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महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने जिंदगीभर भारत को आज़ादी दिलाने के लिये संघर्ष किया। महात्मा गांधी एक ऐसे महापुरुष थे जो प्राचीन काल से भारतीयों के दिल में रह रहे है। भारत का हर एक व्यक्ति और बच्चा-बच्चा उन्हें बापू और राष्ट्रपिता के नाम से जानता है।

2 अक्टूबर को पूरे भारतवर्ष में गांधी जयंती मनाई जाती हैं एवं इस दिन को पूरे विश्व में अहिंसा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है। इस मौके पर राष्ट्रपिता के प्रति सम्मान व्यक्त करने एवं उन्हें सच्चे मन से श्रद्धांजली अर्पित करने के लिए स्कूल, कॉलेज, सरकारी दफ्तरों आदि में कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता है।

इन कार्यक्रमों के माध्यम से आज की युवा पीढ़ी को महात्मा गांधी जी के महत्व को बताने के लिए निबंध लेखन प्रतियोगिताएं भी आयोजित करवाई जाती हैं।

इसलिए आज हम आपको देश के राष्ट्रपितामह एवं बापू जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए अलग-अलग शब्द सीमा में कुछ निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल आप अपनी जरूरत के मुताबिक कर सकते हैं-

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी पर निबंध – Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी अपने अतुल्य योगदान के लिये ज्यादातर “ राष्ट्रपिता और बापू ” के नाम से जाने जाते है। वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे। उन्होंने भारत में ग्रामीण भागो के सामाजिक विकास के लिये आवाज़ उठाई थी, उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओ के उपयोग के लिये प्रेरित किया और बहोत से सामाजिक मुद्दों पर भी उन्होंने ब्रिटिशो के खिलाफ आवाज़ उठायी। वे भारतीय संस्कृति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे। बाद में वे भारतीय स्वतंत्रता अभियान में शामिल होकर संघर्ष करने लगे।

भारतीय इतिहास में वे एक ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने भारतीयों की आज़ादी के सपने को सच्चाई में बदला था। आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतुल्य कार्यो के लिये याद करते है। आज भी लोगो को उनके जीवन की मिसाल दी जाती है। वे जन्म से ही सत्य और अहिंसावादी नही थे बल्कि उन्होंने अपने आप को अहिंसावादी बनाया था।

राजा हरिशचंद्र के जीवन का उनपर काफी प्रभाव पड़ा। स्कूल के बाद उन्होंने अपनी लॉ की पढाई इंग्लैंड से पूरी की और वकीली के पेशे की शुरुवात की। अपने जीवन में उन्होंने काफी मुसीबतों का सामना किया लेकिन उन्होंने कभी हार नही मानी वे हमेशा आगे बढ़ते रहे।

उन्होंने काफी अभियानों की शुरुवात की जैसे 1920 में असहयोग आन्दोलन, 1930 में नगरी अवज्ञा अभियान और अंत में 1942 में भारत छोडो आंदोलन और उनके द्वारा किये गये ये सभी आन्दोलन भारत को आज़ादी दिलाने में कारगार साबित हुए। अंततः उनके द्वारा किये गये संघर्षो की बदौलत भारत को ब्रिटिश राज से आज़ादी मिल ही गयी।

महात्मा गांधी का जीवन काफी साधारण ही था वे रंगभेद और जातिभेद को नही मानते थे। उन्होंने भारतीय समाज से अछूत की परंपरा को नष्ट करने के लिये भी काफी प्रयास किये और इसके चलते उन्होंने अछूतों को “हरिजन” का नाम भी दिया था जिसका अर्थ “भगवान के लोग” था।

महात्मा गाँधी एक महान समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे और भारत को आज़ादी दिलाना ही उनके जीवन का उद्देश्य था। उन्होंने काफी भारतीयों को प्रेरित भी किया और उनका विश्वास था की इंसान को साधारण जीवन ही जीना चाहिये और स्वावलंबी होना चाहिये।

गांधीजी विदेशी वस्तुओ के खिलाफ थे इसीलिये वे भारत में स्वदेशी वस्तुओ को प्राधान्य देते थे। इतना ही नही बल्कि वे खुद चरखा चलाते थे। वे भारत में खेती का और स्वदेशी वस्तुओ का विस्तार करना चाहते थे। वे एक आध्यात्मिक पुरुष थे और भारतीय राजनीती में वे आध्यात्मिकता को बढ़ावा देते थे।

महात्मा गांधी का देश के लिए किया गया अहिंसात्मक संघर्ष कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने पूरा जीवन देश को स्वतंत्रता दिलाने में व्यतीत किया। और देशसेवा करते करते ही 30 जनवरी 1948 को इस महात्मा की मृत्यु हो गयी और राजघाट, दिल्ली में लाखोँ समर्थकों के हाजिरी में उनका अंतिम संस्कार किया गया। आज भारत में 30 जनवरी को उनकी याद में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।

“भविष्य में क्या होगा, यह मै कभी नहीं सोचना चाहता, मुझे बस वर्तमान की चिंता है, भगवान् ने मुझे आने वाले क्षणों पर कोई नियंत्रण नहीं दिया है।”

महात्मा गांधी जी आजादी की लड़ाई के महानायक थे, जिन्हें उनके महान कामों के कारण राष्ट्रपिता और महात्मा की उपाधि दी गई। स्वतंत्रता संग्राम में उनके द्धारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

आज उनके अथक प्रयासों, त्याग, बलिदान और समर्पण की बल पर ही हम सभी भारतीय आजाद भारत में चैन की सांस ले रहे हैं।

वे सत्य और अहिंसा के ऐसे पुजारी थे, जिन्होंने शांति के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था, वे हर किसी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। महात्मा गांधी जी के महान विचारों से देश का हर व्यक्ति प्रभावित है।

महात्मा गांधी जी का प्रारंभिक जीवन, परिवार एवं शिक्षा – Mahatma Gandhi Information

स्वतंत्रता संग्राम के मुख्य सूत्रधार माने जाने वाले महात्मा गांधी जी गुजरात के पोरबंदर में  2 अक्टूबर 1869 को एक साधारण परिवार में जन्में थे। गांधी का जी पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था।

उनके पिता जी करम चन्द गांधी ब्रिटिश शासनकाल के समय राजकोट के ‘दीवान’ थे। उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि धार्मिक विचारों वाली एक कर्तव्यपरायण महिला थी, जिनके विचारों का गांधी जी पर गहरा प्रभाव पड़ा था।

वहीं जब वे 13 साल के थे, तब बाल विवाह की प्रथा के तहत उनकी शादी कस्तूरबा से कर दी गई थी, जिन्हें लोग प्यार से ”बा” कहकर पुकारते थे।

गांधी जी बचपन से ही बेहद अनुशासित एवं आज्ञाकारी बालक थे। उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा गुजरात में रहकर ही पूरी की और फिर वे कानून की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए, जहां से लौटकर उन्होंने भारत में वकाकलत का काम शुरु किया, हालांकि, वकालत में वे ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाए।

महात्मा गांधी जी के राजनैतिक जीवन की शुरुआत – Mahatma Gandhi Political Career

अपनी वकालत की पढ़ाई के दौरान ही गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव का शिकार होना पड़ा था। गांधी जी के साथ घटित एक घटना के मुताबिक एक बार जब वे ट्रेन की प्रथम श्रेणी के डिब्बे में बैठ गए थे, तब उन्हें ट्रेन के डिब्बे से धक्का मारकर बाहर निकाल दिया गया था।

इसके साथ ही उन्हें दक्षिण अफ्रीका के कई बड़े होटलों में जाने से भी रोक दिया गया था। जिसके बाद गांधी जी ने रंगभेदभाव के खिलाफ जमकर संघर्ष किया।

वे भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटाने के उद्देश्य से राजनीति में घुसे और फिर अपने सूझबूझ और उचित राजनैतिक कौशल से देश की राजनीति को एक नया आयाम दिया एवं स्वतंत्रता सेनानी के रुप में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सैद्धान्तवादी एवं आदर्शवादी महानायक के रुप में महात्मा गांधी:

महात्मा गांधी जी बेहद सैद्धांन्तवादी एवं आदर्शवादी नेता थे। वे सादा जीवन, उच्च विचार वाले महान व्यक्तित्व थे, उनके इसी स्वभाव की वजह से उन्हें लोग ”महात्मा” कहकर बुलाते थे।

उनके महान विचारों और आदर्श व्यत्तित्व का अनुसरण अल्बर्ट आइंसटाइन, राजेन्द्र प्रसाद, सरोजनी नायडू, नेल्सन मंडेला, मार्टिन लूथर किंग जैसे कई महान लोगों ने भी किया है।

ये लोग गांधी जी के कट्टर समर्थक थे। गांधी जी के महान व्यक्तित्व का प्रभाव सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी था।

सत्य और अहिंसा उनके दो सशक्त हथियार थे, और इन्ही हथियारों के बल पर उन्होंने अंग्रजों को भारत छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था।

वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता होने के साथ-साथ समाजसेवक भी थे, जिन्होंने भारत में फैले जातिवाद, छूआछूत, लिंग भेदभाव आदि को दूर करने के लिए भी सराहनीय प्रयास किए थे।

अपने पूरे जीवन भर राष्ट्र की सेवा में लगे रहे गांधी जी की देश की आजादी के कुछ समय बाद ही 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे द्धारा हत्या कर दी गई थी।

वे एक महान शख्सियत और युग पुरुष थे, जिन्होंने कठिन से कठिन परिस्थिति में भी कभी भी सत्य का साथ नहीं छोड़ा और कठोर दृढ़संकल्प के साथ अडिग होकर अपने लक्ष्य को पाने के लिए आगे बढ़ते रहे। उनके जीवन से हर किसी को सीख लेने की जरूरत है।

महात्मा गांधी पर निबंध – Mahatma Gandhi par Nibandh

प्रस्तावना-

2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्में महात्मा गांधी जी द्धारा राष्ट्र के लिए किए गए त्याग, बलिदान और समर्पण को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

वे एक एक महापुरुष थे, जिन्होंने देश को गुलामी की बेड़ियों से आजाद करवाने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। गांधी जी का महान और प्रभावशाली व्यक्तित्व हर किसी को प्रभावित करता है।

महात्मा गांधी जी की स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका – Mahatma Gandhi as a Freedom Fighter

दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदभाव के खिलाफ तमाम संघर्षों के बाद जब वे अपने स्वदेश भारत लौटे तो उन्होंने देखा कि क्रूर ब्रिटिश हुकूमत बेकसूर भारतीयों पर अपने अमानवीय अत्याचार कर रही थी और  देश की जनता गरीबी और भुखमरी से तड़प रही थी।

जिसके बाद उन्होंने क्रूर ब्रिटिशों को भारत से बाहर निकाल फेंकने का संकल्प लिया और फिर वे आजादी पाने के अपने दृढ़निश्चयी एवं अडिग लक्ष्य के साथ स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।

महात्मा गांधी जी द्धारा चलाए गए प्रमुख आंदोलन:

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी जी ने सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाते हुए अंग्रेजों के खिलाफ कई बड़े आंदोलन चलाए। उनके शांतिपूर्ण ढंग से चलाए गए आंदोलनों ने न सिर्फ भारत में ब्रिटिश सरकार की नींव कमजोर कर दी थीं, बल्कि उन्हें भारत छोड़ने के लिए भी विवश कर दिया था।  उनके द्धारा चलाए गए कुछ मुख्य आंदोलन इस प्रकार हैं-

चंपारण और खेड़ा आंदोलन – Kheda Movement

साल 1917 में जब अंग्रेज अपनी दमनकारी नीतियों के तहत चंपारण के किसानों का शोषण कर रहे थे, उस दौरान कुछ किसान ज्यादा कर देने में समर्थ नहीं थे।

जिसके चलते गरीबी और भुखमरी जैसे भयावह हालात पैदा हो गए थे, जिसे देखते हुए गांधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ शांतिपूर्ण ढंग से चंपारण आंदोलन किया, इस आंदोलन के परिणामस्वरुप वे किसानों को करीब 25 फीसदी धनराशि वापस दिलवाने में सफल रहे।

साल 1918 में गुजरात के खेड़ा में भीषण बाढ़ आने से वहां के लोगों पर अकाली का पहाड़ टूट पड़ा था, ऐसे में किसान अंग्रेजों को भारी कर देने में असमर्थ थे।

जिसे देख गांधी जी ने अंग्रेजों से किसानों की लगान माफ करने की मांग करते हुए उनके खिलाफ अहिंसात्मक आंदोलन छेड़ दिया, जिसके बाद ब्रिटिश हुकूमत को उनकी मांगे माननी पड़ी और वहां के किसानों को कर में छूट देनी पड़ी।

महात्मा गांधी जी के इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है।

महात्मा गांधी जी का असहयोग आंदोलन – Asahyog Movement

अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों एवं जलियावाला बाग हत्याकांड में मारे गए बेकसूर लोगों को देखकर गांधी जी को गहरा दुख पहुंचा था और उनके ह्रद्य में अंग्रेजों के अत्याचारों से देश को मुक्त करवाने की ज्वाला और अधिक तेज हो गई थी।

जिसके चलते उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर असहयोग आंदोलन करने का फैसला लिया। इस आंदोलन के तहत उन्होंने भारतीय जनता से अंग्रेजी हुकूमत का समर्थन नहीं देने की अपील की।

गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े स्तर पर भारतीयों ने समर्थन दिया और ब्रिटिश सरकार के अधीन पदों जैसे कि शिक्षक, प्रशासनिक व्यवस्था और अन्य सरकारी पदों से इस्तीफा देना शुरु कर दिया साथ ही सरकारी स्कूल, कॉलजों एवं सरकारी संस्थानों का जमकर बहिष्कार किया।

इस दौरान लोगों ने विदेशी कपड़ों की होली जलाई और खादी वस्त्रों एवं स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना शुरु कर दिया। गांधी जी के असहयोग आंदोलन ने भारत में ब्रिटिश हुकूमत की नींव को कमजोर कर दिया था।

सविनय अवज्ञा आंदोलन/डंडी यात्रा/नमक सत्याग्रह(1930) – Savinay Avagya Andolan

महात्मा गांधी ने यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ चलाया था। उन्होंने ब्रटिश सरकार के नमक कानून का उल्लंघन करने के लिए इसके तहत पैदल यात्रा की थी।

गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अपने कुछ अनुयायियों के साथ सावरमती आश्रम से पैदल यात्रा शुरु की थी। इसके बाद करीब 6 अप्रैल को गांधी जी ने दांडी पहुंचकर समुद्र के किनारे नमक बनाकर ब्रिटिश सरकार के नमक कानून की अवहेलना की थी।

नमक सत्याग्रह के तहत भारतीय लोगों ने ब्रिटिश सरकार के आदेशों के खिलाफ जाकर खुद नमक बनाना एवमं बेचना शुरु कर दिया।

गांधी जी के इस अहिंसक आंदोलन से ब्रिटिश सरकार के हौसले कमजोर पड़ गए थे और गुलाम भारत को अंग्रेजों क चंगुल से आजाद करवाने का रास्ता साफ और मजबूत हो गया था।

महात्मा गांधी जी का भारत छोड़ो आंदोलन(1942)

अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ने के उद्देश्य  से महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ साल 1942 में ”भारत छोड़ो आंदोलन” की शुरुआत की थी। इस आंदोलन के कुछ साल बाद ही भारत ब्रिटिश शासकों की गुलामी से आजाद हो गया था।

आपको बता दें जब गांधी जी ने इस आंदोलन की शुरुआत की थी, उस समय दूसरे विश्वयुद्ध का समय था और ब्रिटेन पहले से जर्मनी के साथ युद्ध में उलझा हुआ था, ऐसी स्थिति का बापू जी ने फायदा उठाया। गांधी जी के इस आंदोलन में बड़े पैमाने पर भारत की जनता ने एकत्र होकर अपना समर्थन दिया।

इस आंदोलन का इतना ज्यादा प्रभाव पड़ा कि ब्रिटिश सरकार को भारत को स्वतंत्रता देने का वादा करना पड़ा। इस तरह से यह आंदोलन, भारत में ब्रिटिश हुकूमत के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ।

इस तरह महात्मा गांधी जी द्धारा सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलाए गए आंदोलनो ने  गुलाम भारत को आजाद करवाने में अपनी महत्पूर्ण भूमिका निभाई और हर किसी के जीवन में गहरा प्रभाव छोड़ा है।

वहीं उनके आंदोलनों की खास बात यह रही कि उन्होंने बेहद  शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन चलाए और आंदोलन के दौरान किसी भी तरह की हिंसात्मक गतिविधि होने पर उनके आंदोलन बीच में ही रद्द कर दिए गए।

  • Mahatma Gandhi Slogan

महात्मा गांधी जी ने जिस तरह राष्ट्र के लिए खुद को पूरी तरह समर्पित कर दिया एवं सच्चाई और अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश को आजादी दिलवाने के लिए कई बड़े आंदोलन चलाए, उनसे हर किसी को प्रेरणा लेने की जरूरत है। वहीं आज जिस तरह हिंसात्मक गतिविधियां बढ़ रही हैं, ऐसे में गांधी जी के महान विचारों को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है। तभी देश-दुनिया में हिंसा कम हो सकेगी और देश तरक्की के पथ पर आगे बढ़ सकेगा।

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60 thoughts on “महात्मा गांधी पर निबंध | Essay On Mahatma Gandhi”

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Gandhi ji is my favorite

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अपने अलग अलग तरह से गाँधी जी के कार्यो को बताया है बहुत अच्छा

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महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में | Mahatma Gandhi Essay in Hindi

दोस्तों आज के इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में। महात्मा गांधी भारत का बच्चा-बच्चा जानता है क्योंकि वह हमारे राष्ट्रपिता है। बच्चों को विद्यालय में महात्मा गांधी के बारे में बताया जाता है, ताकि विद्यार्थी भी उनके मार्गदर्शन पर चलकर एक आदर्श व्यक्ति बन सकें। इसीलिए अकसर विद्यार्थियों को परीक्षा में या फिर किसी डिबेट में महात्मा गांधी के ऊपर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) आता है। कई बार निबंध कम शब्दों का होता है तो कई बार ज्यादा शब्दों का। इसीलिए आज के इस लेख में हम आपको महात्मा गांधी का निबंध अलग-अलग शब्दों में बताएंगे। 

महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1879 को भारत के गुजरात राज्य में पोरबंदर गांव में हुआ था। इनके पिताजी का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गांधी ना केवल एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे बल्कि वह एक बहुत ही उत्कृष्ट व्यक्तित्व के मालिक थे। आज भारत में और दुनिया भर में लोग इन्हें उनकी महानता, सच्चाई, आदर्शवाद जैसी खूबियों की वजह से जानते हैं। इन्होंने भारत को आजाद कराने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। पर अफसोस की बात है कि 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गांधी जी को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। 

महात्मा गांधी पर निबंध 150 शब्दों में

भारत के गुजरात में जन्में महात्मा गांधी एक बहुत ही सच्चे और देशभक्त भारतीय थे। इसीलिए पूरे भारत के लिए 2 अक्टूबर 1869 का दिन बहुत ही यादगार है क्योंकि इस दिन मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म हुआ था। महात्मा गांधी ने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए ब्रिटिश शासन में एक बहुत ही ना भूलने वाली भूमिका निभाई थी। इनकी शिक्षा की बात की जाए तो इन्होंने पहले पोरबंदर से ही शिक्षा हासिल की थी। फिर बाद में गांधीजी उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड चले गए थे। 

इस तरह से इंग्लैंड में उन्होंने वकालत की पढ़ाई की और उसके बाद जब यह भारत लौटे तो उन्होंने भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराने के लिए सत्याग्रह आंदोलन चलाया। इसके अलावा भी गांधी जी ने और भी बहुत से आंदोलन चलाए थे। इसके चलते फिर 15 अगस्त 1947 को हमारे देश भारत को आजादी मिल गई थी। लेकिन बहुत अफसोस की बात है कि 30 अक्टूबर 1948 को गांधीजी की गोली लगने से मृत्यु हो गई थी। 

महात्मा गांधी पर निबंध 250 शब्दों में

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है और इन्हें बापू के नाम से भी पुकारा जाता है। गांधी जी ने भारत को आजाद कराने के लिए बहुत से आंदोलन चलाए थे जिनके परिणामस्वरूप भारत को आजादी मिल सकी। बापू ने भारत में मैट्रिक तक की पढ़ाई की थी और उसके बाद वह आगे की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए थे। इंग्लैंड से महात्मा गांधी जब वकील बन कर वापस भारत आए तो उन्होंने भारत की स्थिति को देखा। उन्होंने यह फैसला कर लिया कि वह अपने देश को अंग्रेजो की गुलामी से आजाद करवा कर रहेंगे। 

महात्मा गांधी बहुत ही बेहतरीन राष्ट्रवाद नेता थे जिन्होंने अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया। बापू जी के इतने बड़े योगदान की वजह से ही उन्हें भारत के इतिहास में इतना ज्यादा महत्व दिया गया है। हर साल 2 अक्टूबर के दिन पूरे भारत में महात्मा गांधी का जन्मदिन बहुत बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। यह दिन गांधी जयंती के नाम से प्रसिद्ध है।

सभी स्कूलों में और शिक्षा संस्थानों में बच्चों को विशेषतौर से महात्मा गांधी के जीवन से प्रेरित किया जाता है, ताकि वे भी उनके जैसे योग्य इंसान बन सकें। भारत देश को आजाद कराने वाले महान गांधी जी को नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को गोली मार दी थी जिसकी वजह से बापू जी की मृत्यु हो गई थी। ऐसे महान व्यक्ति की मृत्यु होने पर पूरा देश बहुत ही ज्यादा सदमे में चला गया था। 

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में

मोहनदास करमचंद गांधी एक बहुत ही महान व्यक्ति थे जिनकी महानता से भारत के ही नहीं बल्कि विदेशों के लोग भी बहुत ज्यादा प्रेरित रहते थे। अगर इनके जन्म की बात की जाए तो देश के राष्ट्रपिता का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात में स्थित पोरबंदर में हुआ था। यह अपने पिता करमचंद गांधी और माता पुतलीबाई गांधी की चौथी और सबसे आखिरी संतान थे। 

गांधीजी की शुरुआती शिक्षा 

गांधीजी की शुरुआती शिक्षा उनके जन्म स्थान पोरबंदर में ही हुई थी। जानकारी के लिए बता दें कि महात्मा गांधी एक बहुत ही साधारण से विद्यार्थी थे और यह बहुत ही कम बोला करते थे। इन्होंने मैट्रिक की परीक्षा मुंबई यूनिवर्सिटी से की थी फिर बाद में यह उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए विदेश चले गए थे। वैसे तो गांधीजी का सपना डॉक्टर बनने का था लेकिन क्योंकि वो एक वैष्णव परिवार से संबंध रखते थे इसलिए उन्हें चीर-फाड़ करने की आज्ञा नहीं थी। इसलिए इन्होंने वकालत में अपनी शिक्षा पूरी की। 

गांधी जी का विवाह 

जिस समय गांधी जी की उम्र सिर्फ 13 साल की थी उस समय इनका विवाह कस्तूरबा देवी से कर दिया गया था जोकि पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री थी। गांधीजी विवाह के समय स्कूल में पढ़ा करते थे। 

गांधीजी का राजनीति में प्रवेश 

जिस समय गांधी जी दक्षिण अफ्रीका में थे उस समय भारत में स्वतंत्रता आंदोलन की लहर चल रही थी। सन् 1915 की बात है जब गांधी जी भारत लौटे थे तो उस वक्त कांग्रेस पार्टी के सदस्य श्री गोपाल कृष्ण गोखले ने बापू से कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के लिए कहा था। उसके बाद फिर गांधी जी ने कांग्रेस में अध्यक्षता प्राप्त करने के बाद पूरे भारत की भ्रमण यात्रा की। उसके बाद फिर गांधी जी ने पूरे देश की बागडोर को अपने हाथों में लेकर संपूर्ण देश में एक नए इतिहास की शुरुआत की। इसी दौरान जब 1928 में साइमन कमीशन भारत आया तो ऐसे में गांधी ने उसका खूब डटकर सामना किया। तरह से लोगों को बहुत ज्यादा प्रोत्साहन मिला और जब गांधी जी ने नमक आंदोलन और दांडी यात्रा निकाली तो उसकी वजह से अंग्रेज बुरी तरह से घबरा गए। 

महात्मा गांधी ने देश भर के लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किया कि वे अपने स्वदेशी सामान को इस्तेमाल करें। बता दें कि गांधीजी ने जितने भी आंदोलन किए वे सभी आंदोलन अहिंसा से दूर थे। परंतु फिर भी उन्हें नमक आंदोलन की वजह से जेल तक भी जाना पड़ गया था। लेकिन गांधीजी ने अपना संघर्ष जारी रखा और अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए उन्होंने आखिरकार 15 अगस्त 1947 को भारत को आजाद करवा लिया। 

गांधी जी की मृत्यु 

देश के बापू महात्मा गांधी की 30 जनवरी 1948 को बिरला भवन के बगीचे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। बापू के सीने में नाथूराम विनायक गोडसे ने तीन गोलियां चलाई थी‌। मरते समय उनके मुंह से हे राम निकला था। इस तरह से 78 साल में देश के राष्ट्रपिता इस दुनिया को छोड़ कर चले गए। लेकिन उनके आदर्शों और उनकी बातों का आज भी लोग बहुत ज्यादा सम्मान करते हैं। 

  • 10 Lines About Mahatma Gandhi in Hindi
  • क्रांतिकारी महिलाओं के नाम
  • 10 Lines on A.P.J. Abdul Kalam in Hindi

दोस्तों यह थी हमारी आज की पोस्ट जिसमें हमने आपको महात्मा गांधी पर निबंध 100, 150, 250, 500 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) बताया। हमने महात्मा गांधी पर निबंध कम शब्दों में और अधिक शब्दों में बताया है जिससे कि आप अपनी जरूरत के अनुसार निबंध लिख सकें। हमें पूरी आशा है कि महात्मा गांधी पर निबंध आपके लिए अवश्य उपयोगी रहा होगा। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो हमारे इस लेख को उन लोगों के साथ भी शेयर करें जो महात्मा गांधी पर निबंध ढूंढ रहे हैं। 

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Mahatma Gandhi essay in Hindi | महात्मा गाँधी पर निबंध 200, 300, 500 और 1000 word मे

Mahatma Gandhi essay in Hindi

Mahatma Gandhi essay in Hindi : महात्मा गांधी भारत के राष्ट्रपिता और एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होने सत्य और अहिंसा के सिद्धांत पर कई आंदोलन चलाए थे। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी ( Mohandas Karamchand Gandhi ) था, जिनका जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी ने अहिंसा के मार्ग पर चलकर भारत को ब्रिटिश शासन (अंग्रेजों) से आजाद कराया था।

गांधी जी एक महान विचारक और समाज सुधारक भी थे, जिन्होने सामाजिक कुरितियों जैसे जातिवाद, छुआछुत और बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाई थी। इसके अलावा उन्होने स्वदेशी आंदोलन का भी नेतृत्व किया था। ऐसे महान व्यक्ति के बारे में आपको जरूर पढ़ना चाहिए।

स्कूलों में अक्सर Mahatma Gandhi Essay in Hindi में लिखने के लिए कहा जाता है। इसलिए मैं आपको महात्मा गाँधी पर निबंध 200, 300, 500 और 1000 word मे लिखकर दूंगा, जिससे निबंध प्रतियोगिता में बहुत अच्छे अंक ला सकते है।

महात्मा गांधी पर निबंध – Mahatma Gandhi essay in Hindi

महात्मा गांधी, जिन्हें भारत में “ बापू ” या “ राष्ट्रपिता ” के नाम से भी जाना जाता है, वे भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और महान विचारक थे। उन्होंने अहिंसा, सत्य और प्रेम के सिद्धांतों के आधार पर भारत को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने इंग्लैंड में कानून (वकालत) की पढ़ाई की और फिर भारत लौटने के बाद एक वकील के रूप में काम किया। 1893 में, वे दक्षिण अफ्रीका चले गए, जहां उन्होंने भारतीय समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी थी।

1915 में भारत लौटने के बाद, गांधी जी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने भारत में कई महत्वपूर्ण आंदोलनों का नेतृत्व किया था, जिनमें दांडी यात्रा, सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन शामिल थें।

महात्मा गांधी के सफल आंदलनों की वजह से ब्रिटिश शासन काफी कमजोर हुआ, और अंतत: 1947 में  उन्हे भारत छोड़ना पड़ा। इस तरह भारत को अंग्रेजों से आजादी दिलाने में गांधी जी का काफी योगदान था। गांधी जी एक महान सत्य और अहिंसा प्रचारक थे, जिन्होने अपनी पूरी जिंदगी में इन सिद्धांतों का पालन किया और दुनिया भर के लोगों को भी प्रेरित किया।

महात्मा गांधी पर निबंध 300 शब्दों में – Gandhi Jayanti per Nibandh Hindi

प्रस्तावना.

महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व वाले व्यक्ति है जिन्हे भारत में “बापू” या “राष्ट्रपिता” के रूप में जाना जाता है। गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 में भारत के पोरबंदर स्थान पर हुआ था। उन्होने अपनी पूरी जिंदगी में केवल अहिंसा और सत्य के सिद्धांतो पर कार्य किया।

गांधी जी भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे, जिनका भारत की आजादी में काफी बड़ा योगदान रहा है। उन्होने काफी सारे सफल आंदोलनों का नेतृत्व किया हैं।

महात्मा गांधी का जीवन

गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था, जिनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतली बाई था। गांधी जी ने प्रारंभिक जीवन में हिंदू शिक्षा प्राप्त की, जिसमें उन्होने संस्कृत, हिंदी और गुजराती भाषाओं का अध्ययन किया।

1888 में, गांधी जी कानून की पढ़ाई के लिए लंदन गए, जहां पढ़ाई पूरी करने के बाद वे दक्षिण अफ्रीका में एक भारतीय कंपनी में काम करने गए। वहां पर उन्होने भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव पर एक सफल आंदोलन किया।

इसके बाद गांधी जी 1915 में भारत लौटे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का नेतृत्व संभाला। और फिर गांधी जी ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए काई आंदोलनों का नेतृत्व किया, जैसे- सविनय अवज्ञा आंदोलन, दांडी यात्रा, भारत छोड़ो आंदोलन आदि।

महात्मा गांधी राष्ट्रपिता के रूप में

महात्मा गांधी को भारत के राष्ट्रपिता का दर्जा दिया गया है, क्योंकि उन्होने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में काफी बड़ा योगदान दिया था, और इसके अलावा उन्होने भारत को अहिंसा, सत्य और प्रेम की शिक्षा भी दी है।

उपसंहार

महात्मा गांधी काफी महान व्यक्ति थे, जिन्होने भारत देश को आजादी दिलाने में काफी बड़ा योगदान दिया। इसके अलावा भारत को एक स्वतंत्र, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में स्थापित किया। उन्होने पूरे विश्व में लोगों के बीच समानता और भाईचारे को बढ़ावा देने की शिक्षा। और एक सादा और स्वेदशी जीवन जीने का उदाहरण प्रस्तुत किया।

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में

महात्मा गांधी काफी एक बहुत ही महान पुरुष थे जिन्होने पूरे विश्व को अहिंसा, सत्य और प्यार का पाठ पढ़ाया था। गांधी जी के इन्ही सिद्धांतों की वजह से उन्हे केवल भारत में ही नही बल्कि पूरे संसार में महान पुरुष माना जाता है।

गांधी जी ने काफी सारे शांतिपूर्वक आंदोलन किए थे, जिसकी वजह से अंग्रेजो को भारत को छोड़ना पड़ा था। गांधी जी एक स्वतंत्रता सेनानी थे, और इसके साथ – साथ एक अच्छे समाज सुधारक भी थे। उन्होने अपनी पूरी जिंदगी में लोगों के बीच समानता और भाईचारा लाने का काम किया। उन्होने महिलाओं के अधिकारों, दलितों के अधिकारों और श्रमिकों के अधिकारों के लिए भी काम किया।

गांधी जी का परिवार

महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात में पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदा करमचंद गांधी है और इनके पिता का नाम करमचंद गांधी है। इसके अलाव इनकी माता का नाम पुतलीबाई है। गांधी जी अपने पिता की चौथी पत्नी की अंतिम संतान थे।

गांधी जी की माता अत्यधिक धार्मिक महिला थी, जिनकी दिनचर्या घर और मंदिर में बंटी हुई थी। इसके अलावा गांधी जी के पिता, करमचंद गांधी ब्रिटिश आधिपत्य के तहत पश्चिमी भारत की एक छोटी सी रियासत पोरबंदर के दिवान थे।

गांधी जी के परिवार में 4 बेटे और 13 पोते-पोतियां हैं। अगर आज के समय की बात करें तो उनके पोते-पोतियां और उनके 154 वंशज आज 6 देशों रह रहे हैं।

महात्मा गांधी की शिक्षा

गांधी जी ने प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से ही प्राप्त की थी, जहां उन्होंने संस्कृत, हिंदी और गुजराती भाषओं का अध्ययन किया। इसके बाद 1888 में गांधी जी कानून की पढ़ाई के लंदन गए। वे लंदन विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई पूरी करके दक्षिण अफ्रीका गए, जहां उन्होने एक भारतीय कंपनी में काम किया।

दक्षिण अफ्रीका में सक्रियता

जब गांधी जी दक्षिण अफ्रीका गए तब उन्होने देखा कि वहां भारतीय लोगों के साथ भेदभाव हो रहा है। वहां पर नस्लीय भेदभाव भी हो रहा था। उस समय महात्मा गांधी ने अहिंसा और सत्य के सिद्धातों से एक आंदोलन का नेतृत्व किया, जिससे दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों को भी अधिकार मिले।

स्वदेश आगमन

दक्षिण अफ्रीका में सफल आंदोलन करने के बाद गांधी जी 1915 में स्वदेश लौट आए। इसके बाद उन्होने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व संभाला और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को एक नयी दिशा दी। उन्होने अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों पर एक स्वतंत्रता आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसने ब्रिटिश शासन काफी प्रभावित किया।

गांधी जी ने भारत आने के बाद काफी सारे आंदोलन किए, और सभी आंदोलन अंहिसा और शांतिपूर्वक तरीके से किए थे, जिससे उनके अधिकतर सभी आंदोलन सफल हुए थे।

महात्मा गांधी का जीवन काफी शिक्षाप्रद था। उन्होने पूरे विश्व को कई शिक्षाएं दी, जैसे- अहिंसा, सत्य, सादगी, स्वदेश प्रेम, सेवा। गांधी जी की शिक्षाएँ दुनिया भर के लोगों के लिए प्रेरणाएं है, जिससे एक बेहतर और अधिक न्यायपूर्ण दुनिया बनायी जा सकती है। इसलिए हम सभी को महात्मा गांधी जी की शिक्षाओं को अपनाना चाहिए।

महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में – Mahatma Gandhi essay in 1000 Word

महात्मा गांधी ( Mahatma Gandhi ) एक अच्छे समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी और आध्यात्मिक नेता थे। इसी वजह से गांधी जी को भारत में “ राष्ट्रपिता” और “ बापू” के नाम से जाना जाता है। उन्होने काफी सारे अंदोलन किए थे, और सभी आंदोलन अहिंसा, सत्य और प्रेम के सिद्धांतों पर आधारित थे।

महात्मा गांधी जी का जन्म

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था, जो राजकोट राज्य के दिवान थे। और उनकी माता का नाम पुतली बाई था, जो एक धार्मिक गृहिणी थी। महात्मा गांधी जी अपने परिवार में सबसे छोटे थे।

महात्मा गांधी जी की शिक्षा

महात्मा गांधी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में ही प्राप्त की थी। उन्होने संस्कृत, हिंदी और गुजराती भाषाओं का अध्ययन किया था, और सा एक पारंपरिक हिंदू शिक्षा प्राप्त की। गांधी जी ने पुरस्कार और छात्रवृत्तियां भी जीती।

गांधी जी की तेरह वर्ष में पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा के साथ विवाह करवा दिया गया था, जब वे स्कूल में पढ़ते थे। युवा अवस्था में गांधी जी ने 1887 में जैसे-तैसे ‘मुबंई यूनिवर्सिटी’ की मैट्रिक की परीक्षा पास की और भावनगर स्थित ‘सामलदास कॉलेज’ में दाखिला लिया।

गांधी जी एक डॉक्टर बनना चाहते थे, लेकिन वैष्णव परिवार में चीर-फाड़ की इजाजत नही थी, इसलिए उन्हे बैरिस्टर (कानून) की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड जाना पड़ा।

महात्मा गांधी जी की विदेश यात्रा

सितंबर 1888 में, गांधी जी लंदन (इंग्लैंड) पहुंच गए। वहां पर उन्होने चार लॉ कॉलेज में से एक ‘इनर टेंपल’ कानून महाविद्यालय में प्रवेश लिया। उन्होने 1890 में, लंदन विश्वविद्यालय में मैट्रिक की परीक्षा दी।

गांधी जी ने अपनी लॉ की पढ़ाई को काफी गंभीरता से लिया। उन्होने लंदन में शाकाहारी रेस्तरां के लिए हड़ताल भी की थी। गांधी जी लंदन वेजिटेरियन सोसाइटी में कार्यकारी समिति के सदस्य बने थे।

दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह आंदोलन

महात्मा गांधी थोड़े समय के लिए इंग्लैंड से भारत आए थे, तब वे अब्दुल्ला के चचेरे भाई के लिए वकील बनने के लिए दक्षिण अफ्रीका चले गए, जो दक्षिण अफ्रीका के शिपिंग व्यापारी थे। लेकिन वहां उन्होने देखा कि वहां पर भारतीय लोगों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।

गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में एक सत्याग्रह आंदोलन चलाया ताकि वहां रहने वाले भारतीयों को न्यायपूर्ण अधिकार मिले। यह सत्याग्रह आंदोलन अफ्रीका में सात वर्षों से अधिक समय तक चला। इसमें उतार-चढ़ाव आते रहे, लेकिन गांधी जी के नेतृत्व में सभी भारतीय अल्पसंख्यकों के छोटे से समुदाय ने संघर्ष जारी रखा।

अंतत: दक्षिण अफ्रीका में सभी भारतीयों को न्यायपूर्ण अधिकार मिले।

महात्मा गांधी द्वारा किए गए आंदोलन

दक्षिण अफ्रीका में सफल आंदोलन करने के बाद गांधी जी सन् 1914 में भारत लौट आए। उस समय सभी देशवासियों ने गांधी जी को महात्मा कहकर पुकारना शुरू कर दिया। इसके बाद गांधी जी ने चार वर्ष बारतीय स्थिति का अध्ययन किया।

गांधी जी ने भारत में कई आंदोलनों का सफल नेतृत्व किया था।

1. चंपारण सत्याग्रह आंदोलन

चंपारण सत्याग्रह आंदोलन महात्मा गांधी के नेतृत्व में 1917 में बिहार के चंपारण जिले में शुरू हुआ था। यह आंदोलन ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ आम जनता के अहिंसक प्रतिरोध पर आधारित था।

2. खेड़ा आंदोलन

एक बार गुजरात का एक गांव काफी बुरी तरह से बाढ़ की चपेट में आ गया था, तो स्थानीय किसानों ने कर माफी के लिए शासकों से अपील की। लेकिन शासकों ने उनकी अपील को नही स्वीकारा। इसके बाद गांधी जी ने खेड़ा आंदोलन शुरू किया गया, जिसकी वजह से 1918 में सरकार ने अकाल समाप्ति तक राजस्व कर के भुगतान की शर्तों पर ढील दी।

3. रॉलेट ऐक्ट के विरुद्ध आंदोलन

अंग्रेजों ने भारत में उठ रही आजादी की आवाज को दबाने के लिए 1919 में एक रॉलेट ऐक्ट लगाया था, जिसे काले कानून के नाम से भी जाना जाता था। इस ऐक्ट से ब्रिटिश सरकार किसी भी भारतीय व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती थी।

उस समय महात्मा गांधी के नेतृत्व में रॉलेट ऐक्ट के विरोध हुए आंदोलन में पूरा देश शामिल हुआ था।

4. असहयोग आंदोलन

असहयोग आंदोलन काफी महत्वपूर्ण आंदोलन है, जो महात्मा गांधी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में 1920 में शुरू किया गया था। इस आंदोलन से सभी भारतीयों में स्वतंत्रता के लिए एक नई जागृति पैदा हुई। इस आंदोलन का उद्देश्य था कि ब्रिटिश स्रकार से राष्ट्र के सहयोग को वापिस लेना।

5. नमक सत्याग्रह आंदोलन

महात्मा गांधी के सभी आंदोलनों में से एक सबसे महत्वपूर्ण आंदोलन यह भी था। यह आंदोलन 12 मार्च 1930 में साबरमती आश्रम जो कि अहमदाबाद में है, से शुरू हुआ, और दांडी गांव तक 24 दिनों तक पैदल मार्च के रूप में चला। यह आंदोलन ब्रिटिश राज के एकाधिकार के खिलाफ आंदोलन था।

6. दलित आंदोलन

महात्मा गांधी एक अच्छे समाज सुधारक भी थे, जिन्होने देश में फैल रहे छुआछुत के विरोध में 8 मई 1933 को आंदोलन शुरू किया था। इस आंदोलन ने पूरे देश में काफी हद तक छुआछुत को कम किया था। इसके बाद गांधी जी ने 1932 में छुआछुत विरोधी लीग की स्थापना की थी।

7. भारत छोड़ो आंदोलन

महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ 1942 में एक बहुत बडा आंदोलन छेड़ा, जिसका नाम, भारत छोड़ो आंदोलन था। इस आंदोलन से गांधी जी ने अंग्रेजो को भारत छोड़ने पर मजबुर किया। इसके साथ ही गांधी जी ने एक सामूहिक नागरिक अवज्ञा आंदोलन करो या मरो भी शुरू किया, जिससे इस आंदोलन को और मजबूती मिली।

इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार की हुकूम को काफी कमजोर कर दिया था।

महान बलिदान

भारत छोड़ो आंदोलन के बाद बाद ब्रिटिश हुकूमत काफी कमजोर हुई और अंतत: 1947 में पूरा भारत स्वतंत्र हो गया। लेकिन गांधी जब तक जिंदी थे, तब तक देश के उद्धार के लिए काम करते रहे। गांधी जी ने हिंदु और मुस्लिम एकता का अभियान शुरू किया था, लेकिन इससे कुछ लोग खुश नही थे।

30 जनवरी, 1948 को दिल्ली के बिरला भवन में सभा के समय नाथूराम गोड़से ने मौका देखकर गांधी जी को गोली मार दी। हालांकि गांधी जी के मरने के बाद भी उनके आदर्श और उपदेश हमेशा जिंदा है।

महात्मा गांधी सच में एक महान पुरुष थे, जिन्होने अच्छी तरह से स्वतंत्र सेनानी और समाज सेवक का रोल निभाया। गांधी जी ने शांति और अहिंसा के आधार पर आंदोलन किया और अंग्रेजो को भारत छोड़ने पर मजबूर किया।

महात्मा गांधी सिर्फ एक नाम नही बल्कि पूरे विश्व पटल पर शांति और अहिंसा का प्रतीक है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी वर्ष 2007 से गांधी जयंती पर ‘विश्व अहिंसा दिवस’ के रूप मनाने की घोषणा की।

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mahatma gandhi essay hindi mai

महात्मा गांधी पर निबंध | Mahatma Gandhi Essay in Hindi

महात्मा गांधी पर निबंध, 200, 250, 300, 500, 1000 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay in Hindi, 200, 250, 300, 500, 1000 words, Mahatma Gandhi Par Nibandh Hindi Mein)

Mahatma Gandhi Essay in Hindi – मोहनदास करमचन्द गांधी एक ऐसे महान पुरुष थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र की सेवा और मानव कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था. गांधी जी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे और उनकी ख्याति न केवल अपने देश में बल्कि पुरे संसार में भी फैली हुई थी. गांधी का कहना था कि सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने से ही भारत को स्वतंत्र किया जा सकता है, और इसी अटूट विश्वास के फलस्वरूप उन्हें जनता का भरपूर समर्थन प्राप्त हुआ. गांधी जी ने भारत की आजादी के लिए यही रास्ता चुना और वे किसी भी तरह की अहिंसक कार्रवाई के घोर विरोधी थे.

गांधी जी ने आखिरकार सत्य और अहिंसा को अपने हथियार के रूप में इस्तेमाल करके कई वर्षों तक ब्रिटिश हुकूमत के अधीन रहे भारत देश को आजाद कराया. भारत में अंग्रेजों द्वारा भारतीय जनता पर अत्याचार किए जा रहे थे और निर्बलों तथा रक्षाहीनों का पूंजीवादी शोषण अपने चरम पर था. गांधीजी को इन सभी कारकों के परिणामस्वरूप राजनीति में प्रवेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि उन्होंने मानवता को अपने धर्म के रूप में देखा था.

गांधीजी का कहना था, मैं तब तक धार्मिक जीवन व्यापन नहीं कर सकता जब तक कि मैं खुद को पूरी मानवता के साथ आत्मसात नहीं कर लेता और मैं इसे तब तक पूरा नहीं कर सकता जब तक मैं राजनीति में नहीं आता. राजवैद्य जीवराम कालिदास ने साल 1915 में पहली बार गांधी जी के लिए “महात्मा” की उपाधि का प्रयोग किया. था. चूंकि उन्होंने देश की स्वतंत्रता में सबसे बड़ा योगदान दिया, इसलिए महात्मा गांधी को भारतीय लोग भगवान के रूप में पूजते हैं, जो उन्हें बापू के रूप में संदर्भित करते हैं. आज के इस आर्टिकल में हम आपको महात्मा गाँधी पर निबंध ( Mahatma Gandhi Essay in Hindi ) बताने जा रहे है.

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

Table of Contents

महात्मा गांधी पर निबंध (Short and Long Essay on Mahatma Gandhi in Hindi)

महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (mahatma gandhi essay in hindi 200 words).

महात्मा गांधी का जन्म पश्चिम भारत (अब का गुजरात) में 2 अक्टूबर वर्ष 1869 को हुआ. इनकी माँ का नाम पुतलीबाई और पिता का नाम करमचंद गाँधी था. गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद्र गाँधी था था. इनके पिता काठियावाड़ की रियासत के दीवान हुआ करते थे. माता की आस्था और स्थानीय जैन रीति-रिवाजों के फलस्वरूप गांधीजी के जीवन पर इस धर्म का गहरा प्रभाव पड़ा. 13 साल की उम्र में गांधी जी का विवाह कस्तूरबा से हुआ था.

गांधी जी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर से पूरी हुई, इसके बाद वे राजकोट और अहमदाबाद गए जहां से उन्होंने आगे की पढ़ाई पूरी की। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह लंदन चले गए जहां से उन्होंने कानून की डिग्री हासिल की.

  • नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जीवन परिचय
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महात्मा गांधी का सोचना था कि  भारतीय शिक्षा को संचालित करने के लिए सरकार नहीं, बल्कि समाज को जागरूक होना चाहिए. इस वजह से महात्मा गांधी ने एक बार भारत की शिक्षा को “द ब्यूटीफुल ट्री” से संबोधित किया था. उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अद्वितीय योगदान दिया. इनका कहना और सपना था कि देश का प्रत्येक नागरिक शिक्षित हो. और “शोषण विहिन समाज की स्थापना” करना गांधीजी का मूल मंत्र था.

महात्मा गांधी पर निबंध 250 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay In Hindi 250 Words)

हमारे देश भारत की आजादी के लिए लड़ने वाले महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ. गांधीजी की माता पुतलीबाई और पिता करमचंद गांधी थे. मोहनदास करमचंद्र गांधी को  ज्यादातर लोग बापू या राष्ट्रपिता के रूप में संदर्भित करते हैं. इस बात का कोई निश्चित रिकॉर्ड नहीं है कि शुरू में महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में किसने संदर्भित किया था, लेकिन साल 1999 में गुजरात के उच्च न्यायालय के समक्ष जस्टिस बेविस पारदीवाला द्वारा लाए गए एक मामले के परिणामस्वरूप, रवींद्रनाथ टैगोर ने सबसे पहले सभी टेस्टबुक में गांधीजी को फादर ऑफ नेशन कहा, और इसके बाद यह आदेश जारी किया.

गांधी जी जब विदेश से वकालत की पढाई करके लौटे तब भारत में अंग्रेजी हुकूमत का राज था. इस अंग्रेजी हुकूमत की नीवं की उखाड़ फैकने के लिए महात्मा गांधी जी ने कई क्रांतिकारी लड़ाई लड़ी. देश को आजादी दिलाने के लिए स्वराज और नमक सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा आंदोलन, असहयोग आंदोलन, दाढ़ी मार्च, स्वतंत्रता और भारत का विभाजन और भारत छोड़ो आंदोलन निकाले गए.

अंत में महात्मा गांधी के नेतृत्व और कई प्रयासों के कारण भारत को आजादी मिली. गांधी जी ने भारत की आजादी के लिए सत्य और अहिंसा का रास्ता चुना. महात्मा गांधी से पहले भी लोग सत्य और अहिंसा के बारे में जानते थे, परन्तु गांधी जी ने जिस प्रकार शान्ति और अहिंसा के मार्ग पर चलकर सत्याग्रह किया, उससे अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश होना पड़ा. गांधी जी का जीवन सादगी पूर्ण था. वे स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल पर जोर देते थे और हमेशा सफेद वस्त्र धारण करते थे.

महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में (Mahatma Gandhi Essay In Hindi 500 Words)

भारत की आजादी में महात्मा गांधी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने अपने लौह मन वाले देश की जनता को 200 साल से भी ज्यादा समय से चली आ रही ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलाई.

महात्मा गाँधी द्वारा किये गये आंदोलन

नीचे हम आपको महात्मा गांधी द्वारा किए गए आंदोलन के बारे में बताने जा रहे हैं-

चंपारण सत्याग्रह आंदोलन – साल 1917 में महात्मा गांधीजी के निर्देशन में बिहार के चंपारण क्षेत्र में सत्याग्रह आंदोलन हुआ. इसे चंपारण का सत्याग्रह भी कहा जाता है. यह गांधी के नेतृत्व में भारत में प्रारंभिक सत्याग्रह आंदोलन था. गांधी ने किसान आंदोलन के दौरान भारत में पहला सफल सत्याग्रह प्रयोग किया. यह आंदोलन नील उत्पादकों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ था, जो एक जबरदस्त और सफल आंदोलन बन गया.

खेड़ा आंदोलन – यह आंदोलन भी किसान से जुड़ा आंदोलन था। जब गुजरात के एक गाँव खेड़ा में बाढ़ आई, तो स्थानीय किसानों ने अधिकारियों से करों (टैक्स) को माफ़ करने के लिए गुहार लगाई. इसे लेकर गांधी जी ने हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत की. और किसानों ने कर न देने का संकल्प लिया. साथ ही किसानों ने सामाजिक बहिष्कार का आयोजन किया. परिणामस्वरूप वर्ष 1918 में सरकार ने अकाल के अंत तक राजस्व कर संग्रह की शर्तों में ढील दी.

रॉलेट एक्ट का   विरोध – अंग्रेजी सरकार ने साल 1919 में बढ़ते आंदोलनों के भीतर स्वतंत्रता की बढ़ती आवाज को दबाने के लिए रॉलेट एक्ट लाया गया. इसे काला कानून भी कहा जाता है. इस एक्ट के अंतर्गत वायसराय कुछ कामों की छुट मिल गई जिसमे किसी भी राजनेता को किसी भी पल गिरफ्तार करने और बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार किया जा सकता है. गांधी के रहते हुए भारत की जनता ने इस एक्ट का पुनर्जोर विरोध किया.

असहयोग आंदोलन – गांधी जी और कांग्रेस के नेतृत्व में साल 1920 में असहयोग आंदोलन शुरू किया गया. गांधीजी का सोचना था कि ब्रिटिश हुकूमत में निष्पक्ष न्याय प्राप्त करना असंभव था, इसलिए उन्होंने ब्रिटिश सरकार से देश के सहयोग को हटाने के लिए असहयोग आंदोलन की योजना बनाई. इस आंदोलन ने देश की आजादी में एक नया जीवन प्रदान किया.

नमक सत्याग्रह – नमक सत्याग्रह को दांडी सत्याग्रह और दांडी मार्च के रूप में जाना जाता है. साल 1930 में जब अंग्रेजी हुकूमत ने नमक टैक्स लगाया तो महात्मा गांधी ने इस कानून के विरोध में यह आंदोलन शुरू किया. गांधी सहित 78 लोग अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से 390 किलोमीटर पैदल चलकर दांडी के तटीय गांव पहुंचे. यह यात्रा 12 मार्च को शुरू हुई और 6 अप्रैल, 1930 तक चली. कुल 24 दिनों तक चली इस यात्रा में हाथों पर नमक प्राप्त करके नमक-विरोधी नियम का उल्लंघन करने का आह्वान किया गया.

दलित आंदोलन – 8 मई, 1933 को, महात्मा गांधी ने छुआछूत की व्यापक प्रथा के विरोध में दलित आंदोलन शुरू किया. इस आंदोलन ने देश को इस हद तक प्रभावित किया कि छुआछूत काफी हद तक समाप्त हो गया. गांधी जी ने इससे पहले साल 1932 में अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की भी स्थापना की थी.

भारत छोड़ो आंदोलन – साल 1942 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के बॉम्बे सत्र के दौरान गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी. यह आंदोलन ब्रिटिश प्रभुत्व के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ. इस आंदोलन के कारण अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर विवश होना पड़ा.

महात्मा गांधी पर निबंध 10 लाइन (10 Lines on Mahatma Gandhi in Hindi)

  • गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है.
  • गांधी जी का जन्म गुजरात के पोरबंदर जिले में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था.
  • इनकी माँ का नाम पुतलीबाई और पिता का नाम करमचंद गांधी था.
  • इनके पिता एक दीवान थे और माँ जैन धर्म के प्रति सद्भावना थी.
  • सिर्फ 13 साल की उम्र में इनका विवाह कस्तूरबा के साथ हुआ.
  • स्कूल और कॉलेज की पढाई भारत से और कानून की पढाई लंदन से पूरी की.
  • देश की आजादी के दौरान पहला आंदोलन चम्पारण था.
  • गांधी जी देश के राष्ट्रपिता के साथ साथ राजनीतिक और समाज सुधारक भी थे.
  • गांधीजी द्वारा निर्मित प्रथम ‘सत्याग्रह आश्रम’ मौजूदा समय में एक राष्ट्रीय स्मारक है.
  • गांधी जी के जीवन में तीन मूल मन्त्र – सत्य, अहिंसा और ब्रम्हचर्य.

निष्कर्ष – आज के इस आर्टिकल में हमने आपको बताया महात्मा गाँधी पर निबंध ( Mahatma Gandhi Essay in Hindi ). उम्मीद करते है आपको यह जानकरी जरूर पसंद आई होगी.

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महात्मा गांधी Essay | Mahatma Gandhi पर हिन्दी में निबंध

महात्मा गांधी Essay | Mahatma Gandhi पर हिन्दी में निबंध

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  • Essays in Hindi /

Mahatma Gandhi Essay – छात्रों के लिए महात्मा गांधी पर निबंध

mahatma gandhi essay hindi mai

  • Updated on  
  • अगस्त 10, 2024

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

भारत के स्वतंत्रता सेनानी और बापू के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने अंग्रेज़ों की गुलामी से भारत को आज़ाद कराने के लिए अपना पूरा जीवन दे दिया। आज़ादी के लिए उन्होंने चंपारण, खेड़ा, आंदोलन, नमक आंदोलन और भारत छोड़ो सहित कई आंदोलन किए। स्वतंत्रता में योगदान और उनके बारे में बच्चों को जानकारी रहे इसलिए महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) लिखने के लिए स्कूल में दिया जाता है और कई परीक्षाओं में गांधी जी के बारे में पूछा भी जाता है। इसलिए आपकी मदद के लिए इस ब्लॉग में 100, 200 और 500 शब्दों में महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) दिया गया है।

This Blog Includes:

महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में, महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में, महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में, गांधी जी के बारे में, महात्मा गाँधी द्वारा किए गए आंदोलन, महात्मा गांधी पर निबंध कैसे लिखें, महात्मा गांधी पर निबंध pdf, गाँधी के अनमोल विचार, महात्मा गांधी के बारे में रोचक तथ्य, महात्मा गांधी जी के सिद्धांत, प्रथा और विश्वास.

