।
  • जनसंख्या की दृष्टि से चीन दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है।
  • भारत यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आबादी वाला देश है।
  • एक रिसर्च के अनुसार 2048 तक भारत दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन जाएगा।
  • रिपोर्ट के अनुसार, विश्व की जनसंख्या वर्ष 2064 में लगभग 9.7 बिलियन होने का अनुमान लगाया गया है।
  • समय के साथ किसी देश की बढ़ती आबादी को वृद्धि वक्र के द्वारा दर्शाया जाता है।
  • बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण देश का आर्थिक विकास भी अवरुद्ध होता है।
  • जनसंख्या वृद्धि के मुख्य सबसे बड़ा कारण अशिक्षा का होना है।
  • तेजी से जनसंख्या वृद्धि से पर्यावरण में परिवर्तन उत्पन्न होता है।
  • भारत में जनसंख्या नियंत्रण कानून की आवश्यकता बेहद ही अधिक है।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने बढ़ती हुई जनसंख्या पर निबंध हिंदी में (Essay on Increasing Population in Hindi) पढ़ा। आशा है यह निबंध आपको जानकारी से भरपूर लगा होगा। अगर यह लेख आपको अच्छा लगा हो तो शेयर जरूर करें।

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Population Essay In Hindi

जनसँख्या पर निबंध – Population Essay In Hindi

जनसँख्या पर निबंध – essay on population in hindi.

भारत की बढ़ती जनसंख्या एक गंभीर समस्या है। भारत जनसंख्या की दृष्टि से चीन के बाद दूसरा देश है। अभी वर्तमान समय में अनुमानित एक सौ तीस करोड़ के आँकड़े को भी पार कर गई है।

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न  हिंदी निबंध  विषय पा सकते हैं।

यदि इसी गति से बढ़ती गई, तो एक दिन चीन को भी पीछे छोड़ देगी। जनसंख्या वृद्धि की समस्या अत्यंत विकराल है। यह ऐसी समस्या है जो स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से अब तक लगातार बढ़ती ही जा रही है। वर्तमान में यह समस्या गंभीर चिंता का विषय बन गई है।

भारत में जनसंख्या वृद्धि के अनेक कारण हैं, इनमें सबसे प्रमुख है भारतीयों की धार्मिक भावनाएँ, अंधविश्वास तथा अशिक्षा। भारत की अधिकांश जनसंख्या गाँवों में रहती है। गाँवों में रहने वाले लोग अंधविश्वासी, अशिक्षित तथा धार्मिक मान्यताओं को मानने वाले होते हैं।

वे संतान को ईश्वर का दिया हुआ वरदान मानते हैं। परिवार नियोजन के साधनों को धर्म विरोधी तथा अनैतिक बताते हैं। इसीलिए गाँवों में जनसंख्या का विस्तार तेजी से हुआ है और हो रहा है। जनसंख्या की वृद्धि का अन्य कारण है बाल विवाह।

गाँवों में लड़कियों की शादी अल्पायु में यानी चौदह-पंद्रह वर्षों में कर दी जाती है। इस कारण वे जल्दी माँ बन जाती हैं। इससे उनको संतानोत्पत्ति के लिए लंबा समय मिल जाता है। पुत्र की चाहत में कई-कई बेटियाँ होना सामान्य बात है। जनसंख्या की वृधि के अनेक दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। इसी के प्रभाव से बेकारी की समस्या बढ़ रही है।

बेकारी की समस्या बढ़ने के कारण इससे संबंधित अनेक प्रकार की समस्याएँ जैसे अपराध, भ्रष्टाचार, गरीबी, जीवन स्तर में कमी, कुपोषण आदि की समस्याएँ भी उपस्थित हो गई हैं। जनसंख्या की अधिकता के कारण गाँवों के लोगों का पलायन शहरों की ओर हो रहा है। आज महानगरों में बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए आवास योग्य भूमि का इतना अभाव हो गया है कि लोगों को झुगी-झोपड़ियों, स्लम आदि में रहने को विवश होना पड़ रहा है।

यद्यपि भारत ने औद्योगिक क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है, परंतु जनसंख्या की निरंतर वृद्धि के कारण यह प्रगति बहुत कम लगती है। बेरोजगारी को बढ़ाने में भी सर्वाधिक योगदान जनसंख्या की वृधि ही है। बेरोजगार होने के कारण युवकों में अपराध करने की प्रवृत्ति बढ़ती रहती है। जिससे देश में शांति और व्यवस्था भंग हो जाती है।

जनसंख्या की वृद्धि पर अंकुश लगाने के लिए गाँवों के लोगों में जागृति लाना आवश्यक है। उन्हें परिवार नियोजन के लिए प्रोत्साहित किया जाना अनिवार्य है। इसके लिए विवाह कानून को भी कठोरता से लागू किया जाना चाहिए। इसके लिए शिक्षा का प्रचार-प्रसार बहुत आवश्यक है।

सरकार को इसके लिए ठोस कदम उठाने होंगे, एक या दो संतान वाले लोगों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। तथा अधिक संतान वालों पर कर आदि लगाकर या उन्हें मिलने वाली सुविधाओं में कमी कर हतोत्साहित करना चाहिए।

Population Essay

जनसंख्या पर निबंध 10 lines (Essay On Population in Hindi) 100, 200, 300, 500, शब्दों में

population control essay 250 words in hindi

Essay On Population in Hindi – जनसंख्या एक बहुत ही दिलचस्प विषय है। इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि किसी भी देश की जनसंख्या इस बात का बहुत मजबूत संकेतक है कि वह देश भविष्य में कैसे कार्य करेगा और एक राष्ट्र के रूप में उसकी क्षमताएं क्या हैं। दुनिया के नेता इसी कारण से अपने देश की जनसंख्या पर बहुत ध्यान देते हैं। जनसंख्या और उनके पास मौजूद कौशल शायद किसी भी देश के लिए सबसे आवश्यक संपत्तियों में से कुछ हैं। निम्नलिखित लेख जनसंख्या के विषय पर एक निबंध है और इसे इस तरह से संरचित किया गया है कि सभी उम्र के छात्र उन मुख्य बिंदुओं को सीख और समझ सकें जिनका उन्हें इस तरह का निबंध लिखते समय उल्लेख करने की आवश्यकता है। 

जनसंख्या पर निबंध 10 पंक्तियाँ (Population Essay 10 Lines in Hindi) 100 – 150 शब्द

  • 1) जनसंख्या, सरल शब्दों में, दुनिया में लोगों की कुल गिनती है।
  • 2) जनसंख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है जिससे ग्रह को बहुत सारे नुकसान हो रहे हैं।
  • 3) जनसंख्या में वृद्धि से लोगों के लिए संसाधनों की संख्या सीमित हो जाती है।
  • 4) चीन दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से एक है।
  • 5) भारत दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में दूसरे स्थान पर है।
  • 6) जनसंख्या वृद्धि नकारात्मक भी हो सकती है और सकारात्मक भी।
  • 7) जनसंख्या की अधिकता को अतिजनसंख्या कहा जाता है।
  • 8) जनसंख्या वृद्धि पूरी दुनिया के लिए एक खतरनाक चिंता का विषय है।
  • 9) किसी भी राष्ट्र के सतत विकास के लिए जनसंख्या सीमा में होनी चाहिए।
  • 10) देशों में अधिक जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए सरकार कई कार्यक्रम चलाती है।

जनसंख्या पर 200 शब्द निबंध (200 Words Essay On Population in Hindi)

हाल के दशकों में वैश्विक जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, विश्व की जनसंख्या 2020 में 7.9 बिलियन तक पहुंच गई और 2050 तक लगभग 9.7 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है। यह जनसंख्या वृद्धि दर देश और क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग होती है, कुछ क्षेत्रों में दूसरों की तुलना में उच्च वृद्धि दर का अनुभव होता है। विकासशील देशों में विकसित देशों की तुलना में जनसंख्या वृद्धि दर अधिक होती है।

संसाधनों पर प्रभाव

बढ़ती जनसंख्या का संसाधनों पर काफी प्रभाव पड़ता है। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती है, भोजन, पानी और ऊर्जा की मांग बढ़ती है। इससे भोजन और पानी की कमी के साथ-साथ ऊर्जा संसाधनों पर दबाव जैसे मुद्दे पैदा हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, बढ़ती जनसंख्या जंगलों और भूमि जैसे प्राकृतिक संसाधनों पर भी दबाव डालती है, जिससे वनों की कटाई और भूमि क्षरण जैसे मुद्दे सामने आते हैं।

पर्यावरण पर प्रभाव

बढ़ती जनसंख्या का पर्यावरण पर भी काफी प्रभाव पड़ता है। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती है, वैसे-वैसे अपशिष्ट और प्रदूषण की मात्रा भी बढ़ती है। इससे वायु और जल प्रदूषण जैसे मुद्दों के साथ-साथ महासागरों और नदियों जैसी प्राकृतिक प्रणालियों पर दबाव पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त, बढ़ती जनसंख्या जैव विविधता पर भी दबाव डालती है, जिससे प्रजातियों और पारिस्थितिक तंत्रों का नुकसान होता है।

अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

बढ़ती जनसंख्या का असर अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है. जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ती है, वैसे-वैसे आवास, बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा जैसी सेवाओं की मांग भी बढ़ती है। इससे आवास और बुनियादी ढांचे की समस्याओं के साथ-साथ स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा प्रणालियों पर दबाव जैसे मुद्दे पैदा हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त, बढ़ती जनसंख्या रोज़गार और नौकरी बाज़ारों पर भी दबाव डाल सकती है।

जनसंख्या पर 300 शब्द निबंध (300 Words Essay On Population in Hindi)

किसी स्थान पर रहने वाले लोगों की संख्या को दर्शाने के लिए जनसंख्या आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है। दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जनसंख्या का घनत्व कई कारणों से काफी भिन्न होता है।

जनसंख्या का असमान वितरण

पृथ्वी पर जनसंख्या असमान रूप से वितरित है। जबकि कुछ देश ऐसे हैं जो जनसंख्या विस्फोट की समस्या का सामना कर रहे हैं, अन्य देश बहुत कम आबादी वाले हैं। यह केवल मानव आबादी का मामला नहीं है, यह जानवरों और अन्य जीवों के लिए भी अच्छा है। कुछ स्थानों पर आपको अधिक संख्या में जानवर दिखेंगे जबकि कुछ स्थानों पर आपको शायद ही कोई जानवर मिलेंगे।

चीजें जो जनसंख्या घनत्व को प्रभावित करती हैं

किसी भी क्षेत्र में जनसंख्या के घनत्व की गणना कुल लोगों की संख्या को उस क्षेत्र से विभाजित करके की जाती है जिसमें वे रह रहे हैं। जनसंख्या का घनत्व कई कारणों से अलग-अलग स्थानों में भिन्न होता है। किसी क्षेत्र में जनसंख्या के घनत्व को प्रभावित करने वाले कुछ कारक इस प्रकार हैं:

अत्यधिक गर्म या ठंडी जलवायु वाले स्थान कम आबादी वाले होते हैं। दूसरी ओर, जो मध्यम जलवायु का आनंद लेते हैं वे घनी आबादी वाले हैं।

तेल, लकड़ी, कोयला आदि जैसे संसाधनों की अच्छी उपलब्धता वाले क्षेत्र घनी आबादी वाले हैं, जबकि जिन क्षेत्रों में इन बुनियादी संसाधनों की कमी है, वे विरल आबादी वाले हैं।

  • राजनीतिक माहौल

जिन देशों में स्थिर सरकार और स्वस्थ राजनीतिक वातावरण होता है, वहां घनी आबादी होती है। ये देश क्षेत्र को आबाद करके अन्य देशों के अप्रवासियों को वहां आकर्षित करते हैं। दूसरी ओर, गरीब या अस्थिर सरकार वाले देशों में बहुत से लोग किसी अच्छे अवसर की उपलब्धता पर कहीं और चले जाते हैं।

संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे प्रथम विश्व के देश बहुत सारे अप्रवासियों को आकर्षित करते हैं क्योंकि वे लोगों को बेहतर पैकेज और बेहतर जीवन स्तर प्रदान करते हैं। दुनिया के विभिन्न हिस्सों से लोग ऐसे देशों में प्रवास करते हैं। यही कारण है कि ऐसे देशों में जनसंख्या का घनत्व बढ़ता जा रहा है।

भले ही दुनिया भर में कुछ स्थानों पर जनसंख्या का घनत्व कम है, लेकिन पिछले कुछ दशकों में देश की कुल जनसंख्या में वृद्धि हुई है और आने वाले समय में इसके कई गुना बढ़ने की संभावना है।

जनसंख्या पर 500 शब्द निबंध (500 Words Essay On Population in Hindi)

जनसंख्या से तात्पर्य किसी विशेष क्षेत्र में रहने वाले प्राणियों की कुल संख्या से है। जनसंख्या हमें प्राणियों की संख्या का अनुमान लगाने और उसके अनुसार कार्य करने में मदद करती है। उदाहरण के लिए, यदि हम किसी शहर की विशेष जनसंख्या को जानते हैं, तो हम अनुमान लगा सकते हैं कि उसे कितने संसाधनों की आवश्यकता है। इसी तरह, हम जानवरों के लिए भी ऐसा कर सकते हैं। यदि हम मानव आबादी पर नजर डालें तो पाते हैं कि यह किस प्रकार चिंता का कारण बनती जा रही है। विशेषकर तीसरी दुनिया के देश जनसंख्या विस्फोट से सबसे अधिक पीड़ित हैं। चूँकि वहाँ संसाधन सीमित हैं और लगातार बढ़ती जनसंख्या इसे और बदतर बना देती है। वहीं दूसरी ओर कई क्षेत्रों में कम जनसंख्या की समस्या भी है.

भारत जनसंख्या संकट

बढ़ती जनसंख्या के कारण भारत एक बड़े जनसंख्या संकट का सामना कर रहा है। अगर अनुमान लगाया जाए तो हम कह सकते हैं कि दुनिया की लगभग 17% आबादी अकेले भारत में रहती है। सर्वाधिक जनसंख्या वाले देशों की सूची में भारत दूसरे स्थान पर है।

इसके अलावा, भारत भी कम साक्षरता दर वाले देशों में से एक है। यह कारक भारत में जनसंख्या विस्फोट में बड़े पैमाने पर योगदान देता है। आमतौर पर देखा जाता है कि अशिक्षित और गरीब वर्ग में बच्चों की संख्या अधिक होती है। ऐसा मुख्य रूप से इसलिए होता है क्योंकि उन्हें जन्म नियंत्रण विधियों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं होती है। इसके अलावा, एक परिवार में अधिक लोग अधिक मदद करने वाले हाथों के बराबर होते हैं। इसका मतलब है कि उनके पास कमाई के बेहतर मौके हैं।

इसके अलावा, हम यह भी देखते हैं कि ये वर्ग किस प्रकार शीघ्र विवाह का अभ्यास करते हैं। यह इसे अधिक जनसंख्या के प्रमुख कारणों में से एक बनाता है। लोग पैसों के लिए या अपनी ज़िम्मेदारी से मुक्त होने के लिए अपनी जवान बेटियों की शादी अपने से कहीं अधिक उम्र के पुरुषों से कर देते हैं। युवा लड़की कम उम्र से ही बच्चों को जन्म देती है और लंबे समय तक ऐसा करती रहती है।

चूँकि भारत संसाधनों की कमी का सामना कर रहा है, जनसंख्या संकट समस्या को और बढ़ा देता है। इससे प्रत्येक नागरिक के लिए संसाधनों का समान हिस्सा प्राप्त करना काफी कठिन हो जाता है। इससे गरीब और गरीब तथा अमीर और अमीर हो जाता है।

जनसंख्या विस्फोट का प्रभाव

मानव जनसंख्या विस्फोट न केवल मनुष्यों को बल्कि हमारे पर्यावरण और वन्य जीवन को भी प्रभावित करता है। हमने विभिन्न कारकों के कारण पक्षियों और जानवरों की कई प्रजातियों को विलुप्त होते देखा है। चूँकि अधिक जनसंख्या को अधिक संसाधनों की आवश्यकता होती है, इसलिए वनों की कटाई तेजी से हो रही है जो इन जानवरों के घरों को छीन लेती है। इसी प्रकार, मानवीय गतिविधियों के कारण उनका निवास स्थान नष्ट हो रहा है।

इसके बाद, जनसंख्या विस्फोट के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। जैसे-जैसे अधिक से अधिक मनुष्य ऑटोमोबाइल खरीद रहे हैं, हमारी हवा प्रदूषित हो रही है। इसके अलावा, बढ़ती ज़रूरत के लिए औद्योगीकरण की तेज़ दर की आवश्यकता है। ये उद्योग हमारे जल और भूमि को प्रदूषित करते हैं, हमारे जीवन की गुणवत्ता को नुकसान पहुंचाते हैं और उसका ह्रास करते हैं।

इसके अलावा, मानवीय गतिविधियों के कारण हमारी जलवायु में भी भारी बदलाव आ रहे हैं। जलवायु परिवर्तन वास्तविक है और यह हो रहा है। यह हमारे जीवन पर बहुत हानिकारक प्रभाव डाल रहा है और अब इस पर नजर रखी जानी चाहिए। ग्लोबल वार्मिंग जो मुख्यतः मनुष्यों की गतिविधियों के कारण होती है, जलवायु परिवर्तन के कारकों में से एक है।

मनुष्य अभी भी जलवायु का सामना करने और उसके अनुसार अनुकूलन करने में सक्षम हैं, लेकिन जानवर ऐसा नहीं कर सकते। इसी कारण वन्य जीव भी विलुप्त होते जा रहे हैं।

दूसरे शब्दों में कहें तो मनुष्य सदैव अपने भले के बारे में सोचता है और स्वार्थी हो जाता है। वह इस बात को नज़रअंदाज कर देता है कि वह आसपास के वातावरण पर क्या प्रभाव डाल रहा है। यदि जनसंख्या दर इसी गति से बढ़ती रही तो हम अधिक समय तक जीवित नहीं रह पाएंगे। इसके साथ ही जनसंख्या वृद्धि के हानिकारक परिणाम सामने आते हैं। अत: हमें जनसंख्या नियंत्रण के उपाय अवश्य करने चाहिए।

जनसंख्या पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Q.1 विश्व की वर्तमान जनसंख्या कितनी है.

उत्तर. जुलाई 2021 तक विश्व की जनसंख्या 7.88 बिलियन होने का अनुमान है।

Q.2 चीन की जनसंख्या कितनी है?

उत्तर. जुलाई 2021 तक चीन की जनसंख्या लगभग 141.24 करोड़ है।

Q.3 जनसंख्या अर्थव्यवस्था को कैसे प्रभावित करती है?

उत्तर. जनसंख्या वृद्धि का अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इससे वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ सकती है, जिसके परिणामस्वरूप अधिक नौकरियां पैदा हो सकती हैं और आर्थिक विकास बढ़ सकता है।

Q.4 जनसंख्या वृद्धि को कौन से कारक प्रभावित करते हैं?

उत्तर. जनसंख्या वृद्धि कई कारकों से प्रभावित होती है, जिनमें जन्म दर, मृत्यु दर, प्रवासन और संसाधनों तक पहुंच शामिल है।

दा इंडियन वायर

जनसंख्या वृद्धि पर निबंध

population control essay 250 words in hindi

By विकास सिंह

population growth essay in hindi

आज 21वीं सदी में विश्व अत्यधिक जनसँख्या (population) की एक बड़ी समस्या का सामना कर रहा है जो अब वैश्विक संकट के बराबर हो गया है।

विषय-सूचि

जनसंख्या वृद्धि पर निबंध, population growth essay in hindi (200 शब्द)

आज के समय में जनसंख्या दुनिया की अग्रणी समस्याओं में से एक बन गई है। इसके लिए हम सभी को त्वरित और गंभीर ध्यान देने की आवश्यकता है। बढ़ती जनसंख्या के कारण सबसे खराब स्थिति अब कई देशों में देखी जा सकती है जहां लोग भोजन, आश्रय, शुद्ध पानी की कमी से जूझ रहे हैं और प्रदूषित हवा से सांस लेना पड़ रहा है।

बढ़ी हुई जनसंख्या प्राकृतिक संसाधनों को प्रभावित करती है:

यह संकट दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है और हमारे प्राकृतिक संसाधनों को पूरी तरह से प्रभावित कर रहा है क्योंकि अधिक लोग पानी, भोजन, भूमि, पेड़ और अधिक जीवाश्म ईंधन के अधिक उपभोग के परिणामस्वरूप पर्यावरण को बुरी तरह से प्रभावित कर रहे हैं। वर्तमान समय में, अधिक जनसंख्या प्राकृतिक सौंदर्य के अस्तित्व के लिए अभिशाप बन गई है। पर्यावरण में प्रदूषित हवा के कारण लोग विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं।

जनसंख्या बेरोजगारी का कारण बन सकती है और किसी भी देश के आर्थिक विकास को भी प्रभावित कर सकती है। जनसंख्या के लगातार बढ़ते स्तर के कारण कई देशों में गरीबी भी बढ़ रही है। लोग सीमित संसाधनों और पूरक आहार के तहत जीने के लिए बाध्य हैं।

भारत सहित कई देशों में, जनसंख्या ने अपनी सभी सीमाओं को पार कर लिया है और इसके परिणामस्वरूप हम उच्च अशिक्षा स्तर, खराब स्वास्थ्य सेवाओं और ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधनों की कमी पाते हैं।

जनसंख्या की समस्या पर निबंध, population growth in india essay in hindi (300 शब्द)

population growth essay

प्रस्तावना:

विश्व की जनसंख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और यह दुनिया के लिए एक बड़ी चिंता बनती जा रही है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, दुनिया में जनसंख्या पहले ही 7.6 बिलियन को पार कर गई है। जनसंख्या में वृद्धि दुनिया के आर्थिक, पर्यावरण और सामाजिक विकास को प्रभावित करती है।

विभिन्न जनसंख्या वाले विभिन्न देश:

दुनिया के सभी देशों में जनसंख्या वृद्धि एक समान नहीं है। कुछ देशों में उच्च विकास होता है जबकि कुछ मध्यम या उनकी जनसंख्या में बहुत कम वृद्धि होती है। यह बहुत सी चुनौतियां पैदा करता है क्योंकि उच्च विकास वाले देश गरीबी, अधिक खर्च, बेरोजगारी, ताजे पानी की कमी, भोजन, शिक्षा, संसाधनों की कमी आदि के कारण जनसंख्या विस्फोट के परिणामस्वरूप होते हैं, जबकि कम जनसंख्या वृद्धि वाले देशों में श्रमशक्ति की कमी होती है।

जनसंख्या वृद्धि के प्रभाव:

आइए देखें कि जनसंख्या विभिन्न तरीकों से किसी देश को कैसे प्रभावित करती है:

  • जनसंख्या बढ़ने से प्राकृतिक संसाधनों की अधिक खपत होती है।
  • आवश्यक वस्तुओं का उत्पादन जनसंख्या वृद्धि के रूप में नहीं है, जबकि सब कुछ के लिए मांग में वृद्धि हुई है।
  • बेरोजगारी में वृद्धि, कभी-कभी कमाई के अन्य नाजायज तरीकों के प्रति युवाओं की गलतफहमी के कारण।
  • सरकार को बुनियादी आवश्यकताओं जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, बुनियादी ढाँचा, सिंचाई, पानी आदि पर अधिक खर्च करना पड़ता है जबकि राजस्व में जनसंख्या वृद्धि के अनुसार वृद्धि नहीं हो रही है, इसलिए माँग और आपूर्ति में अंतर लगातार बढ़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि होती है।
  • बेरोजगारी व्यय की क्षमता को कम कर देती है और परिवारों ने इसकी बचत को मूलभूत आवश्यकता पर खर्च किया है और अपने बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा का खर्च नहीं उठा सकते हैं।
  • कम योग्यता और बच्चों के लिए रोजगार की कम संभावना है जब वे अपनी कामकाजी उम्र तक पहुंचते हैं। यह अर्थव्यवस्था और औद्योगिक विस्तार में वृद्धि को प्रभावित करता है।

निष्कर्ष:

विश्व में विशेष रूप से तेज विकास दर वाले देशों को बचाने के लिए जनसंख्या वृद्धि दर को नियंत्रित करने की आवश्यकता है। यह प्रणाली को संतुलित करेगा क्योंकि देश की वृद्धि के लिए मानव शक्ति की आवश्यकता होती है।

जनसंख्या विस्फोट पर निबंध, population explosion essay in hindi (400 शब्द)

हालाँकि जनसंख्या पर एक विश्वव्यापी समस्या है लेकिन अभी भी कुछ देशों में जनसंख्या आवश्यक दर से कम है जो एक गंभीर मुद्दा भी है क्योंकि उन देशों में कम लोगों का मतलब उस देश के विकास के लिए समर्थन और काम करने के लिए कम श्रमशक्ति है।

ओवर पॉपुलेशन निश्चित रूप से किसी भी देश के लिए कई मायनों में हानिकारक है लेकिन इसका कुछ सकारात्मक पक्ष भी है। आबादी बढ़ने से एक ऐसे देश के लिए जनशक्ति में वृद्धि होती है जहां अधिक लोग आसानी से विभिन्न क्षेत्रों के विकास में मदद करते पाए जाते हैं।

कैसे जनसंख्या वृद्धि एक देश के लिए अच्छी है?

किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के विकास के लिए नियंत्रित जनसंख्या वृद्धि भी आवश्यक है। आइए देखें कैसे:

यदि किसी देश की जनसंख्या निरंतर है या नहीं बढ़ रही है, तो यह युवा लोगों की तुलना में अधिक वृद्ध लोगों का निर्माण करेगा। उस देश के पास काम करने के लिए पर्याप्त श्रमशक्ति नहीं होगी। जापान सबसे अच्छा उदाहरण है क्योंकि वहां सरकार उम्र के अंतर को कम करने के प्रयास में जन्म दर बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रही है।

दूसरा सबसे अच्छा उदाहरण चीन से लिया जा सकता है क्योंकि 25 साल पहले यहां सरकार ने एक परिवार में एक बच्चे के शासन को लागू किया था। कुछ वर्षों के बाद जब चीन की विकास दर कम होने लगी और युवा श्रमशक्ति कम हो रही थी, तब हाल ही में उन्होंने इस प्रतिबंध को हटा दिया और माता-पिता को एक के बजाय दो बच्चे पैदा करने की अनुमति दी।

जनसंख्या वृद्धि से अधिक जनशक्ति और बुनियादी / विलासिता के लिए आवश्यक वस्तुओं की अधिक खपत पैदा होगी। अधिक खपत का मतलब है कि खपत को पूरा करने के लिए अधिक उद्योग वृद्धि। अधिक उद्योग को अधिक जनशक्ति की आवश्यकता होती है।

मनी सर्कुलेशन में सुधार होगा और देश के रहने की लागत में सुधार होगा। देश में लोग पैसा कमाएंगे और अपने बच्चों को शिक्षित करेंगे ताकि वे देश की तरक्की के लिए काम कर सकें। मूल रूप से यह सब जनसंख्या की नियंत्रित वृद्धि पर निर्भर करता है। यदि जनसंख्या वृद्धि आवश्यकता से अधिक है, तो यह बेरोजगारी, गरीबी आदि की समस्या पैदा करेगी।

जनसंख्या पर हमेशा किसी देश की वृद्धि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है लेकिन किसी देश को कई तरीकों से सफलता प्राप्त करने के लिए नियंत्रित जनसख्या वृद्धि की भी आवश्यकता होती है। क्या संसाधन अधिक आबादी वाले देशों के लिए सीमित हो सकते हैं, लेकिन अतिरिक्त संसाधन पैदा करने और नए आविष्कार करने के लिए अतिरिक्त श्रमशक्ति की आवश्यकता है।

बढ़ती हुई जनसंख्या पर निबंध, essay on increasing population in hindi (500 शब्द)

जनसंख्या किसी विशेष क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों की संख्या की गिनती है। यह कुछ देशों में खतरनाक दर तक पहुँच गया है। अधिक जनसंख्या अशिक्षा, परिवार नियोजन के अनुचित ज्ञान, विभिन्न स्थानों से प्रवास जैसे कई कारणों के कारण हो सकती है।

भारत विश्व में दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है

सर्वेक्षण के अनुसार इस पूरी दुनिया में लगभग 7.6 बिलियन मनुष्यों का निवास है, जिसके बीच दुनिया की कुल आबादी का एक बड़ा हिस्सा भारत में रहता है, यानी 125 करोड़ से अधिक लोग। अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि के परिणामस्वरूप लगभग 21% भारतीय गरीबी रेखा से नीचे हैं। इससे भविष्य में विनाशकारी प्रभाव हो सकते हैं और इस प्रकार एक सुरक्षित और स्वस्थ जीवन जीने के लिए इसे नियंत्रित करना आवश्यक है।

2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की जनसंख्या 121 करोड़ को पार कर गई है और यह दुनिया में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। वर्तमान में यह आंकड़ा 130 करोड़ को पार कर सकता है और निकट भविष्य में यह चीन चीन से आगे निकल जाएगा। जनसंख्या वृद्धि के रूप में भारत एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है। यह भारत की आर्थिक स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है और गरीबी और लोगों के निम्न जीवन स्तर के लिए भी जिम्मेदार है।

गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) उपभोक्ताओं की भारी आबादी को पूरा करने के लिए सरकार को रियायती दर पर बुनियादी चीजें प्रदान करने के लिए अधिक खर्च करना पड़ता है। जैसा कि सरकार बुनियादी वस्तुओं पर सब्सिडी प्रदान कर रही है, इसे अर्थव्यवस्था में वृद्धि के लिए विकास परियोजनाओं के लिए उपयोग की जाने वाली न्यूनतम राशि के साथ छोड़ दिया गया है।

सरकार के पास सामाजिक सेवाओं जैसे कि शिक्षा, अस्पताल, आवास, बुनियादी ढांचे आदि पर खर्च करने के लिए कम मात्रा है जो अनिवार्य रूप से एक प्रगतिशील देश के लिए आवश्यक हैं। इसलिए, हमारी अर्थव्यवस्था की नियोजित वृद्धि को जनसंख्या विस्फोट पर कुछ प्रभावी जांच की आवश्यकता है।

निरक्षरता अधिक जनसंख्या का प्रमुख कारण है:

भारत में जनसंख्या वृद्धि के लिए निरक्षरता मुख्य कारण है। गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) रहने वाले लोगों को इस जनसंख्या वृद्धि के परिणाम के बारे में पता नहीं है जो उनकी निरक्षरता के कारण हैं। लोग सोचते हैं कि अधिक बच्चों का मतलब है कि वे इसके प्रभाव को महसूस किए बिना परिवार के लिए अधिक पैसा कमाएंगे।

कभी-कभी माता-पिता लड़के की इच्छा करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वह अपना नाम और परिवार का नाम लोकप्रिय होगा। कभी-कभी वे एकल लड़के की इच्छा में 3-4 लड़कियों को जन्म देते हैं।

कैसे ओवरपॉपुलेशन बेरोजगारी का कारण बनता है:

ओवरपॉपुलेशन भारत में बेरोजगारी का मुख्य कारण है। हम देख सकते हैं कि किसी भी परीक्षा या रिक्ति के लिए, लाखों आवेदन प्राप्त होते हैं। यह प्रतिस्पर्धा को बढ़ाता है और कभी-कभी लोग नौकरी पाने के लिए रिश्वत का उपयोग करते हैं। यह उस प्रणाली के भ्रष्टाचार को भी बढ़ाता है जो भारत की बढ़ती चिंता है।

भारत में जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार की भूमिका:

सरकार ने परिवार नियोजन के लाभों के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए कई पहल की हैं। कुछ प्रमुख कदम यहां दिए गए हैं:

  • सरकार ने कानून में संशोधन किया है और लड़के और लड़की की शादी के लिए न्यूनतम आयु निर्धारित की है। सरकार लोगों में परिवार नियोजन के महत्व, लड़कों और लड़कियों की समानता, टीवी पर विभिन्न विज्ञापनों, गाँव में पोस्टर आदि के बारे में जागरूकता पैदा कर रही है।
  • सरकार न्यूनतम फीस लेकर, मध्यान्ह भोजन, मुफ्त वर्दी, किताबें आदि प्रदान करके बच्चों की शिक्षा को बढ़ावा दे रही है।

किसी देश को विकसित और शक्तिशाली बनाने के लिए उस देश के प्रत्येक नागरिक को दूसरों पर दोष लगाने के अलावा अपने स्वयं के अंत पर कदम उठाने की जरूरत है। एक राष्ट्र के विनाश के लिए जनसंख्या का सबसे बड़ा कारण हो सकता है। हमें राष्ट्र के रूप में सफलता प्राप्त करने के लिए समस्या के प्रभावी समाधान का पता लगाना चाहिए।