महात्मा गांधी पर 100 शब्दों में निबंध इस प्रकार है –

मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 02 अक्टूबर 1869 गुजरात के पोरबंदर गांव में हुआ था। गांधीजी का भारत की स्वतंत्रता में अहम योगदान था। गांधीजी हमेशा अहिंसा के रास्ते पर चलते थे, वे लोगों से आशा करते थे कि वे भी अहिंसा का रास्ता अपनाएं। 1930 दांडी यात्रा करके नमक सत्याग्रह किया था। लोग गांधीजी को प्यार से बापू कहते हैं। गांधीजी ने अपनी वकालत की पढ़ाई लंदन से पूरी की थी। बापू हिंसा के खिलाफ थे और अंग्रेजों के लिए काफी बड़ी मुश्किल बने हुए थे। आजादी में बापू के योगदान के कारण उन्हें राष्ट्रपिता का ओहदा दिया गया। बापू हमेशा साधारण सा जीवन जीते थे, वे चरखा चलाकर कर सूत कातते थे और उसी से बनी धोती पहना करते थे।

महात्मा गांधी पर निबंध

यह भी पढ़ें – महात्मा गांधी के जीवन की घटनाएं, जो देती हैं आगे बढ़ने का संदेश और प्रेरणा

महात्मा गांधी पर 200 शब्दों में निबंध इस प्रकार है –

2 अक्टूबर, 1869 को भारत के पोरबंदर में जन्में महात्मा गांधी का असली नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। जिन्हें महात्मा , गांधी जी, महान आत्मा और कुछ लोगों द्वारा उन्हें बापू के नाम से जाना जाता है। महात्मा गांधी वह नेता थे जिन्होंने 200 से अधिक वर्षों से भारतीय जनता को ब्रिटिश उपनिवेशवाद की बेड़ियों से भारत को मुक्त कराया था। बचपन से वह सामान्य ही रहे थे और उस समय किसी ने अनुमान नहीं लगाया होगा कि लड़का देश में लाखों लोगों को एक कर देगा और दुनिया भर में लाखों लोगों का नेतृत्व करेगा।

दूसरी तरफ स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए संघर्ष से लेकर आज तक और आगे के लिए भी उनका नाम इतिहास के पन्नों पर दर्ज है। महात्मा गांधी को उनकी अहिंसक, अत्यधिक बौद्धिक और सुधारवादी विचारधाराओं के लिए जाना जाता है। महान व्यक्तित्वों में माने जाने वाले, भारतीय समाज में गांधी का कद बेजोड़ है क्योंकि उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम का नेतृत्व करने के उनके श्रमसाध्य प्रयासों के लिए ‘राष्ट्रपिता’ के रूप में जाना जाता है। गांधी जी की शिक्षा का विचार मुख्य रूप से चरित्र निर्माण, नैतिक मूल्यों, नैतिकता और मुक्त शिक्षा पर केंद्रित था। वह इस बात की वकालत करने वाले पहले लोगों में से थे कि शिक्षा को सभी के लिए मुफ्त और सभी के लिए सुलभ बनाया जाना चाहिए, चाहे वह किसी भी वर्ग का हो।

500 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in Hindi इस प्रकार है –

महात्मा गांधी, जिन्हें बापू और राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक नेताओं में से एक थे। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था और उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी के पिता का नाम करमचंद उत्तमचंद गांधी था और वह राजकोट के दीवान रह चुके थे। गांधी जी की माता का नाम पुतलीबाई था और वह धर्मिक विचारों और नियमों का पालन करती थीं। कस्तूरबा गांधी उनकी पत्नी का नाम था वह उनसे 6 माह बड़ी थीं। कस्तूरबा और गांधी जी के पिता मित्र थे, इसलिए उन्होंने अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल दी। कस्तूरबा गांधी ने हर आंदोलन में गांधी जी का सहयोग दिया था।

गांधी जी ने अपनी शिक्षा इंग्लैंड में पूरी की, जहां से उन्होंने कानून की पढ़ाई की। वकील बनने के बाद, वे दक्षिण अफ्रीका गए, जहां उन्होंने भारतीय समुदाय के खिलाफ हो रहे नस्लीय भेदभाव का सामना किया और उनके जीवन में सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों का बीजारोपण हुआ।

दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए, गांधी जी ने सत्याग्रह का मार्ग अपनाया और अन्याय के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रतिरोध किया। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी और इस संघर्ष के दौरान उनके अंदर एक ऐसा नेतृत्व कौशल विकसित हुआ, जिसने उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक प्रमुख नेता के रूप में स्थापित किया। 1915 में भारत लौटने के बाद, गांधी जी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और अंग्रेजी शासन के खिलाफ अनेक आंदोलनों का नेतृत्व किया।

महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे महत्वपूर्ण आंदोलन हुए, जिनमें लाखों भारतीयों ने हिस्सा लिया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। 1920 में जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद गांधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की, जिसमें लोगों से अपील की गई कि वे ब्रिटिश सरकार की नौकरियों, विदेशी वस्त्रों, और संस्थानों का बहिष्कार करें। इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को हिला कर रख दिया और भारतीयों के मन में स्वतंत्रता के प्रति जागरूकता पैदा की।

1930 में गांधी जी ने नमक सत्याग्रह का नेतृत्व किया, जिसे दांडी मार्च के नाम से भी जाना जाता है। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के नमक कर के खिलाफ एक अहिंसक विरोध था। गांधी जी ने साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च किया और वहां समुद्र से नमक बनाकर ब्रिटिश कानून का उल्लंघन किया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश शासन की नींव को कमजोर कर दिया और यह स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण चरण बना।

गांधी जी का जीवन सादगी, आत्मसंयम, और मानवता की सेवा के लिए समर्पित था। वे समाज में व्याप्त छुआछूत और जातिगत भेदभाव के खिलाफ भी संघर्षरत रहे। उन्होंने दलितों के अधिकारों के लिए आवाज उठाई और समाज में समानता और समरसता की भावना को बढ़ावा दिया। 1932 में उन्होंने अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की और छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरुआत की। उनका उद्देश्य समाज से अस्पृश्यता को समाप्त करना और दलितों को समान अधिकार दिलाना था।

महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुए भारत छोड़ो आंदोलन ने ब्रिटिश शासन को यह संदेश दिया कि भारतीय अब और अधिक समय तक गुलामी में नहीं रह सकते। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 8 अगस्त 1942 को गांधी जी ने “करो या मरो” का नारा देते हुए इस आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन ने स्वतंत्रता संग्राम के अंतिम चरण की शुरुआत की और 1947 में भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई।

30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी, लेकिन उनके विचार और सिद्धांत आज भी दुनिया भर में प्रासंगिक हैं। गांधी जी ने हमें सत्य, अहिंसा, और सेवा का मार्ग दिखाया, जो आज भी हमें प्रेरणा देता है। उनकी जीवन यात्रा और उनके द्वारा किए गए संघर्ष, मानवता के इतिहास में एक उज्ज्वल अध्याय के रूप में सदैव याद किए जाएंगे।

यह भी पढ़ें – नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी को क्यों मारा?

महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में

महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में इस प्रकार है –

देश की आजादी में मूलभूत भूमिका निभाने वाले तथा सभी को सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले महात्मा गाँधी को सर्वप्रथम बापू कहकर, राजवैद्य जीवराम कालिदास ने 1915 में संबोधित किया। आज दशकों बाद भी संसार उन्हें बापू के नाम से पुकारता है। उनके द्वारा अपनाई गई सादगी, आत्मसंयम और संघर्ष की राह ने न केवल भारत को स्वतंत्रता दिलाई, बल्कि पूरी दुनिया को भी अहिंसक संघर्ष के महत्व से अवगत कराया। गांधी जी ने भारतीय समाज को एक नई दिशा दी, जिसमें उन्होंने देश के हर वर्ग, जाति और धर्म के लोगों को एकजुट कर उनके भीतर आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता का भाव जागृत किया। उनकी विचारधारा और आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक अद्वितीय अध्याय के रूप में दर्ज हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बने रहेंगे।

महात्मा गांधी, जिनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, एक महान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और अहिंसा के पुजारी थे। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक प्रमुख भूमिका निभाई और उन्हें “राष्ट्रपिता” के रूप में भी सम्मानित किया जाता है।

गांधी जी की शिक्षा इंग्लैंड में हुई, जहां से उन्होंने कानून की पढ़ाई की। वकील बनने के बाद वे दक्षिण अफ्रीका गए, जहां उन्होंने भारतीय समुदाय के खिलाफ हो रहे भेदभाव का सामना किया और यहीं से उनके जीवन में सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों का बीजारोपण हुआ। दक्षिण अफ्रीका में 21 साल बिताने के बाद, गांधी जी भारत लौटे और ब्रिटिश शासन के खिलाफ विभिन्न आंदोलनों का नेतृत्व किया।

गांधी जी के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण आंदोलनों का आयोजन किया गया, जिनमें असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन प्रमुख हैं। उनकी नीतियों में सत्य, अहिंसा, स्वदेशी, और आत्मनिर्भरता का महत्व था। गांधी जी ने भारतीय समाज को जाति-भेद, छुआछूत, और सामाजिक अन्याय के खिलाफ जागरूक किया और स्वतंत्रता संग्राम को एक नैतिक आधार प्रदान किया।

1947 में भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी गांधी जी ने सामाजिक समरसता और शांति की दिशा में काम जारी रखा। 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा उनकी हत्या कर दी गई, लेकिन उनके सिद्धांत और विचारधारा आज भी पूरी दुनिया में प्रेरणा का स्रोत हैं। गांधी जी का जीवन एक ऐसा मार्गदर्शक है, जो मानवता को सत्य, अहिंसा और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

महात्मा गांधी, जिन्हें बापू के नाम से भी जाना जाता है, ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय योगदान दिया। उनके नेतृत्व में किए गए विभिन्न आंदोलनों ने न केवल भारत को स्वतंत्रता की दिशा में अग्रसर किया, बल्कि दुनिया को भी अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी। महात्मा गांधी द्वारा किए गए ये आंदोलन न केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण अध्याय हैं, बल्कि वे दुनिया को सत्य और अहिंसा की ताकत का अहसास भी कराते हैं। गांधी जी के नेतृत्व में किए गए ये आंदोलन भारत की स्वतंत्रता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हुए और आज भी उनकी शिक्षाएं और आदर्श मानवता के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। यहां महात्मा गांधी द्वारा किए गए प्रमुख आंदोलनों का वर्णन किया गया है:

1. चंपारण सत्याग्रह (1917)

चंपारण सत्याग्रह महात्मा गांधी द्वारा भारत में किया गया पहला बड़ा आंदोलन था। यह बिहार के चंपारण जिले में हुआ, जहां ब्रिटिश ज़मींदार गरीब किसानों से जबरन नील की खेती करा रहे थे। इस अन्याय का सामना करने के लिए गांधी जी ने सत्याग्रह का मार्ग अपनाया, जिससे ब्रिटिश सरकार को नील की खेती के अत्याचार को समाप्त करने पर मजबूर होना पड़ा। यह आंदोलन भारतीय किसानों की पहली बड़ी जीत थी और गांधी जी के नेतृत्व को पूरे देश ने स्वीकारा।

2. असहयोग आंदोलन (1920-1922)

जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद, गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत की। इस आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश सरकार की नीतियों का विरोध करना और स्वराज की प्राप्ति करना था। गांधी जी ने लोगों से अपील की कि वे सरकारी नौकरियों, विदेशी वस्त्रों, और ब्रिटिश संस्थानों का बहिष्कार करें। लाखों भारतीयों ने इस आंदोलन में हिस्सा लिया, जिससे ब्रिटिश सरकार को भारी नुकसान हुआ। हालाँकि, चौरी चौरा कांड के बाद गांधी जी ने इस आंदोलन को वापस ले लिया, लेकिन इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ लाया।

3. नमक सत्याग्रह (दांडी मार्च, 1930)

महात्मा गांधी द्वारा चलाया गया नमक सत्याग्रह , जिसे दांडी मार्च के नाम से भी जाना जाता है, ब्रिटिश सरकार के नमक कर के खिलाफ एक अहिंसक विरोध था। 12 मार्च 1930 को गांधी जी ने साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिनों का पैदल मार्च किया और वहां समुद्र से नमक बनाकर ब्रिटिश कानून का उल्लंघन किया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश शासन की जड़ें हिला दीं और यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण पड़ाव बना।

4. दलित आंदोलन (1932)

महात्मा गांधी ने दलितों के अधिकारों के लिए भी संघर्ष किया। 1932 में उन्होंने अखिल भारतीय छुआछूत विरोधी लीग की स्थापना की और छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरुआत की। उनका उद्देश्य समाज से अस्पृश्यता को समाप्त करना और दलितों को समान अधिकार दिलाना था। इसके लिए उन्होंने उपवास और सत्याग्रह का सहारा लिया, जिससे भारतीय समाज में जागरूकता आई और दलितों के उत्थान के लिए कई सुधार किए गए।

5. भारत छोड़ो आंदोलन (1942)

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की, जिसका नारा था “करो या मरो”। इस आंदोलन का उद्देश्य भारत को ब्रिटिश शासन से तत्काल स्वतंत्रता दिलाना था। गांधी जी के इस आह्वान पर पूरे देश में लाखों लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को समझा दिया कि अब भारतीयों को अधिक समय तक गुलाम नहीं रखा जा सकता, और इसके बाद ही स्वतंत्रता के लिए अंतिम चरण की तैयारियां शुरू हुईं।

महात्मा गांधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े और भारत को आज़ादी दिलाई।

यह भी पढ़ें – महात्मा गांधी के सत्याग्रह पर निबंध

महात्मा गांधी पर एक अच्छा निबंध लिखने के लिए सरल और स्पष्ट भाषा का उपयोग करें, ऐतिहासिक तथ्यों और गांधी जी के विचारों को सटीक रूप से प्रस्तुत करें, निबंध में अनुच्छेदों के बीच तारतम्यता बनाए रखें, ताकि पूरा निबंध एक संगठित और प्रवाहयुक्त लगे। इसके अतिरिक्त कई बिंदु यहां दिए गए हैं, जिनका पालन करके आप Mahatma Gandhi Essay in Hindi लिख सकते हैं –

  • निबंध की शुरुआत महात्मा गांधी के परिचय से करें।
  • गांधी जी का पूरा नाम, जन्मतिथि, जन्मस्थान, और प्रमुख उपाधियां जैसे “राष्ट्रपिता” और “बापू” का उल्लेख करें।
  • उनके जीवन के प्रमुख उद्देश्यों और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनकी भूमिका का संक्षिप्त परिचय दें।
  • गांधी जी के प्रारंभिक जीवन के बारे में लिखें, जैसे उनके परिवार, बचपन, और शिक्षा का वर्णन करें।
  • इंग्लैंड में उनकी कानून की पढ़ाई और दक्षिण अफ्रीका में उनके संघर्ष का उल्लेख करें।
  • दक्षिण अफ्रीका में उनके जीवन के अनुभवों और कैसे वहां के नस्लीय भेदभाव ने उनके विचारों को प्रभावित किया, इस पर लिखें।
  • गांधी जी द्वारा चलाए गए प्रमुख आंदोलनों का वर्णन करें।
  • हर आंदोलन की शुरुआत, उद्देश्यों, और उसके परिणामों का विस्तार से वर्णन करें।
  • गांधी जी के अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों का उल्लेख करें।
  • गांधी जी के सामाजिक सुधारों पर प्रकाश डालें, जैसे छुआछूत विरोधी आंदोलन, दलित अधिकार, और महिला सशक्तिकरण।
  • गांधी जी की जीवनशैली, उनके विचार, और उनके प्रमुख सिद्धांत जैसे सत्य, अहिंसा, और स्वराज (आत्म-शासन) के बारे में लिखें।
  • उनके द्वारा चलाए गए स्वदेशी और ग्राम स्वराज के आंदोलनों का वर्णन करें।
  • 30 जनवरी 1948 को उनकी हत्या का उल्लेख करें और इस दुखद घटना के प्रभाव पर लिखें।
  • गांधी जी को विश्व में प्रेरणा स्रोत के रूप में कैसे देखा जाता है, इस के बारे में भी आप लिख सकते हैं।
  • निबंध का समापन महात्मा गांधी की शिक्षा और उनके सिद्धांतों के महत्व को रेखांकित करते हुए करें।
  • गांधी जी के जीवन से हमें क्या सीखने को मिलता है, और उनकी विचारधारा आज भी क्यों प्रासंगिक है, इसके बारे में लिखें।

महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में PDF Download

गांधी के अनमोल विचार (Gandhi Quotes in Hindi) जिन्हें आप अपने निबंध में शामिल कर सकते हैं –

आजादी का कोई अर्थ नहीं है यदि इसमें गलतियां करने की आजादी शामिल न हों। -महात्मा गांधी

डर शरीर का रोग नहीं है, यह आत्मा को मारता है। -महात्मा गांधी

उफनते तूफ़ान को मात देना है तो अधिक जोखिम उठाते हुए हमें पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़ना होगा। -महात्मा गांधी

ऐसे जिएं कि जैसे आपको कल मरना है और सीखें ऐसे जैसे आपको हमेशा जीवित रहना है । -महात्मा गांधी

आंख के बदले आंख पूरे विश्व को अंधा बना देगी। -महात्मा गांधी

यह भी पढ़ें – महात्मा गाँधी के अनमोल विचार

महात्मा गांधी के बारे में कुछ रोचक तथ्य यहां दिए हैं, जिसके बारे में Mahatma Gandhi Essay in Hindi लिखते समय विचार कर सकते हैं –

  • महात्मा गांधी की मातृ-भाषा गुजराती थी।
  • महात्मा गांधी ने राजकोट के अल्फ्रेड हाई स्कूल से पढ़ाई की थी।
  • महात्मा गांधी के जन्मदिन 2 अक्टूबर को ही अंतरराष्ट्रीय अंहिसा दिवस के रूप मे विश्वभर में मनाया जाता है।
  • वह अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे उनके दो भाई और एक बहन थी।
  • माधव देसाई, गांधी जी के निजी सचिव थे।
  • महात्मा गांधी की हत्या बिरला भवन के बगीचे में हुई थी।
  • महात्मा गांधी और प्रसिद्ध लेखक लियो टॉलस्टॉय के बीच लगातार पत्र व्यवहार होता था।
  • महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह संघर्ष के दोरान, जोहांसबर्ग से 21 मील दूर एक 1100 एकड़ की छोटी सी कालोनी, टॉलस्टॉय फार्म स्थापित की थी।
  • महात्मा गांधी का जन्म शुक्रवार को हुआ था, भारत को स्वतंत्रता भी शुक्रवार को ही मिली थी तथा महात्मा गांधी की हत्या भी शुक्रवार को ही हुई थी।
  • महात्मा गांधी के पास नकली दांतों का एक सेट हमेशा मौजूद रहता था।

यह भी पढ़ें – जानें भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ‘बापू’ से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

गांधी जी के बयानों, पत्रों और जीवन के सिद्धांतों, प्रथाओं और विश्वासों ने राजनीतिज्ञों और विद्वानों को आकर्षित किया है, जिसमें उन्हें प्रभावित किया है। कुछ लेखक उन्हें नैतिक जीवन और शांतिवाद के प्रतिमान के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जबकि अन्य उन्हें उनकी संस्कृति और परिस्थितियों से प्रभावित एक अधिक जटिल, विरोधाभासी और विकसित चरित्र के रूप में प्रस्तुत करते हैं, जिसकी जानकारी नीचे दी गई है:

  • सत्य और सत्याग्रह – गांधी ने अपना जीवन सत्य की खोज और पीछा करने के लिए समर्पित कर दिया, और अपने आंदोलन को सत्याग्रह कहा, जिसका अर्थ है “सत्य के लिए अपील करना, आग्रह करना या उस पर भरोसा करना”। एक राजनीतिक आंदोलन और सिद्धांत के रूप में सत्याग्रह का पहला सूत्रीकरण 1920 में हुआ, जिसे उन्होंने उस वर्ष सितंबर में भारतीय कांग्रेस के एक सत्र से पहले ” असहयोग पर संकल्प ” के रूप में पेश किया।
  • अहिंसा – हालांकि अहिंसा के सिद्धांत को जन्म देने वाले गांधी जी नहीं थे, वे इसे बड़े पैमाने पर राजनीतिक क्षेत्र में लागू करने वाले पहले व्यक्ति थे। अहिंसा की अवधारणा का भारतीय धार्मिक विचार में एक लंबा इतिहास रहा है, इसे सर्वोच्च धर्म माना जाता है। 
  • गांधीवादी अर्थशास्त्र – गांधी जी सर्वोदय आर्थिक मॉडल में विश्वास करते थे, जिसका शाब्दिक अर्थ है “कल्याण, सभी का उत्थान”। समाजवाद मॉडल की तुलना में एक बहुत अलग आर्थिक मॉडल था।
  • बौद्ध, जैन और सिख – गांधी जी का मानना ​​था कि बौद्ध, जैन और सिख धर्म हिंदू धर्म की परंपराएं हैं, जिनका साझा इतिहास, संस्कार और विचार हैं।
  • मुस्लिम – गांधी के इस्लाम के बारे में आम तौर पर सकारात्मक और सहानुभूतिपूर्ण विचार थे और उन्होंने बड़े पैमाने पर कुरान का अध्ययन किया। उन्होंने इस्लाम को एक ऐसे विश्वास के रूप में देखा जिसने शांति को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया, और महसूस किया कि कुरान में अहिंसा का प्रमुख स्थान है।
  • ईसाई – गांधी ने ईसाई धर्म की प्रशंसा की। वह ब्रिटिश भारत में ईसाई मिशनरी प्रयासों के आलोचक थे, क्योंकि वे चिकित्सा या शिक्षा सहायता को इस मांग के साथ मिलते थे कि लाभार्थी ईसाई धर्म में परिवर्तित हो जाए। सीधे शब्दों में समझें तो गांधीजी हर धर्म का सम्मान और विश्वास करते थे।
  • महिला – गांधी जी ने महिलाओं की मुक्ति का पुरजोर समर्थन किया, और “महिलाओं को अपने स्वयं के विकास के लिए लड़ने के लिए” आग्रह किया। उन्होंने पर्दा, बाल विवाह, दहेज और सती प्रथा का विरोध किया।
  • अस्पृश्यता और जातियां – गांधी जी ने अपने जीवन के शुरुआती दिनों में अस्पृश्यता के खिलाफ बात की थी। 
  • नई शिक्षा प्रणाली, बुनियादी शिक्षा – गांधी जी ने शिक्षा प्रणाली के औपनिवेशिक पश्चिमी प्रारूप को खारिज कर दिया।

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सादा जीवन, उच्च विचार।

महात्मा गांधी जी को भारत में राष्ट्रपिता के रूप में सम्मानित किया जाता है। स्वतंत्र भारत के संविधान द्वारा महात्मा को राष्ट्रपिता की उपाधि प्रदान किए जाने से बहुत पहले, नेताजी सुभाष चंद्र बोस ही थे।

गांधी की मां पुतलीबाई अत्यधिक धार्मिक थीं। उनकी दिनचर्या घर और मंदिर में बंटी हुई थी। वह नियमित रूप से उपवास रखती थीं और परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर उसकी सेवा सुश्रुषा में दिन-रात एक कर देती थीं।

गाँधी का मत था स्वराज का अर्थ है जनप्रतिनिधियों द्वारा संचालित ऐसी व्यवस्था जो जन-आवश्यकताओं तथा जन-आकांक्षाओं के अनुरूप हो।

इसका सूत्रपात सर्वप्रथम महात्मा गांधी ने 1894 ई. में दक्षिण अफ़्रीका में किया था।

महात्मा गांधी, मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से, (जन्म 2 अक्टूबर, 1869, पोरबंदर, भारत- मृत्यु 30 जनवरी, 1948, दिल्ली), भारतीय वकील, राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता, और लेखक जो अंग्रेजों के खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता बने।

महात्मा गांधी

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रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।

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Mahatma Gandhi Essay in Hindi

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Mahatma Gandhi Essay in Hindi: गांधी जी ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ और दक्षिण अफ्रीका में भारत के अहिंसक स्वतंत्रता आंदोलन के नेता थे जिन्होंने भारत देश वासियों के नागरिक अधिकारों की वकालत की थी। तो, आइये देखते हैं उनके जीवन की कुछ झलक, जिनसे हम सीख ले सकें.

Essay on Mahatma Gandhi in Hindi (250 Words)

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मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता पोरबंदर के दीवान (मुख्यमंत्री) थे; उनकी गहरी धार्मिक माँ वैष्णववाद के लिए समर्पित थी।

अपने अहिंसक दर्शन के लिए दुनिया भर में प्रतिष्ठित, मोहनदास करमचंद गांधी को उनके कई अनुयायी महात्मा के रूप में जानते थे। उन्होंने 1900 के दशक की शुरुआत में दक्षिण अफ्रीका में एक भारतीय अप्रवासी के रूप में अपनी सक्रियता शुरू की, और विश्व युद्ध 1 के बाद के वर्षों में, वे ब्रिटेन से स्वतंत्रता हासिल करने के लिए भारत के संघर्ष में अग्रणी व्यक्ति बन गए।

अपनी तपस्वी जीवनशैली के लिए जाने जाने वाले-वे अक्सर केवल एक लंगोटी और शॉल पहनते थे और हिंदू धर्म के प्रति आस्था रखते थे. गांधी जी को कई बार कैद किया गया, और उन्होंने भारत के सबसे गरीब वर्गों के उत्पीड़न का विरोध करने के लिए कई भूख हड़तालें भी की।

महात्मा गांधी को दक्षिण अफ्रीका में एक भारतीय आप्रवासी के रूप में काफ़ी भेदभाव सहा। जब डरबन में एक यूरोपीय मजिस्ट्रेट ने उनसे अपनी पगड़ी उतारने के लिए कहा, तो उन्होंने इनकार कर दिया और अदालत कक्ष से बाहर चले गए।

अप्रैल-मई 1930 के प्रसिद्ध नमक मार्च में, हजारों भारतीयों ने महात्मा गांधी का अहमदाबाद से अरब सागर तक साथ दिया। इस मार्च में महात्मा गांधी सहित लगभग 60,000 लोगों की गिरफ्तारी हुई।

1947 में विभाजन के बाद, उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच शांति की दिशा में काम करना जारी रखा। गांधी को जनवरी 1948 में एक हिंदू कट्टरपंथी द्वारा दिल्ली में गोली मार दी गयी।

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में हुआ था, जिसको गांधी जयंती के रूप में जाना जाता है। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। 13 साल की उम्र में, महात्मा गांधी की शादी कस्तूरबा से हुई जो एक अरेंज मैरिज थी। कस्तूरबा ने 1944 में अपनी मृत्यु तक अपने पति के सभी प्रयासों का समर्थन किया।

उनके पिता पोरबंदर के दीवान थे। महात्मा गांधी अपने पिता की चौथी पत्नी पुतलीबाई के पुत्र थे, जो एक संपन्न वैष्णव परिवार से थीं।

महात्मा गांधी का जीवन और संघर्ष के तरीके अब लोगों को काफी प्रभावित करते हैं। एक आदमी की महानता का एहसास तब होता है जब उसका जीवन लोगों को बेहतर बदलाव के लिए प्रभावित करता है, और इसी तरह महात्मा गांधी का जीवन था। उनकी मृत्यु के दशकों के बाद, उनके बारे में पढ़ने पर, लोगों ने बेहतर तरीके से अपने जीवन को बदल दिया।

लगभग 20 वर्षों के लिए दक्षिण अफ्रीका में, महात्मा गांधी ने विरोध प्रदर्शन की अहिंसक पद्धति का उपयोग करते हुए अन्याय और नस्लीय भेदभाव का विरोध किया। सादगीपूर्ण जीवन शैली के कारण उनके बहुत प्रशंसक थे । उन्हें लोग प्यार से बापू के नाम से संबोधित करते थे।

गांधी की पहली बड़ी उपलब्धि 1918 में थी जब उन्होंने बिहार और गुजरात के चंपारण और खेड़ा आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, स्वराज और भारत-छोड़ो आंदोलन का भी नेतृत्व किया।

मोहनदास करमचंद गांधी की हत्या 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने की थी। नाथूराम गोडसे एक हिंदू राष्ट्रवादी और हिंदू महासभा का सदस्य था। उन्होंने गांधी पर पाकिस्तान का पक्ष लेने का आरोप लगाया और अहिंसा के सिद्धांत का विरोध किया।

मोहनदास गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, भारत में हुआ था। वह 1900 के दशक के सबसे सम्मानित आध्यात्मिक और राजनीतिक नेताओं में से एक बन गए थे । गांधी ने अहिंसक प्रतिरोध से भारतीय लोगों को ब्रिटिश शासन से मुक्त करने में मदद की। उनको भारतीयों द्वारा राष्ट्रपिता के रूप में सम्मानित किया गया।

लोग गांधी को ‘ महात्मा ‘ कहते हैं, जिसका अर्थ है महान आत्मा। 13 साल की उम्र में, उन्होंने कस्तूरबा से शादी की थी, जो 13 साल की ही थी। गांधी के चार बच्चे थे। उन्होंने लंदन में कानून (Law) का अध्ययन किया और अभ्यास करने के लिए 1891 में भारत लौट आए।

उन्होंने साहस, अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों के आधार पर कार्रवाई की एक विधि विकसित की जिसको सत्याग्रह नाम दिया गया। उनका मानना ​​था कि लोगों के व्यवहार का तरीका उनके द्वारा हासिल की गई चीज़ों से अधिक महत्वपूर्ण है।

सत्याग्रह ने राजनीतिक और सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अहिंसा और सविनय अवज्ञा को सबसे उपयुक्त तरीकों के रूप में बढ़ावा दिया। 1915 में गांधी भारत लौट आए। 15 वर्षों के भीतर वे भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के नेता बन गए।

सत्याग्रह के सिद्धांतों का उपयोग करते हुए उन्होंने अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के अभियान का नेतृत्व किया। गांधी को दक्षिण अफ्रीका और भारत में उनकी गतिविधियों के लिए अंग्रेजों द्वारा कई बार गिरफ्तार किया गया था। उनका मानना ​​था कि उचित कारण के लिए जेल जाना सम्मानजनक है।

1947 में भारत को स्वतंत्रता दी गई और भारत और पाकिस्तान में विभाजन हुआ। हिंदू और मुसलमानों के बीच दंगे हुए। महात्मा गांधी एक अखंड भारत के लिए एक वकील थे, जहां हिंदू और मुस्लिम शांति का समर्थन करते थे।

13 जनवरी, 1948 को, 78 वर्ष की आयु में, उन्होंने खून खराबे को रोकने के लिए अनशन शुरू किया। 5 दिनों के बाद विरोधी नेताओं ने लड़ाई रोकने का संकल्प लिया और गांधी ने अपना अनशन तोड़ दिया। 12 दिन बाद एक हिंदू कट्टरपंथी, नाथूराम गोडसे ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।

महात्मा गांधी ने दुनिया को दिए पांच महान योगदान:

  • एक नई भावना और तकनीक – सत्याग्रह.
  • नैतिक ब्रह्मांड एक है, इसलिए व्यक्तियों, समूहों और राष्ट्रों की नैतिकता समान होनी चाहिए।
  • उनका आग्रह है कि साधन और अंत सुसंगत होना चाहिए.
  • यह तथ्य कि उन्होंने खुद को कभी अवतार सिद्ध करने की कोशिश नहीं की।
  • अपने सिद्धांतों के लिए दर्द सहने और मरने की इच्छा। इनमें से सबसे बड़ा उनका सत्याग्रह है।

महात्मा गांधी जी का जीवन, विचार और कार्य उन सभी के लिए महत्वपूर्ण हैं, जो मानव जाति के लिए बेहतर जीवन चाहते हैं।

मोहनदास गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को, पश्चिमी भारत के समुद्री तट पर, गुजरात के एक छोटे से शहर पोरबंदर में हुआ था।

उसके द्वारा उठाए गए नैतिक मुद्दों का महत्व व्यक्तियों और राष्ट्रों के भविष्य के लिए आज भी है। हम आज भी महात्मा गांधी की शिक्षाओं से प्रेरणा लेते हैं, जो चाहते थे कि हम सदियों पुरानी कहावत को याद रखें।

“मृत्यु के बावजूद, जीवन बना रहता है, और घृणा के बावजूद, प्यार बना रहता है।”

रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें ‘महात्मा’ के रूप में संबोधित किया। सुभाष चंद्र बोस ने हिंद आज़ाद रेडियो पर अपने संदेश में उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ कहा था।

दक्षिण अफ्रीका में, मोहनदास ने डरबन से प्रिटोरिया की अपनी यात्रा के दौरान नस्लीय भेदभाव के कड़वे अनुभव का स्वाद चखा, जहाँ एक मुकदमे के सिलसिले में उनकी उपस्थिति आवश्यक थी।

Maritzburg Station पर उन्हें ट्रेन के प्रथम श्रेणी के डिब्बे से बाहर कर दिया गया क्योंकि वे ठंड में ‘कलर्स’ कांप रहे थे। Maritzburg Station के Waiting Room में बैठे बैठे, उन्होंने फैसला किया कि अधिकारों के लिए लड़ने के बजाय भाग जाना कायरता है। इस घटना के साथ सत्याग्रह की अवधारणा विकसित हुई।

  • भारत में उनका पहला सत्याग्रह 1917 में बिहार के चंपारण में हुआ था, जिसमें Indigo Plantations के लिए किसानों का अधिकार था।
  • अहमदाबाद में, मिल श्रमिकों और मिल मालिकों के बीच विवाद था। गांधी जी ने श्रमिकों के समर्थन में अनशन किया।
  • 1919 में, उन्होंने रोलेट बिल के खिलाफ सविनय अवज्ञा का आह्वान किया।
  • 1921 में, गांधीजी ने गरीब जनता के साथ खुद को पहचानने के लिए और खादी, हाथ से घूमने वाले कपड़े का प्रचार करने के लिए धोती पहन ली।
  • उन्होंने स्वदेशी आंदोलन भी शुरू किया, जिसमें देश में निर्मित वस्तुओं के उपयोग को महत्त्व दिया गया। उन्होंने भारतीयों से विदेशी कपड़े का बहिष्कार करने और इस तरह से ग्रामीणों के लिए काम करने के लिए हाथ से बनी खादी को बढ़ावा देने के लिए कहा।
  • 12 मार्च 1930 को, गांधीजी ने साबरमती आश्रम, अहमदाबाद से समुद्र तट पर बसे दांडी गांव तक, ऐतिहासिक नमक मार्च में 78 स्वयंसेवकों के साथ बैठक की। यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक अहिंसक आंदोलन था।
  • मार्च 1931 में, कुछ संवैधानिक मुद्दों को हल करने के लिए गांधी-इरविन पैक्ट पर हस्ताक्षर किए गए और इसने सविनय अवज्ञा को समाप्त कर दिया।
  • 1933 में, उन्होंने Young India की जगह Harijan के साप्ताहिक प्रकाशन की शुरुआत की।
  • 1942 में गांधीजी ने एक व्यक्तिगत सत्याग्रह शुरू किया। उस वर्ष लगभग 23 हजार लोग जेल में बंद हुए थे।
  • ऐतिहासिक “भारत छोड़ो” प्रस्ताव 8 अगस्त 1942 को कांग्रेस द्वारा पारित किया गया था। गांधी जी के “ करो या मरो ” (Do or Die) के संदेश ने लाखों भारतीयों को प्रभावित किया।

30 जनवरी 1948 को, गांधी जी, नई दिल्ली के बिरला हाउस में प्रार्थना सभा के दौरान नाथूराम विनायक गोडसे द्वारा दागी गई गोलियों से मारे गए।

गाँधी जी के बारे में अधिक जाने – बायोग्राफी

उम्मीद है महात्मा गांधी जी पर ये निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi, Mahatma Gandhi Essay in Hindi ) आपकी जरूरत पर खरे उतरेंगे. आपके लिए ऐसी ही ज्ञानवर्धक जानकारी लेकर आते रहेंगे. पढ़ने के लिए धन्यवाद.

यह भी पढ़ें –

  • 83 प्रेरक कथन – Good Thought in Hindi
  • 100 Motivational Quotes in Hindi for Students
  • बाल मजदूरी पर निबंध
  • आतंकवाद पर निबंध और भाषण
  • जल संरक्षण पर निबंध
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  • शिक्षा का महत्त्व
  • Tags: Essay of Gandhi Jayanti in Hindi , Essay on Mahatma Gandhi in Hindi , Mahatma Gandhi Essay in Hindi

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महात्मा गाँधी

महात्मा गाँधी एक ऐसा नाम जिसे सुनते ही सत्य और अहिंसा का स्मरण होता है। एक ऐसा व्यक्तित्व जिन्होंने किसी दूसरे को सलाह देने से पहले उसका प्रयोग स्वंय पर किया। जिन्होंने बड़ी से बड़ी मुसीबत में भी अहिंसा का मार्ग नहीं छोङा। महात्मा गाँधी महान व्यक्तित्व के राजनैतिक नेता थे। इन्होंने भारत की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया था। गाँधी जी सादा जीवन उच्च विचार के समर्थक थे, और इसे वे पूरी तरह अपने जीवन में लागू भी करते थे। उनके सम्पूर्णं जीवन में उनके इसी विचार की छवि प्रतिबिम्बित होती है। यहीं कारण है कि उन्हें 1944 में नेताजी सुभाष चन्द्र ने राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित किया था।

महात्मा गाँधी से संबंधित तथ्य:

पूरा नाम – मोहनदास करमचन्द गाँधी अन्य नाम – बापू, महात्मा, राष्ट्र-पिता जन्म-तिथि व स्थान – 2 अक्टूबर 1869, पोरबन्दर (गुजरात) माता-पिता का नाम – पुतलीबाई, करमचंद गाँधी पत्नी – कस्तूरबा गाँधी शिक्षा – 1887 मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की,

  • विद्यालय – बंबई यूनिवर्सिटी, सामलदास कॉलेज
  • इंग्लैण्ड यात्रा – 1888-91, बैरिस्टर की पढाई, लंदन युनिवर्सिटी

बच्चों के नाम (संतान) – हरीलाल, मणिलाल, रामदास, देवदास प्रसिद्धि का कारण – भारतीय स्वतंत्रता संग्राम राजनैतिक पार्टी – भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस स्मारक – राजघाट, बिरला हाऊस (दिल्ली) मृत्यु – 30 जनवरी 1948, नई दिल्ली मृत्यु का कारण – हत्या

महात्मा गाँधी की जीवनी (जीवन-परिचय)

महात्मा गाँधी (2 अक्टूबर 1869 – 30 जनवरी 1948)

जन्म, जन्म-स्थान व प्रारम्भिक जीवन

महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबन्दर, गुजरात में करमचंद गाँधी के घर पर हुआ था। यह स्थान (पोरबंदर) पश्चिमी भारत में गुजरात राज्य का एक तटीय शहर है। ये अपनी माता पुतलीबाई के अन्तिम संतान थे, जो करमचंद गाँधी की चौथी पत्नी थी। करमचंद गाँधी की पहली तीन पत्नियों की मृत्यु प्रसव के दौरान हो गई थी। ब्रिटिश शासन के दौरान इनके पिता पहले पोरबंदर और बाद में क्रमशः राजकोट व बांकानेर के दीवान रहें।

महात्मा गाँधी जी का असली नाम मोहनदास था और इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी। इसी कारण इनका नाम पूरा नाम मोहन दास करमचंद गाँधी पङा। ये अपने तीन भाईयों में सबसे छोटे थे। इनकी माता पुतलीबाई, बहुत ही धार्मिक महिला थी, जिस का गाँधी जी के व्यक्तित्व पर गहरा प्रभाव पङा। जिसे उन्होंने स्वंय पुणे की यरवदा जेल में अपने मित्र और सचिव महादेव देसाई को कहा था, ‘‘तुम्हें मेरे अंदर जो भी शुद्धता दिखाई देती हो वह मैंने अपने पिता से नहीं, अपनी माता से पाई है…उन्होंने मेरे मन पर जो एकमात्र प्रभाव छोड़ा वह साधुता का प्रभाव था।’’

गाँधी जी का पालन-पोषण वैष्णव मत को मानने वाले परिवार में हुआ, और उनके जीवन पर भारतीय जैन धर्म का गहरा प्रभाव पङा। यही कारण है कि वे सत्य और अहिंसा में बहुत विश्वास करते थे और उनका अनुसरण अपने पूरे जीवन काल में किया।

गाँधी जी का विवाह (शादी)/ गाँधी जी का वैवाहिक जीवन

गाँधी जी की शादी सन् 1883, मई में 13 वर्ष की आयु पूरी करते ही 14 साल की कस्तूरबा माखन जी से हुई। गाँधी जी ने इनका नाम छोटा करके कस्तूरबा रख दिया और बाद में लोग उन्हें प्यार से बा कहने लगे। कस्तूरबा गाँधी जी के पिता एक धनी व्यवसायी थे। कस्तूरबा गाँधी शादी से पहले तक अनपढ़ थीं। शादी के बाद गाँधीजी ने उन्हें लिखना एवं पढ़ना सिखाया। ये एक आदर्श पत्नी थी और गाँधी जी के हर कार्य में दृढता से उनके साथ खङी रही। इन्होंने गाँधी जी के सभी कार्यों में उनका साथ दिया।

1885 में गाँधी जी जब 15 साल के थे तब इनकी पहली संतान ने जन्म लिया। लेकिन वह कुछ ही समय जीवित रहीं। इसी वर्ष इनके पिताजी करमचंद गाँधी की भी मृत्यु हो गयी। गाँधी जी के 4 सन्तानें थी और सभी पुत्र थे:- हरीलाल गाँधी (1888), मणिलाल गाँधी (1892), रामदास गाँधी (1897) और देवदास गाँधी (1900)।

गाँधी जी की शिक्षा- दीक्षा

प्रारम्भिक शिक्षा

गाँधी जी की प्रारम्भिक शिक्षा पोरबंदर में हुई थी। पोरबंदर से उन्होंने मिडिल स्कूल तक की शिक्षा प्राप्त की। इनके पिता की बदली राजकोट होने के कारण गाँधी जी की आगे की शिक्षा राजकोट में हुई। गाँधी जी अपने विद्यार्थी जीवन में सर्वश्रेष्ठ स्तर के विद्यार्थी नहीं थे। इनकी पढाई में कोई विशेष रुचि नहीं थी। हालांकि गाँधी जी एक एक औसत दर्जें के विद्यार्थी रहे, किन्तु किसी किसी प्रतियोगिता और खेल में उन्होंने पुरुस्कार और छात्रवृतियॉ भी जीती। 21 जनवरी 1879 में राजकोट के एक स्थानीय स्कूल में दाखिला लिया। यहाँ उन्होंने अंकगणित, इतिहास और गुजराती भाषा का अध्यन किया।

साल 1887 में जैसे-तैसे उन्होंने राजकोट हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की और आगे की पढ़ाई के लिये भावनगर के सामलदास कॉलेज में प्रवेश लिया। घर से दूर रहने के कारण वे पर अपना ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाये और अस्वस्थ होकर पोरबंदर वापस लौट आये। यदि आगे की पढ़ाई का निर्णय गाँधी जी पर छोड़ा जाता तो वह डॉक्टरी की पढ़ाई करके डॉक्टर बनना चाहते थे, किन्तु उन्हें घर से इसकी अनुमति नहीं मिली।

इंग्लैण्ड में उच्च स्तर की पढाई

गाँधी जी के पिता की मृत्यु के बाद उनके परिवार के एक करीबी मित्र भावजी दवे ने उन्हें वकालत करने की सलाह दी और कहा कि बैरिस्टर की पढ़ाई करने के बाद उन्हें अपने पिता का उत्तराधिकारी होने के कारण उनका दीवानी का पद मिल जायेगा।

उनकी माता पुतलीबाई और परिवार के कुछ सदस्यों ने उनके विदेश जाने के फैसले का विरोध किया, किन्तु गाँधी जी ने अपनी माँ से वादा किया कि वे शाकाहारी भोजन करेगें। इस प्रकार अपनी माँ को आश्वस्त करने के बाद उन्हें इंग्लैण्ड जाने की आज्ञा मिली।

4 सितम्बर 1888 को गाँधी जी इंग्लैण्ड के लिये रवाना हुये। यहाँ आने के बाद इन्होंने पढ़ाई को गम्भीरता से लिया और मन लगाकर अध्ययन करने लगे। हालांकि, इंग्लैण्ड में गाँधी जी का शुरुआती जीवन परेशानियों से भरा हुआ था। उन्हें अपने खान-पान और पहनावे के कारण कई बार शर्मिदा भी होना पड़ा। किन्तु उन्होंने हर एक परिस्थिति में अपनी माँ को दिये वचन का पालन किया।

बाद में इन्होंने लंदन शाकाहारी समाज (लंदन वेजीटेरियन सोसायटी) की सदस्यता ग्रहण की और इसके कार्यकारी सदस्य बन गये। यहाँ इनकी मुलाकात थियोसोफिकल सोसायटी के कुछ लोगों से हुई जिन्होंने गाँधी जी को भगवत् गीता पढ़ने को दी। गाँधी जी लंदन वेजीटेरियन सोसायटी के सम्मेलनों में भाग लेने लगे और उसकी पत्रिका में लेख लिखने लगे। यहाँ तीन वर्षों (1888-1891) तक रहकर अपनी बैरिस्टरी की पढ़ाई पूरी की और 1891 में ये भारत लौट आये।

गाँधी जी का 1891-1893 तक का समय

1891 में जब गाँधी जी भारत लौटकर आये तो उन्हें अपनी माँ की मृत्यु का दुखद समाचार प्राप्त हुआ। उन्हें यह जानकर बहुत निराशा हुई कि वकालत एक स्थिर व्यवसायी जीवन का आधार नहीं है। गाँधी जी ने बंबई जाकर वकालत का अभ्यास किया किन्तु स्वंय को स्थापित नहीं कर पाये और वापस राजकोट आ गये। यहाँ इन्होंने लागों की अर्जियाँ लिखने का कार्य शुरु कर दिया। एक ब्रिटिश अधिकारी को नाराज कर देने के कारण इनका यह काम भी बन्द हो गया।

गाँधी जी की अफ्रीका यात्रा

एक वर्ष के कानून के असफल अभ्यास के बाद, गाँधी जी ने दक्षिण अफ्रीका के व्यापारी दादा अब्दुला का कानूनी सलाहकार बनने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। 1883 में गाँधी जी ने अफ्रीका (डरबन) के लिये प्रस्थान किया। इस यात्रा और वहाँ के अनुभवों ने गाँधी जी के जीवन को एक महत्वपूर्ण मोङ दिया। इस यात्रा के दौरान गाँधी जी को भारतियों के साथ हो रहें भेदभाव को देखा।

ऐसी कुछ घटनाऐं उनके साथ घटित हुई जिससे उन्हें भारतियों और अश्वेतों के साथ हो रहे अत्याचारों का अनुभव हुआ जैसे: 31 मई 1883 को प्रिटोरिया जाने के दौरान प्रथम श्रेणी की टिकट के बावजूद उन्हें एक श्वेत अधिकारी ने गाडी से धक्का दे दिया और उन्होंने ठिठुरते हुये रात बिताई क्योंकि वे किसी से पुनः अपमानित होने के डर से कुछ पूछ नहीं सकते थे, एक अन्य घटना में एक घोङा चालक ने उन्हें पीटा क्योंकि उन्होंने एक श्वेत अंग्रेज को सीट देकर पायदान पर बैठकर यात्रा करने से इंकार कर दिया था, यूरोपियों के लिये सुरक्षित होटलों पर जाने से रोक आदि कुछ ऐसी घटनाऐं थी जिन्होंने गाँधी जी के जीवन का रुख ही बदल दिया।

नटाल (अफ्रीका) में भारतीय व्यापारियों और श्रमिकों के लिये यह अपमान आम बात थी और गाँधी जी के लिये एक नया अनुभव। यहीं से गाँधी जी के जीवन में एक नये अध्याय की शुरुआत हुई। गाँधी जी ने सोचा कि यहाँ से भारत वापस लौटना कायरता होगी अतः वहीं रह कर इस अन्याय का विरोध करने का निश्चय किया। इस संकल्प के बाद वे अगले 20 वर्षों (1893-1894) तक दक्षिण अफ्रीका में ही रहें और भारतियों के अधिकारों और सम्मान के लिये संघर्ष किया।

दक्षिण अफ्रीका में संघर्ष का प्रथम चरण (1884-1904) –

  • संघर्ष के इस प्रथम चरण के दौरान गाँधी जी की राजनैतिक गतिविधियाँ नरम रही। इस दौरान उन्होंने केवल सरकार को अपनी समस्याओं और कार्यों से संबंधित याचिकाएँ भेजते थे।
  • भारतियों को एक सूत्र में बाँधने के लिये 22 अगस्त 1894 में “नेटाल भारतीय काग्रेंस का” गठन किया।
  • “इण्डियन ओपिनियन” नामक अखबार के प्रकाशन की प्रक्रिया शुरु की।
  • इस संघर्ष को व्यापारियों और वकीलों के आन्दोलन के नाम से जाना जाता है।

संघर्ष का दूसरा चरण –

  • अफ्रीका में संघर्ष के दूसरे चरण की शुरुआत 1906 में हुई।
  • इस समय उपनिवेशों की राजनीतिक स्थिति में परिवर्तन हो चुका था, तो गाँधी जी ने नये स्तर से आन्दोलन को प्रारम्भ किया। यहीं से मूल गाँधीवादी प्राणाली की शुरुआत मानी जाती है।
  • 30 मई 1910 में जोहान्सवर्ग में टाल्सटाय और फिनिक्स सेंटमेंट की स्थापना।
  • काग्रेंस के कार्यकर्ताओं को अहिंसा और सत्याग्रह का प्रशिक्षण।

महात्मा गाँधी का भारत आगमन

1915 में 46 वर्ष की उम्र में गाँधी जी भारत लौट आये, और भारत की स्थिति का सूक्ष्म अध्ययन किया। गोपाल कृष्ण गोखले (गाँधी जी के राजनीतिक गुरु) की सलाह पर गाँधी जी नें एक वर्ष शान्तिपूर्ण बिना किसी आन्दोलन के व्यतीत किया। इस समय में उन्होंने भारत की वास्तविक स्थिति से रूबरू होने के लिये पूरे भारत का भ्रमण किया। 1916 में गाँधी जी नें अहमदाबाद में साबरमती आश्रम की स्थापना की। फरवरी 1916 में गाँधी जी ने पहली बार बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय में मंच पर भाषण दिया। जिसकी चर्चा पूरे भारत में हुई।

भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में सक्रिय भूमिका

चम्पारण और खेडा आन्दोलन (1917-1918)

साल 1917 में बिहार के चम्पारण जिले में रहने वाले किसानों के हक के लिये गाँधी जी ने आन्दोलन किया। यह गाँधी जी का भारत में प्रथम सक्रिय आन्दोलन था, जिसनें गाँधी जी को पहली राजनैतिक सफलता दिलाई। इस आन्दोलन में उन्होंने अहिंसात्मक सत्याग्रह को अपना हथियार बनाया और इस प्रयोग में प्रत्याशित सफलता भी अर्जित की।

19 वीं शताब्दी के अन्त में गुजरात के खेड़ा जिले के किसान अकाल पड़ने के कारण असहाय हो गये और उस समय उपभोग की वस्तुओं के भी दाम बहुत बढ़ गये थे। ऐसे में किसान करों का भुगतान करने में बिल्कुल असमर्थ थे। इस मामले को गाँधी जी ने अपने हाथ में लिया और सर्वेंट ऑफ इण्डिया सोसायटी के सदस्यों के साथ पूरी जाँच-पड़ताल के बाद अंग्रेज सरकार से बात की और कहा कि जो किसान लगान देने की स्थिति में है वे स्वतः ही दे देंगे बशर्तें सरकार गरीब किसानों का लगान माफ कर दें। ब्रिटिश सरकार ने यह प्रस्ताव मान लिया और गरीब किसानों का लगान माफ कर दिया।

1918 में अहमदाबाद मिल मजदूरों के हक के लिये भूख हङताल

1918 में अहमदाबाद के मिल मालिक कीमत बढने के बाद भी 1917 से दिये जाने वाले बोनस को कम बंद कर करना चाहते थे। मजदूरों ने माँग की बोनस के स्थान पर मजदूरी में 35% की वृद्धि की जाये, जबकि मिल मालिक 20% से अधिक वृद्धि करना नहीं चाहते थे। गाँधी जी ने इस मामले को सौंपने की माँग की। किन्तु मिल मालिकों ने वादा खिलाफी करते हुये 20% वृद्धि की। जिसके खिलाफ गाँधी जी नें पहली बार भूख हङताल की। यह इस हङताल की सबसे खास बात थी। भूख हङताल के कारण मिल मालिकों को मजदूरों की माँग माननी पङी।

इन आन्दोलनों ने गँधी जी को जनप्रिय नेता तथा भारतीय राजनीति के प्रमुख स्तम्भ के रुप में स्थापित कर दिया।

खिलाफत आन्दोलन (1919-1924)

तुर्की के खलीफा के पद की दोबारा स्थापना करने के लिये देश भर में मुसलमानों द्वारा चलाया गया आन्दोलन था। यह एक राजनीतिक-धार्मिक आन्दोलन था, जो अंग्रेजों पर दबाव डालने के लिये चलाया गया था। गाँधी जी ने इस आन्दोलन का समर्थन किया। इस आन्दोलन का समर्थन करने का मुख्य उद्देश्य स्वतंत्रता आन्दोलन में मुसलिमों का सहयोग प्राप्त करना था।

असहयोग आन्दोलन (1919-1920)

प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) के दौरान प्रेस पर लगे प्रतिबंधों और बिना जाँच के गिरफ्तारी वे आदेश को सर सिडनी रोलेट की अध्यक्षता वाली समिति ने इन कडे नियमों को जारी रखा। जिसे रोलेट एक्ट के नाम से जाना गया। जिसका पूरे भारत में व्यापक स्तर पर विरोध हुआ। उस विरोधी आन्दोलन को असहयोग आन्दोलन का नाम दिया गया। असहयोग आन्दोलन के जन्म का मुख्य कारण रोलट एक्ट और जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड (1919) था।

गाँघी जी अध्यक्षता में 30 मार्च 1919 और 6 अप्रैल 1919 को देश व्यापी हङताल का आयोजन किया गया। चारों तरफ देखते ही देखते सभी सरकारी कार्य ठप्प हो गये। अंग्रेज अधिकारी इस असहयोग के हथियार के आगे बेवस हो गये। 1920 में गाँधी जी कांग्रेस के अध्यक्ष बने और इस आन्दोलन में भाग लेने के लिये भारतीय जनमानस को प्रेरित किया। गाँधी जी की प्रेरणा से प्रेरित होकर प्रत्येक भारतीय ने इसमें बढ-चढ कर भाग लिया।

इस आन्दोलन को और अधिक प्रभावी करने के लिये और हिन्दू- मुसलिम एकता को मजबूती देने के उद्देश्य से गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन को खिलाफत आन्दोलन से जोङ दिया।

सरकारी आकडों के अनुसार साल 1921 में 396 हडतालें आयोजित की गयी जिसमें 6 लाख श्रमिकों ने भाग लिया था और इस दौरान लगभग 70 लाख कार्यदिवसों का नुकसान हुआ था। विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूलों और कालेजों में जाना बन्द कर दिया, वकीलों ने वकालात करने से मना कर दिया और श्रमिक वर्ग हङताल पर चला गया। इस प्रकार प्रत्येक भारतीय नागरिक ने अपने अपने ढंग से गाँधी जी के इस आन्दोलन को सफल बनाने में सहयोग किया। 1857 की क्रान्ति के बाद यह सबसे बङा आन्दोलन था जिसने भारत में ब्रिटिश शासन के अस्तित्व को खतरें में डाल दिया था।

चौरी-चौरा काण्ड (1922)

1922 तक आते आते यह देश का सबसे बङा आन्दोलन बन गया था। एक हङताल की शान्तिपूर्ण विरोध रैली के दौरान यह अचानक हिंसात्मक रुप में परिणित हो गया। विरोध रैली के दौरान पुलिस द्वारा प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करके जेल में डालने से भीङ आक्रोशित हो गयी। और किसानों के एक समूह ने फरवरी 1922 में चौरी-चौरा नामक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी। इस घटना में कई निहत्थे पुलिसकर्मियों की मृत्यु हो गयी।

इस घटना से गाँधी जी बहुत आहत हुये और उन्होंने इस आन्दोलन को वापस ले लिया। गांधी जी ने यंग इण्डिया में लिखा था कि, “आन्दोलन को हिंसक होने से बचाने के लिए मैं हर एक अपमान, हर एक यातनापूर्ण बहिष्कार, यहाँ तक की मौत भी सहने को तैयार हूँ।”

सविनय अवज्ञा आन्दोलन (12 मार्च 1930)