जनसंख्या वृद्धि पर निबंध, essay on population growth in hindi (essay 600 शब्द)

वर्तमान स्थिति में अतिवृष्टि की समस्या वैश्विक संकट की श्रेणी में आती है जो दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। यह निबंध विशेष रूप से इसके कारणों, इसके प्रभावों और सबसे महत्वपूर्ण समाधान के मुद्दों को समझने के लिए लिखा गया है।

अत्यधिक जनसंख्या: कारण, प्रभाव और समाधान

अत्यधिक जनसँख्या का अर्थ है संख्या की तुलना में किसी क्षेत्र में लोगों की संख्या में वृद्धि, उस क्षेत्र विशेष के संसाधन टिक सकते हैं। इस समस्या के पीछे कई कारण हैं:

जनसंख्या वृद्धि के कारण:

विकासशील देशों में जनसंख्या की वृद्धि दर अधिक है। इस वृद्धि का कारण मुख्य रूप से परिवार नियोजन के ज्ञान की कमी है। ज्यादातर लोग जो जनसंख्या वृद्धि में योगदान कर रहे हैं, वे निरक्षर हैं और गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। वे इसके निहितार्थ को समझे बिना कम उम्र में अपने बाल विवाह कर रहे हैं।

ज्यादातर लोग नौकरी के अवसरों या रोजगार और जीवन शैली में सुधार के लिए ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों / शहर में आते हैं। यह शहर में असंतुलन और संसाधनों की कमी पैदा करता है। चिकित्सा प्रौद्योगिकी / उपचार में सुधार कई गंभीर बीमारियों के लिए मृत्यु दर को कम करता है। बहुत से पुराने रोग या घातक वायरस जैसे खसरा, छोटी चेचक का इलाज चिकित्सा सेवाओं में सुधार के साथ किया जा रहा है।

चिकित्सा विज्ञान में सुधार के साथ, यह उन दंपतियों के लिए संभव हो गया है जो गर्भधारण करने में असमर्थ हैं, प्रजनन उपचार विधियों से गुजरना चाहते हैं और उनके अपने बच्चे हैं। इसके अलावा, जागरूकता के कारण, लोग नियमित जांच और प्रसव के लिए अस्पताल जाते हैं, जो माँ और बच्चे के लिए सुरक्षित होते हैं।

जनसंख्या वृद्धि के प्रभाव

जैसे-जैसे आबादी बढ़ेगी, भोजन और पानी जैसी बुनियादी जरूरतों की खपत भी बढ़ेगी। हालांकि पृथ्वी सीमित मात्रा में पानी और भोजन का उत्पादन कर सकती है, जो खपत की तुलना में कम है, जिससे कीमतों में वृद्धि होती है।

जंगल में जानवरों को प्रभावित करने वाले शहरीकरण के विकास को पूरा करने के लिए वन कम हो रहे हैं, जिससे प्रदूषण और पारिस्थितिकी में असंतुलन हो रहा है। कोयला, तेल और प्राकृतिक गैस आदि के अति प्रयोग के कारण प्राकृतिक संसाधन बहुत तेजी से घट रहे हैं। यह हमारे पर्यावरण पर गंभीर प्रभाव पैदा कर रहा है।

जनसंख्या में वृद्धि के साथ, वाहनों और उद्योगों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है; वायु की गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित करना। ग्लोबल वार्मिंग के कारण ग्रीनहाउस गैसों की रिहाई की मात्रा में वृद्धि, जिसके कारण हिमशैल और ग्लेशियरों से बर्फ पिघलने लगती है। जलवायु के पैटर्न में परिवर्तन, समुद्र के स्तर में वृद्धि कुछ ऐसे परिणाम हैं जिनका हमें पर्यावरण प्रदूषण के कारण सामना करना पड़ सकता है।

ओवरपॉपुलेशन ने हिंसा और आक्रामकता के कार्यों को बढ़ा दिया है क्योंकि लोग संसाधनों को प्राप्त करने और अच्छी जीवन शैली प्राप्त करने के लिए एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। जनसंख्या वृद्धि से बचाव के उपाय

विकसित देशों को अधिक जनसंख्या की समस्या का सामना नहीं करना पड़ रहा है क्योंकि विकसित देशों में लोग शिक्षित हैं और वे अधिक बच्चे पैदा करने के परिणामों से अवगत हैं। जबकि विकासशील देशों में, लोग अच्छी तरह से शिक्षित नहीं हैं और परिवार नियोजन के बारे में कोई उचित विचार नहीं रखते हैं। अगर शिक्षा में सुधार होता है तो वे एक या दो से अधिक बच्चे होने के नुकसान को समझेंगे।

बेहतर जीवन जीने के लिए हर परिवार को अपने बच्चों को संपूर्ण पौष्टिक भोजन, उचित आश्रय, सर्वोत्तम शिक्षा और अन्य महत्वपूर्ण संसाधन उपलब्ध कराने के लिए उचित ढंग से परिवार नियोजन की आवश्यकता होती है। एक देश तभी सफलता प्राप्त कर सकता है जब उसके नागरिक स्वस्थ हों और खुशहाल और संतुष्ट जीवन जी सकें। इस प्रकार नियंत्रित जनसंख्या विश्व के प्रत्येक देश के लिए सफलता की कुंजी है।

इस लेख से सम्बंधित सवाल और विचार आप नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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Itni acchi jankari ke liye aapka bahut bahut dhanyvad

lol xd mai kaise maan lu.

nice work.very bad job

ni acchi jankari ke liye aapka bahut bahut dhanyvad

Leave a Replyविकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं. https://hindi.theindianwire.com/author/vikas/ 1 Comment

Ram, March 3, 2020 @ 11:23Reply Itni acchi jankari ke liye aapka bahut bahut dhanyvad Your email address will not be published. Required fields are markसबुक पर दा इंडियन वायर से जुड़िये!ed * Ram, March 3, 2020 @ 11:23Reply Itni acchi jankari ke liye aapka bahut bah

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भारत में जनसंख्या की समस्या | Essay on The Population Problem in India in Hindi

population control essay 250 words in hindi

भारत में जनसंख्या वृद्धि और समस्या पर निबंध | Read These Two Essays on Population Growth and Problem of Population in India in Hindi.

#Essay 1: भारत में जनसंख्या की समस्या | Essay on The Population Problem in India in Hindi!

भारत में जनसंख्या- वृद्धि का सामान्य क्रम यह है कि हर पीढ़ी में वह दुगुनी होती रहती है । इस क्रम में सन् १९३०-३२ में भारत की आबादी ६० करोड़ थी, आज यह १ अरब से अधिक हो गई है ।

आज का समाज भौतिक क्षेत्र में विकास कर रहा है । जीवन-क्रम द्रुतगति से बदलता जा रहा है । प्राकृतिक साधनों का भी अधिकाधिक उपयोग हो रहा है, फिर भी जनसंख्या का संतुलन और उस पर नियंत्रण नहीं हो पा रहा है । अर्थशास्त्र के नियमानुसार, जीवन-स्तर के निम्न होने पर जनसंख्या बढ़ती है । भारत शायद इसी दरिद्रता का शिकार बना हुआ है ।

जनसंख्या की वृद्धि की समस्या अन्य अनेक समस्याओं को पैदा करती है । प्रतिवर्ष उत्पादित खाद्यान्न अपर्याप्त हो जाता है और जो है, वह महँगा हो जाता है । इसी हिसाब से अन्य उपयोगी वस्तुओं के दाम भी बढ़ते हैं । सरकार के पास काम की कमी हो जाती है, अत: बेकारी भी बढ़ती जाती है ।

वैज्ञानिक प्रगति के कारण पूँजीवादी अथवा साम्राज्यवादी आधिपत्य मानव-श्रम को दिन-प्रतिदिन उपेक्षित करता जा रहा है । ऐसी स्थिति में जनसंख्या की स्थिरता आज की अनिवार्य माँग बन गई है । इसके लिए पाश्चात्य देशों में परिवार-नियोजन के अनेक तरीके अपनाए जाते हैं:

संतति नियंत्रण के साधनों में नसबंदी और नलबंदी भी शामिल है । भारत में भी इन साधनों का प्रचार होने लगा है । विवाह की उम्र बढ़ाने की प्रेरणा दी जाती है । भारत में संतानात्पप्न को ईश्वर की देन माना जाता है ।

इसका किसी भी रूप में निरोध ईश्वर के कर्मों में दखल माना जाता है । लेकिन अब स्थिति बदल रही है । शिक्षा के विकास के साथ भारतीय दंपती इम अच्छी तरह समझ रहे हैं और परिवार-नियोजन को अपना रहे हैं । माता के आरोग्य तथा सौंदर्य की रक्षा के लिए भी परिवार-नियोजन पर जोर दिया जाता है ।

आज यद्यपि जनसंख्या-वृद्धि देश की उन्नति में बाधक बनी हुई है तथापि इसके दूसरे पहलू पर विचार किया जा सकता है । जनसंख्या अथवा मानव-शक्ति किसी भी राष्ट्र की निधि मानी जाती है । जन-बल से सरकार अपनी निर्माण-योजनाएँ पूरी कर सकती है ।

ADVERTISEMENTS:

परिश्रमशील प्रजा के श्रमदान से राष्ट्रीय व्यय कम किया जा सकता है । देश के दुश्मनों को आतंकित करने के लिए भी प्रभूत प्रजा का होना बुरा नहीं माना जाता है । चीन आज जनसंख्या के बल पर ही विश्व में जूट राष्ट्र बना हुआ है ।

भारतीय स्वभावत: चिंतनशील होते हैं । कष्ट, सहिष्णुता, परिश्रम तथा न्याय यहाँ के निवासियों की परंपरागत विशेषताएँ हैं । इसके अलावा ये आदर्शवादी और समन्वयवादी होते हैं । सरल तथा संयमित जीवन जीना उनको आता है । ऐसे देश में जनसंख्या की वृद्धि मनोवैज्ञानिक दृष्टि से उनकी विकट समस्या नहीं है जितनी कि अन्य देशों में ।

यहाँ की आबादी को स्वावलंबन की शिक्षा मिले तो जनसंख्या- वृद्धि भी की जा सकेगी । बढ़ती जनसंख्या को उपयोगी काम में लगाकर भारत भूमि को स्वर्ग बनाया जा सकता है । जनसंख्या को स्थायी रूप से नियंत्रित करना है, तो शिक्षा को अनिवार्य बनाना चाहिए ।

देखा गया है कि शिक्षितों की अपेक्षा अशिक्षितों की अधिक संतानें हैं । दो संतान से अधिक होने पर माता-पिता को सरकारी सेवा के अवसर से वंचिन कर देना चाहिए । सीमित परिवारवालों को सरकार द्वारा पुरस्कृत-प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ।

#Essay 2: जनसंख्या वृद्धि पर निबंध | Essay on Population Growth

सुप्रसिद्ध विचारक गार्नर का कहना है कि जनसंख्या किसी भी राज्य के लिए उससे अधिक नहीं होनी चाहिए, जितनी साधन-सम्पन्नता राज्य के पास है । इसे दूसरे शब्दों में इस प्रकार कहा जा सकता है- जनसंख्या किसी भी देश के लिए बरदान होती है, परन्तु जब अधिकतम सीमा-रेखा को पार कर जाती है, तब बही अभिशाप बन जाती है ।

वर्तमान समय में जनसंख्या की दृष्टि से भारत का विश्व में चीन के बाद दूसरा स्थान है । हमारे सामने अभी जनसंख्या-विस्फोट की समस्या है । बढती हुई जनसंख्या का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय भारत की जनसंख्या मात्र 36 करोड़ थी, जो अब वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार बढ़कर 121 करोड़ से भी अधिक हो गई है ।

विश्व की लगभग 15% जनसंख्या भारत में निवास करती है, जबकि भू-भाग की दृष्टि से भारत का क्षेत्रफल विश्व के कुल क्षेत्रफल का मात्र 2.5% है । यह हमारे लिए बेहद चिन्ताजनक है ।

नोम चाम्सकी ने कहा है-

”आप बलपूर्वक अपनी जनसंख्या नियन्त्रित नहीं कर सकते,

मगर यह रोग द्वारा नियन्त्रित कर दी जाएगी ।”

महान् अर्थशास्त्री माल्थस ने भी कहा था कि जनसंख्या के अत्यधिक बढ़ जाने पर प्रकृति द्वारा महामारी आदि रूपों में उसका नियन्त्रण कर लिया जाता है । भारत में जनसंख्या वृद्धि के विभिन्न महत्वपूर्ण कारणों में जन्म एवं मृत्यु दर में असन्तुलन, कम उम्र में विवाह, अत्यधिक निरक्षरता, धार्मिक दृष्टिकोण, निर्धनता, मनोरजन के साधनों की कमी, संयुक्त परिवार, परिवारों में युवा दम्पतियों में अपने बच्चों के पालन-पोषण के प्रति जिम्मेदारी में कमी तथा बन्ध्याकरण, ट्यूबेक्टॉमी एवं लूप के प्रभावों के विषय में गलत सूचना या सूचना का अभाव आदि उल्लेखनीय है ।

गरीबों के द्वारा अधिक बच्चे पैदा करना दर्शाता है कि गरीबी एवं जनसंख्या के बीच आन्तरिक सम्बन्ध है । गरीबी या निर्धनता जनसंख्या वृद्धि का कारण भी है और प्रभाव भी ।  अधिक बच्चे पैदा करके अपने परिवार की बढ़ती आवश्यकताओं से जूझते माँ-बाप को बाध्य होकर उन्हें स्कूल जाने से रोकना पड़ता है, ताकि बे घर के खर्च में मदद कर सके और फिर अशिक्षित एवं अज्ञानी बच्चे अपने पिता के जैसे भाग्य के ही उत्तराधिकारी होंगे और अपने पिता की तरह ही आवश्यकता से अधिक सन्तानें चाहेंगे ।

धार्मिक दृष्टि से कहर एवं रूढ़िवादी लोग परिवार नियोजन के उपायों को अपनाने के विरुद्ध होते हैं । कई महिलाएँ यह तर्क देती हैं कि वे ईश्वर की इच्छा के विरुद्ध नहीं जा सकती । भारतीय मुसलमानों में जन्म दर एवं उत्पादकता दर हिन्दुओं की अपेक्षा अधिक है ।

हाल ही में ऑपरेशन्स रिसर्च ग्रूप द्वारा मुसलमानों पर किए गए सर्वेक्षण में यह बात सामने आई हैं- यद्यपि अधिकतर पुरुष एवं स्त्री उत्तरदाता आधुनिक परिवार नियोजन के तरीकों को जानते थे, किन्तु या तो वे धार्मिक आधार पर उनका प्रयोग नहीं कर रहे थे या उनको उस बारे में सटीक जानकारी नहीं थी । जनसंख्या वृद्धि का प्रत्यक्ष प्रभाव लोगों के जीवन स्तर पर पड़ता है । यही कारण है कि स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद से कृषि एवं औद्योगिक क्षेत्रों में चमत्कारिक प्रगति के बाद भी हमारी प्रतिव्यक्ति आय में सन्तोषजनक वृद्धि नहीं हो पाई है ।

जनसंख्या वृद्धि एवं नियन्त्रण की सैद्धान्तिक व्याख्याओं के अन्तर्गत एक व्याख्या मानती है कि विकास जनन क्षमता की दर को कम कर देता है ।  यह भी कहा जाता है कि विकास मृत्यु दर को जन्म दर कीं अपेक्षा अधिक कम करता है, जिसका परिणाम जनसंख्या में वृद्धि है ।

सरकार की जनसंख्या नीति का उद्देश्य न केवल व्यक्तियों की संख्या की अनियन्त्रित वृद्धि पर अंकुश लगाना होना चाहिए, बल्कि जनसंख्या के अनियन्त्रित प्रसार को रोकना, शहरी क्षेत्रों में व्यक्तियों के बढ़ते हुए केन्द्रीकरण को रोकना और व्यक्तियों के पंचमेल मिश्रण के लिए पर्याप्त आवास, स्थान आकर्षक पर्यावरण उपलब्ध कराना भी होना चाहिए ।

इन लक्ष्यों को ऐसी नीतियों के सृजन और क्रियान्वयन से संयुक्त रूप से जोड़ देना चाहिए, जिनका उद्देश्य जनसंख्या नियन्त्रित करना और भौतिक एवं मानव संसाधनों को लाभप्रद कार्यों में लगाने की योजना बनाना हो ।  इस प्रकार, जनसंख्या वृद्धि अपने आप में भले ही समस्या न लगे, परन्तु यदि उसे संसाधनों की उपलब्धता से जोड़ दिया जाए, तो यह चिन्ता का विषय बन जाती है