इस आनदोलन का उद्देश्य पूर्ण स्वाधीनता प्राप्त करना था। गाँधी जी और अन्य अग्रणी नेताओं को अंग्रेजों के इरादों पर शक होने लगा था कि वे अपनी औपनिवेशिक स्वराज्य प्रदान करने की घोषणा को पूरी करेगें भी या नहीं। गाँधी जी ने अपनी इसी माँग का दबाव अंग्रेजी सरकार पर डालने के लिये 6 अप्रैल 1930 को एक और आन्दोलन का नेतृत्व किया जिसे सविनय अवज्ञा आन्दोलन के नाम से जाना जाता है।

इसे दांङी मार्च या नमक कानून भी कहा जाता है। यह दांङी मार्च गाँधी जी ने साबरमती आश्रम से निकाली। इस आन्दोलन का उद्देश्य सामूहिक रुप से कुछ विशिष्ट गैर-कानूनी कार्यों को करके सरकार को झुकाना था। इस आन्दोलन की प्रबलता को देखते हुये सरकार ने तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन को समझौते के लिये भेजा। गाँधी जी ने यह समझौता स्वीकार कर लिया और आन्दोलन वापस ले लिया।

भारत छोडो आन्दोलन (अगस्त 1942)

क्रिप्श मिशन की विफलता के बाद गाँधी जी ने अंग्रेजों के खिलाफ अपना तीसरा बङा आन्दोलन छेङने का निर्णय लिया। इस आन्दोलन का उद्देश्य तुरन्त स्वतंत्रता प्राप्त करना था। 8 अगस्त 1942 काग्रेंस के बम्बई अधिवेशन में अंग्रेजों भारत छोङों का नारा दिया गया और 9 अगस्त 1942 को गाँधी जी के कहने पर पूरा देश आन्दोलन में शामिल हो गया। ब्रिटिश सरकार ने इस आन्दोलन के खिलाफ काफी सख्त रवैया अपनाया। इस आन्दोलन को दबाने में सरकार को एक वर्ष से अधिक समय लगा।

भारत का विभाजन और आजादी

अंग्रेजों ने जाते जाते भी भारत को दो टुकङों में बाँट दिया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों की स्थिति बहुत कमजोर हो गयी थी। उन्होंने भारत को आजाद करने के संकेत दे दिये थे। भारत की आजादी के साथ ही जिन्ना के नेतृत्व में एक अलग राज्य पाकिस्तान की भी माँग होने लगी। गाँधी जी देश का बँटवारा नहीं होने देना चाहते थे। किन्तु उस समय परिस्थितियों के प्रतिकूल होने के कारण देश दो भागों में बँट गया।

महात्मा गाँधी की मृत्यु (30 जनवरी 1948)

नाथूराम गोडसे और उनके सहयोगी गोपालदास ने 30 जनवरी 1948 को शाम 5 बजकर 17 मिनट पर बिरला हाउस में गाँधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी। जवाहर लाल नेहरु ने गाँधी जी की हत्या की सूचना इन शब्दों में दी, ‘हमारे जीवन से प्रकाश चला गया और आज चारों तरफ़ अंधकार छा गया है। मैं नहीं जानता कि मैं आपको क्या बताऊँ और कैसे बताऊँ। हमारे प्यारे नेता, राष्ट्रपिता बापू अब नहीं रहे।’

गाँधी जी का जीवन-चक्र (टाईम-लाइन) एक नजर मेः-

1879 – जन्म – 2 अक्टूबर, पोरबंदर (गुजरात)।

1876 – गाँधी जी के पिता करमचंद गाँधी की राजकोट में बदली, परिवार सहित राजकोट आना और कस्तूरबा माखन जी से सगाई।

1879 – 21 जनवरी 1879 को राजकोट के स्थानीय स्कूल में दाखिला।

1881 – राजकोट हाई स्कूल में पढाई।

1883 – कस्तूरबा माखन जी से विवाह।

1885 – गाँधी जी के पिता की मृत्यु, इसी वर्ष इनके पहले पुत्र का जन्म और कुछ समय बाद उसकी मृत्यु।

1887 – राजकोट हाई स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की, सामलदास कॉलेज (भावनगर) में प्रवेश।

1888 – पहले पुत्र हरीलाल का जन्म, बैरिस्टर की पढाई के लिये इंग्लैण्ड के लिये प्रस्थान।

1891 – बैरिस्टर की पढाई करके भारत लौटे, अपनी अनुपस्थिति में माता पुतलीबाई के निधन का समाचार, पहले बम्बई बाद में राजकोट में वकालात की असफल शुरुआत।

1892 – दूसरे पुत्र मणिलाल गाँधी का जन्म।

1893 – अफ्रीकी व्यापारी दादा अब्दुला के कानूनी सलाहकार का प्रस्ताव को स्वीकार कर अफ्रीका (डरबन) के लिये प्रस्थान, 31 मई 1893 को प्रिटोरिया रेल हादसा, रंग-भेद का सामना।

1894 – दक्षिण अफ्रीका में संघर्ष के प्रथम चरण का प्रारम्भ, नेटाल इण्डियन कांग्रेस की स्थापना।

1896 – भारत आगमन (6 महीने के लिये) और पत्नी और एक पुत्र को लेकर अफ्रीका वापस गये।

1897 – तीसरे पुत्र रामदास का जन्म।

1899 – बोअर युद्ध में ब्रिटिश की मदद के लिये भारतीय एम्बुलेंस सेवा प्रदान की।

1900 – चौथे और अन्तिम पुत्र देवदास का जन्म।

1901 – अफ्रीकी भारतियों को आवश्यकता के समय मदद करने के लिये वापस आने का आश्वासन देकर परिवार सहित स्वदेश आगमन, भारत का दौरा, कांग्रेस अधिवेशन में भाग और बबंई में वकालात का दफ्तर खोला।

1902 – अफ्रीका में भारतियों द्वारा बुलाये जाने पर अफ्रीका के लिये प्रस्थान।

1903 – जोहान्सवर्ग में वकालात दफ्तर खोला।

1904 – इण्डियन ओपिनियन सप्ताहिक पत्र का प्रकाशन।

1906 – जुल्लु युद्ध के दौरान भारतियों को मदद के लिये प्रोत्साहन, आजीवन ब्रह्मचर्य का संकल्प, एशियाटिक ऑर्डिनेन्स के विरोध में प्रथम सत्याग्रह।

1907 – ब्लैक एक्ट (भारतियों और अन्य एशियाई लोगों का जबरदस्ती पंजीयन) के विरोध में सत्याग्रह।

1908 – दक्षिण अफ्रीका (जोहान्सवर्ग) में पहली जेल यात्रा, दूसरा सत्याग्रह (पुनः जेल यात्रा)।

1909 – दक्षिण अफ्रीकी भारतियों की ओर से पक्ष रखने के इंग्लैण्ड यात्रा, नवम्बर (13-22 तारीख के बीच) में वापसी के दौरान हिन्द स्वराज पुस्तक की रचना।

1910 – 30 मई को जोहान्सवर्ग में टाल्सटाय और फिनिक्स सेंटमेंट की स्थापना।

1913 – द ग्रेट मार्च का नेतृत्व, 2000 भारतीय खदान कर्मियों की न्युकासल से नेटाल तक की पदयात्रा।

1915 – 21 वर्ष बाद भारत वापसी।

1916 – साबरमती नदी के किनारे (अहमदाबाद में) आश्रम की स्थापना, बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय की स्थापना पर प्रथम बार गाँधी जी का मंच से भाषण।

1917 – बिहार के चम्पारन जिले में नील किसानों के हक के लिये सत्याग्रह आन्दोलन।

1918 – अहमदाबाद में मिल मजदूरों की हक की लङाई में मध्यस्था

1919 – रोलेट एक्ट और जलियावाला बाग हत्याकांड के विरोध में सत्याग्रह छेङा, जो आगे चलकर असहयोग आन्दोलन (1920) के नाम से प्रसिद्ध हुआ, यंग इण्डिया (अंग्रेजी) और नवजीवन (गुजराती) सप्ताहिक पत्रिका का संपादन।

1920 – जलियाँवाला बाग हत्याकांड के विरोध में केसर-ए-हिन्द की उपाधि वापस की, होमरुल लीग के अध्यक्ष निर्वाचित हुये।

1921 – असहयोग आन्दोलन के अन्तर्गत बंबई में विदेशी वस्त्रों की होली जलाई, साम्प्रदायिक हिंसा के विरोध में 5 दिन का उपवास।

1922 – चौरी-चौरा कांड के कारण असहयोग आन्दोलन को वापस लिया, राजद्रोह का मुकदमा और 6 वर्ष का कारावास।

1924 – बेलगाम कांग्रेस अधिवेसन में अध्यक्ष चुने गये, साम्प्रदायिक एकता के लिये 21 दिन का उपवास।

1928 – कलकत्ता कांग्रेस अधिवेशन में भाग, पूर्ण स्वराज का आह्वान।

1929 – कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस घोषित करके राष्ट्रव्यापी आन्दोलन आरम्भ।

1930 – नमक कानून तोङने के लिये साबरमती आश्रम से दांङी यात्रा जिसे सविनय अवज्ञा आन्दोलन का नाम दिया।

1931 – गाँधी इरविन समझौता, गाँधी जी ने दूसरे गोलमाज सम्मेलन में भाग लेने को तैयार।

1932 – यरवदा पैक्ट को ब्रिटिश स्वीकृति।

1933 – साबरमती तट पर बने आश्रम का नाम हरिजन आश्रम रखकर देश में अस्पृश्यता विरोधी आन्दोलन छेङा, हरिजन नामक सप्ताहिक पत्र का प्रकाशन।

1934 – अखिल भारतीय ग्रामोद्योग की स्थापना।

1936 – वर्धा में सेवाश्रम की स्थापना।

1937 – दक्षिण भारत की यात्रा।

1940 – विनोबा भावे को पहले व्यक्तिगत सत्याग्रही के रुप में चुना गया।

1942 – क्रिप्स मिशन की असफलता, भारत छोङो अभियान की शुरुआत, सचिव मित्र महादेव देसाई का निधन।

1944 – 22 फरवरी को गाँधी जी की पत्नी कस्तूरबा गाँधी जी की मृत्यु।

1946 – बंगाल के साम्प्रदायिक दंगो के संबंध में कैबिनेट मिशन से भेंट।

1947 – साम्प्रदायिक शान्ति के लिये बिहार यात्रा, जिन्ना और गवर्नल जनरल माउन्टबैटेन से भेंट, देश विभाजन का विरोध।

1948 – बिङला हाउस में जीवन का अन्तिम 5 दिन का उपवास, 20 जनवरी को प्रार्थना सभा में विस्फोट, 30 जनवरी को प्रार्थना के लिये जाते समय नाथूराम गोडसे द्वारा हत्या।

गाँधी जी के अनमोल वचन

  • “पाप से घृणा करो, पापी से नहीं”।
  • “जो बदलाव आप दुनिया में देखना चाहते है, वह पहले स्वंय में लाये।”
  • “वास्तविक सौन्दर्य ह्रदय की पवित्रता में है|”
  • “अहिंसा ही धर्म है, वही जिंदगी का एक रास्ता है|”
  • “गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है।”
  • “चरित्र की शुद्धि ही सारे ज्ञान का ध्येय होनी चाहिए|”
  • “जो लोग अपनी प्रशंसा के भूखे होते हैं, वे साबित करते हैं कि उनमें योग्यता नहीं है|”
  • “जब भी आप एक प्रतिद्वंद्वी के साथ सामना कर रहे हैं। प्यार के साथ उसे जीतना।”
  • “अहिंसा, किसी भी प्राणी को विचार, शब्द या कर्म से चोट नहीं पहुंचाना है, यहाँ तक कि किसी प्राणी के लाभ के लिए भी नहीं।”
  • “जहाँ प्यार है, वहाँ जीवन है।”
  • “मैं आपके मसीहा (ईशा) को पसन्द करता हूँ, मैं आपके ईसाइयों को पसंद नहीं करता। आपके ईसाई आपके मसीहा (ईशा) के बहुत विपरीत हैं।”
  • “सबसे पहले आपकी उपेक्षा करते है, तब वे आप पर हंसते हैं, तब वे आप से लड़ते हैं, तब आप जीतते है।”
  • “मैं खुद के लिए कोई पूर्णता का दावा नहीं करता। लेकिन मैं सच्चाई के पीछे एक भावुक साधक का दावा करता हूँ, जो भगवान का दूसरा नाम हैं।”
  • “मेरे पास दुनिया को पढ़ाने के लिए कोई नई बात नहीं है। सत्य और अहिंसा पहाड़ियों के जैसे पुराने हैं। मैंनें पूर्ण प्रयास के साथ विशाल पैमाने पर दोनों में प्रयोगों की कोशिश है, जितना मैं कर सकता था।”
  • “कमज़ोर कभी माफ नहीं कर सकते। क्षमा ताकतवर की विशेषता है।”
  • “आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देगी।”
  • “खुशी जब मिलेगी जब जो आप सोचते है, कहते है, और जो करते है, सामंजस्य में हों।”
  • “ऐसे जियो जैसे कि तुम कल मरने वाले हो। ऐसे सीखो की तुम हमेशा के लिए जीने वाले हो।”
  • “किसी राष्ट्र की संस्कृति उसके लोगों के दिलों और आत्माओं में बसती है|”
  • “कुछ लोग सफलता के सपने देखते हैं जबकि अन्य व्यक्ति जागते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं|”
  • “जिज्ञासा के बिना ज्ञान नहीं होता | दुःख के बिना सुख नहीं होता|”
  • “विश्वास करना एक गुण है, अविश्वास दुर्बलता कि जननी है|”
  • “यदि मनुष्य सीखना चाहे, तो उसकी हर भूल उसे कुछ शिक्षा दे सकती है।”
  • “राष्ट्रीय व्यवहार में हिन्दी को काम में लाना देश की उन्नति के लिए आवश्यक है|”
  • “चिंता के समान शरीर का क्षय और कुछ नहीं करता, और जिसे ईश्वर में जरा भी विश्वास है उसे किसी भी विषय में चिंता करने में ग्लानि होनी चाहिए।”
  • “हंसी मन की गांठें बड़ी आसानी से खोल देती है|”
  • “काम की अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है|”
  • “लम्बे-लम्बे भाषणों से कहीं अधिक मूल्यवान इंच भर कदम उठाना है।”
  • “आपका कोई काम महत्वहीन हो सकता है, किन्तु महत्वपूर्ण यह है कि आप कुछ करें।”
  • “मेरी आज्ञा के बिना मुझे कोई नुकसान नहीं पहुँचा करता।”
  • “क्रोध एक किस्म का क्षणिक पागलपन है।”
  • “क्षणभर भी बिना काम के रहना ईश्वर से चोरी समझो। मैं आन्तरिक और बाहरी सुख का दूसरा कोई भी रास्ता नहीं जानता।”
  • “अहिंसा में इतनी ताकत है कि वह विरोधियों को भी अपना मित्र बना लेती है और उनका प्रेम प्राप्त कर लेती है।”
  • “मैं हिन्दी के जरिये प्रांतीय भाषाओं को दबाना नहीं चाहता बल्कि उनके साथ हिन्दी को भी मिला देना चाहता हूँ।”
  • “एक धर्म सभी भाषणों से परे है।”
  • “किसी में विश्वास करना और उसे ना जीना बेईमानी है।”
  • “बिना उपवास के कोई प्रार्थना नहीं और बिना प्रार्थना के कोई उपवास नहीं।”
  • “मेरा जीवन ही मेरा संदेश है।”
  • “मानवता का सबसे बङा हथियार शान्ति है।”

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Mahatma gandhi essay in hindi महात्मा गाँधी पर निबंध हिंदी में.

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Hindiinhindi Mahatma Gandhi Essay in Hindi

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 300 Words

महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अपने पूरे जीवन को भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष में बिताया था। महात्मा गांधी जी को भारत में “बापू” या “राष्ट्रपिता” के रूप में जाना जाता है। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है और उनका जन्म 2 October 1869 में पोरबंदर, गुजरात, भारत में हुआ था। 2 अक्टूबर का दिन भारत में गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है।

वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे। उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग के लिये प्रेरित किया और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने के लिए लोगो को प्रेरित किया। आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतुल्य कार्यों के लिये याद करते है। वे भारतीय संस्कृति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे और ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद (स्वतंत्र) कराना चाहते थे।

उन्होंने भारत में अपनी पढ़ाई पूरी की और कानून के अध्ययन के लिए इंग्लैंड चले गए। वहां से गाँधी जी एक वकील के रूप में भारत लौट आए और भारत में कानून का अभ्यास करना शुरू कर दिया। गाँधी जी भारत के लोगों को मदद करना करना चाहते थे, जो ब्रिटिश शासन द्वारा अपमानित और दुखी थे। भारत में ही गाँधी जी एक सदस्य के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए।

महात्मा गाँधी जी भारत स्वतंत्रता आंदोलन के महान नेता थे जो भारत की स्वतंत्रता के लिए बहुत संघर्ष करते थे। उन्होंने 1930 में नमक सत्याग्रह या दंडी मार्च का नेतृत्व किया। उन्होंने और भी कई आन्दोलन किये। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ काम करने के लिए बहुत से भारतीयों को प्रेरित किया था।

एक महान स्वतंत्रता सेनानी के रूप में, उन्हें कई बार जेल भेज दिया गया था लेकिन कई भारतीयों के साथ उनके बहत सारे संघर्षों के बाद उन्होंने भारतीयों के न्यायसंगतता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई जारी रखी, और अंत में महात्मा गाँधी और सभी स्वत्रंता सेनानियों की मदद से भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद (स्वतंत्र) हो गया। लेकिन 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी का निधन हो गया। महात्मा गांधी की हत्या नथुराम गोडसे ने की थी। महात्मा गाँधी जी एक महान स्वत्रंता सेनानी थे। जिन्हें उनके योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद रखा जायेगा।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 500 Words

2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर में जन्मे मोहनदास करमचंद गांधी एक ऐसी शख्सियत थे, जिन्होंने भारत को आज़ाद कराने के साथ-साथ भारतीयों को अहिंसा के मार्ग पर चलना सिखाया। वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी भी थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन भारत की स्वतंत्रता के लिए नोछावर कर दिया। महात्मा गांधी जी को भारत में “बापू” या “राष्ट्रपिता” के रूप में जाना जाता है। 2 अक्टूबर का दिन भारत में गाँधी जयंती के रूप में बड़े उत्साह से मनाया जाता है।

गांधीजी ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा राजकोट में प्राप्त की, 13 वर्ष की अल्पआयु में ही इनका विवाह हो गया था। इनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा था। मेट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद में वकालत की शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड चले गए। वे तीन वर्ष तक इंग्लैंड में रहे। वकालत पास करने के बाद वे भारत वापस आ गए।

वहां से गाँधी जी एक वकील के रूप में भारत लौटे और भारत में कानून का अभ्यास करना शुरू कर दिया। गाँधी जी भारत के लोगों की मदद करना करना चाहते थे, जो ब्रिटिश शासन द्वारा अपमानित और दुखी थी। भारत में ही गाँधी जी एक सदस्य के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए।

वे एक ऐसे महापुरुष थे जो अहिंसा और सामाजिक एकता पर विश्वास करते थे। उन्होंने भारतीयों को स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग के लिये और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करने के लिए लोगो को प्रेरित किया। आज भी लोग उन्हें उनके महान और अतल्य कार्यों के लिये याद करते है। वे भारतीय संस्कति से अछूत और भेदभाव की परंपरा को नष्ट करना चाहते थे और ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद कराना चाहते थे।

महात्मा गाँधी जी भारत स्वतंत्रता आंदोलन के महान नेता थे जो भारत की स्वतंत्रता के लिए बहुत संघर्ष करते थे। 1921 में गांधी जी ने असहयोग आन्दोलन चलाया। गांधीजी ने अछूतों के उद्धार लिए कार्य किया, स्त्री शिक्षा और राष्ट्र भाषा हिंदी का प्रचार किया, हरिजनों के उत्थान के लिए काम किया। गांधी जी धीरे-धीरे सम्पूर्ण भारत में प्रसिद्ध हो गये।

अंग्रेजी सरकार ने आन्दोलन को दबाने का प्रयास किया। भारतवासियों पर तरह-तरह के अत्याचार किये। गांधी जी ने 1930 में भारत छोड़ों आन्दोलन चलाया। भारत के सभी नर नारी उनकी एक आवाज पर उनके साथ बलिदान देने के लिए तैयार थे। उन्होंने और भी कई आन्दोलन किये। उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ काम करने के लिए बहुत से आरतीयों को प्रेरित किया था।

गांधीजी को अंग्रेजों ने बहुत बार जेल में बंद किया था। लेकिन कई भारतीयों के साथ उनके बहुत सारे संघर्षों के बाद उन्होंने भारतीयों के न्यायसंगतता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई जारी रखी, और अंत में महात्मा गाँधी और सभी स्वत्रंता सेनानियों की मदद से भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया। लेकिन 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी का निधन हो गया। महात्मा गांधी की हत्या नथुराम गोडसे ने की थी। इससे सारा विश्व भावुक हो उठा।

महात्मा गाँधी जी एक महान स्वत्रंता सेनानी थे। जिन्हें उनके योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 700 Words

जन्म और परिवार

गाँधी जी का पूरा नाम मोहन दास कर्म चन्द गाँधी था। इनका जन्म गुजरात के पोरबन्दर नामक स्थान पर 2 अक्तूबर 1869 ई. को हुआ। आपके पिता कर्मचन्द राजकोट राज्य के दीवान थे। माता पुतलीबाई धार्मिक स्वभाव वाली महिला थी। इनका विवाह कस्तूरबा गाँधी जी के साथ हुआ।

प्रारम्भिक शिक्षा और नकल का विरोध

इनकी शिक्षा पोरबन्दर में हुई। मैट्रिक तक की शिक्षा उन्होंने स्थानीय स्कूलों में ही प्राप्त की। वह पढ़ने-लिखने में भी औसत दर्जे के थे। वे सहपाठियों से बहुत कम बोलते थे।

जब मोहनदास नौवीं कक्षा में पढ़ते थे तब एक दिन शिक्षा विभाग के निरीक्षक स्कूल का निरीक्षण करने आए। उन्होंने कक्षा में छात्रों को अंग्रेजी के पाँच शब्द लिखवाए। मोहनदास ने ‘केटल’ (Kettle) शब्द की वर्तनी ग़लत लिखी। अध्यापक ने बूट की नोक मारकर इशारे से मोहनदास को अगले छात्र की नकल करने को कहा, लेकिन मोहनदास को यह बात अच्छी नहीं लगी। नकल करना और चोरी करना उनका नज़र में बुरी बात थी। इसलिए उन्होंने नकल नहीं की।

उन्हीं दिनों बालक मोहनदास ने सत्यवादी हरिश्चन्द्र नाटक देखा। नाटक का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा और जीवनभर सच्चाई के रस्ते पर ढृढ़ता से चले | बचपन में गाँधी जी के मन में एक ग़लत धारणा बैठ गई थी कि पढ़ाई में सुलेख की जरुरत नहीं है। युवावस्था में जब वे दुसरो की सुन्दर लिखाई देखते तो हैरान रह जाते। बार-बार प्रयत्न करने पर भी लिखाई सुन्दर न हो सकी। तब उन्हें यह बात समझ आई। ‘सन्दर लिखाई न होना अधूरी शिक्षा की निशानी है।’

मैट्रिक परीक्षा पास करने के पश्चात जब वे कानून की पढ़ाई करने इंग्लैंड गए तब इनकी माता ने इनसे तीन वचन लिए –

1. माँस न खाना 2. शराब न पीना 3. पराई स्त्री को बुरी नज़र से न देखना

तीनों वचनों को गाँधी जी ने पूरा जीवन निभाया। गाँधी जी वहाँ से एक अच्छे बैरिस्टर बनकर भारत लौटे। स्वदेश लौटने पर गाँधी जी ने मुम्बई और राजकोट में वकालत की।

सन् 1893 में वे एक मुकद्दमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका गए। वहाँ के गोरे शासकों द्वारा प्रवासी भारतीयों से कुलियों जैसा व्यवहार देखकर उनमें राष्ट्रीय भावना जागी।

1915 ई. में रौलेट एक्ट

आप भारत वापस लौटे तो काले कानून लागू थे। 1915 में रौलेट एक्ट का विरोध किया। सन् 1919 के जलियाँवाला काण्ड ने मानवता को झकझोर दिया। स्वदेश लौटने पर गाँधी जी ने अपने आपको देश सेवा के लिए सौंप दिया।

1920 ई. में असहयोग आन्दोलन

1920 ई. में असहयोग आन्दोलन का सूत्रपात करके भारत की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ा। कुछ ही दिनों में उनकी महानता की कीर्ति सारे देश में फैल गई। वे आज़ादी की आशा के केन्द्र बन गए।

1928 ई. में साइमन कमीशन वापिस जाओ

1928 ई. में साइमन कमीशन भारत आया तो गाँधी जी ने उसका पूर्ण रूप से बहिष्कार किया।

नमक सत्याग्रह आन्दोलन तथा डाँडी यात्रा

11 मार्च सन् 1930 में आपने नमक सत्याग्रह आन्दोलन तथा डाँडी यात्रा शुरू की। इन्होंने भारत को आजादी दिलाने के लिए सत्य और अहिंसा को अपना अस्त्र बनाया। सन् 1942 में आपने “अंग्रेज़ो भारत छोड़ो आन्दोलन” चला कर एक सूत्र में पिरो दिया। इन्होंने कई बार जेल यात्राएँ की। उन्होंने अपने, देशवासियों और देश के सम्मान की रक्षा के लिए अत्याचारी को खुल कर चुनौती दी। उन्होंने देश को असहयोग का नया रास्ता दिखाया। आठ वर्ष तक रंग-भेद के विरोध में सत्याग्रह करते रहे। भारत की सोई हुई आत्मा को जगाया। इसलिए इन्हें ‘राष्ट्रपिता’ या ‘बापू’ कहा जाता है।

गाँधी जी की तीन शिक्षाएं

बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो एवं बुरा मत बोलो काफ़ी प्रचलित हैं। जिन्हें बापू के तीन बन्दर के नाम से भी जाना जाता है।

संसार से विदाई : अहिंसा के पुजारी बापू गाँधी को 30 जनवरी, 1948 को प्रातः की सभा में जाते हुए एक उन्मादी नौजवान नत्थूराम विनायक गोडसे ने गोली मारकर शहीद कर दिया। इनकी समाधि राजघाट दिल्ली में स्थित है।

प्रेरणा स्रोत

आपके व्यक्तित्व में मुसीबतों को सहना प्रायश्चित करना, अहिंसा के मार्ग पर चलना, आचरण का ध्यान रखना आदि गुणों का समावेश था। संसार के अनेक नेताओं ने इन्हीं से प्रेरणा ली। इन्हीं गुणों के कारण ही वे महान बने और आज भी अमर हैं।

हमें भी गाँधी जी के जीवन से शिक्षा लेनी चाहिए, उनके बताए मार्ग पर चलना चाहिए। भारत हमेशा उनके द्वारा स्वतन्त्रता-संग्राम में किये योगदान के लिए सदैव उनका ऋणी रहेगा।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 800 Words

महात्मा गाँधी को ”बापू” के नाम से भी जाना जाता है। बापू का अर्थ है “पिता”। वे सच्चे अर्थों में राष्ट्र के पिता थे। उनको ‘‘महात्मा” कहकर सर्वप्रथम गरूदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने पुकारा था। उन्होंने ही गाँधी जी को यह उपाधि उनके महान् गुणों और आदर्शों को ध्यान में रख कर प्रदान की थी। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के इतिहास के स्वर्णिम पन्नों पर गाँधी जी का नाम सदैव अंकित रहेगा।‘बापू जी’ के नाम से विख्यात गाँधी जी एक युगपुरुष थे। वे हमारे देश के ही नहीं अपित विश्व के महान पुरूषों में से एक थे। राष्ट्र उन्हें ‘राष्ट्रपिता’ के नाम से संबोधित करता है।

महात्मा गाँधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। उनका जन्म 2 अक्तूबर 1869 ई० को पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता करमचंद गाँधी राजकोट के प्रसिद्ध दीवान थे। पढ़ाई में औसत रहने वाले गाँधी जी ने कानून की पढ़ाई ब्रिटेन में पूरी की। प्रारम्भ में मुम्बई में उन्होंने कानून की प्रैक्टिस की परन्तु वे इसमें सफल नहीं हो सके। कानून से ही सम्बन्धित एक कार्य के सिलसिले में उन्हें दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। वहाँ पर उनका अनुभव बहुत कटु था क्योंकि वहां भारतीयों तथा अन्य स्थानीय निवासियों के साथ अंग्रेज बहुत दुर्व्यवहार करते थे। भारतीयों की दुर्दशा को वे सहन नहीं कर सके। दक्षिण अफ्रीका के वर्णभेद और अन्याय के प्रति उन्होंने संघर्ष प्रारम्भ किया। इस संघर्ष के दौरान 1914 ई० में उन्हें जेल भेज दिया गया। वे अपने प्रयासों में काफी हद तक सफल रहे। जेल से छूटने के पश्चात् उन्होंने निश्चय किया कि वे अन्याय के प्रति अपना संघर्ष जारी रखेंगे।

देश वापस लौटने के पश्चात् गाँधी जी स्वतन्त्रता की लड़ाई में कूद पड़े। उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने के पश्चात् अपनी लड़ाई तेज कर दी। गाँधी जी ने अंग्रेजी सरकार का बहिष्कार करने के लिए देश की जनता को प्रेरित किया परन्तु उन्होंने इसके लिए सत्य और अहिंसा का रास्ता अपनाने के लिए कहा। ऐतिहासिक डांडी यात्रा उन्हीं के द्वारा आयोजित की गई जिसमें उन्होंने अंग्रेजी सरकार के नमक कानून को तोड़ा। उन्होंने लोगों को अहिंसा के रास्ते पर चलते हुए ‘असहयोग आंदोलन’ में भाग लेने हेतु प्रेरित किया जिसमें सभी विदेशी वस्तुओं एवं विदेशी शासन का बहिष्कार किया गया। 1942 ई. में उन्होंने ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ चलाया तथा अंग्रेजी सरकार को देश छोड़ने के लिए बाध्य कर दिया। उनके अथक प्रयासों व कुशल नेतृत्व के चलते अंग्रेजी सरकार को अंततः भारत छोड़ना पड़ा और हमारा देश 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजी दासता से मुक्त हो गया।

स्वतन्त्रता के प्रयासों के अतिरिक्त गाँधी जी ने सामाजिक उत्थान के लिए भी बहुत प्रयास किए। अस्पृष्यता तथा वर्ण-भेद का उन्होंने सदैव विरोध किया। समाज और राष्ट्र के कल्याण के लिए उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।

स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय हिन्दू-मुस्लिम संघर्ष को देखकर उनका मन बहुत दु:खी हुआ। अतः उन्होंने हिन्दुस्तान के विभाजन की स्वीकृति दे दी जिससे पाकिस्तान का उदय हुआ। 30 जनवरी 1948 ई. को नत्थू राम गौडसे नामक व्यक्ति द्वारा उनकी हत्या कर दी गई। इस प्रकार यह युगपुरुष चिरकाल के लिए मातृभूमि की गोद में सो गया।

गाँधी की अचानक मृत्यु व हत्या ने सारे देश के झकझोर दिया। सब जगह जैसे अंधकार व हाहाकार मच गया। यद्यपि गाँधी जी आज पार्थिव रूप में हमारे साथ नहीं है। परन्तु उनके महान् आदर्श हमें सदैव प्रेरित करते रहेंगे। वे सचमुच एक तपस्वी और निष्काम कर्मयोगी थे। आज भी भारत ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व उनके शांति प्रयासों के लिए उन्हें सदैव याद करता है। प्रतिवर्ष 2 अक्तूबर के दिन हम गाँधी जयंती के रूप में पर्व मनाकर उनका स्मरण करते हैं तथा उनकी समाधि ‘राजघाट’ पर जाकर श्रद्धासुमन अर्पित करते हैं।

हमें गर्व है कि महात्मा गाँधी एक भारतीय थे। उनका जीवन व आदर्श हमेशा हमें प्रेरणा देते रहेंगे। उनके बताये मार्ग पर चलकर ही भारत सच्चे अर्थों में महान् बन सकता है। उनका मृत्यु-दिवस 30 जनवरी प्रति वर्ष बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन सारे देश में प्रार्थना सभाएं की जाती हैं और उनको बड़ी श्रद्धा से याद कर श्रद्धांजलि दी जाती है।

गाँधीजी एक युग पुरूष थे। ऐसे व्यक्ति कई सदियों में जन्म लेते हैं और मानवता को सही दिशा प्रदान करते हैं। उनकी याद में अनेक शहरों, सड़कों, राजमार्गों, विद्यालयों, संस्थानों आदि का नामकरण उनके नाम पर किया गया है। गाँधी जयंती भी सारे देश में बड़े समारोह पूर्वक मनाई जाती है। उस दिन सारे देश में सार्वजनिक अवकाश रहता है। दिल्ली में यमुना के तट पर गाँधीजी की समाधि है। जहां प्रतिदिन हजारों लोग दर्शन करने आते हैं और गाँधीजी के जीवन से प्रेरणा और शिक्षा प्राप्त करते हैं। गाँधीजी की समाधि सचमुच एक राष्ट्रीय स्मारक है।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 1300 Words

दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल ।। साबरमती के सन्त तूने कर दिया कमाल ॥

भूमिका –

किसी राष्ट्र की संस्कृति और इतिहास का गौरव वे महान् व्यक्तित्व होते हैं जो अखिल विश्व को अपने सिद्धान्त और विचारधारा से सुख और शान्ति, समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाते हैं। ऐसे व्यक्तित्व केवल अपने जीवन के लिए ही नहीं जीते हैं; | अपितु वे अखिल मानवता के लिए जीते हैं। उनके जीवन का आदर्श होता हैं –

वृक्ष कबहुँ फल नाहिं भर्ख, नदी न संचै नीर। परमारथ के कारने, साधुन धरा शरीर॥

भारतीय ऐसे महामानव को अवतार कहने लगते हैं। पश्चिमी देशों में पैदा हुए ईसा, सुकरात, अब्राहम लिंकन ऐसे ही युगानुरूप महापुरुष थे। भारत में इस तरह के महान् पुरुषों ने अधिक जन्म लिया। राम, कृष्ण, गुरु नानक, स्वामी दयानन्द आदि महापुरुषों की गणना ऐसे ही महामानवों में की जा सकती है। ईसा धार्मिक थे पर राजनीतिक नहीं। अब्राहिम लिंकन राजनीतिक थे पर धार्मिक नहीं, पर महात्मा गांधी ऐसे महात्मा थे जो धार्मिक भी थे और राजनीतिक भी। शरीर से दुर्बल पर मन से सबल, कमर पर लंगोटी और ऊपर एक चादर ओढ़े हुए इस महामानव के चरणों की धूल को माथे पर लगाने में धनिक तथा राजा और महाराजा भी अपना सौभाग्य समझते थे। मुट्ठी भर हड्डियों के इस ढांचे में विशाल बुद्धि का सागर समाया हुआ था। तभी तो प्रसिद्ध विद्वान् आईंस्टीन ने कहा था, “आने वाली पीढ़ियों को विश्वास नहीं होगा कि एक हाड़-मांस के पुतले ने बिना एक बूंद खून गिराए अहिंसा और सत्य का सहारा लेकर ब्रिटिश साम्राज्य की जड़े हिला दीं और उन्हें भारत से जाने के लिए विवश कर दिया।”

जीवन परिचय –

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्तूबर सन् 1969 ई. में काठियावाड़ की राजकोट रियासत में पोरबन्दर में हुआ। पिता कर्मचन्द राजकोट रियासत के दीवान थे तथा माता पुतलीबाई धार्मिक प्रवृत्ति की सती-साध्वी घरेलु महिला थी जिनकी शिक्षाओं का प्रभाव बापू पर आजीवन रहा। आरम्भिक शिक्षा राजकोट में हुई। गांधी साधारण मेधा के बालक थे। विद्यार्थी जीवन की कुछ घटनाएँ प्रसिद्ध हैं—जिनमें अध्यापक के कहने पर भी नकल न करना, पिता की सेवा के प्रति मन में गहरी भावना का जन्म लेना, हरिश्चन्द्र आर श्रवण नाटकों की गहरी छाप, बरे मित्र की संगति में आने पर पिता के सामने अपने दोषो को स्वीकार करना। वास्तव में ये घटनाएँ बापू के भव्य जीवन की गहरी आधार शिलाएँ थी।

तेरह वर्ष की छोटी आयु में ही इनका विवाह कस्तूबरा के साथ हो गया था। मीट्रिक की शिक्षा के पश्चात् बैरिस्टरी पास करने के लिए विलायत गए। विलायत-प्रस्थान से पूर्व माँ ने अपने पुत्र से प्रतिज्ञा करवाई थी कि शराब, माँस तथा पर स्त्री से अपने को सदैव दूर रखेंगे और माँ के आज्ञाकारी पुत्र ने इन्हीं बुराइयों की अन्धी और गन्दी गलियों से अपने आप को बचा कर रखा।

सन् 1891 में बैरिस्टरी पास करके ये भारत लौटे तथा बम्बई में वकालत आरम्भ कर दी। लेकिन वकालत के भी अपने मूल्य थे – झूठे मुकद्दमें न लेना तथा गरीबों के लिए मुफ्त लड़ना। सन् 1893 में एक मुकद्दमें की पैरवी के लिए गांधी दक्षिणी अफ्रीका गए। मुकद्दमा तो आपने जीत लिया पर दक्षिणी अफ्रीका में गोरे-काले के भेदभाव को देखकर और भारतीयों पर होने वाले अत्याचारों से आपका मन बहुत खिन्न हुआ। आपने वहां सत्याग्रह चलाया और नटाल कांग्रेस पार्टी की स्थापना की। दक्षिणी अफ्रीका में गोरों ने उन्हें यातनाएं दीं। गांधी जी को मारा, उन पर पत्थर फेंके, उनकी पगड़ी उछाली, पर गांधी अपने इरादे से टस से मस न हुए। आखिर जब भारत लौटे तो गोरे-काले का भेद-भाव मिटा कर विजय वैजयन्ती फहराते हुए।

भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में –

भारत में स्वतन्त्रता आन्दोलन की भूमिका बन रही थी। लोकमान्य तिलक का यह उद्घोष जन-मन के मन में बस गया था कि “स्वतन्त्रता हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है।” महात्मा गांधी ने भी इसी भूमिका में काम करना आरम्भ कर दिया। यह बात अलग है कि उनके दृष्टिकोण और तिलक के दृष्टिकोण में अन्तर था, पर लक्ष्य एक था। दोनों एक पथ के पथिक थे। फलत: सत्य और अहिंसा के बल पर महात्मा गांधी ने संवैधानिक रूप से अंग्रेज़ों से स्वतन्त्रता की मांग की। इधर विश्वव्यापी प्रथम युद्ध छिड़ा। अंग्रेज़ों ने स्वतन्त्रता देने की प्रतिज्ञा की और कहा कि युद्ध के पश्चात् हम स्वतन्त्रता दे देंगे। श्री तिलक आदि पुरुषों की इच्छा न रहते हुए भी महात्मा गांधी ने उस युद्ध में अंग्रेज़ों की सहायता की। युद्ध समाप्त हो गया, अंग्रेज़ वचन भूल गए। जब उन्हें याद दिलाया गया तब वे इन्कार कर गए। आन्दोलन चला, आज़ादी के बदले भारतीयों को मिला ‘रोलट एक्ट’ और ‘जलियांवाल बाग का गोली कांड’। सन् 1920 में असहयोग आन्दोलन आरम्भ हुआ।

विद्यार्थी और अध्यापक उस आन्दोलन में डटे, पर चौरा-चौरी के कांड़ से गांधी जी ने आन्दोलन वापस ले लिया। फिर नमक सत्याग्रह चला। ऐसे ही गांधी जी के जीवन में अनेक सत्याग्रह और उपवास चलते रहे। 1939 ई. में फिर युद्ध छिड़ा। भारत के न चाहते हुए इंग्लैंड ने भारत का नाम युद्ध में दिया। महात्मा गांधी बहुत छटपटाए। 1942 में उन्होंने भारत छोड़ो आन्दोलन चलाया। सभी प्रमुख राजनीतिक नेता जेलों में बन्द कर दिए गए। युद्ध की समाप्ति पर शिमला कान्फ्रेंस हुई पर यह कान्फ्रेंस बहुत सफल न हुई। फिर 1946 ई. में अन्तरिम सरकार बनी पर वह भी सफल न हुई।

असाम्प्रदायिक –

असल में महात्मा गांधी शुद्ध हृदय में असाम्प्रदायिक थे। उनके कार्य में रोड़ा अटकाने वाला था कट्टर साम्प्रदायिक मुस्लिम लीग का नेता कायदे आज़म जिननाह। गाँधी जी ने उसे अपने साथ मिलाने का भरसक प्रयत्न किया पर वही ढाक के तीन पात। अंग्रेज़ो के उकसाने के कारण जिन्ना टस से मस नहीं हुए। इधर भारत में साम्प्रदायिकता की होली खेली जाने लगी। हिन्दू और मुसलमान एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए। पंजाब और बंगाल में अमानुषिकता चरम सीमा तक पहुंच गई। इधर अंग्रेज़ भारत छोड़ने को तैयार नेहरू, पटेल आदि के आग्रह से, न चाहते हुए भी गांधी जी ने भारत विभाजन स्वीकार कर लिया और 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेज़ों ने भारत छोड़ा अखण्ड नहीं, खण्डित करके। उसके दो टुकड़े कर दिए – भारत और पाकिस्तान। साम्प्रदायिकता की ज्वाला तब भी न बुझी। खून की होली तब भी बन्द न हुई। महात्मा गाँधी सब प्रान्तों में घूमे। इस साम्प्रदायिक ज्वाला को शान्त करते हुए देहली पहुँचे।

30 जनवरी, 1948 को जब गांधी जी बिरला मन्दिर से प्रार्थना सभा की ओर बढ़ रहे थे तो एक पागल नवयुवक ने उन्हें तीन गोलियों से छलनी कर दिया, बापू ‘राम-राम’ कहते हुए स्वर्ग सिधार गिए। अहिंसा का पुजारी आखिर हिंसा की बलि चढ़ा। सुधारक ऐसे ही मरा करते हैं। ईसा, सुकरात, अब्राहिम लिंकन ने भी ऐसे ही मृत्यु को गले लगाया था। नेहरू के शब्दों में बापू मरे नहीं, वह जो प्रकाश मानव के हृदय में रख गए, वह सदा जलता रहेगा, इसलिए वह सदा अमर हैं।

महात्मा गांधी का दर्शन और जीवन व्यावहारिक था। उन्होंने सत्ता और अहिंसा का मार्ग अश्व के सामने रखा वह उनके अनुभव और प्रयोग पर आधारित था। उनका चिंतन अखिल मानवता के मंगल और कल्याण पर आधारित था। वे एक ऐसे समाज की स्थापना करना शहते थे जो भेद-रहित समाज हो तथा जिसमें गुण और कर्म के आधार पर ही व्यक्ति को श्रेष्ठ माना जाए। भौतिक प्रगति के साथ-साथ बापू आध्यात्मिक पवित्रता पर भी बल देते रहे। यही कारण था कि वे ईश्वर के नाम के स्मरण को कभी नहीं भुलाते। उनका प्रिय भजन था –

“रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीता राम” और “वैष्णव जन तो तेने रे कहिए। जिन पीर पराई जाणे रे॥”

आज समस्त विश्व में उनके चिंतन और दर्शन पर शोध-कार्य किया जाता है तथा उनके आदर्श और सिद्धान्त को विश्व-कल्याण के लिए अनिवार्य समझा जाता है। महात्मा गांधी विचारक तथा समाज सुधारक थे। उपदेश देने की अपेक्षा वे स्वयं उस मार्ग पर चलने पर विश्वास रखते थे। ईश्वर के प्रति उनकी अटूट आस्था थी और बिना प्रार्थना किए वे रात्रि सोते नहीं थे। उनका जीवन और दर्शन आज भी विश्व का मार्ग-दर्शन करता है।

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महात्मा गांधी पर निबंध – Essay On Mahatma Gandhi In Hindi

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi  : दोस्तो आज हमने महात्मा गांधी पर निबंध कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखा है।

इस लेख के माध्यम से हमने एक Mahatma Gandhi जी के जीवन का और उनके आंदोलनों वर्णन किया है इस निबंध की सहायता से हम भारत के सभी लोगों को हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी और उनके विचारों के बारे में बताएंगे।

Short Essay On Mahatma Gandhi In Hindi

महात्मा गांधी हमारे देश के राष्ट्रपिता माने जाते हैं उन्हें बच्चा-बच्चा बापू के नाम से भी जानता है। Mahatma Gandh i ने हमारे देश को आजादी दिलाने के लिए अंग्रेजों से इन अहिंसा पूर्वक की लड़ाई लड़ी थी।

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनचंद करमचंद गांधी था। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था।

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi

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महात्मा गांधी की प्रारंभिक शिक्षा गुजरात के ही एक स्कूल में हुई थी और उन्होंने इंग्लैंड से वकालत की पढ़ाई करी थी। वहां पर उन्होंने देखा कि अंग्रेज लोग काले गोरे का भेद भाव करते हैं

और भारतीय लोगों से बर्बरता पूर्वक व्यवहार करते है। यह बात में बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी इसके खिलाफ उन्होंने भारत आकर आंदोलन करने की ठानी।

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भारत आते ही Mahatma Gandhi ने गरीबों के लिए कई हिंसक आंदोलन किए और अंत में उन्होंने “भारत छोड़ो आंदोलन” प्रारंभ किया जिसके कारण हमारे देश को आजादी मिली थी।

भारत की आजादी के 1 साल बाद महात्मा गांधी जी की 30 जनवरी 1948 में नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने गोली मारकर निर्मम हत्या कर दी थी।

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi 400 Words

महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर हमारे देश के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पुजारी थे। उन्हें झूठ बोलने वाले व्यक्ति पसंद नहीं है।

Mahatma Gandhi का जन्म गुजरात राज्य के एक छोटे से शहर पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था जो की अंग्रेजी हुकूमत में एक दीवान के रूप में कार्य करते थे।

उनकी माता का नाम पुतलीबाई था जो कि गृहणी थी वे हमेशा पूजा पाठ में लगी रखी थी इसका असर हमें गांधी जी का सीन देखने को मिला है वह भी ईश्वर में बहुत आस्था रखते है।

महात्मा गांधी के जीवन पर राजा हरिश्चंद्र के व्यक्तित्व का बहुत अधिक प्रभाव था इसी कारण उनका झुकाव सत्य के प्रति बढ़ता गया।

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Mahatma Gandhi का व्यक्तित्व है बहुत ही साधारण और सरल था इसका असर हमें उनके अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलनों में देखने को मिलता है उन्होंने कभी भी हिंसात्मक आंदोलन नहीं किए हुए हमेशा अहिंसा और सत्याग्रह को हथियार के रूप में काम में लेते थे।

उन्होंने अपना पूरा जीवन हमारे भारत देश के लिए समर्पित कर दिया था उन्हीं के अथक प्रयासों से हम आज एक आजाद देश में सुकून की सांस ले पा रहे है। महात्मा गांधी जी ने भारत में अपने जीवन का पहला आंदोलन चंपारण से प्रारंभ किया गया था

जिसका नाम बाद में चंपारण सत्याग्रह ही रख दिया गया था इस आंदोलन में उन्होंने किसानों को उनका हक दिलाने के लिए अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन किया था।

इसी प्रकार उन्होंने खेड़ा आंदोलन, असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह (दांडी यात्रा) जैसे और भी आंदोलन किए थे जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत के पैर उखड़ने लगे थे।

उन्होंने अपने जीवन का अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन किया था जो कि अंग्रेजों को मुझसे भारत को आजादी दिलाने के लिए हुआ था इसी आंदोलन के कारण हमें वर्ष 1947 में अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिली थी।

लेकिन गांधीजी भारत की इस आजादी को ज्यादा दिन देख नहीं पाए क्योंकि आजादी के 1 साल बाद ही नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। यह दिन हमारे देश के लिए बहुत ही दुखद था इस दिन हमने एक महान व्यक्ति को खो दिया था।

नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की हत्या तो कर दी लेकिन उनके विचारों को नहीं दबा पाया आज भी उनके विचारों को अमल में लाया जाता है।

Essay On Mahatma Gandhi In Hindi 1800 words

प्रस्तावना –

महात्मा गांधी एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, समाज सुधारक और महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। इसीलिए भारत में उन्हें राष्ट्रपिता और बापू के नाम से पुकारा जाता है। भारत का प्रत्येक व्यक्ति महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित है। उनके विचारों और उनके द्वारा किए गए भारत के लिए आंदोलन को कभी भुलाया नहीं जा सकता है।

उन्होंने अपना पूरा जीवन भारत के लोगों को समर्पित कर दिया था इसी समर्पण की भावना के कारण उन्होंने भारत के लोगों के हितों के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कई आंदोलन आंदोलन किए थे जिनमें वे पूरी तरह से सफल रहे थे। उनका अंतिम आंदोलन भारत छोड़ो आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के ताबूत पर अंतिम कील साबित हुई।

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उनके सम्मान में पूरे विश्व भर में 2 अक्टूबर को अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है और भारत में महात्मा गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी आज हमारे बीच में नहीं है लेकिन उनके विचार हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे।

प्रारंभिक जीवन –

महात्मा गांधी का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था उनके पिताजी करमचंद गांधी अंग्रेजी हुकूमत के दीवान के रूप में काम करते थे उनकी माताजी पुतलीबाई गृहणी थी वह भक्ति भाव वाली महिला थी जिन का पूरा दिन लोगों की भलाई करने में बीतता था।

जिसका असर हमें गांधी जी के जीवन पर भी देखने को मिलता है। महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात राज्य की पोरबंदर शहर में हुआ था। महात्मा गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था । महात्मा गांधी की प्रारंभिक पढ़ाई गुजरात में ही हुई थी।

Mahatma Gandhi बचपन में अन्य बच्चों की तरह ही शरारती थे लेकिन धीरे-धीरे उनके जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं घटती गई जिनके कारण उनके जीवन में बदलाव आना प्रारंभ हो गया था। उनका विवाह 13 साल की छोटी सी उम्र में ही कर दिया गया था उनकी पत्नी का नाम कस्तूरबा था जिन्हें प्यार से लोग “बा” के नाम से पुकारते थे। उस समय बाल विवाह प्रचलन में था इसलिए गांधी जी का विवाह बचपन में ही कर दिया गया था।

उनके बड़े भाई ने उनको पढ़ने के लिए इंग्लैंड भेज दिया था। 18 वर्ष की छोटी सी आयु में 4 सितंबर 1888 को गांधी यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन में कानून की पढाई करने और बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड चले गए। 1891 में महात्मा गांधीजी इंग्लैंड से बैरिस्टरी पास करके सुदेश आए और मुंबई में वकालत प्रारंभ कर दी।

अहिंसावादी जीवन का प्रारंभ –

महात्मा गांधी के जीवन में एक अनोखी घटना घटने के कारण उन्होंने अहिंसा वादी जीवन जीने का प्रण ले लिया था। दक्षिण अफ्रीका में प्रवास के दौरान महात्मा गांधी ने 1899 के एंगलो बोअर युद्ध के समय स्वास्थ्य कर्मी के तौर पर मदद की थी लेकिन इस युद्ध की विभीषिका को देख कर अहिंसा के रास्ते पर चलने का कदम उठाया था इसी के बल पर उन्होंने कई आंदोलन अनशन के बल पर किये थे जो कि अंत में सफल हुए थे।

उन्होंने ऐसे ही दक्षिण अफ्रीका के जोल विद्रोह के समय एक सैनिक की मदद की थी जिसे लेकर वे 33 किलोमीटर तक पैदल चले थे और उस सैनिक की जान बचाई थी। जिसे प्रतीत होता है कि महात्मा गांधी के जीवन के प्रारंभ से ही रग-रग में मानवता और करुणा की भावना भरी हुई थी।

राजनीतिक जीवन का प्रारंभ –

दक्षिण अफ्रीका में जब गांधी जी वकालत की पढ़ाई कर रहे थे उसी दौरान उन्हें काले गोरे का भेदभाव झेलना पड़ा। वहां पर हमेशा भारतीय एवं काले लोगों को नीचा दिखाया जाता था। एक दिन की बात है उनके पास ट्रेन की फर्स्ट एसी की टिकट थी लेकिन उन्हें ट्रेन से धक्के मार कर बाहर निकाल दिया गया और उन्हें मजबूरी में तृतीय श्रेणी के डिब्बे में यात्रा करनी पड़ी।

यहां तक कि उनके लिए अफ्रीका के कई होटलों में उनका प्रवेश वर्जित कर दिया गया था। यह सब बातें गांधीजी के दिल को कचोट गई थी इसलिए उन्होंने राजनीतिक कार्यकर्ता बनने का निर्णय लिया ताकि वे भारतीयों के साथ हो रहे भेदभाव को मिटा सके।

भारत में महात्मा गांधी का प्रथम आंदोलन –

महात्मा गांधी जी का भारत में प्रथम आंदोलन अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ का क्योंकि अंग्रेजों ने किसानों से खाद्य फसल की पैदावार कम करने और नील की खेती बढ़ाने को जोर दे रहे थे और एक तय कीमत पर अंग्रेजी किसानों से नील की फसल खरीदना चाहते थे।

इसके विरोध में Mahatma Gandhi जी ने अंग्रेजों के खिलाफ वर्ष 1917 में चंपारण नाम के गांव में आंदोलन छेड़ दिया था। अंग्रेजों की लाख कोशिशों के बाद भी गांधीजी मानने को तैयार नहीं थे अंत में अंग्रेजों को गांधी जी की सभी बातें माननी पड़ी। बाद में इस आंदोलन को चंपारण आंदोलन के नाम से जाना गया।

इस आंदोलन की सफलता से गांधीजी में और विश्वास पैदा हुआ और उन्होंने जान लिया था कि अहिंसा से ही वे अंग्रेजों को भारत से बाहर खदेड़ सकते है।

खेड़ा सत्याग्रह –

खेड़ा आंदोलन में Mahatma Gandhi ने किसानों की स्थिति में सुधार लाने के लिए ही किया था। वर्ष 1918 में गुजरात के खेड़ा नाम के गांव में भयंकर बाढ़ आई थी जिसके कारण किसानों की सारी फसलें बर्बाद हो गई थी और वहां पर भयंकर अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।

इतना सब कुछ होने के बाद भी अंग्रेजी हुकूमत के अफसर करो (Tax) में छुट नहीं करना चाहते थे। वह किसानों से फसल बर्बाद होने के बाद भी कर वसूलना चाहते थे। लेकिन किसानों के पास उन्हें देने के लिए कुछ नहीं था तो किसानों ने यह बात गांधी जी को बताई।

गांधीजी अंग्रेजी हुकूमत के इस बर्बरता पूर्वक निर्णय से काफी दुखी हुए फिर उन्होंने खेड़ा गांव से ही अंग्रेजों के खिलाफ अहिंसा पूर्वक आंदोलन छेड़ दिया। महात्मा गांधी के साथ आंदोलन में सभी किसानों ने हिस्सा लिया जिसके कारण अंग्रेजी हुकूमत के हाथ पांव फूल गए और उन्होंने खेड़ा के किसानों का कर (Tax) माफ कर दिया। इस आंदोलन को खेड़ा सत्याग्रह के नाम से जाना गया।

असहयोग आंदोलन –

अंग्रेजी हुकूमत के भारतीयों पर बर्बरता पूर्ण जुल्म करने और जलियांवाला हत्याकांड के बाद महात्मा गांधी जी को समझ में आ गया था कि अगर जल्द ही अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कुछ नहीं किया गया तो यह लोग भारतीय लोगों को अपनी क्रूर नीतियों से हमेशा खून चूसते रहेंगे।

महात्मा गांधी जी पर जलियांवाला बाग हत्याकांड का बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था जिसके बाद वर्ष 1920 में Mahatma Gandhi ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन की शुरुआत कर दी । इस आंदोलन के अंतर्गत गांधी जी ने सभी देशवासियों से निवेदन किया कि वे विदेशी वस्तुओं का उपयोग बंद कर दें और स्वदेशी वस्तुएं अपनाएं।

इस बात का लोगों पर इतना असर हुआ कि जो लोग ब्रिटिश हुकूमत के अंदर काम करते थे उन्होंने अपने पदों से इस्तीफा देना चालू कर दिया था। सभी लोगों ने अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करते हुए स्वदेशी सूती वस्त्र पहने लगे थे।