यदि देश लगभग 15 करोड़ व्यक्तियों की प्रतिवर्ष की वृद्धि से बचना चाहता है, तो केवल एक ही मार्ग शेष है कि आवश्यक परिवार नियोजन एवं जनसंख्या हतोत्साहन की कड़वी घूँटी लोगों को पिलाई जाए ।  इसके लिए एक उपयुक्त जनसंख्या नीति की आवश्यकता है ।

परिवार नियोजन को उस दलदल से बचाना होगा, जिसमें बह फँसा हुआ है । इसके लिए कार्यक्रम को आन्तरिक रूप से और विकास की इकाई के रूप में देखा जाना चाहिए । परिवार नियोजन अभियान को फिर से खडा करने के लिए अनेक उपाय करने होंगे ।  थोड़ी हतोत्साहन (बाध्यता) के साथ प्रोत्साहन भी आवश्यक होगा ।

वैधानिक उपाय भी सहायक हो सकते है, लेकिन उत्तरदायी माता-पिता की भावना पैदा करने के लिए सबसे पहले यह आवश्यक है कि सामाजिक जागृति एवं भागीदारी अधिक-से-अधिक हो सबसे अधिक बल इस बात पर दिया जाना चाहिए कि परिवार नियोजन कार्यक्रम में बन्ध्याकरण की अपेक्षा फासले की विधि को प्रोत्साहित किया जाए, जिससे इसके अनुरूप जनाकिकीय प्रभाव प्राप्त किया जा सके हमारे देश में लगभग पाँच में से तीन (57%) विवाहित स्त्रियाँ 30 वर्ष से कम आयु की हैं और दो या अधिक बच्चों की माँ है ।

‘बच्चियाँ ही बच्चे पैदा करें’ इस सच्चाई को बदलना होगा । यह केवल फासले की विधि तथा लडकियों का अधिक उम्र में विवाह को प्रोत्साहन देने से ही सम्भव हो सकेगा । परिवार नियोजन स्त्रियों की सामान्य परिस्थिति को सुधारने में भी सहायक होगा ।

वह स्त्री जिसके पास पालन-पोषण के लिए बच्चे हो और जो बार-बार प्रसव प्रक्रिया से गुजरती हो, वह अपना अधिक समय माँ एवं पत्नी के रूप में ही व्यतीत करती है और घर की चहारदीवारी में ही बन्द रहती है । वह समुदाय और समाज में कोई भूमिका अदा नहीं कर सकती, जब तक बह अपने परिवार के आधार को तर्कसमत न बना ले परिवार नियोजन न केवल परिवार कल्याण में सुधार करेगा, बल्कि सामाजिक समृद्धि तथा व्यक्तिगत सुख में भी योगदान करेगा ।

भारत जैसे विकासशील देश में बढती जनसंख्या पर नियन्त्रण पाना अत्यन्त आवश्यक है अन्यथा इसके परिणामस्वरूप देश में अशिक्षा, गरीबी, बीमारी, भूख, बेरोजगारी, आवासहीनता जैसी कई समस्याएँ उत्पन्न होगी और देश का विकास अवरुद्ध हो जाएगा । अतः जनसंख्या को नियन्त्रित करने के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकारों के साथ-साथ देश के प्रत्येक नागरिक को इस विकट समस्या से लड़ना होगा ।

समाजसेवी संस्थाओं की भी इस समस्या के समाधान हेतु महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए । आज अन्ध परम्पराओं पर प्रतिबन्ध लगाने की आवश्यकता है । बालविवाह एवं बहुबिवाह पर कानूनन प्रतिबन्ध तो लगाया जा चुका है, परन्तु आम नागरिकों द्वारा भी इन कुरीतियों को किसी कीमत पर बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए ।

जनसंख्या वृद्धि रोकने हेतु शिक्षा का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार अति आवश्यक है । महिलाओं के शिक्षित होने से विवाह की आयु बढ़ाई जा सकती है, प्रजनन आयु वाले दम्पतियों को गर्भ निरोधक स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है । उन्हें छोटा परिवार सुखी परिवार की बात समझाई जा सकती है ।

केन्द्रीय एवं राज्य स्तरों पर जनसंख्या परिषद स्थापित करना भी इस समस्या का उपयुक्त उपाय हो सकता, क्योंकि ऐसा करके न केवल विभिन्न स्तरों पर समन्वय का कार्य किया जा सकेगा, बल्कि अल्पकालीन व दीर्घकालीन योजनाओं का निर्धारण भी किया जा सकेगा । मीडिया को भी इस कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की आवश्यकता है ।

इन सब बातों पर ध्यान देकर जनसंख्या विस्फोट पर निश्चय ही नियन्त्रण पाया जा सकता है । विश्वप्रसिद्ध वैज्ञानिक ‘स्टीफन हॉकिंग’ ने हम मानवों को सावधान करते हुए कहा है- ”हमारी जनसंख्या एवं हमारे द्वारा पृथ्वी के निश्चित संसाधनों के उपयोग, पर्यावरण को स्वस्थ या बीमार करने वाली हमारी तकनीकी क्षमता के साथ घातीय रूप में बढ रहे है ।” आज प्रत्येक देशवासी को उनकी बातों से प्रेरणा लेकर देश को समृद्ध एवं विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लेना चाहिए ।

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जनसंख्या विस्फोट पर निबंध (Population Explosion Essay in Hindi)

जनसंख्या न सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर के ज्वलंत मुद्दों में से एक है। दुनिया में कुछ ऐसे स्थान हैं जहाँ अत्यधिक जनसँख्या हैं। जनसंख्या विस्फोट का अर्थ है किसी विशेष क्षेत्र में मनुष्यों की जनसंख्या में निरंतर वृद्धि। यह या तो किसी शहर में या फिर किसी भी देश में हो सकता है।

जनसंख्या विस्फोट पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essays on Population Explosion in Hindi, Jansankhya Visfot par nibandh Hindi mein)

जनसंख्या विस्फोट पर निबंध 1 (250 – 300 शब्द).

जब हमारे परिवार में एक बच्चा पैदा होता है, तो हम बहुत ख़ुशी महसूस करते हैं और हम इस अवसर को मनातेहैं। लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि एक ही समय में पूरी दुनिया में कितने बच्चे पैदा होते हैं? शोध में, यह पाया गया है कि प्रति मिनट 250 से अधिक बच्चे पैदा होते हैं, और हर साल औसतन 120 मिलियन बच्चे पैदा होते हैं। संभवतः यह आपके लिए एक हो सकता, मगर वे जनसंख्या के मामले में कई हो जाते हैं।

जनसंख्या के बारे में कुछ तथ्य

साल 2023 की गणना के अनुसार, भारत की जनसंख्या 142 करोड़ हैं। भारत में, पूरी आबादी में 48.04 प्रतिशत महिलाएं और 51.96 प्रतिशत पुरुष हैं। केरल वह राज्य है, जहाँ देश में महिलाओं का अनुपात सबसे अधिक हैं। हरियाणा में यह अनुपात सबसे कम है। उत्तर प्रदेश सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है। अरुणाचल प्रदेश सबसे कम जनसंख्या वाला राज्य है।

जनसंख्या विस्फोट पर नियंत्रण

भारत में दुनिया की आबादी का 17.7 प्रतिशत हिस्सा है और दुनिया की 2.4 प्रतिशत भूमि है जो 135.79 मिलियन वर्ग किमी है। भारत दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है और चीनदूसरे स्थान पर है। भारत में उत्तर प्रदेश की जनसंख्या ब्राजील की जनसंख्या के बराबर है।जनसंख्या के बारे में ऐसा अनुमान है कि वर्ष 2036 तक इसके 1.52 बिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है, जो वर्तमान जनसंख्या का 10 प्रतिशत से अधिक है।

अपने दैनिक जीवन में हम कई लोगों से मिलते हैं जैसे हमारे घर के सफाईकर्मी से, खाना बनाने वाले से, आदि। हमें जनसंख्या विस्फोट की गंभीरता को समझते हुए उचित कदम उठाने की आवश्यकता है। हम इस जानकारी को उनके साथ भी साझा कर सकते हैं और इस तरह से, हम राष्ट्र के विकास में अपना योगदान दे सकते हैं।

यूट्यूब पर देखें => Jansankhya visfot par nibandh

निबंध 2 (400 शब्द) – जनसंख्या विस्फोट को कैसे नियंत्रित किया जाए

भारत को सबसे तेजी से विकसित हो रहे देशों में से एक के रूप में चिह्नित किया गया है। विकास करना वाकई बहुत ही अच्छा है लेकिन इसके कई आयाम होने चाहिए। विकास होना चाहिए लेकिन कुछ शर्तों के साथ। एक राष्ट्र का विकास अर्थव्यवस्था, राजनीति, शिक्षा, व्यापार, आदि जैसे कई तरीकों से तय होता है।

जनसंख्या विस्फोट क्या है

जनसंख्या में भारी वृद्धि को जनसंख्या विस्फोट कहा जाता है। जनसंख्या खराब नहीं है लेकिन जब यह अनियंत्रित तरीके से बढ़ती है तो यह अच्छी बात नहीं है।

हर दिन हजारों बच्चे जन्म लेते हैं और मृत्यु दर में विकास के कारण जनसंख्या में भारी वृद्धि हो रही है। हालाँकि, यह एक अच्छी बात है, कई मायनों में, इसने हमारी आबादी को प्रभावित किया है। चीन और भारत ऐसे पहले दो देश हैं जिनकी जनसंख्या सबसे अधिक है और यह दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है।

जब संसाधन कम और लोग अधिक होते हैं और वे आवश्यक चीजें प्राप्त करने में सक्षम नहीं होते हैं, तो यह एक चेतावनी है, यह सीधे तौर पर देश की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ विकास को भी प्रभावित करता है। जब तक वहां रहने वाले लोगों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिलेंगी तब तक एक राष्ट्र विकसित नहीं होगा। ये सुविधाएं शिक्षा, रोजगार, उचित भोजन और अच्छा रहने की जगह हैं। जनसंख्या विस्फोट इन सभी कारकों को सीधे तौर पर प्रभावित करता है।

जनसंख्या विस्फोट को कैसे नियंत्रित किया जाए

  • उचित विज्ञापन द्वारा: विभिन्न जन्म नियंत्रण विधियों का उचित विज्ञापन होना चाहिए क्योंकि बहुत से ऐसे लोग हैं जो इस सम्बन्ध में कुछ जानते भी नहीं हैं और कई ऐसे हैं जो इससे सम्बंधित किसी तरह की बात करने या किसी से पूछने में शर्म महसूस करते हैं। जब लोगों के बीच उचित ज्ञान होगा, तो वे इसके बारे में सोचेंगे और इसका उपयोग भी करेंगे।
  • नारी शिक्षा: राष्ट्र के कई ऐसे हिस्से हैं जहाँ लोग महिलाओं की शिक्षा पर ध्यान केंद्रित नहीं करते हैं लेकिन यह कई मायनों में बहुत आवश्यक है। एक शिक्षित महिला अपने भविष्य के बारे में सोच सकती है और वह निर्णय ले सकती है जो जनसंख्या विस्तार को रोकने में कई मायनों में मददगार है। अत्यधिक जनसंख्या के पीछे अशिक्षा एक बड़ा कारण है।
  • कुछ सरकारी पहल: ऐसे कई देश हैं जो केवल पहले दो बच्चों को सब्सिडी प्रदान करते हैं। इसी तरह, केंद्र सरकार भी पहले दो बच्चों को विभिन्न लाभ प्रदान करती है, लेकिन यह हर जगह अपनाया जाना चाहिए। साथ ही सरकार को लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए समय-समय पर एक उचित अभियान भी चलाना चाहिए।

अत्यधिक जनसँख्या निश्चित रूप से एक समस्या है और यह दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। यह काफी हद तक सही है कि सरकार को कुछ बड़ी बातें करनी चाहिए फिर भी हमें अपने स्तर पर प्रयास करना चाहिए। कॉलेजों और अन्य गैर-सरकारी संगठनों को लोगों में जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न अभियानों का आयोजन करना चाहिए।

Essay on Population Explosion

निबंध 3 (600 शब्द) – जनसंख्या विस्फोट: कारण और कमियां

जब कोई भी चीज निरंतर रूप से अनियंत्रित तरीके से बढ़ती है तो इसे विस्फोट के रूप में जाना जाता है। जब यह मनुष्यों के संदर्भ में होता है तो इसे जनसंख्या विस्फोट कहा जाता है। मनुष्यों के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब जनसंख्या 5 अरब से अधिक हो गई है; सिर्फ इतना ही नहीं स्त्री और पुरुष के लिंगानुपात में भी बहुत बड़ा अंतर है।

जनसंख्या विस्फोट के पीछे कारण

जनसंख्या विस्फोट के पीछे विभिन्न कारण हैं जिनमें से कुछ के बारे में मैंने यहाँ नीचे चर्चा की है:

  • मृत्यु दर में कमी: चिकित्सा क्षेत्र में विकास के कारण मृत्यु दर में कमी देखी गई है। हालांकि यह कई मायनों में अच्छा है, लेकिन जनसंख्या विस्फोट के पीछे एक बड़ा कारण यह भी है। दूसरे शब्दों में, हम कह सकते हैं कि मृत्यु दर जितनी कम होगी जनसंख्या उतनी ही बढ़ेगी।
  • निरक्षरता: निरक्षरता बढ़ती जनसंख्या के पीछे एक और कारण है क्योंकि भारत एक ऐसा देश है जहाँ 50 प्रतिशत से अधिक आबादी गाँवों में रहती है। इसके अलावा, एक ऐसा देश जहां बालिकाओं की हत्या आम है और इस परिदृश्य में, बहुत कम लोग हैं जो अपनी बेटी की शिक्षा की देखभाल करते हैं। मैं यह कह सकता हूं कि कई महिलाएं आज भी निरक्षर हैं। इसलिए, वे परिवार नियोजन के महत्व को नहीं समझती हैं और जन्म नियंत्रण विधियों के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती हैं।
  • नए सिद्धांतों का अभाव: ऐसे कई देश हैं जहाँ बच्चों के लिए नियम और कानून हैं। जैसे कि लोगों के एक या दो से अधिक बच्चे नहीं हो सकते। भारत में ऐसा कुछ नहीं है और परिणामस्वरूप, लोग स्वतंत्र हैं और उनके कई बच्चे हैं।
  • कुछ सांस्कृतिक पदानुक्रम: कभी-कभी परिवारों में 5 बच्चे भी होते हैं, क्योंकि हर किसी को एक लड़के की ज़रूरत होती है, ऐसे में वे हर साल एक बच्चा पैदा करते रहते हैं, जब तक कि वह लड़का न हो। बालिकाओं की हत्या के पीछे यह भी एक बड़ा कारण है। पितृसत्तात्मक समाज ने लड़कों को श्रेष्ठ बनाया है, हालांकि लड़कों के बारे में कुछ खास नहीं है। आज भी, कई क्षेत्रों में सांस्कृतिक विश्वास अभी भी जीवित है और यह भी हमारे देश में जनसंख्या विस्फोट के प्रमुख कारणों में से एक है।

जनसंख्या विस्फोट की कमियां

किसी भी चीज की अधिकता हानिकारक होती है या तो यह विटामिन और मिनरल्स हो या फिर आबादी। वे समाज में कुछ ऐसा असंतुलन पैदा करते हैं जो कई मायनों में सही नहीं होता है।

  • गरीबी: भारत एक ऐसा देश है जहाँ आप बड़ी संख्या में गरीबों को देख सकते हैं। जितने अधिक सदस्य एक परिवार में होंगे, उतना ही परिवार को कमाने की आवश्यकता होगी और जब वे चीजों को प्रबंधित करने में विफल होते हैं, तो यह स्वतः ही यह उन्हें कुछ बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में व्यवधान डालता है। इससे गरीबी को बढ़ावा मिलता है। हालांकि भारत एक विकासशील राष्ट्र है लेकिन यहाँ कई समान रूप से गरीब हैं।
  • बेरोजगारी: यह मुख्य समस्याओं में से एक जो आसानी से देखी जा सकती है। आजकल जनसंख्या की तुलना में बहुत कम नौकरियां रह गयीं हैं। जब ज्यादा लोग बेरोजगार होंगे तो यह अपने आप गरीबी की ओर ले जाएगा। हर चीज में संतुलन होना चाहिए तभी समाज में शांति और सद्भाव बना रहता है।
  • अपराध में वृद्धि: हम कह सकते हैं कि गरीबी और बेरोजगारी सीधे अपराध के समानुपाती हैं। यह साफ़ है कि जब लोगों के पास पैसा नहीं होगा और इसे कमाने का कोई स्रोत भी नहीं होगा, तो निश्चित रूप से वे कुछ नकारात्मक कृत्यों की ओर रुख करेंगे। और आजकल आप आयेदिन अख़बारों और टीवी में डकैती या लूट की खबरें रोज पढ़ और देख सकते हैं। अपराध की दर दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