इस आंदोलन के कारण ब्रिटिश हुकूमत के पैर उखड़ने लगे थे। लेकिन आंदोलन ने बड़ा रूप ले लिया था और चोरा चोरी जैसे बड़े कांड होने लगे थे जगह-जगह लूटपाट हो रही थी। गांधी जी का अहिंसा पूर्ण आंदोलन हिंसा का रुख अपना रहा था। इसलिए गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस ले लिया। इस आंदोलन के कारण उन्हें 6 वर्ष की जेल की सजा भी हुई थी।

नमक सत्याग्रह –

ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता दिन प्रतिदिन भारतीयों पर बढ़ती ही जा रही थी। ब्रिटिश हुकूमत ने नया कानून पास करके नमक पर अधिक कर लगा दिया था। जिसके कारण आम लोगों को बहुत अधिक परेशानी हो रही थी।

नमक पर अत्यधिक कर लगाए जाने के कारण महात्मा गांधी जी ने 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से नमक पर भारी कर लगाए जाने के विरोध में दांडी यात्रा प्रारंभ की जो कि 6 अप्रैल 1930 को गुजरात के दांडी नामक गांव में समाप्त हुई।

इस यात्रा में गांधी जी के साथ हजारों लोगों ने हिस्सा लिया था। दांडी गांव पहुंचकर गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत के कानून की अवहेलना करते हुए खुद नमक का उत्पादन किया और लोगों को भी स्वयं नमक के उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित किया।

इस आंदोलन की खबर देश विदेश में आग की तरह फैल गई थी जिसके कारण विदेशी देशों का भी ध्यान इस आंदोलन की तरफ आ गया था यह आंदोलन गांधी जी की तरफ से अहिंसा पूर्वक लड़ा गया था जो कि पूर्णत: सफल रहा। इस आंदोलन को नमक सत्याग्रह और दांडी यात्रा के नाम से जाना जाता है।

नमक आंदोलन के कारण ब्रिटिश हुकूमत विचलित हो गई थी और उन्होंने इस आंदोलन में सम्मिलित होने वाले लोगों में से लगभग 80000 लोगों को जेल भेज दिया था।

भारत छोड़ो आंदोलन –

महात्मा गांधी जी ने ब्रिटिश हुकूमत को भारत से जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन प्रारंभ किया गया । इस आंदोलन की नींव उसी दिन पक्की हो गई थी जिस दिन गांधी जी ने नमक आंदोलन सफलतापूर्वक किया था।

उन्हें विश्वास हो गया था कि अंग्रेजों को अगर भारत से बाहर क देना है तो उसके लिए अहिंसा का रास्ता ही सबसे उत्तम रास्ता है। महात्मा गांधी ने यह आंदोलन कब छेड़ा जब द्वितीय विश्वयुद्ध चल रहा था और ब्रिटिश हुकूमत अन्य देशों के साथ युद्ध लड़ने में लगी हुई थी।

द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण अंग्रेजों की हालत दिन प्रति दिन खराब होती जा रही थी उन्होंने भारतीय लोगों को लिखते विश्वयुद्ध में शामिल करने का निर्णय लिया। लेकिन भारतीय लोगों ने उन्हें नित्य विश्वयुद्ध से अलग रखने पर जोर दिया।

बाद में ब्रिटिश हुकूमत के वादा करने पर भारतीय लोगों ने द्वितीय विश्वयुद्ध में अंग्रेजों का साथ दिया। ब्रिटिश हुकूमत ने वादा किया था कि वे द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद भारत को स्वतंत्र कर देंगे। यह सब कुछ भारत छोड़ो आंदोलन के प्रभाव के कारण ही हो पाया और वर्ष 1947 में भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिल गई।

महात्मा गांधी का भारत छोड़ो आंदोलन पूर्ण रूप से सफल रहा। इसकी सफलता का श्रेय सभी देशवासियों को भी जाता है क्योंकि उन्हीं की एकजुटता के कारण इस आंदोलन में किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं हुई और अंत में सफलता प्राप्त हुई।

उपसंहार –

Mahatma Gandhi बहुत ही सरल स्वभाव के व्यक्ति थे वे हमेशा सत्य और अहिंसा में विश्वास रखते थे। उन्होंने हमेशा गरीब लोगों का साथ दिया था। जब देश में जाति, धर्म और अमीर गरीब के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा था तब गांधी जी ने ही गरीबों को साथ लेते हुए उन्हें “हरिजन” का नाम लिया और इसका मतलब भगवान के लोग होता है।

उनके जीवन पर भगवान बुद्ध के विचारों का बहुत प्रभाव था इसी कारण उन्होंने अहिंसा का रास्ता बनाया था। उनका पूरा जीवन संघर्षों से भरा हुआ था लेकिन अंत में उन्हें सफलता प्राप्त हुई थी। उन्होंने भारत देश के लिए जो किया है उसके लिए धन्यवाद सब बहुत कम है।

हमें उनके विचारों से सीख लेनी चाहिए आज लोग एक दूसरे से छोटी छोटी बात पर झगड़ा करने लगते हैं और हर एक छोटी सी बात पर लाठी और बंदूके चलाने लगते है। गांधी जी ने कहा था कि जो लोग हिंसा करते हैं वे हमेशा नफरत और गुस्सा दिलाने की कोशिश करते है। गांधीजी के अनुसार अगर शत्रु पर विजय प्राप्त करनी है तो हम अहिंसा का मार्ग भी अपना सकते है। जिसको अपनाकर गांधी जी ने हमें ब्रिटिश हुकूमत से आजादी दिलवाई थी।

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10 thoughts on “महात्मा गांधी पर निबंध – Essay On Mahatma Gandhi In Hindi”

Rohit ji app ne sahi bola

apke essay ka koi app hai महात्मा गांधी एक महान व्यक्तित्व के व्यक्ति थे। उन्हें महात्मा की उपाधि इसलिए दी गई है क्योंकि उन्होंने हमारे भारत देश में जन्म लेकर हमारे देश के लोगों के लिए बहुत कुछ किया है। महात्मा गांधी अहिंसा और सत्य के पुजारी थे। उन्हें झूठ बोलने वाले व्यक्ति पसंद नहीं है।

बहुत सुन्दर प्रस्तुति

सराहना के लिए बहुत बहुत धन्यवाद प्रवीण विश्नोई जी, ऐसे ही हिंदी यात्रा पर आते रहे

Bhut Accha laga ye padh ke or hame ghadhi Ji ke bare me kafi jankari basil hui or isko Yaar Karna bhi easy hoga kyoki ye saral shbdo me tha or aasha karte he ese hi hame Jo chaye wo ese hi mile

Nishat khan ji, hum aap ko aise hi saral bhasha me content dete rahnge. Parsnsha ke liye aap ka bhut bhut Dhanyawad.

Mahatma Gandhi the legend me hamare liye kya kuch nhi kiya par tabh bhi kuch log unhe abhi bhi Bura Bolte h

Arti Nanda ji aap ne sahi bola aap chahe kitne bhi sahi hi log kuch na kuch to kahe ge, log to bhagvaan ko bhi dosh dete hai gandhi ji to bhi insaan the.

Mahatma gandhi bhale hee kyu na rahe lakin us kee yad aabhi bhee ham sab ke dilo dimag mai hai

Rohit ji app ne sahi bola, Mahatma gandhi ji ke vichar aaj bhi hamare saath hai.

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महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi): गांधी जयंती पर निबंध 10 लाइनें, 100, 200, 500 शब्दों में निबंध लिखना सीखें

Updated On: July 19, 2024 01:43 pm IST

प्रत्येक वर्ष 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी के जन्मदिवस को गांधी जयंती के रूप में मनाते हैं। गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi) लिखने में छात्रों को कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए। नीचे दिये गये आर्टिकल से आप निबंध लिखना सीख सकते है।

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गांधी जयंती पर निबंध

गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi): “अहिंसा के पुजारी” और “राष्ट्रपिता” कहलाने वाले महात्मा गांधी जी को बापू नाम से भी सम्बोधित किया जाता है। महात्मा गाँधी जी का जन्म शुक्रवार 2 अक्टूबर 1869 को एक साधारण परिवार में गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी व इनकी माता का नाम पुतली बाई था। इनकी माता एक धार्मिक महिला थी नियमित तौर पर उपवास रखती थी। गाँधी जी का पालन-पोषण वैष्णव मत में विश्वास रखने वाले परिवार में हुआ था। जैन धर्म का महात्मा गाँधी जी पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा जिस वजह से अहिंसा, सत्य जैसे व्यवहार स्वाभाविक रूप से गाँधी जी में बचपन से ही दिखने लगे थे। वह अपने माता-पिता के सबसे छोटी संतान थे, उनके 2 भाई और 1 बहन थी। गाँधी जी के पिता हिन्दू तथा मोढ़ बनिया जाति के थे। लोग गाँधीजी को प्यार से बापू कहते थे। साधारण जीवन उच्च विचार वाले बापू जी ने अंग्रेजी हुकूमत से अंतिम साँस तक अहिंसा की राह में चलते हुए संघर्ष किया। भारत छोड़ो आंदोलन, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन में हर तबके के लोगों को अपने साथ जोड़कर भारत को आज़ादी दिलाने में गाँधी जी ने अहम योगदान दिया है। ये  भी पढ़ें - दशहरा पर निबंध

महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi 200 words)

गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi): गांधी जयंती महात्मा गांधी के जन्मदिन को चिह्नित करने के लिए भारत में हर साल 2 अक्टूबर को मनाया जाने वाला एक अवसर है। इसे आधिकारिक तौर पर भारत की राष्ट्रीय छुट्टियों में से एक के रूप में घोषित किया गया था और संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इसे अहिंसा के अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया था। स्मारक सेवाएं इसे चिह्नित करती हैं, और पूरे भारत में श्रद्धांजलि दी जाती है, जिसमें उन प्रसिद्ध स्थानों को शामिल किया गया है जहां उनका दौरा किया गया था और उनका अंतिम संस्कार किया गया था। गांधी जी हमारे देश के राष्ट्रपिता और बापू के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। वो एक सच्चे देशभक्त नेता थे और अहिंसा के पथ पर चलते हुए पूरे देश का भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में नेतृत्व किया। गांधी जी के अनुसार ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता की लड़ाई जीतने के लिये अहिंसा, सच्चाई और ईमानदारी का रास्ता ही एकमात्र हथियार था। गांधी जी को कई बार जेल भी जाना पड़ा था हालांकि देश को आजादी मिलने तक उन्होंने अपने अहिंसा आंदोलन को जारी रखा था। उनका विश्वास हमेशा सामाजिक समानता में था और वह अस्पृश्यता के भी खिलाफ थे। देश की राजधानी नई दिल्ली में गांधीजी की समाधि या राजघाट पर बहुत सी तैयारियों के साथ गांधी जयंती मनायी जाती है। राजघाट के समाधि स्थल को फूलों की माला से सजाया जाता है और गांधी जी को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। समाधि पर सुबह के समय धार्मिक प्रार्थना भी रखी जाती है। इसे पूरे देशभर में स्कूल और कॉलेजों में विद्यार्थियों के द्वारा राष्ट्रीय उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

गांधी जयंती के अवसर पर महात्मा गांधी के जीवन और उनके कार्यों पर आधारित नाट्य ड्रामा, कविता व्याख्यान, गायन, भाषण, निबंध लेखन आदि प्रतियोगिताएं भी होती हैं। महात्मा गांधी की याद में लोग गांधी जी का सबसे प्रिय गीत “रघुपति राघव राजा राम” भी गाते हैं। ये भी पढ़ें- दिवाली पर निबंध

गांधी जयंती पर निबंध 500+ शब्दों में (Essay on Gandhi Jayanti in Hindi in 500+ words)

मोहनदास करमचंद गांधी.

गांधी जयंती पर निबंध (Essay on Gandhi Jayanti) - मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म भारत के पोरबंदर, कंथियावाड़ में पिता करमचंद उत्तमचंद गांधी और उनकी चौथी पत्नी पुतलीबाई के घर हुआ था। 1882 में उन्होंने कस्तूरबाई माकनजी से शादी की, जिनसे उनके पांच बच्चे हुए। गांधीजी ने 1887 में सामलदास कॉलेज, भाऊनगर में दाखिला लिया, लेकिन एक सत्र के बाद छोड़ दिया। हालाँकि, उन्हें कानून की पढ़ाई के लिए लंदन जाने के लिए प्रोत्साहित किया गया और वह 4 सितंबर 1888 को लंदन के लिए रवाना हो गए।

गांधी जयंती

भारत में प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। इसी दिन वर्ष 1869 को गांधीजी का जन्म हुआ था। हमारे देश की आजादी में राष्ट्रपिता का योगदान सबसे अहम था, इसीलिए हर साल उनके सम्मान में 2 अक्टूबर को गांधी जयंती मनाई जाती है। 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय उत्सव और अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन सरकारी छुट्टी होती है। इस अवसर पर स्कूलों और सरकारी संस्थानों में तरह-तरह के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। स्कूलों में तो खासतौर से निबंध प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। सभी सरकारी जगहों पर गांधीजी को श्रद्धांजलि दी जाती है। गांधी जयंती पर लोग गांधी जी के आदर्शों के महत्त्व को समझते हुए अपने जीवन में अपनाने की कोशिश करते हैं।

देश की आजादी में गांधीजी का योगदान सबसे महत्त्वपूर्ण साबित हुआ। उन्होंने अहिंसा और सत्य के मार्ग पर चलकर ही ब्रिटिश शासन से भारत को आजाद करवाया। गांधी जी ने न सिर्फ देश की आजादी में अहम भूमिका निभाई बल्कि वह भारत के साथ कई अन्य देशों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन गए। गांधी जी ने 4 महादेशों और 14 देशों में लोगों को नागरिक अधिकार आंदोलनों के लिए प्रेरित करने का काम भी किया, तो वहीं भारत में उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ सविनय अवज्ञा जैसे आंदोलनों की शुरुआत की। देश की आजादी के लिए गांधी जी हमेशा आगे रहे और हर भारतीय की आवाज़ बने। गांधी जी का सपना न केवल देश की आजादी था बल्कि वह देश को भी एकता के सूत्र में बंधा हुआ देखना चाहते थे, जिसके लिए उन्होंने हर संभव कोशिश की।

गांधीजी के अनुसार मन, वचन और शरीर से किसी को भी दु:ख न पहुँचाना ही अहिंसा है। गांधीजी के विचारों का मूल लक्ष्य सत्य एवं अहिंसा के माध्यम से विरोधियों का हृदय परिवर्तन करना है। अहिंसा का अर्थ ही होता है प्रेम और उदारता की पराकाष्ठा। गांधी जी व्यक्तिगत जीवन से लेकर वैश्विक स्तर पर ‘मनसा वाचा कर्मणा’ अहिंसा के सिद्धांत का पालन करने पर बल देते थे। आज के संघर्षरत विश्व में अहिंसा जैसा आदर्श अति आवश्यक है। गांधी जी बुद्ध के सिद्धांतों का अनुगमन कर इच्छाओं की न्यूनता पर भी बल देते थे।

महात्मा गाँधी जी अहिंसा के पुजारी थे। सत्य की राह में चलते हुए अहिंसात्मक रूप से स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए उनके द्वारा किये गए कार्य पद्धतियों को उन्होंने सत्याग्रह नाम दिया था।उनके द्वारा सत्याग्रह का अर्थ अन्याय, शोषण, भेदभाव, अत्याचार के खिलाफ शांत तरीकों से बिना किसी हिंसा के अपने हक़ के लिए लड़ना था। गाँधी जी द्वारा चम्पारण और बारदोली सत्याग्रह किये गए जिसका उद्देश्य अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचार और अन्यायपूर्ण रवैये के खिलाफ लड़ना थाकई बार इन सत्याग्रह के दौरान महात्मा गाँधी जी को जेल जाना पड़ा था। अपने सत्याग्रह में गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, दांडी मार्च, भारत छोड़ो आंदोलन का समय-समय पर प्रयोग किया।

स्वदेशी आन्दोलन

स्वदेशी आन्दोलन की शुरुआत बंगाल विभाजन के विरोध में हुई थी और इस आन्दोलन की औपचारिक शुरुआत कलकत्ता के टाउन हॉल में 7 अगस्त ,1905 को एक बैठक में की गयी थी। इसका विचार सर्वप्रथम कृष्ण कुमार मित्र  के पत्र संजीवनी में 1905 ई. में प्रस्तुत किया गया था। इस आन्दोलन में स्वदेशी नेताओं ने भारतियों से अपील की कि वे सरकारी सेवाओं,स्कूलों,न्यायालयों और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करें और स्वदेशी वस्तुओं को प्रोत्साहित करें व राष्ट्रीय कोलेजों व स्कूलों की स्थापना के द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा को प्रोत्साहित करें। अतः ये केवल राजनीतिक आन्दोलन ही नहीं था बल्कि आर्थिक आन्दोलन भी था।

स्वदेशी आन्दोलन को अपार सफलता प्राप्त हुई थी। बंगाल में जमींदारों तक ने इस आन्दोलन में भाग लिया था। महिलाओं व छात्रों ने पिकेटिंग में भाग लिया। छात्रों ने विदेशी कागज से बनी पुस्तकों का बहिष्कार किया। बाल गंगाधर तिलक,लाला लाजपत राय, बिपिन चन्द्र पाल और अरविन्द घोष जैसे अनेक नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया। अनेक भारतीयों ने अपनी नौकरी खो दी और जिन छात्रों ने आन्दोलन में भाग लिया था उन्हें स्कूलों व कालेजों में प्रवेश करने रोक दिया गया। आन्दोलन के दौरान वन्दे मातरम को गाने का मतलब देशद्रोह था। यह प्रथम अवसर था जब देश में निर्मित वस्तुओं के प्रयोग को ध्यान में रखा गया।

खिलाफत आन्दोलन

प्रथम विश्व युद्ध के बाद खिलाफत आंदोलन की शुरुआत हुई। असहयोग भारत (नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट) और खिलाफत आंदोलन प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात भारत में भारतीयों द्वारा अंग्रेजों के खिलाफ अनेक आंदोलन किये थे, जिसमें 1919 से 1922 तक दो महत्वपूर्ण आंदोलन खिलाफत आंदोलन एवं असहयोग आंदोलन चलाये गये थे। खिलाफत आंदोलन का मुख्य उद्देश्य तुर्की के खलीफा पद को पुनः स्थापित करना था। खिलाफत आंदोलन 1919 से 1924 तक चला था। हालाँकि इस आंदोलन का सीधा सम्बन्ध भारत से नहीं था। इस का प्रारम्भ 1919 में अखिल भारतीय कमिटी का गठन करके किया गया था। अखिल भारतीय कमिटी का गठन अली बंधुओं द्वारा किया गया था।

अंत्योदय एक ऐसा मिशन था जो गांधीजी के दिल के करीब था। अंत्योदय शब्द का अर्थ है " अंतिम व्यक्ति का उत्थान " या सबसे निराश, सबसे गरीब वर्ग के लोगों के उत्थान की दिशा में काम करना, जो कि बापू के अनुसार, केवल सर्वोदय द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है, अंत्योदय द्वारा सभी का विकास।

सात्विक आहार

महात्मा गांधी सात्विक खाने में विश्वास रखते थे। गुस्सा दिलाने वाले खाने से वह परहेज करते थे इसलिए हरी सब्जियों की मात्रा खाने में रखते थे। उबली हुई सब्जियों को बिना नमक के साथ खाना उनकी आदतों में रहा है। चुकंदर बैंगन भी उबालकर गांधी जी अपनी डाइट में लेते थे। सादा खाना उनकी पसंद हमेशा से रहा था, इसी क्रम में उन्होंने दाल और चावल को अपनी डाइट का हिस्सा बनाया था। दाल और चावल भी सात्विक खाने का प्रतीक होता है। इसमें प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा भी अच्छी होती है।

महात्मा गाँधी के साथ चरखे का नाम भी विशेषतौर पर जोड़ा जाता है। भारत में चरखे का इतिहास बहुत प्राचीन होते हुए भी इसमें उल्लेखनीय सुधार का काम महात्मा गाँधी के जीवनकाल का ही मानना चाहिए। सबसे पहले सन 1908 में गाँधी जी को चरखे की बात सूझी थी, जब वे इंग्लैंड में थे। उसके बाद वे बराबर इस दिशा में सोचते रहे। वे चाहते थे कि चरखा कहीं न कहीं से लाना चाहिए। गाँधी जी ने चरखे की तलाश की थी। एक गंगा बहन थीं, उनसे उन्होंने चरखा बड़ौदा के किसी गांव से मंगवाया था। इससे पहले गाँधी जी ने चरखा कभी देखा भी नहीं था, सिर्फ उसके बारे में सुना था। बाद में उस चरखे में उन्होंने काफ़ी सुधार भी किए। दरअसल गाँधी जी के चरखे और खादी के पीछे सेवा का भाव था। उनका चरखा एक वैकल्पिक आर्थिक व्यवस्था का प्रतीक भी था। महिलाओं की आर्थिक स्थिति के लिए भी, उनकी आजादी के लिए भी। आर्थिक स्वतंत्रता के लिए भी और उस किसान के लिए भी, जो 6 महीने ख़ाली रहता था।

हालाँकि स्वराज शब्द का अर्थ स्वशासन है, लेकिन गांधीजी ने इसे एक ऐसी अभिन्न क्रांति की संज्ञा दी जो कि जीवन के सभी क्षेत्रों को समाहित करती हैगांधी जी के लिये स्वराज का अर्थ व्यक्तियों के स्वराज (स्वशासन) से था और इसलिये उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके लिये स्वराज का मतलब अपने देशवासियों हेतु स्वतंत्रता है और अपने संपूर्ण अर्थों में स्वराज स्वतंत्रता से कहीं अधिक है। आत्मनिर्भर व स्वायत्त्त ग्राम पंचायतों की स्थापना के माध्यम से ग्रामीण समाज के अंतिम छोर पर मौजूद व्यक्ति तक शासन की पहुँच सुनिश्चित करना ही गांधी जी का ग्राम स्वराज सिद्धांत था। आर्थिक मामलों में भी गांधीजी विकेंद्रीकृत अर्थव्यवस्था के माध्यम से लघु, सूक्ष्म व कुटीर उद्योगों की स्थापना पर बल देते थे। गांधी जी का मत था कि भारी उद्योगों की स्थापना के पश्चात् इनसे निकलने वाली जहरीली गैसें व धुंआ पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं, साथ ही बहुत बड़े उद्योगों का अस्तित्व श्रमिक वर्ग के शोषण का भी मार्ग तैयार करता है।

महात्मा गांधी पर 10 लाइनों में निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi in 10 Lines)

  • महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था।
  • गाँधी जी का जन्म स्थान गुजरात का पोरबंदर शहर है।
  • गाँधी जी के पिता का नाम करमचंद गाँधी और माता जी का नाम पुतली बाई था।
  • महात्मा गाँधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था।
  • गाँधी जी का विवाह 15 वर्ष की आयु में कस्तूरबा गाँधी जी से हुआ था।
  • गाँधी जी राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे।
  • गाँधी जी ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ लंदन से क़ानून की पढ़ाई पूरी की थी।
  • महात्मा गाँधी जी गोपाल कृष्ण गोखले जी को अपना राजनितिक गुरु मानते थे।
  • गाँधी जी को बापू, महात्मा, राष्ट्रपिता आदि नामो से भी जाना जाता है।
  • 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे के गाँधी जी को गोली मार उनकी हत्या कर दी थी ।

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Mahatma Gandhi Essay in Hindi 100, 200, 500 Words महात्मा गांधी पर हिंदी निबंध

हमारे द्वारा नीचे महात्मा गांधी पर सरल शब्दों में निबंध दिए गए हैं। वे हमारे दिलों में हमेशा रहेंगे। भारत का हर बच्चा और व्यक्ति उन्हें बापू या राष्ट्रपिता के नाम से जानता है। नीचे दिए गए निबंधों के माध्यम से आप अपने बच्चों की स्कूल की हर प्रतियोगिता या परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने में मदद कर सकते हैं।

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Mahatma Gandhi Essay in Hindi 100 Words

महात्मा गांधी को जीवन पर्यंत उनके महान कार्यों के लिए महात्मा बुलाया जाता रहेगा। वे एक महान स्वतंत्रता सेनानी और अहिंसा का पालन करने वाले कार्यकर्ता थे. उन्होंने अहिंसा के दम पर भारत को अंग्रेजों के राज से मुक्त करवाया। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को भारत के गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक शहर में हुआ था। वे जब इंग्लैंड में कानून की पढ़ाई कर रहे थे तब महज 18 साल के थे। बाद में वे अपने कानून का अभ्यास करने के लिए दक्षिण अफ्रीका के एक ब्रिटिश उपनिवेश में गए जहां अपनी काली त्वचा के कारण गोरे लोगों ने उनके साथ भेदभाव किया। इसलिए उन्होंने इन अनुचित कानूनों में कुछ सकारात्मक बदलाव लाने के लिए एक राजनीतिक कार्यकर्ता बनने का निश्चय किया।

  • Mahatma Gandhi Slogan in Hindi 

इसके बाद वे भारत लौट आएं और उन्होंने भारत को आजादी दिलाने के लिए एक शक्तिशाली और अहिंसक आंदोलन शुरु किया। सन 1930 में गांधीजी ने दांडी मार्च का नेतृत्व किया। उन्होंने बहुत से भारतीयों को अपनी स्वतंत्रता के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ काम करने के लिए प्रेरित किया।

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 200 Words

महात्मा गांधी भारत के महान और उत्कृष्ट व्यक्तित्व थे, जो अभी भी अपनी महानता, आदर्शवाद और महान जीवन की विरासत के जरिए देश -विदेश में लोगों को प्रेरित करता है। बापू का जन्म 2 अक्तूबर को 1869 को भारत के गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक शहर में एक हिंदू परिवार में हुआ था। अक्टूबर माह के दूसरे दिन जब बापू का जन्म हुआ, वह भारत के लिए एक महान दिन था। उन्होंने ब्रिटिश शासन से भारत को स्वतंत्रता कराने के लिए अपनी महान और अविस्मरणीय भूमिका अदा की। बापू का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। वे अपनी मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद ही कानून की पढाई के लिए इंग्लैंड चले गयें थे। सन 1891 में एक वकील के रूप में भारत लौट आयें।

  • Mahatma Gandhi Quotes On Cleanliness In Hindi

भारत आने के बाद, उन्होंने ब्रिटिश शासन से विभिन्न समस्याओं का सामना कर रहे भारतीय लोगों की मदद करना शुरू कर दिया। उन्होंने भारतीयों की मदद के लिए अंग्रेजों के खिलाफ सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया। भारत की स्वतंत्रता के लिए बापू द्वारा शुरू की गई अन्य बड़ी गतिविधियों में 1920 में असहयोग आंदोलन, वर्ष 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन थे। सभी आंदोलनों ने भारत में ब्रिटिश शासन को हिलाकर रख दिया और बहुत से आम नागरिकों को स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया।

  • Gandhiji Ke Andolan In Hindi 

Mahatma Gandhi Essay in Hindi 500 Words

महात्मा गांधी को हमारे देश की आजादी में उनके महान योगदान के लिए “देश के पिता या बापू” के रूप में जाना जाता है। वे एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अहिंसा और लोगों की एकता में विश्वास किया और भारतीय राजनीति में आध्यात्मिकता लायें। उन्होंने भारतीय समाज में अस्पृश्यता को हटाने, भारत में पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए कड़ी मेहनत की, सामाजिक विकास के लिए गांवों को विकसित करने के लिए आवाज उठाई, स्वदेशी वस्तुओं और अन्य सामाजिक मुद्दों को उठाने के लिए लोगों को प्रेरित किया। वे आजादी की लड़ाई में भाग लेने के लिए आम लोगों को आगे लायें और उन्हें अपनी सच्ची स्वतंत्रता के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया।

  • Gandhi Jayanti Speech In Hindi

वे उन व्यक्तियों में से एक थे जिन्होंने अपने महान आदर्शों और सर्वोच्च त्यागों के माध्यम से आजादी के सपने को सच्चाई में बदल दिया। वे आज भी हमारे बीच उनके महान कार्यों और अहिंसा, सच्चाई, और प्रेम जैसे प्रमुख गुणों के लिए याद कियें जाते है। वे एक महान आत्मा के रूप में पैदा नहीं हुए थे बल्कि उन्होंने अपने कठिन संघर्षों और कार्यों के माध्यम से खुद को महान बना दिया। वे राजा हरिश्चंद्र नामक नाटक के पात्र राजा हरिश्चंद्र के जीवन से बेहद प्रभावित थे। स्कूली शिक्षा के बाद, उन्होंने इंग्लैंड से अपनी क़ानून की डिग्री पूरी की और एक वकील के रूप में अपना कैरियर शुरू किया। उन्होंने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया लेकिन एक महान नेता के रूप में कार्य करना जारी रखा।

  • Mahatma Gandhi Quotes in Hindi

उन्होंने भारत की आज़ादी के लिए कई बड़े आन्दोलनों जैसे 1920 में असहयोग आंदोलन, 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन और 1 942 में भारत छोड़ो आंदोलन आदि की शुरुआत की। कई संघर्षों और कार्यों के बाद, ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत को आजादी प्रदान की गई। वे एक बहुत ही सरल व्यक्ति थे जिन्होंने रंग और जातिगत भेदभाव को दूर करने के लिए काम किया। उन्होंने भारतीय समाज में अस्पृश्यता को दूर करने के लिए कड़ी मेहनत की और अछूतों को “हरिजन” नाम दिया, जिसका अर्थ है भगवान के लोग।

वे एक महान सामाजिक सुधारक और भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे, जो अपने जीवन के लक्ष्य को पूरा करने के एक दिन बाद मृत्यु को प्राप्त हुए। उन्होंने भारतीय लोगों को मेहनतकश बननें के लिए प्रेरित किया और कहा कि एक सरल जीवन जीने और आत्मनिर्भर बनने के लिए सभी संसाधनों की व्यवस्था वे स्वयं करें। उन्होंने स्वदेशी सामानों के उपयोग को बढ़ावा देने और विदेशी सामानों के उपयोग से बचने के लिए चरखे के माध्यम से सूती कपड़े की बुनाई शुरू कर दी। वे कृषि के समर्थक थे और इसके लिए उन्होंने बड़ी संख्या में लोगों को कृषि कार्य करने के लिए प्रेरित किया। वे एक ऐसे आध्यात्मिक व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय राजनीति में आध्यात्मिकता का प्रवेश करवाया। 30 जनवरी 1948 को उनका निधन हुआ और उनके शरीर का अंतिम  संस्कार राजघाट , नई दिल्ली में किया गया। उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए 30 जनवरी को हर साल भारत में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।

  • Short Paragraph on Mahatma Gandhi In Hindi

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Mahatma Gandhi Essay in hindi | महात्मा गांधी पर निबंध

Mahatma Gandhi Essay in hindi

Mahatma Gandhi Essay in hindi – महात्मा गांधी पर निबंध : जैसा कि पोस्ट के टाइटल से ही स्पष्ट हो जाता है कि आज हम महात्मा गांधी जी के बारे मे बात करने वाले हैं। आज की इस पोस्ट में हम महात्मा गांधी के बारे में हर प्रकार के निबंध जैसे “महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में”, “Mahatma Gandhi par nibandh 150 shabdon me”, “महात्मा गांधी पर निबंध 200 शब्दों में”, “Mahatma Gandhi par nibandh 250 shabdon me”, “महात्मा गांधी पर निबंध 300 शब्दों में”, “Mahatma Gandhi par nibandh 400 shabdon me”, “महात्मा गांधी पर निबंध 500 शब्दों में”, महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में प्रदान करेंगे जिससे की सभी कक्षाओं के Students उनके अनुसार निबंध लिख सके।

तो चलिए शुरू करते है बिना किसी देरी के Essay in hindi on mahatma gandhi.