जनसंख्या विस्फोट में कई कमियां हैं और इसमें कुछ भी सकारात्मक नहीं है। इसे नियंत्रित करने के लिए हमें एक निश्चित नियम लाना चाहिए। हालाँकि केंद्र सरकार द्वारा कई लाभ प्रदान किए जाते हैं, फिर भी कई ऐसे हैं जो इसके बारे में जानते भी नहीं हैं। लोगों में जागरूकता विकसित करने के लिए विभिन्न अभियान चलाया जाना चाहिए।

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जनसंख्या पर निबंध - Essay on Population in Hindi - Jansankhya Essay in Hindi - Jansankhya par Nibandh

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रूपरेखा : प्रस्तावना - जनसंख्या में वृद्धि - जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम - बेरोजागारी - गरीबी - महंगाई - शिक्षा का अभाव - जनसंख्या को रोकने के लिए सरकार के प्रयास - उपसंहार।

जनसंख्या में वृद्धि किसी भी देश के विकास में बाधा बनती है। भारत की यह बढ़ती हुई जनसंख्या चिंता का विषय बन गई है क्योंकि हम प्रत्येक वर्ष एक करोड़ से अधिक व्यक्ति अपने पहले से ही बहुत बड़ी जनसंख्या में जोड़ देते हैं। बढ़ती हुई जनसंख्या ने स्थान की समस्या उत्पन्न कर दी है। आवास की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है। सड़कों पर भीड़ रहती है और ट्रैफिक जाम रहते हैं। इसलिए जनसंख्या को देश का साधन एवं साध्य दोनों माना जाता है लेकिन जरूरत से ज्यादा जनसंख्या किसी भी देश के सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक विकास में रुकावट पैदा करती है।

आज हमारे देश भारत में लगातार बढ़ रही जनसंख्या एक विकराल समस्या बन चुकी है। जनसंख्या वृद्धि की वजह से आज देश विकास के मामले में अन्य देशों की तुलना में काफी पीछे हो रहा हैं। भारत में जनसंख्या बढ़ने से गरीबी, बेरोजगारी की समस्या पैदा हो रही है, व्यापार विकास और विस्तार गतिविधियां जरूरत से ज्यादा धीमी होती जा रही है, आर्थिक मंदी आ रही है। यही नहीं वन, जंगल, वनस्पतियां, जल संसाधन समेत तमाम प्राकृतिक संसाधनों का भी कमी हो रही है और तो और खाद्य उत्पादन और वितरण भी, जनसंख्या के मुकाबले नाकामी साबित हो रहा है। वहीं बढ़ती महंगाई भी जनसंख्या वृद्धि के सबसे मुख्य कारणों में से एक है। जनसंख्या वृद्धि के कारण ही आज लोगों को हर जगह घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ा रहा है, रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों, अस्पतालों, धार्मिक या सामाजिक समारोह पर इतनी भीड़ रहती है कि कई बार पैर रखने तक की जगह नहीं मिलती है।

भारत में बढ़ती जनसंख्या का दुष्परिणाम यह है कि आज भारत में गरीबी रेखा से नीचे जीने वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। पापी पेट की आग बुझाने के लिए भोजन नहीं, गर्मी में लू और सर्दी में हड्डियां चूर कर देने वाली शीत लहरों (हवाओं) से बचने के लिए वस्त्र नहीं। खुले नील गगन के नीचे फैली हुई भूमि ही उसका आवास-स्थल है।

हमारे देश में बेरोजगारी की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है । देश में लगातार बढती जनसंख्या के कारन जितने व्यक्तियों को काम दिए जाते हैं उनसे दुगने लोग बेरोजगार हो जाते हैं। सरकार ने जनसंख्या को कम करने के कई अप्राकृतिक उपाय खोजे हैं लेकिन इसके बाद भी जनसंख्या लगातार बढती ही जा रही है। जनसंख्या में वृद्धि के कारण देश का संतुलन बिगड़ रहा है। जनसंख्या में वृद्धि के अनुपात की वजह से रोजगारों की कमी हो रही है इसी वजह से बेरोजगारी बढती जा रही है।

देश में आबादी के बढ़ते, देश में लोगों के हिसाब से साधन जुटा पाना मुश्किल हो जाता है क्योंकि एक सीमित मात्रा में ही हमें प्रकृति से संसाधन मिल पाते हैं। इसकी वजह से गरीबी की समस्या पैदा हो रही है।

भारत में महंगाई के बढने के अनेक कारण हैं जैसे जनसंख्या का बढ़ना, उत्पादों की कम आपूर्ति होना, वस्तुओं और उत्पादों की कालाबाजारी करना, वस्तुओं और उत्पादों की कीमत बढ़ा देना, आदि । महंगाई की समस्या हमारे ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की एक बहुत ही गंभीर समस्या बन गयी है जो लगातार बढती जा रही है। जिस तरह से देश की जनसंख्या बढ़ रही है उस तरह से फसलों की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। बिजली उत्पादन भी महंगाई को प्रभावित करता है। उपज की कमी से भी महंगाई बढती जाती है।

देश में उचित शिक्षा प्रणाली न होने के कारण से भी बेरोजगारी में वृद्धि हो रही है। उचित शिक्षा की कमी, रोजगार के अवसरों की कमी, कौशल की कमी, प्रदर्शन संबंधी मुद्दे और बढ़ती आबादी सहित कई कारक भारत में इस समस्या को बढ़ाने में अपना योगदान देते हैं। आधुनिक शिक्षा प्रणाली में रोजगार उन्मुख शिक्षा की व्यवस्था नहीं होती है जिससे बेरोजगारी और अधिक बढती है। इसी वजह से जो व्यक्ति आधुनिक शिक्षा ग्रहण करते हैं उनके पास नौकरियां ढूंढने के अलावा और कोई उपाय नहीं होता है। शिक्षा पद्धिति में परिवर्तन करने से विद्यार्थी शिक्षा का समुचित प्रयोग कर पाएंगे। विद्यार्थियों को तकनीकी और कार्यों के बारे में शिक्षा देनी चाहिए ताकि वे अपनी शिक्षा के बल पर नौकरी प्राप्त कर सकें। सभी सरकारी और गैर सरकारी विद्यालयों में शिक्षा के साथ व्यापार का भी ज्ञान देना चाहिए जिससे आगे चलकर नौकरी ना मिलने पर स्वंय का व्यापार स्थापित कर सके।

भारतीय जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार ने कुछ कदम उठाए हैं। सरकार ने पुरुषों के लिए न्यूनतम विवाह योग्य आयु 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 साल तय की है। भारत सरकार ने बच्चों को मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा कानून के अधिकार के जरिए देश के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराई है। जनसंख्या को नियंत्रित करने का एक और तरीका है निरक्षरता को समाप्त करना। भारत सरकार बच्चों को गोद लेने को भी बढ़ावा दे रही है। ऐसे कई लोग हैं जो विभिन्न कारणों की वजह से अपने बच्चों को जन्म देते हैं। अपने स्वयं के बच्चे करने की बजाए बच्चों को अपनाना जनसंख्या को नियंत्रित करने का एक अच्छा तरीका साबित होता नजर आ रहा है।

जनसंख्या पर नियंत्रण करने के लिए अगर इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए तो, देश विकास के मामले में पिछड़ता जाएगा और जीवन स्तर में लगातार कमी आती जाएगी। लोगों को आबादी नियंत्रित करने के महत्व को समझना चाहिए। यह न केवल उन्हें स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण तथा बेहतर जीवन स्तर प्रदान करेगा बल्कि अपने देश के समग्र विकास में भी मदद करेगा। वहीं सरकार को भी इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए सख्त नियम कानून बनाना चाहिए। ताकि देश विकास के पथ पर आगे बढ़ सके और देश में जनसंख्या को नियंत्रण में रह सकें।

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जनसंख्या वृद्धि पर निबंध – Essay on Population in Hindi

Essay on Population in Hindi : आज हम जनसंख्या वृद्धि पर निबंध  कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, & 12 के विद्यार्थियों के लिए है।

बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए सभी देशों द्वारा मिलकर 11 जुलाई को world population day मनाया जाता है। जिसमें जनसंख्या की वृद्धि दर को नियंत्रित करने के लिए चर्चा की जाती है।

बढ़ती जनसंख्या वृद्धि दर हमारे देश के लिए बहुत विनाशकारी है इसीलिए स्कूलों में जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए निबंध लिखने को दिए जाते हैं जैसे बच्चों में और उनके अभिभावकों में इसके प्रति जागरूकता लाई जा सके।

Essay on Population in Hindi

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प्रस्तावना –

जनसंख्या वृद्धि दर विकासशील देशों की एक अहम समस्या है इस समस्या से हमारा भारत देश भी जूझ रहा है।सबसे अधिक जनसंख्या हमारे पड़ोसी देश चीन में है उसके बाद दूसरा स्थान हमारे देश भारत का ही आता है।

लेकिन कुछ ही सालों में हम जनसंख्या के मामले में चीन को प्रचार ते हुए पहले पायदान पर होंगे। यह कोई उपलब्धि नहीं होगी क्योंकि जनसंख्या वृद्धि के कारण हमारे देश में बेरोजगारी, भूखमरी, गरीबी, भ्रष्टाचार जैसी समस्याएं उत्पन्न होंगी।

जनसंख्या वृद्धि के कारण –

जनसंख्या वृद्धि के बहुत से कारण है जैसे अशिक्षित लोग, बाल विवाह, पुत्र मोह, रूढ़िवादी सोच, मृत्यु दर में कमी, जीवन प्रत्याशा में वृद्धि इत्यादि के प्रमुख कारण है जिसके कारण निरंतर जनसंख्या वृद्धि हो रही है।

और एक अन्य कारण यह भी है कि लोग परिवार नियोजन के बारे में बिल्कुल भी नहीं सोचते है उन्हें निरोध, गर्भनिरोधक औषधियां और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी नहीं होती है।

और कुछ लोग सोचते हैं कि जितनी अधिक संतान होगी उतना ही उनके परिवार को सहारा मिलेगा क्योंकि जितने लोग होंगे उतनी ही कमाई होगी लेकिन होता इसका हमेशा उल्टा ही है। अधिक संतान होने के कारण ज्यादातर लोग नरकीय जीवन यापन करते हैं।

जनसंख्या वृद्धि का प्रभाव –

जनसंख्या वृद्धि का सबसे अधिक प्रभाव हमारे पर्यावरण पर पड़ता है जो कि हमारे भविष्य के लिए बहुत ही हानिकारक है। जनसंख्या वृद्धि के कारण हमें मूलभूत सुविधाएं जैसे स्वच्छ जल, वायु, भोजन, चिकित्सा सुविधा भी नहीं मिल पाती है।

आजकल अस्पतालों में मरीजों की लाइन लगी पड़ी रहती है लेकिन उन्हें देखने के लिए डॉक्टर उपलब्ध नहीं हो पाते है क्योंकि जनसंख्या इतनी तेजी से बढ़ गई है कि उनकी प्रत्येक आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं की जा सकती है।

जनसंख्या वृद्धि के कारण ज्यादातर लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवन निर्वाह कर रहे है इसके कारण देश के आर्थिक विकास की दर भी धीमी पड़ गई है।

अगर इसी तेजी से जनसंख्या वृद्धि होती रही तो इसके भयावह परिणाम देखने को मिल सकते हैं क्योंकि पृथ्वी पर सीमित मात्रा में संसाधन उपलब्ध है और जनसंख्या वृद्धि के कारण उनका अत्यधिक दोहन हो रहा है

इसलिए आगे जाकर लोगों को स्वच्छ जल, हवा, भोजन नहीं मिल पाएगा और लोगों में हिंसा फैल जाएगी इसका परिणाम यह होगा कि पृथ्वी पर से जीवन विलुप्त भी हो सकता है।

जनसंख्या वृद्धि का समाधान –

जनसंख्या वृद्धि का एक ही समाधान है लोगों को शिक्षित किया जाए और उन्हें जनसंख्या वृद्धि से होने वाले नुकसान के बारे में बताना चाहिए।

हमारी सरकार को जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए कड़े कानूनों की व्यवस्था करनी चाहिए और परिवार नियोजन के बारे में प्रचार प्रसार करके लोगों को बताना चाहिए।

उपसंहार –

जनसंख्या वृद्धि एक धीमे जहर के समान है जोकि धीरे-धीरे हमारे रहने के स्थान पृथ्वी को नष्ट कर रही है। हमे स्वयं आगे बढ़कर जनसंख्या को नियंत्रित करना होगा नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब लोग एक दूसरे को मारने पर उतारू हो जाएंगे और पूरी पृथ्वी जंग का मैदान बन जाएगी।

यह हमारी मानव सभ्यता और अन्य वन्यजीवों के लिए आवश्यक है। इसलिए आज ही अपने आसपास के क्षेत्र में लोगों को इसके बारे में जानकारी दें।

Long Essay on Population in Hindi

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रूपरेखा –

जनसंख्या वृद्धि एक सीमित भू-भाग पर अधिक लोगों की संख्या को दर्शाती है। जनसंख्या के मामले में चीन के बाद हमारे भारत देश का ही नाम आता है।

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार हमारे देश की जनसंख्या 24।39 करोड़ है। यह लगभग 18% की दर से बढ़ रही है जो कि बहुत अधिक है।

ज्यादातर जनसंख्या वृद्धि विकासशील देशों में ही देखी जा रही है और विकासशील देशों के लिए यह स्थिति भयावह है क्योंकि इतनी जनसंख्या के लिए स्वच्छ वातावरण, जल, भोजन, रोजगार इत्यादि उपलब्ध कराना बहुत मुश्किल होता है। इसलिए जनसंख्या को नियंत्रित करना बहुत अधिक जरूरी है

(1) अशिक्षा – शिक्षा की कमी के कारण लोग बच्चे पैदा करते रहते हैं लेकिन उनकी परवरिश और भविष्य के बारे में नहीं सोचते है जिसके कारण जनसंख्या बढ़ती रहती है।

(2) बाल विवाह – कम उम्र में ही बच्चों का विवाह हो जाने के कारण बच्चों का जन्म भी जल्दी होता है जिसके कारण जनसंख्या बढ़ती को और अधिक बढ़ावा मिलता है।

(3) सामाजिक दबाव – कई बार विवाह होने के पश्चात शिक्षित लोग बच्चे का जल्द ही जन्म नहीं करना चाहते लेकिन सामाजिक आलोचनाओं के कारण उन्हें जल्दी बच्चे को जन्म देना पड़ता है जो की जनसंख्या बढ़ती का कारण बनता है।

(4) मृत्यु दर में कमी – हमारी विज्ञान और चिकित्सा पद्धति ने इतनी उन्नति कर ली है कि अब बड़ी बड़ी बीमारियों से भी बचा जा सकता है इसलिए लोग अधिक समय तक जीवित रहते है जो की जनसंख्या वृद्धि में अपनी भागीदारी निभाते रहते है।

(5) रूढ़िवादी सोच – अक्सर गांव के ज्यादातर लोग अपनी रूढ़िवादी सोच के कारण बच्चों को जन्म देते है वे सोचते हैं कि अगर बच्चे नहीं हुए तो उनका परिवार आगे कैसे बढ़ेगा। इसलिए वे अधिक बच्चों को जन्म देते हैं।

(6) बढ़ती जन्म दरें – पुरानी समय में चिकित्सा पद्धति के अधिक विकसित नहीं होने के कारण अक्सर जन्म के समय बच्चों की मृत्यु हो जाती थी लेकिन अब यह बहुत ही कम हो पाता है जिसके कारण जन्म दर बढ़ जाती है और जनसंख्या वृद्धि होती है।

(7) पुत्र मोह – अपने परिवार का कुल आगे बढ़ाने के लिए लोगों की ज्यादा इच्छा लड़के के जन्म की ही रहती है लेकिन अगर लड़की का जन्म हो जाता है,

तो वह दोबारा दूसरे बच्चे को जन्म देते हैं इसी तरह से ज्यादातर मामलों में लड़कियों का जन्म होता रहता है और लोग पुत्र मोह में बच्चों को जन्म देते रहते हैं जिसके कारण जनसंख्या बढ़ती रहती है।

(8) जीवन प्रत्याशा में वृद्धि – जैसे-जैसे मानव के जीवन में सुविधाओं का विस्तार हुआ है और अच्छी शिक्षा, अच्छा भोजन, स्वच्छ जल, स्वच्छता की आदत और अच्छे पोष्टिक भोजन के कारण आज प्रत्येक वर्ग अच्छे से अपना जीवन निर्वाह कर रहा है जिसके कारण प्रत्येक व्यक्ति अच्छे से पोषित रहता है इसी कारण जनसंख्या बढ़ती है।

(9) वृद्धि हुई आप्रवासन – आप्रवासन निवृत्ति ज्यादातर जनसंख्या विस्फोट का मुख्य कारण होती है यह समस्या अक्सर विकसित देशों में अधिक आती है क्योंकि वहां की जीवन शैली बहुत ही सरल होता है।

साथ ही वहां पर सभी प्रकार की सुविधाएं मिलती है और जीवन निर्वाह करने के लिए अच्छा वेतन भी मिलता है इसलिए विकासशील देशों के लोग वहां पर जाना अधिक पसंद करते है जो की जनसंख्या वृद्धि का एक कारण बनता है।

जनसंख्या वृद्धि के कुप्रभाव –

(1) गरीबी – निरंतर जनसंख्या वृद्धि के कारण एक व्यक्ति अपने पूरे परिवार का भरण पोषण नहीं कर पाता है क्योंकि उसकी संतान अधिक होती हैं जिसके कारण उसका पूरा जीवन गरीबी में व्यतीत होता है।

(2) कुपोषण – एक व्यक्ति के अधिक संतान होने के कारण वे उन्हें पौष्टिक आहार उपलब्ध नहीं करा पाता है जिसके कारण हमे गरीब तबके के लोगों में कुपोषण जैसी समस्याएं देखने को मिलती है।

(3) प्रदूषित पर्यावरण – अगर किसी देश में अधिक जनसंख्या होगी तो वहां प्रत्येक वस्तु का अत्यधिक इस्तेमाल होगा जिसके कारण पूरा पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है, जनसंख्या वृद्धि के कारण अधिक कार्बन डाइऑक्साइड, दूषित जल, और रहने के लिए स्थान की आवश्यकता के कारण जंगलों की कटाई होती है जिससे जंगल भी खत्म होते हैं साथ ही वहां के प्राणी भी खत्म हो जाते हैं और वायु प्रदूषण जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।

(4) मूलभूत सुविधाओं की कमी – किसी भी देश के नागरिक को अपना जीवन व्यतीत करने के लिए मूलभूत सुविधाएं मिली जरूरी है जैसे रोटी, कपड़ा, मकान, जल इत्यादि लेकिन यह सभी सीमित मात्रा में उपलब्ध हैं और जनसंख्या अधिक होगी तो इन सुविधाओं का मिलना मुश्किल होगा।

(5) बेरोजगारी – जिस तेजी से जनसंख्या वृद्धि हो रही है उस तेजी से उद्योग धंधों में वृद्धि नहीं हो रही है जिस कारण वर्तमान में ज्यादातर लोगों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है।

(6) देश का आर्थिक विकास रुकना – जिस देश की जनसंख्या अधिक होगी उस देश का आर्थिक विकास भी धीमा पड़ जाएगा क्योंकि सरकार जब भी विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाएं बनाती है तो जनसंख्या को ध्यान में रखकर बनाती है।

लेकिन 5 वर्ष में जनसंख्या इतनी अधिक बढ़ जाती है कि उस योजना का प्रभाव देखने को नहीं मिलता है और देश में प्रत्येक वस्तु की खपत भी अधिक होती है जिसके कारण निर्यात में कमी आती है और आर्थिक विकास धीमा होता है।

(7) पोष्टिक आहार की कमी – बढ़ती हुई जनसंख्या की आहार संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए किसानों द्वारा खेतों में अब यूरिया जैसी खादों का उपयोग किया जाता है क्योंकि दिन प्रतिदिन जनसंख्या तो बढ़ रही है लेकिन उनकी भोजन की व्यवस्था करने के लिए उपजाऊ जमीन सीमित मात्रा में उपलब्ध है।

इसलिए अधिक फसल उत्पन्न करने के लिए कीटनाशक और यूरिया खादों का उपयोग किया जाता है जिसके कारण वह कीटनाशक भोजन के साथ मिलकर हमारे शरीर को खराब करते है इसलिए हमें पोष्टिक आहार नहीं मिल पाता है।

(8) जीवन स्तर में कमी – जनसंख्या वृद्धि के कारण प्रत्येक व्यक्ति के जीवन स्तर में भी कमी आती है गरीब और गरीब होता जाता है और अमीर और अमीर हो जाता है क्योंकि अक्सर गरीब लोग अधिक संतान जन्म देने में विश्वास करते है।

वे सोचते है कि जितनी अधिक संतान होगी उतना ही हाथ होंगे जिससे अधिक कमाई होगी लेकिन वे यह सोचना भूल जाते है कि हर संतान के साथ एक पेट भी होता है जिसे भरने के लिए उतने ही भोजन की आवश्यकता होती है। इसी सोच के कारण जनसंख्या बढ़ती होती रहती है और लोगों को अपनी मूलभूत सुविधाओं में कटौती करके जीवन यापन करना पड़ता है।

(9) महंगाई बढ़ना – अगर किसी वस्तु की कमी होगी तो उसका मूल्य बढ़ना स्वाभाविक है इसलिए जैसे-जैसे जनसंख्या वृद्धि होती है वैसे-वैसे महंगाई भी बढ़ती है क्योंकि खपत बढ़ती है लेकिन उतनी मात्रा में वस्तु उत्पादन नहीं होती है इसीलिए आपने देखा होगा कि वर्तमान में महंगाई बहुत अधिक तेजी से बढ़ रही है।

जनसंख्या को नियंत्रित करने के उपाय –

(1) शिक्षा – अगर हमें जनसंख्या को नियंत्रित करना है तो सबसे पहले हमें शिक्षा का प्रचार प्रसार करना होगा क्योंकि शिक्षा से ही लोगों की आंखों पर पड़ा अंधकार का पर्दा उठेगा और उन्हें ज्ञात होगा कि अधिक संतान के कारण उनके भविष्य के साथ-साथ उनकी संतान का भविष्य भी खराब हो जाता है इसलिए प्रत्येक गांव तक शिक्षा का पहुंचना बहुत आवश्यक है।

(2) जुर्माना या दंड – सरकार को जनसंख्या नियंत्रित करने के लिए एक नियमित संख्या से ज्यादा संतान पैदा करने पर जुर्माना लगा देना चाहिए या फिर मुफ्त में मिलने वाली सरकारी सुविधाओं से वंचित कर देना चाहिए जिससे लोग जनसंख्या को नियंत्रित करने में सरकार का सहयोग करें।

(3) दत्तक ग्रहण को बढ़ावा देना – आज के पश्चिमी सभ्यताओं के प्रभाव में युवक-युवतियां बिना शादी के संतान पैदा कर लेते हैं लेकिन फिर समाज के डर से वे उन्हें कचरे में फेंक देते है और कुछ लोग अपनी गरीबी के कारण अपने बच्चों को छोड़ देते हैं जो कि अनाथ हो जाते है।

लोगों को इन अनाथ बच्चों को अपना लेना चाहिए जिससे अनाथ बच्चों को उनके माता पिता मिल जाएंगे और जिनको संतान चाहिए उनको संतान मिल जाएगी इससे जनसंख्या वृद्धि भी रोकी जा सकेगी।

(4) परिवार नियोजन – हमारी सरकार द्वारा जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए समय-समय पर परिवार नियोजन करने के लिए कई योजनाएं चलाई जाती है, लेकिन उनका इतना अधिक असर नहीं पढ़ पाता है क्योंकि लोगों को परिवार नियोजन के बारे में जानकारी नहीं होती है।

(5) न्यूनतम विवाह योग्य आयु – हमारे देश में बाल विवाह है एक सबसे बड़ी समस्या है जिसके कारण जनसंख्या बढ़ती तेजी से हो रही है अगर विवाह के लिए न्यूनतम आयु घोषित कर दी जाए तो जनसंख्या वृद्धि रोकी जा सकती है।

हमारे देश में विवाह के लिए न्यूनतम आयु लड़की के लिए 18 वर्ष और लड़के के लिए 21 वर्ष है अगर इसका सख्ती से पालन किया जाए तो जनसंख्या पर नियंत्रण किया जा सकता है।

जनसंख्या वृद्धि एक चिंता का विषय है क्योंकि यह जितनी तेजी से बढ़ रही है उसके लिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना नामुमकिन सा हो रहा है। जब तक देश का प्रत्येक नागरिक जनसंख्या नियंत्रण के महत्व को नहीं समझेगा तब तक जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण पाना मुश्किल है।

आज प्रत्येक नागरिक को समझने की जरूरत है कि अगर वह जनसंख्या पर नियंत्रण करते हैं तो उन्हें स्वच्छ पर्यावरण वायु, जल, स्वास्थ्य, भोजन मिलेगा जोकि उनके परिवार, देश के लिए और सबसे अधिक हमारी पृथ्वी का वातावरण भी संतुलित रहेगा।

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5 thoughts on “जनसंख्या वृद्धि पर निबंध – Essay on Population in Hindi”

Chhote se chota nibhand bhejo

Ravindra jalon hum jald hi chota nibandh bhi likhnge

Yes I agree t hu e comment policy

Jansankya varadhi pr nibandh 400words me likhkar yha dalr

riya ji hum jald hi 400 word ka nibandh bhi likhenge.

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जनसंख्या वृद्धि: समस्या और समाधान

  • 22 Aug 2019
  • 24 min read
  • सामान्य अध्ययन-I
  • जनसंख्या और संबद्ध मुद्दे
  • मानव संसाधन

इस Editorial में The Hindu, The Indian Express, Business Line तथा Business Today आदि में प्रकाशित लेखों का विश्लेषण किया गया है। इस आलेख में जनसंख्या वृद्धि तथा इससे संबंधित विभिन्न मुद्दों की चर्चा की गई है। आवश्यकतानुसार यथास्थान टीम दृष्टि के इनपुट भी शामिल किये गए हैं।

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री ने भारत में तेज़ी से बढ़ रही जनसंख्या पर चिंता व्यक्त की तथा इसको नियंत्रित करने की बात कही है। इससे कुछ समय पूर्व ही बजट सत्र में एक नामांकित संसद सदस्य द्वारा जनसंख्या को नियंत्रित करने हेतु जनसंख्या नियंत्रण विधेयक, 2019 राज्यसभा में प्रस्तुत किया। निजी विधेयक होने के कारण यह संसद में पारित तो नहीं हो सका किंतु प्रधानमंत्री के संबोधन के पश्चात् इस मुद्दे पर दोबारा चर्चा की जाने लगी है। इस विधेयक में दो बच्चों के जन्म का प्रावधान किया गया है। दो से अधिक बच्चों वाले जनप्रतिनिधि को अयोग्य निर्धारित किया जाएगा, साथ ही सरकारी कर्मचारियों को भी दो से अधिक बच्चे पैदा न करने का शपथ पत्र देना होगा। हालाँकि ऐसे कर्मचारी जिनके पहले से ही दो से अधिक बच्चे हैं उनको इस प्रावधान से छूट दी गई है। इसके अतिरिक्त नागरिकों को दो बच्चों की नीति को अपनाने हेतु प्रोत्साहित करने के लिये विभिन्न विनियमों की भी बात इस विधेयक में की गई है।

जनसंख्या नियंत्रण- तर्काधार

किसी भी देश में जब जनसंख्या विस्फोटक स्थिति में पहुँच जाती है तो संसाधनों के साथ उसकी ग़ैर-अनुपातित वृद्धि होने लगती है, इसलिये इसमें स्थिरता लाना ज़रूरी होता है। संसाधन एक बहुत महत्त्वपूर्ण घटक है। भारत में विकास की गति की अपेक्षा जनसंख्या वृद्धि दर अधिक है। संसाधनों के साथ क्षेत्रीय असंतुलन भी तेज़ी से बढ़ रहा है। दक्षिण भारत कुल प्रजनन क्षमता दर यानी प्रजनन अवस्था में एक महिला कितने बच्चों को जन्म दे सकती है, में यह दर क़रीब 2.1 है जिसे स्थिरता दर माना जाता है। लेकिन इसके विपरीत उत्तर भारत और पूर्वी भारत, जिसमें बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा जैसे राज्य हैं, इनमें कुल प्रजनन क्षमता दर चार से ज़्यादा है। यह भारत के भीतर एक क्षेत्रीय असंतुलन पैदा करता है। जब किसी भाग में विकास कम हो और जनसंख्या अधिक हो, तो ऐसे स्थान से लोग रोज़गार तथा आजीविका की तलाश में अन्य स्थानों पर प्रवास करते हैं। किंतु संसाधनों की सीमितता तथा जनसंख्या की अधिकता तनाव उत्पन्न करती है, विभिन्न क्षेत्रों में उपजा क्षेत्रवाद कहीं न कहीं संसाधनों के लिये संघर्ष से जुड़ा हुआ है।

माल्थस का जनसंख्या सिद्धांत

ब्रिटिश अर्थशास्त्री माल्थस ने ‘प्रिंसपल ऑफ पॉपुलेशन’ में जनसंख्या वृद्धि और इसके प्रभावों की व्याख्या की है। माल्थस के अनुसार, ‘जनसंख्या दोगुनी रफ्तार (1, 2, 4, 8, 16, 32) से बढ़ती है, जबकि संसाधनों में सामान्य गति (1, 2, 3, 4, 5) से ही वृद्धि होती है। परिणामतः प्रत्येक 25 वर्ष बाद जनसंख्या दोगुनी हो जाती है। हालाँकि माल्थस के विचारों से शब्दशः सहमत नहीं हुआ जा सकता किंतु यह सत्य है कि जनसंख्या की वृद्धि दर संसाधनों की वृद्धि दर से अधिक होती है। भूमिकर सिद्धांत के जन्मदाता डेविड रिकार्डो तथा जनसंख्या और संसाधनों के समन्वय पर थामस सैडलर, हरबर्ट स्पेंसर ने भी जनसंख्या वृद्धि पर गंभीर विचार व्यक्त किये हैं।

आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19: अलग दृष्टिकोण

आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 में कहा गया है कि भारत में पिछले कुछ दशकों में जनसंख्या वृद्धि की गति धीमी हुई है। वर्ष 1971-81 के मध्य वार्षिक वृद्धि दर जहाँ 2.5 प्रतिशत थी वह वर्ष 2011-16 में घटकर 1.3 प्रतिशत पर आ गई है। आर्थिक सर्वेक्षण में जनसांख्यिकीय के ट्रेंड की चर्चा करते हुए यह रेखांकित किया गया है कि बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान तथा हरियाणा जैसे राज्य जहाँ एतिहासिक रूप से जनसंख्या वृद्धि दर अधिक रही है, में भी जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट आई है। दक्षिण भारत के राज्यों तथा पश्चिम बंगाल, पंजाब, महाराष्ट्र, ओडिशा, असम तथा हिमाचल प्रदेश में वार्षिक वृद्धि दर 1 प्रतिशत से भी कम है। सर्वेक्षण के अनुसार, आने वाले दो दशकों में भारत में जनसंख्या वृद्धि दर में तीव्र गिरावट की संभावना है, साथ ही कुछ राज्य वर्ष 2030 तक वृद्ध समाज की स्थिति की ओर बढ़ने शुरू हो जाएंगे। आर्थिक सर्वेक्षण न सिर्फ जनसंख्या नियंत्रण को लेकर आशावादी रवैया रखता है बल्कि भारत में नीति निर्माण का फोकस भविष्य में बढ़ने वाली वृद्धों की संख्या की ओर करने का सुझाव देता है।

जनसांख्यिकीय लाभांश या जनसांख्यिकीय अभिशाप

किसी देश में युवा तथा कार्यशील जनसंख्या की अधिकता तथा उससे होने वाले आर्थिक लाभ को जनसांख्यिकीय लाभांश के रूप में देखा जाता है। भारत में मौजूदा समय में विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या युवाओं की है यदि इस आबादी का उपयोग भारत की अर्थव्यवस्था को गति देने में किया जाए तो यह भारत को जनसांख्यिकीय लाभांश प्रदान करेगा। किंतु यदि शिक्षा गुणवत्ता परक न हो, रोज़गार के अवसर सीमित हों, स्वास्थ्य एवं आर्थिक सुरक्षा के साधन उपलब्ध न हों तो बड़ी कार्यशील आबादी एक अभिशाप का रूप धारण कर सकती है। अतः विभिन्न देश अपने संसाधनों के अनुपात में ही जनसंख्या वृद्धि पर बल देते हैं। भारत में वर्तमान स्थिति में युवा एवं कार्यशील जनसंख्या अत्यधिक है किंतु उसके लिये रोज़गार के सीमित अवसर ही उपलब्ध हैं। ऐसे में यदि जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित न किया गया तो स्थिति भयावह हो सकती है। इसी संदर्भ में हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने जनसंख्या नियंत्रण की बात कही है।

2025 तक चीन से आगे निकल जाएगा भारत

पिछले वर्ष संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामले विभाग के जनसंख्या प्रकोष्ठ (Department of Economic and Social Affairs’ Population Division) ने The World Population Prospects: The 2017 Revision रिपोर्ट जारी की थी। इसमें अनुमान लगाया गया है कि भारत की आबादी लगभग सात वर्षों में चीन से अधिक हो जाएगी।

  • भारत को इस समस्या के सबसे भीषण रूप का सामना करना है। चीन अभी आबादी में हमसे आगे है तो क्षेत्रफल में भी काफी बड़ा है। फिलहाल भारत की जनसंख्या 1.3 अरब और चीन की 1.4 अरब है।
  • दोनों देशों के क्षेत्रफल में तो कोई बदलाव नहीं हो सकता पर जनसंख्या के मामले में भारत सात वर्षों बाद चीन को पीछे छोड़ देगा।
  • इसके बाद भारत की आबादी वर्ष 2030 में करीब 1.5 अरब हो जाएगी और कई दशकों तक बढ़ती रहेगी। वर्ष 2050 में इसके 1.66 अरब तक पहुँचने का अनुमान है, जबकि चीन की आबादी 2030 तक स्थिर रहने के बाद धीमी गति से कम होनी शुरू हो जाएगी।
  • वर्ष 2050 के बाद भारत की आबादी की रफ्तार स्थिर होने की संभावना है और वर्ष 2100 तक यह 1.5 अरब हो सकती है।
  • पिछले चार दशकों में 1975-80 के 4.7 प्रतिशत से लगभग आधी कम होकर भारतीयों की प्रजनन दर 2015-20 में 2.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। 2025-30 तक इसके 2.1 प्रतिशत और 2045-50 तक 1.78 प्रतिशत तथा 2095-2100 के बीच 1.78 प्रतिशत रहने की संभावना है।

बढ़ती आबादी की प्रमुख चुनौतियाँ

  • स्थिर जनसंख्या: स्थिर जनसंख्या वृद्धि के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये यह आवश्यक है कि सर्वप्रथम प्रजनन दर में कमी की जाए। यह बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में काफी अधिक है, जो एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
  • जीवन की गुणवत्ता: नागरिकों को न्यूनतम जीवन गुणवत्ता प्रदान करने के लिये शिक्षा और स्वास्थ्य प्रणाली के विकास पर निवेश करना होगा, अनाजों एवं खाद्यान्नों का अधिक-से-अधिक उत्पादन करना होगा, लोगों को रहने के लिये घर देना होगा, स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति बढ़ानी होगी एवं सड़क, परिवहन और विद्युत उत्पादन तथा वितरण जैसे बुनियादी ढाँचे को मज़बूत बनाने पर काम करना होगा।
  • नागरिकों की मूलभूत ज़रूरतों को पूरा करने और बढ़ती आबादी को सामाजिक बुनियादी ढाँचा प्रदान करके समायोजित करने के लिये भारत को अधिक खर्च करने की आवश्यकता है तथा इसके लिये भारत को सभी संभावित माध्यमों से अपने संसाधन बढ़ाने होंगे।
  • जनसांख्यिकीय विभाजन: बढ़ती जनसंख्या का लाभ उठाने के लिये भारत को मानव पूंजी का मज़बूत आधार बनाना होगा ताकि वे लोग देश की अर्थव्यवस्था में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकें, लेकिन भारत की कम साक्षरता दर (लगभग 74 प्रतिशत) इस मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है।
  • सतत् शहरी विकास: वर्ष 2050 तक देश की शहरी आबादी दोगुनी हो जाएगी, जिसके चलते शहरी सुविधाओं में सुधार और सभी को आवास उपलब्ध कराने की चुनौती होगी, साथ ही पर्यावरण को भी मद्देनज़र रखना ज़रूरी होगा।
  • असमान आय वितरण : आय का असमान वितरण और लोगों के बीच बढ़ती असमानता अत्यधिक जनसंख्या के नकारात्मक परिणामों के रूप में सामने आएगी।

गरीबी तथा जनसंख्या वृद्धि में महत्त्वपूर्ण संबंध

परिवार का स्वास्थ्य, बाल उत्तरजीविता और बच्चों की संख्या आदि माता-पिता (विशेषकर माता) के स्वास्थ्य और शिक्षा के स्तर से गहराई से संबद्ध हैं। इस प्रकार कोई दंपति जितना निर्धन होगा, उसमें उतने अधिक बच्चों को जन्म देने की प्रवृत्ति होगी। इस प्रवृत्ति का संबंध लोगों को उपलब्ध अवसरों, विकल्पों और सेवाओं से है। गरीब लोगों में अधिक बच्चों को जन्म देने की प्रवृत्ति इसलिये होती है क्योंकि इस वर्ग में बाल उत्तरजीविता निम्न है, पुत्र प्राप्ति की इच्छा हमेशा से उच्च बनी रही है, बच्चे आर्थिक गतिविधियों में सहयोग देते हैं और इस प्रकार परिवार की आर्थिक और भावनात्मक आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण - 4 (2015-16) के अनुसार, न्यूनतम वेल्थ क्विंटिल (Wealth Quintile) की महिलाओं के उच्चतम वेल्थ क्विंटिल की महिलाओं की उपेक्षा औसतन 1.6 गुना अधिक बच्चे पाए जाते हैं। इस प्रकार समृद्धतम से निर्धनतम की ओर बढने पर 1.5 के स्थान पर 3.2 की प्रजनन दर पाई जाती है। इसी प्रकार प्रति महिला बच्चों की संख्या महिलाओं की विद्यालयी शिक्षा के स्तर में वृद्धि के साथ घटती जाती है। 12 या उससे अधिक वर्षों तक विद्यालयी शिक्षा प्राप्त महिलाओं के औसतन 1.7 बच्चों की तुलना में विद्यालय नहीं गई महिलाओं में बच्चों की औसत दर 3.1 रही। इससे उजागर होता है कि स्वास्थ्य, शिक्षा और असमानता का प्रजनन दर से गहरा संबंध है तथा स्वास्थ्य व शिक्षा तक कम पहुँच रखने वाले लोग निर्धनता के कुचक्र में फँसे रहते हैं और अधिकाधिक बच्चों को जन्म देते हैं। नवीनतम आर्थिक सर्वेक्षण ने खुलासा किया है कि उच्च जनसंख्या वृद्धि वाले राज्यों में ही प्रति व्यक्ति अस्पताल बिस्तरों की न्यूनतम उपलब्धता की भी स्थिति है।

जनसंख्या नियंत्रण- उपाय

आर्थिक सर्वेक्षण के अनुमान के बावजूद भारत की बढ़ती जनसंख्या एक सच्चाई है, जो वर्ष 2030 तक चीन से भी अधिक हो जाएगी। जनसंख्या में तीव्र वृद्धि विभिन्न नकारात्मक परिणाम उत्पन्न करते हैं। इन परिणामों को रोकने के लिये आवश्यक है कि जनसंख्या को नियंत्रित करके वृद्धि दर को स्थिर किया जाए। निम्नलिखित उपायों से जनसंख्या की तीव्र वृद्धि दर को रोका जा सकता है-

  • आयु की एक निश्चित अवधि में मनुष्य की प्रजनन दर अधिक होती है। यदि विवाह की आयु में वृद्धि की जाए तो बच्चों की जन्म दर को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार तथा उन्हें निर्णय प्रक्रिया में शामिल करना।
  • शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार तथा लोगों के अधिक बच्चों को जन्म देने के दृष्टिकोण को परिवर्तित करना।
  • भारत में अनाथ बच्चों की संख्या अधिक है तथा ऐसे परिवार भी हैं जो बच्चों को जन्म देने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे परिवारों को बच्चे गोद लेने के लिये प्रोत्साहित करना, साथ ही अन्य परिवारों को भी बच्चों को गोद लेने के लिये प्रेरित करना। इस प्रकार से न सिर्फ अनाथ बच्चों की स्थिति में सुधार होगा बल्कि जनसंख्या को भी नियंत्रित किया जा सकेगा।
  • भारत में विभिन्न कारकों के चलते पुत्र प्राप्ति को आवश्यक माना जाता है तथा पुत्री के जन्म को हतोत्साहित किया जाता है। यदि लैंगिक भेदभाव को समाप्त किया जाता है तो पुत्र की चाहत में अधिक-से-अधिक बच्चों को जन्म देने की प्रवृत्ति को रोका जा सकता है।
  • भारतीय समाज में किसी भी दंपत्ति के लिये संतान प्राप्ति आवश्यक समझा जाता है तथा इसके बिना दंपत्ति को हेय दृष्टि से देखा जाता है, यदि इस सोच में बदलाव किया जाता है तो यह जनसंख्या में कमी करने में सहायक होगा।
  • सामाजिक सुरक्षा तथा वृद्धावस्था में सहारे के रूप में बच्चों का होना आवश्यक माना जाता है। किंतु मौजूदा समय में विभिन्न सरकारी योजनाओं एवं सुविधाओं के कारण इस विचार में बदलाव आया है। यह कारक भी जनसंख्या नियंत्रण में उपयोगी हो सकता है।
  • परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाकर तथा उनके जीवन स्तर को ऊँचा उठाकर जनसंख्या वृद्धि को कम किया जा सकता है। प्रायः ऐसा देखा गया है कि उच्च जीवन स्तर वाले लोग छोटे परिवार को प्राथमिकता देते हैं।
  • भारत में शहरीकरण जनसंख्या वृद्धि के साथ व्यूत्क्रमानुपातिक रूप से संबंधित माना जाता है। यदि शहरीकरण को बढ़ावा दिया जाता है तो निश्चित रूप से यह जनसंख्या नियंत्रण में उपयोगी साबित होगा।
  • भारत में जनसंख्या वृद्धि दर ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक है, इसका प्रमुख कारण परिवार नियोजन के बारे में लोगों में जागरूकता का अभाव है। यदि नियोजन द्वारा बच्चों को जन्म दिया जाए तो यह जनसंख्या नियंत्रण का सबसे कारगर साधन हो सकता है।
  • भारत में अभी भी एक बड़ी जनसंख्या शिक्षा से दूर है इसलिये परिवार नियोजन के लाभों से अवगत नहीं है। विभिन्न संचार माध्यमों जैसे- टेलीविज़न, रेडियो, समाचार पत्र आदि के माध्यम से लोगों में विशेषकर ग्रामीण एवं पिछड़े क्षेत्रों में जागरूकता लाने का प्रयास करना चाहिये।
  • सरकार को ऐसे लोगों को विभिन्न माध्यमों से प्रोत्साहन देने का प्रयास करना चाहिये जो परिवार नियोजन पर ध्यान देते हैं तथा छोटे परिवार को प्राथमिकता देते हैं।

जनसंख्या नियंत्रण के बजाय जनसंख्या समर्थन

भारत ने जनसंख्या को किसी समस्या और उस पर नियंत्रण के संदर्भ में नहीं देखा है बल्कि एक संपन्न संसाधन के रूप में देखा है जो एक विकास करती अर्थव्यवस्था की जीवन शक्ति है। इसे समस्या और नियंत्रण की शब्दावली में देखना और इस दृष्टिकोण से कार्रवाई करना राष्ट्र के लिये अनुकूल कदम नहीं होगा। यह दृष्टिकोण अब तक कि प्रगति को बाधित कर देगा और एक कमज़ोर व बदतर स्वास्थ्य वितरण प्रणाली के लिये ज़मीन तैयार करेगा। यह परिदृश्य उस उद्देश्य के विपरीत होगा जिसे आयुष्मान भारत जैसे कार्यक्रम के माध्यम से प्राप्त करने की इच्छा है। वर्तमान में 23 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों (दक्षिण भारत के सभी राज्य सहित) में प्रजनन दर पहले ही प्रति महिला 2.1 बच्चों के प्रतिस्थापन स्तर के नीचे पहुँच चुकी है। इस प्रकार नियंत्रण के बजाय समर्थन की नीति अधिक कारगर होगी।

अतीत से सबक

स्वतंत्र भारत में दुनिया का सबसे पहला जनसंख्या नियंत्रण हेतु राजकीय अभियान वर्ष 1951 में आरंभ किया गया। किंतु इससे सफलता नहीं मिल सकी। वर्ष 1975 के आपातकाल के दौरान बड़े स्तर पर जनसंख्या नियंत्रण के प्रयास किये गए। इन प्रयासों में कई अमानवीय तरीकों का उपयोग किया गया। इससे न सिर्फ यह कार्यक्रम असफल हुआ बल्कि लोगों में नियोजन और उसकी पद्धति को लेकर भय का माहौल उत्पन्न हो गया जिससे कई वर्षों तक जनसंख्या नियंत्रण के प्रयासों में बाधा उत्पन्न हुई।

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की आबादी 121 करोड़ थी तथा अनुमान लगाया जा रहा है कि वर्तमान में यह 130 करोड़ को भी पार कर चुकी है, साथ ही वर्ष 2030 तक भारत की आबादी चीन से भी ज़्यादा होने का अनुमान है। ऐसे में भारत के समक्ष तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या एक बड़ी चुनौती है क्योंकि जनसंख्या के अनुपात में संसाधनों की वृद्धि सीमित है। इस स्थिति में जनसांख्यिकीय लाभांश जनसांख्यिकीय अभिशाप में बदलता जा रहा है। इसी स्थिति को संबोधित करते हुए भारत के प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इस समस्या को दोहराया है। हालाँकि जनसंख्या वृद्धि ने कई चुनौतियों को जन्म दिया है किंतु इसके नियंत्रण के लिये क़ानूनी तरीका एक उपयुक्त कदम नहीं माना जा सकता। भारत की स्थिति चीन से पृथक है तथा चीन के विपरीत भारत एक लोकतांत्रिक देश है जहाँ हर किसी को अपने व्यक्तिगत जीवन के विषय में निर्णय लेने का अधिकार है। भारत में कानून का सहारा लेने के बजाय जागरूकता अभियान, शिक्षा के स्तर को बढ़ाकर तथा गरीबी को समाप्त करने जैसे उपाय करके जनसंख्या नियंत्रण के लिये प्रयास करने चाहिये। परिवार नियोजन से जुड़े परिवारों को आर्थिक प्रोत्साहन दिया जाना चाहिये तथा ऐसे परिवार जिन्होंने परिवार नियोजन को नहीं अपनाया है उन्हें विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से परिवार नियोजन हेतु प्रेरित करना चाहिये।

प्रश्न: क्या आप इस कथन से सहमत हैं कि भारत में तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या जनसांख्यिकीय लाभांश के स्थान पर जनसांख्यिकीय अभिशाप बनती जा रही है? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिये।

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Essay on population in hindi जनसँख्या पर निबंध.

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Essay on Population in Hindi 200 Words

बढ़ती जनसंख्या का भयावह रूप – विचार – बिंदु – • जनसंख्या वृद्धि – एक भयावह समस्या • परिणाम • कारण और समाधान।

भारतवर्ष की सबसे बड़ी समस्या है – जनसंख्या वृद्धि। भारत की आबादी 109 करोड़ का आँकड़ा पार कर चुकी है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या के अनेक कारण हैं। पहला कारण है अनपढ़ता। दूसरा कारण है-अंधविश्वास। अधिकतर लोग बच्चे को भगवान की देन मानते हैं। इसलिए वे परिवार नियोजन को अपनाना नहीं चाहते। लड़के-लड़की में भेदभाव करने से भी जनसंख्या बढ़ती है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण पर्यावरण प्रदूषण की गंभीर समस्या आज हमारे सामने खड़ी है। कृषि योग्य भूमि का क्षय हो रहा है। वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। भौगोलिक संतुलन बिगड़ रहा है। बेकारी बढ़ रही है। परिणामस्वरूप लूट, हत्या, अपहरण जैसी वारदातें बढ़ रही हैं। भ्रष्टाचार का चारों तरफ बोलबाला है। लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल रहा। जनसंख्या नियंत्रण के लिए सरकार को चाहिए कि परिवार नियोजन कार्यक्रम को गति दे। सरकार को चाहिए कि इस दिशा में कठोरता से नियम लागू करे अन्यथा आने वाली पीढ़ी को भारी संकट का सामना करना पड़ सकता है।

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Essay on Population in Hindi 500 Words

रूपरेखा : बढ़ती जनसंख्या – भारत की प्रमुख समस्या, बढ़ती जनसंख्या –प्रगति में बाथक, जनसंख्या वृधि के दुष्परिणाम – साधनों में कमी, बेरोज़गारी, सामाजिक बुराइयों का जन्म, जनसंख्या नियंत्रण के प्रति चेतना, उपसंहार।

भारत को स्वतंत्र हुए आधी सदी बीत गई। इन वर्षों में देश ने अनेक क्षेत्रों में प्रगति की। कृषि, विज्ञान, उद्योग-धंधे आदि में हमारा देश बहुत तेज़ी से प्रगति कर रहा है, किंतु फिर भी उसका लाभ दिखाई नहीं पड़ रहा है। आम आदमी आज भी गरीब है। देश में आज भी कुछ लोग भूख से मर रहे हैं। बहुतों के पास तन ढकने के लिए पर्याप्त वस्त्र नहीं हैं। वे झुग्गी-झोपड़ियों में रहते है। सहज ही प्रशन उठता है कि इसका कारण क्या है? और इस प्रश्न का सीधा-सरल उत्तर है – भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या।

आज हमारी हर बड़ी समस्या के मूल में जनसंख्या की समस्या है। यातायात और परिवहन के साधनों में अपार वृधि हुई है। रेलों-बसों की संख्या अधिक है फिर भी भीड़-भाड़ दिखाई पड़ती है। आप शांति और सुविधा से यात्रा नहीं कर सकते। भीड़-भाड़ तो जैसे हमारी पहचान बन गई है। अस्पतालों में, प्लेटफ़ार्मों पर, विद्यालयों में, बाज़ारों में, कार्यालयों में, किसी भी सार्वजनिक स्थान पर दृष्टि डालिए आपको लोगों के सिर ही सिर दिखाई पड़ेंगे।

इस भीड़-भाड़ का परिणाम यह है कि हमारी सारी आधारभूत सुविधाएँ, हमारे सारे संसाधन कम पड़ते जा रहे हैं। अस्पताल जितने खोले जाते हैं, मरीज़ों की संख्या उससे कई गुना बढ़ जाती है। हर वर्ष हज़ारों नए विद्यालय खुलते हैं, पर अनेक छात्रों को मनचाहे विद्यालय में प्रवेश नहीं मिलता। कक्षाओं में छात्रों की संख्या इतनी हो जाती है कि बैठने को पर्याप्त स्थान नहीं होता। यह दशा तब है जब आज भी लाखों बच्चे विद्यालय में प्रवेश नहीं लेते हैं।

बेरोज़गारी की समस्या जनसंख्या वृद्धि की समस्या की ही उपज है। अनेक प्रकार के उद्योग धंधे खुले हैं। कृषि क्षेत्र में आशा से बढ़कर प्रगति हुई है। नए रोज़गार के लाखों अवसर बने, फिर भी बेरोज़गारों की संख्या में कमी नहीं हुई, बल्कि बेरोज़गारी की समस्या और अधिक भयंकर होती जा रही है। बेरोज़गारी से अनेक सामाजिक बुराइयाँ जन्म लेती हैं। अपराध बढ़ते हैं, असामाजिक तत्त्व पनपते हैं। सुख-चैन और शांति भरा जीवन सपना हो जाता है।

हमारा देश जनसंख्या की दृष्टि से संसार का दूसरा सबसे बड़ा देश है। सारे विश्व की जनसंख्या का लगभग छठा भाग भारत में बसा है जबकि भारत का क्षेत्रफल विश्व के क्षेत्रफल का लगभग 2.4 प्रतिशत ही है। आज हमारी जनसंख्या एक अरब से अधिक हो चुकी है। यदि इस पर शीघ्र ही अंकुश नहीं लगाया गया तो भीषण संकटों का सामना करना पड़ेगा।

जनसंख्या की वृद्धि रोकने के लिए कुछ ठोस उपाय करने होंगे। सबको इस समस्या के प्रति सजग करना होगा। देशवासियों को बताना होगा कि जनसंख्या वृद्धि को रोकना क्यों आवश्यक है। जनसंख्या रोकना हमारा परम कर्तव्य है और इस कर्तव्य का पालन सच्ची देशभक्ति है।

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Essay on Population in Hindi 1000 Words

भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है, जिसके सामने प्रदूषण, अशिक्षा और बढ़ती जनसंख्या आदि अनेक समस्याएँ हैं। इन समस्याओं में बढ़ती हुई जनसंख्या देश की प्रगति और विकास में सबसे बड़ी बाधक है, जिसके कारण सरकार की अच्छी-से-अच्छी योजनाएँ भी विफल होती जा रही हैं।

बढ़ती जनसंख्या के कारण देश के सभी नागरिकों को सर्वाधिक आवश्यक वस्तुएँ- अन्न, जल, वस्त्र और आवास आदि की सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं हो पातीं। आज देश के लाखों लोगों को न भर पेट भोजन मिल पाता है, न पीने को स्वच्छ जल, न तन ढकने को वस्त्र और न रहने के लिए घर।

हमारे देश ने स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् कृषि, उद्योग और व्यवसाय आदि अनेक क्षेत्रों में आशातीत सफलता पाई है। देश की अधिकांश उपजाऊ भूमि पर खेती हो रही है। सिंचाई के लिए देश की अनेक नदियों का उपयोग किया जा रहा है। स्वतंत्रता के बाद भाखड़ा नंगल, दामोदर घाटी, नागार्जुन सागर और नाथपा घाकड़ी आदि अनेक बाँध बन चुके हैं, जो देश की कृषि को संपन्न बनाने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं।

देश के अनेक भागों में नहरों का जाल बिछ गया है। किसानों को खेती के लिए ट्रैक्टर, नलकूप और पंपिंग सेट आदि नए-नए संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं। वैज्ञानिकों ने नई-से-नई किस्म की खाद और बीज किसानों तक पहुँचाने का सफल प्रयास किया है। अनेक किसान वैज्ञानिक ढंग से खेती करने का प्रशिक्षण भी ले चुके हैं और अपनी बुद्धि तथा परिश्रम के बल पर अधिक-से-अधिक अन्न भी उपजा रहे हैं। स्वतंत्रता के बाद कृषि के लिए किए गए प्रयासों के परिणामस्वरूप ही देश में हरित क्रांति संभव हुई है। इतना सब होने पर भी बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण समस्त कृषि-संबंधी उपलब्धियाँ कम जान पड़ती हैं। कैसी विडंबना है, अन्न उत्पन्न करने वाला खेतिहार ही आज भूखा है। देश के कुछ भागों में तो जनता आज भी भूख के कारण दम तोड़ देती है।

स्वतंत्रता के बाद हमारे देश में यातायात के साधनों का भी बहुत विकास हुआ है। साइकिल, स्कूटर, कार, बस, रेल आदि ने मनुष्य के आवागमन को गति प्रदान की है। देश की सड़कों पर लाखों स्कूटर, कारें और बसें दिन-रात दौड़ती हैं। फिर भी देश की जनसंख्या जिस गति से बढ़ रही है, उस गति से देश में यातायात के संसाधन नहीं बढ़ पा रहे हैं। बसों और रेलगाड़ियों में लोगों को भयंकर भीड़ का सामना करना पड़ता है। नौकरी करने वालों को अनेक बार बसों और रेलगाड़ियों में यात्राएँ खड़े-खड़े ही करनी पड़ती है। विद्यालयों की संख्या भी दिन पर दिन बढ़ रही है, किंतु बढ़ती जनसंख्या के कारण लाखों बच्चों को विद्यालय में प्रवेश ही नहीं मिल पाता । शिक्षित बेरोजगारों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। कोई भी देश जब शिक्षित बेरोज़गार नवयुवकों के लिए रोजगार की व्यवस्था नहीं कर सकता, तो देश में अनेक सामाजिक बुराइयाँ पैदा हो जाती हैं, जो देश के लिए खतरा बन जाती हैं। देश की बढ़ती जनसंख्या के कारण नागरिकों को रोटी, कपड़ा और मकान के साथ-साथ जो अन्य छोटी-छोटी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, उनके कारण देश की प्रगति में बाधा पड़ती है। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण ही हम अपने जीवन को सुखी नहीं बना पाते।

जनसंख्या की दृष्टि से आज हमारे देश का स्थान विश्व में दूसरा है। आज हमारे देश की आबादी एक अरब (सौ करोड़) से भी अधिक है। स्वतंत्रता के बाद देश की जनसंख्या जिस तेजी से बढ़ी है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। अत: देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह देश की जनसंख्या वृद्धि की समस्या पर गंभीरता से विचार करे और ऐसे प्रयत्न करे कि आगे आने वाली पीढ़ियों को कठिनाइयों का सामना न करना पड़े।

अज्ञान के अंधकार में फँसे हमारे देश के अधिकांश नागरिक अपनी संतान के जीवन-स्तर को ऊँचा नहीं उठा पाते। अज्ञान ही अनेक प्रकार की सामाजिक कुरीतियों को जन्म देता है। गली-सड़ी रूढ़ियों और अंधविश्वासों में फंसे लोग देश के विकास में सहायक नहीं हो सकते । पुत्र प्रप्ति की कामना और बहु-विवाह प्रथा भी जनसंख्या वृद्धि के कारण हैं, जिन्हें समय रहते रोकना होगा।

उपर्युक्त अनेक समस्याओं का मुख्य कारण में बढ़ती जनसंख्या ही है। हमें जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण के लिए जन-आंदोलन चलाने होंगे। परिवार नियोजन और परिवार कल्याण कार्यक्रमों को सफल बनाना होगा। बाल-विवाह प्रथाओं को रोकना होगा। सरकार ने देश के प्रत्येक प्रांत में लोगों को अधिकाधिक जानकारी देने के लिए तथा उन्हें जागरूक बनाने के उद्देश्य से अनेक प्रशिक्षण केंद्र खोले हैं। ताकि देश का प्रत्येक नागरिक इस समस्या को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए तैयार हो सके। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए प्रत्येक गाँव में सरकार की ओर से प्रशिक्षित कर्मचारी भी उपलब्ध हैं। सरकार द्वारा चलाई जा रही अनेक योजनाओं से हमारी जनसंख्या वृद्धि दर में कुछ कमी आई है। सरकार को पूरी सफलता तभी प्राप्त हो सकती है, जब सरकारी योजनाओं को जनता का पूर्ण सहयोग प्राप्त हो।

बढ़ती जनसंख्या के कारण आम आदमी की आय में जो कमी आती जा रही हैं, उसे भी रोकना आवश्यक है। जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए अब हमें युद्धस्तर पर काम करना होगा। प्रत्येक व्यस्क को इस योजना के प्रति जागरूक करना होगा। शिक्षित युवक और युवतियों को गाँवों, कस्बों और छोटे-बड़े शहरों में जाकर जनता को सचेत करना होगा, तभी हमें सफलता मिल सकेगी।

जनसंख्या वृद्धि आज के युग की सर्वाधिक गंभीर समस्या है। यदि हम अपना, अपने परिवार का, अपने समाज का और देश का कल्याण करना चाहते हैं। तो हमें जनसंख्या वृद्धि के राक्षस से लड़ना होगा। देश के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य भी है और धर्म भी कि वह जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए जी-जान से जुट जाए। आज के युग में यही सच्ची देशभक्ति है।

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population control essay 250 words in hindi

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Essay on Population Control

Students are often asked to write an essay on Population Control in their schools and colleges. And if you’re also looking for the same, we have created 100-word, 250-word, and 500-word essays on the topic.

Let’s take a look…

100 Words Essay on Population Control

Understanding population control.

Population control refers to the measures taken by governments or other groups to manage the size of a human population. This is often done to prevent overpopulation, which can strain resources and harm the environment.

The Need for Population Control

Overpopulation can lead to scarcity of resources like food, water, and shelter. It can also increase pollution and contribute to global warming. Therefore, controlling population growth is crucial for sustainable living.

Methods of Population Control

Methods include education about family planning, providing access to contraception, and implementing policies that limit family size. These measures can help achieve a balanced population.

250 Words Essay on Population Control

Introduction.

Population control refers to the practice of intentionally managing the number of inhabitants in a region to mitigate social and environmental issues. Rapid population growth can strain resources, intensify poverty, and exacerbate environmental degradation.

The Necessity of Population Control

Population control can be achieved through various strategies. Family planning and education, particularly for women, are effective methods. They empower individuals with knowledge about reproductive health and birth control, enabling them to make informed choices. Government policies can also play a significant role, such as providing incentives for smaller families or implementing laws to limit family size.

Challenges and Ethical Considerations

While population control is necessary, it raises ethical questions. It’s imperative that any measures respect individual rights and freedoms. Forced sterilizations or coercive population control policies infringe upon human rights and should be avoided.

In conclusion, population control is a complex yet necessary endeavor. It requires a careful balance of education, policy implementation, and respect for individual rights. By managing population growth, we can work towards a sustainable future where resources are used efficiently, and the environment is preserved.

500 Words Essay on Population Control

Population control refers to the strategies employed by governments and organizations to manage the size of human populations. This is often necessary to prevent overpopulation, which can strain resources and lead to socio-economic problems. However, population control is a complex issue with ethical, political, and environmental implications.

Overpopulation is a significant global concern. It puts immense pressure on natural resources, exacerbating environmental degradation and climate change. With the current rate of population growth, the demand for resources like food, water, and energy is rapidly outpacing supply. This imbalance can lead to resource depletion, environmental pollution, and an increase in diseases due to overcrowding.

Population control strategies vary based on cultural, political, and economic contexts. One common method is family planning, which includes contraceptive use, sterilization, and abortion services. Governments often promote family planning through public awareness campaigns and by providing access to contraception.

Another approach is implementing policies that incentivize smaller families. These can include tax benefits, priority in public services, and educational scholarships for families with fewer children.

Challenges in Population Control

Second, there are gender issues. In some societies, women bear the brunt of population control measures, often facing coercion into sterilization or contraception use.

Third, there are socio-cultural barriers. In many cultures, large families are valued, and attempts to limit family size can be met with resistance.

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Essay on Population for Students and Children

500+ words essay on population.

Population refers to the total number of beings living in a particular area. Population helps us get an estimate of the number of beings and how to act accordingly. For instance, if we know the particular population of a city, we can estimate the number of resources it needs. Similarly, we can do the same for animals. If we look at the human population, we see how it is becoming a cause of concern. In particular, the third world countries suffer the most from population explosion. As it is the resources there are limited and the ever-increasing population just makes it worse. On the other hand, there is a problem of low population in many regions.

India population crisis

India faces a major population crisis due to the growing population. If we were to estimate, we can say that almost 17% of the population of the world lives in India alone. India ranks second in the list of most populated countries.

Essay on Population

Furthermore, India is also one of the countries with low literacy rates. This factor contributes largely to the population explosion in India. It is usually seen that the illiterate and poor classes have a greater number of children. This happens mainly because they do not have sufficient knowledge about birth control methods . In addition, more people in a family are equals to more helping hands. This means they have better chances of earning.

Moreover, we also see how these classes practice early marriage. This makes it one of the major reasons for a greater population. People marry off their young daughters to men way older than them for money or to get free from their responsibility. The young girl bears children from an early age and continues to do so for a long time.

As India is facing a shortage of resources, the population crisis just adds on to the problem. It makes it quite hard for every citizen to get an equal share of resources. This makes the poor poorer and the rich richer.

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Impact of Population Explosion

population control essay 250 words in hindi

Subsequently, pollution levels are on the rise because of the population explosion. As more and more humans are purchasing automobiles, our air is getting polluted. Moreover, the increased need calls for faster rates of industrialization. These industries pollute our water and lands, harming and degrading our quality of life.

In addition, our climate is also facing drastic changes because of human activities. Climate change is real and it is happening. It is impacting our lives very harmfully and must be monitored now. Global warming which occurs mostly due to activities by humans is one of the factors for climate change.

Humans are still able to withstand the climate and adapt accordingly, but animals cannot. This is why wildlife is getting extinct as well.

In other words, man always thinks about his well-being and becomes selfish. He overlooks the impact he is creating on the surroundings. If the population rates continue to rise at this rate, then we won’t be able to survive for long. As with this population growth comes harmful consequences. Therefore, we must take measures to control the population.

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