महात्मा गांधी निबंध 10 लाइन में Mahatma Gandhi Essay 10 Lines in Hindi – Set 1

  • महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात, भारत में हुआ था।
  • महात्मा गांधी जी के पिता का नाम करमचंद गांधी था और उनकी माता का नाम पुतलीबाई था
  • वह करमचंद गांधी और पुतलीबाई के सबसे छोटे पुत्र थे।
  • गांधी की शिक्षा पोरबंदर और राजकोट में हुई थी।
  • 1887 में, वे कानून का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड गए।
  • 1891 में भारत लौटने के बाद, उन्होंने बंबई में कानून का अभ्यास शुरू किया।
  • 1893 में, वह एक अदालती मामले में एक मुस्लिम मुवक्किल का प्रतिनिधित्व करने के लिए दक्षिण अफ्रीका गए।
  • दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए, वे नस्लीय भेदभाव के खिलाफ भारतीय प्रवासियों के संघर्ष में शामिल हो गए।
  • उन्होंने अहिंसक प्रतिरोध, या सत्याग्रह के दर्शन को विकसित किया, जिसका उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में बहुत प्रभाव डाला।
  • 30 जनवरी, 1948 को एक हिंदू उग्रवादी द्वारा गांधी की हत्या कर दी गई थी।

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महात्मा गांधी पर निबंध 10 लाइन में Mahatma Gandhi Essay in Hindi 10 Lines – Set 2

  • महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को हुआ था।
  • महात्मा गांधी जी को मोहनदास करमचंद गांधी के नाम से भी जाना जाता है
  • उनका जन्म पोरबंदर, गुजरात में हुआ था।
  • उनके माता-पिता करमचंद गांधी और पुतलीबाई थे।
  • उनका विवाह कस्तूरबा गांधी से हुआ था।
  • उन्हें भारत के पिता के रूप में जाना जाता है।
  • उन्होंने ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी।
  • उन्होंने अहिंसा को अपने हथियार के रूप में इस्तेमाल किया।
  • उन्हें भारत का सबसे महान नेता माना जाता है।
  • उन्हें उनकी शांति और प्यार के लिए याद किया जाता है।

महात्मा गांधी पर निबंध 10 लाइन में

महात्मा गांधी पर निबंध 100 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in 100 Words.

महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उन्होंने ब्रिटिश नियंत्रण से भारतीय स्वतंत्रता की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाई। भारत लौटने से पहले उन्होंने लंदन में कानून की पढ़ाई की। 1893 में, वह एक अदालती मामले में एक मुस्लिम मुवक्किल का प्रतिनिधित्व करने के लिए दक्षिण अफ्रीका गए। दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए, महात्मा गांधी जी नस्लीय भेदभाव के खिलाफ भारतीय डायस्पोरा के संघर्ष में शामिल हुए। उन्होंने विरोध और हड़तालों का आयोजन किया, और उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में पहली भारतीय राजनीतिक संस्था, नेटाल इंडियन कांग्रेस की भी स्थापना की।

वर्ष 1915 में, गांधी जी भारत लौट आए और जल्द ही स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गए। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विरोध का नेतृत्व किया और उन्होंने ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार भी किया। गांधी के अहिंसक प्रतिरोध के तरीके 1947 में भारतीय स्वतंत्रता जीतने में सफल रहे।

गांधी जी की हत्या 1948 में एक हिन्दू ने की थी। उनकी विरासत अभी भी दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करती है। उन्हें समकालीन भारत का संस्थापक माना जाता है।

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महात्मा गांधी पर निबंध 150 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in 150 Words.

महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, गुजरात में एक हिंदू परिवार में हुआ था और उनकी जन्मतिथि को भारत में राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाया जाता है। उनके पिता पोरबंदर के मुख्यमंत्री थे।

जब महात्मा गांधी जी 13 वर्ष के थे, तब उनका विवाह कस्तूरबा माखनजी से हुआ था, और उनके 4 पुत्र हुए। महात्मा गांधी जी नागरिक अधिकार प्राप्त करने के लिए अहिंसा के मार्ग पर चले। वह बहुत विनम्र और विनम्र व्यक्ति थे। वह ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार के खिलाफ राष्ट्रवादी आंदोलन के महान नेता बने।

उन्होंने 1891 में लंदन विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की और भारत वापस आ गए। गांधी जी एक भारतीय वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक और एक महान राजनीतिक नेता थे। गांधी जी ने सत्याग्रह, दांडी के लिए नमक मार्च किया। सत्याग्रह अहिंसक प्रतिरोध या नागरिक प्रतिरोध का एक रूप है जो सत्य की शक्ति पर जोर देता है। 1930 में 12 मार्च से 6 अप्रैल तक सत्याग्रह चला। 30 जनवरी 1948 की तारीख को उनका निधन हो गया।

महात्मा गांधी पर निबंध 300 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in 300 Words

2 अक्टूबर, 1869, महात्मा गांधी जी का जन्म भारत के पोरबंदर में हुआ था, उनके पिता का नाम करम चंद गांधी जी था। महात्मा गांधी जी का पूरा नाम मोहन दास करमचंद गांधी जी था। इनकी माता का नाम पुतली बाई था। राजकोट में स्कूल जाने से पहले, महात्मा गांधी जी पोरबंदर में पढ़े थे। महात्मा ने कभी झूठ नहीं बोला, तब भी नहीं जब वे युवा थे। 18 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की।

13 साल की उम्र में कस्तूरबा और मोहन दास की शादी हो गई। गांधी जी कानून का अध्ययन करने के लिए इंग्लैंड गए और अंततः बैरिस्टर के रूप में स्नातक हुए। इंग्लैंड में भी, उन्होंने काफी सीधा जीवन व्यतीत किया। कानून की डिग्री हासिल करने के बाद वे भारत लौट आए।

गांधी जी ने अपने पेशेवर जीवन की शुरुआत एक वकील के रूप में की थी। एक कानूनी लड़ाई के दौरान, उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की। उन्होंने स्थानीय मूल अमेरिकियों की स्थिति का अवलोकन किया। गोरे लोगों ने उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया। उन्हें विशिष्ट स्थानों, क्लबों और अन्य प्रतिष्ठानों में जाने के साथ-साथ रेलमार्गों पर प्रथम श्रेणी में यात्रा करने से मना किया गया था। एक बार प्रथम श्रेणी में ट्रेन में सवार होने के दौरान गांधी जी पर हमला किया गया था और उन्हें गाड़ी से बाहर फेंक दिया गया था। अहिंसा और सत्याग्रह आंदोलन तब महात्मा द्वारा सभी भारतीयों को एक साथ लाने के प्रयास में शुरू किया गया था। आंदोलन ने तेजी से गति पकड़ी।

गांधी जी अपने देश लौटने के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में फिर से शामिल हो गए। उन्होंने यहां अहिंसा और असहयोग आंदोलनों की भी शुरुआत की। उन्होंने भारत के हर हिस्से का दौरा किया। वंचितों की स्थितियों को देखने के लिए, उन्होंने पूरे भारत में, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर दौरा किया।

रौलट एक्ट का विरोध करने के लिए महात्मा गांधी जी द्वारा जलियाँ-वाला-बाग में गोलीबारी और सत्याग्रह आंदोलन दोनों शुरू किए गए थे। कई विपत्तियों के बाद, अधिनियम बनाया गया था। नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलनों की शुरुआत उनके द्वारा की गई थी। आखिरकार गांधी जी ने हमें आजादी दिलाई। 15 अगस्त, 1947 को भारत को स्वतंत्रता प्राप्त हुई। “राष्ट्रपिता” की उपाधि उन्हें दी गई है। नाथूराम गोडसे, एक कट्टरपंथी हिंदू, ने दुर्भाग्य से 30 जनवरी, 1948 को गांधी जीजी को गोली मार दी।

महात्मा गांधी पर निबंध 400-500 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in 400 – 500 Words

महात्मा गांधी जी को भारतीय राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता है, वे एक प्रतिष्ठित नेता, दार्शनिक और समाज सुधारक थे। ब्रिटिश शासन से भारत की आजादी के लिए उनका अहिंसक संघर्ष दुनिया भर में शांतिपूर्ण प्रतिरोध का प्रतीक बन गया। यहां हम महात्मा गांधी जी के जीवन, शिक्षाओं और विरासत पर 400 शब्दों में महात्मा गांधी निबंध प्रदान कर रहे हैं, जो अहिंसा के माध्यम से प्रेरक परिवर्तन में उनकी भूमिका पर जोर देते हैं।

महात्मा गांधी जी का प्रारंभिक जीवन:

2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात में जन्मे, मोहनदास करमचंद गांधी जी का पालन-पोषण एक पारंपरिक हिंदू परिवार में हुआ था। कानून की शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने दक्षिण अफ्रीका की यात्रा की, जहाँ उन्होंने पहली बार भारतीय समुदाय के साथ होने वाले भेदभाव का अनुभव किया। इन अनुभवों ने अन्याय और असमानता के खिलाफ लड़ने के उनके दृढ़ संकल्प को हवा दी।

अहिंसक प्रतिरोध:

महात्मा गांधी जी राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन प्राप्त करने के साधन के रूप में अहिंसा की शक्ति में दृढ़ता से विश्वास करते थे। उनका दर्शन, जिसे सत्याग्रह के रूप में जाना जाता है, शांतिपूर्ण प्रतिरोध के पीछे ड्राइविंग बलों के रूप में सत्य, प्रेम और करुणा की वकालत करता है। गांधी जी के सिद्धांतों ने हिंसा और उत्पीड़न से मुक्त समाज बनाने के उद्देश्य से व्यक्तियों और समुदायों के नैतिक और आध्यात्मिक जागरण पर जोर दिया।

नमक मार्च और सविनय अवज्ञा (Salt March and Civil Disobedience):

गांधी जी के सविनय अवज्ञा के सबसे प्रसिद्ध कृत्यों में से एक नमक मार्च था, जो 1930 में हुआ था। नमक पर ब्रिटिश एकाधिकार के विरोध में, गांधी जी ने अनुयायियों के एक समूह का नेतृत्व करते हुए अरब सागर की 240 मील की यात्रा की, जहां उन्होंने समुद्री जल को वाष्पित करके अपना नमक बनाया। इस अधिनियम ने ब्रिटिश नमक कानूनों का उल्लंघन किया और भारतीय आबादी को प्रेरित किया, ब्रिटिश शासन के खिलाफ व्यापक सविनय अवज्ञा को प्रेरित किया।

भारतीय स्वतंत्रता के चैंपियन:

स्वतंत्रता के लिए भारतीय जनता को लामबंद करने में गांधी जी का नेतृत्व और अथक प्रयास महत्वपूर्ण थे। अहिंसक प्रतिरोध की अपनी रणनीति के माध्यम से, उन्होंने धर्म, जाति और वर्ग की बाधाओं को पार करते हुए विविध पृष्ठभूमि के लोगों को एकजुट किया। गांधी जी की न्याय और समानता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता ने लाखों भारतीयों को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने और ब्रिटिश कब्जे का शांतिपूर्वक विरोध करने के लिए प्रेरित किया।

विरासत और वैश्विक प्रभाव:

महात्मा गांधी जी की विरासत भारत की सीमाओं से बहुत आगे तक फैली हुई है। उनके दर्शन और अहिंसक प्रतिरोध के तरीकों ने कई नागरिक अधिकार आंदोलनों को प्रभावित किया और मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला और आंग सान सू की जैसे नेताओं को प्रेरित किया। अहिंसा, सांप्रदायिक सद्भाव और मानवाधिकारों पर गांधी जी की शिक्षाएं प्रासंगिक बनी हुई हैं और दुनिया भर में सामाजिक न्याय और शांति के लिए प्रयास करने वाले व्यक्तियों और आंदोलनों को प्रेरित करती हैं।

संघर्ष और विभाजन से चिह्नित दुनिया में, महात्मा गांधी जी के अहिंसा और शांतिपूर्ण प्रतिरोध के सिद्धांत एक मार्गदर्शक प्रकाश के रूप में काम करते हैं। सत्य, न्याय और समानता के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों के साथ प्रतिध्वनित होती रहती है। अपने निःस्वार्थ कार्यों से उन्होंने यह साबित कर दिया कि हिंसा का सहारा लिए बिना वास्तविक परिवर्तन प्राप्त किया जा सकता है।

Also Read: Biography of Mahatma Gandhi in English

महात्मा गांधी पर निबंध 1000 शब्दों में Mahatma Gandhi Essay in 1000 Words.

महात्मा गांधी जी, भारतीय इतिहास में एक सम्मानित व्यक्ति हैं, वे देश के स्वतंत्रता आंदोलन को आकार देने और अहिंसा, शांति और समानता के आदर्शों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण थे। यहां हम 1000 शब्दों में महात्मा गांधी जी पर एक निबंध की खोज करेंगे। हम उनकी शिक्षाओं के महत्व, नेतृत्व के प्रति उनके दृष्टिकोण और पीढ़ियों को प्रेरित करने वाली उनकी स्थायी विरासत के बारे में जानेंगे।

महात्मा गांधी जी कौन थे?

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा.

मोहनदास करमचंद गांधी जी, जिन्हें आमतौर पर महात्मा गांधी जी के नाम से जाना जाता है, का जन्म 2 अक्टूबर, 1869 को पोरबंदर, गुजरात, भारत में हुआ था। उनका पालन-पोषण एक समर्पित हिंदू परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा भारत में प्राप्त की और बाद में लंदन, इंग्लैंड में कानून का अध्ययन किया। गांधी जी के पालन-पोषण और शिक्षा ने उनके विश्वदृष्टि को आकार देने और ईमानदारी, करुणा और न्याय के मूल्यों को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रभाव और परिवर्तनकारी अनुभव

इंग्लैंड में रहने के दौरान, गांधी जी को विभिन्न अनुभवों का सामना करना पड़ा जिसने उनके दृष्टिकोण को गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने पहली बार नस्लीय भेदभाव का सामना किया, जिससे सभी प्रकार के अन्याय और उत्पीड़न के खिलाफ लड़ने की उनकी प्रतिबद्धता जगी। इसके अतिरिक्त, गांधी जी ने लियो टॉल्स्टॉय और हेनरी डेविड थोरो जैसे महत्वपूर्ण बुद्धिजीवियों से भी प्रेरणा ली, जिनकी अहिंसा और सविनय अवज्ञा में विश्वास ने उन पर एक स्थायी प्रभाव डाला।

महात्मा गांधी जी के आदर्श और शिक्षाएं

अहिंसा: अहिंसा एक हथियार के रूप में.

महात्मा गांधी जी के दर्शन का केंद्र अहिंसा या अहिंसा का सिद्धांत था। उनका मानना था कि हिंसा केवल अधिक हिंसा को जन्म देती है और यह कि सच्चा परिवर्तन केवल शांतिपूर्ण तरीकों से ही प्राप्त किया जा सकता है। गांधी जी की अहिंसा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता औपनिवेशिक शासन और सामाजिक अन्याय के खिलाफ उनकी लड़ाई में एक शक्तिशाली उपकरण बन गई। प्रत्येक मनुष्य के निहित मूल्य और गरिमा में उनके विश्वास ने उनकी शिक्षाओं की नींव रखी।

सत्याग्रह: सत्य की शक्ति

सत्याग्रह, जिसका अर्थ है “सत्य बल” या “आत्मा बल”, गांधी जी की शिक्षाओं का एक और मूलभूत पहलू था। उन्होंने अन्याय का सामना करने और चुनौती देने के लिए अहिंसक प्रतिरोध के उपयोग की वकालत की। सत्याग्रह में निष्क्रिय प्रतिरोध, सविनय अवज्ञा और अपने विश्वासों के लिए पीड़ित होने की इच्छा शामिल थी। सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों का पालन करके, गांधी जी का उद्देश्य समाज के नैतिक विवेक को जगाना और अत्याचारियों को अपने तरीके बदलने के लिए मजबूर करना था।

स्वराजः स्वशासन और स्वतंत्रता

महात्मा गांधी जी स्वराज की अवधारणा में दृढ़ता से विश्वास करते थे, जिसका अनुवाद “स्व-शासन” या “स्व-शासन” के रूप में किया जाता है। उन्होंने एक ऐसे समाज की कल्पना की, जहां व्यक्तियों के पास खुद पर शासन करने की शक्ति हो, जो बाहरी प्रभुत्व से मुक्त हो। गांधी जी की स्वराज की दृष्टि राजनीतिक स्वतंत्रता से परे थी; उन्होंने व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों स्तरों पर आत्म-अनुशासन, आत्मनिर्भरता और आत्मनिर्भरता के महत्व पर जोर दिया। गांधी जी के लिए स्वराज केवल भारत तक ही सीमित नहीं था, बल्कि सभी के कल्याण और सशक्तिकरण को शामिल करता था।

सर्वोदय : सबका कल्याण

सर्वोदय, जिसका अर्थ है “सभी का उत्थान,” महात्मा गांधी जी द्वारा प्रतिपादित एक अवधारणा थी। उनका मानना था कि सच्ची प्रगति और विकास तभी प्राप्त किया जा सकता है जब समाज के सबसे कमजोर सदस्यों के कल्याण को प्राथमिकता दी जाए। गांधी जी ने गरीबी, भेदभाव और असमानता के मुद्दों को संबोधित करते हुए सामाजिक और आर्थिक समानता की वकालत की। प्रत्येक व्यक्ति की भलाई और गरिमा पर उनका जोर एक न्यायपूर्ण और समावेशी समाज बनाने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

महात्मा गांधी की नेतृत्व शैली

उदाहरण द्वारा लीड करें: वाकिंग द टॉक.

उदाहरण के लिए नेतृत्व करने की महात्मा गांधी जी की क्षमता उनके सबसे उत्कृष्ट नेतृत्व गुणों में से एक थी। उनका मानना था कि नेताओं को उन मूल्यों को धारण करना चाहिए जिनका वे समर्थन करते हैं और जो वे उपदेश देते हैं उसका अभ्यास करना चाहिए। सादगी, विनम्रता और अहिंसा के प्रति प्रतिबद्धता सहित गांधी जी के व्यक्तिगत जीवन शैली विकल्पों ने उनके अनुयायियों के लिए एक शक्तिशाली उदाहरण के रूप में कार्य किया। अपने सिद्धांतों के अनुरूप जीवन जीकर, गांधी जी ने दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित किया और केवल शब्दों के बजाय अपने कार्यों के माध्यम से नेतृत्व किया।

समावेशी नेतृत्वः वंचितों का सशक्तिकरण

गांधी जी के नेतृत्व में समावेशिता और समाज के हाशिए के वर्गों को सशक्त बनाने पर एक मजबूत ध्यान केंद्रित किया गया था। उन्होंने उस समय भारतीय समाज में प्रचलित पदानुक्रम और सामाजिक विभाजन को खत्म करने की मांग की। गांधी जी ने स्वतंत्रता और सामाजिक सुधार की लड़ाई में जाति, धर्म या लिंग की परवाह किए बिना जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों को सक्रिय रूप से शामिल किया। हाशिए पर पड़े लोगों को आवाज देकर, गांधी जी ने मौजूदा सत्ता संरचनाओं को चुनौती दी और एक अधिक समतामूलक समाज का मार्ग प्रशस्त किया।

सुनना और संवाद: संघर्षों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करना

अहिंसक समाधानों की अपनी खोज में, गांधी जी ने बातचीत को सुनने और उसमें शामिल होने के महत्व पर जोर दिया। उनका मानना था कि सच्ची समझ केवल सम्मानजनक संचार और सक्रिय श्रवण से ही उभर सकती है। गांधी जी ने शांतिपूर्ण वार्ताओं को प्रोत्साहित किया और महत्वपूर्ण असहमतियों के बावजूद भी आम जमीन तलाशने की कोशिश की। संवाद और शांतिपूर्ण संघर्ष समाधान को बढ़ावा देकर, उन्होंने स्थायी परिवर्तन लाने में कूटनीति और अनुनय की शक्ति का प्रदर्शन किया।

महात्मा गांधी जी और भारत की आजादी

नमक मार्चः सविनय अवज्ञा का प्रतीक.

भारतीय स्वतंत्रता के लिए महात्मा गांधी जी की लड़ाई में सबसे प्रतिष्ठित घटनाओं में से एक नमक मार्च था, जिसे दांडी मार्च भी कहा जाता है। 1930 में, गांधी जी और अनुयायियों के एक समूह ने तटीय शहर दांडी की 240 मील की यात्रा शुरू की। उनका उद्देश्य समुद्री जल से नमक का उत्पादन करके ब्रिटिश नमक एकाधिकार को चुनौती देना था। सविनय अवज्ञा के इस कृत्य ने व्यापक ध्यान आकर्षित किया और पूरे देश में विरोध की लहर दौड़ गई। नमक मार्च औपनिवेशिक शासन के खिलाफ अवज्ञा का प्रतीक बन गया और लाखों भारतीयों के बीच प्रतिरोध की भावना को प्रज्वलित कर दिया।

भारत छोड़ो आंदोलन: राष्ट्र को एक करना

1942 में, महात्मा गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की, अंग्रेजों से भारत छोड़ने का आग्रह किया। इस सामूहिक सविनय अवज्ञा अभियान का उद्देश्य ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बनाना था। इस आंदोलन ने लाखों भारतीयों को हड़तालों, विरोध प्रदर्शनों और असहयोग के कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेते देखा। जबकि ब्रिटिश अधिकारियों ने बलपूर्वक जवाब दिया, गांधी जी और अन्य नेताओं को कैद कर लिया, भारत छोड़ो आंदोलन ने स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मोड़ दिया। इसने स्वतंत्रता की लड़ाई में भारतीय लोगों के अटूट दृढ़ संकल्प और एकता को प्रदर्शित किया।

विभाजन और गांधी जी की सद्भावना की वकालत

1947 में भारत का विभाजन, जिसके परिणामस्वरूप भारत और पाकिस्तान का निर्माण हुआ, एक अत्यंत विभाजनकारी और दुखद घटना थी। बढ़ते सांप्रदायिक तनाव और हिंसा के बीच, महात्मा गांधी जी ने शांति, सद्भाव और धार्मिक एकता की अथक वकालत की। उन्होंने सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने और हिंसा को रोकने के लिए उपवास किया और प्रार्थना सभाओं में भाग लिया। गांधी जी का दृढ़ विश्वास था कि हिंदू और मुसलमान एक साझा समाज में सह-अस्तित्व में रह सकते हैं और सक्रिय रूप से सुलह और समझ की दिशा में काम किया। अपार चुनौतियों के बावजूद, अहिंसा और सांप्रदायिक सद्भाव के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने राष्ट्र पर स्थायी प्रभाव छोड़ा।

दुनिया पर महात्मा गांधी जी का प्रभाव

नागरिक अधिकार आंदोलनों के लिए प्रेरणा.

महात्मा गांधी जी के अहिंसा और सविनय अवज्ञा के सिद्धांतों ने दुनिया भर में कई नागरिक अधिकार आंदोलनों को प्रेरित किया। संयुक्त राज्य अमेरिका में मार्टिन लूथर किंग जूनियर, दक्षिण अफ्रीका में नेल्सन मंडेला और म्यांमार में आंग सान सू की जैसे नेताओं ने गांधी जी के शांतिपूर्ण प्रतिरोध के तरीकों से प्रेरणा ली। गांधी जी की विरासत नस्लीय भेदभाव, रंगभेद और दमनकारी शासन के खिलाफ लड़ने वालों के लिए एक मार्गदर्शक बन गई। उनकी शिक्षाएँ न्याय, समानता और मानवाधिकारों के लिए प्रयासरत व्यक्तियों और आंदोलनों के साथ प्रतिध्वनित होती रहती हैं।

वैश्विक नेताओं पर प्रभाव

महात्मा गांधी जी का प्रभाव आंदोलनों से परे फैला और वैश्विक नेतृत्व के उच्चतम सोपानों तक पहुंचा। मार्टिन लूथर किंग जूनियर जैसे नेताओं ने गांधी जी को एक आदर्श माना और उनके सिद्धांतों का अनुकरण करने की मांग की। गांधी जी के आदर्शों ने नेल्सन मंडेला जैसी विश्व विभूतियों को प्रभावित किया, जिन्होंने अहिंसा को परिवर्तन के लिए एक शक्तिशाली शक्ति के रूप में देखा। उनके शांतिपूर्ण प्रतिरोध के दर्शन और नैतिक नेतृत्व पर उनके जोर ने विभिन्न महाद्वीपों और पीढ़ियों के नेताओं की सोच और कार्यों को आकार दिया है।

आधुनिक दुनिया में विरासत

महात्मा गांधी जी की विरासत आज भी आधुनिक दुनिया में प्रासंगिक है। अहिंसा, सत्य और सामाजिक न्याय पर उनका जोर संघर्ष और असमानता से चिह्नित युग में बहुत महत्व रखता है। गांधी जी की शिक्षाएं व्यक्तियों को शांतिपूर्ण तरीकों से अन्याय का सामना करने, सहानुभूति को बढ़ावा देने और संवाद को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करती हैं। एक सामंजस्यपूर्ण और समावेशी समाज की उनकी दृष्टि प्रेम, करुणा और नैतिक साहस की परिवर्तनकारी शक्ति की निरंतर याद दिलाती है।

महात्मा गांधी के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

महात्मा गांधी का जन्म कब और कहाँ हुआ.

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर गाँव में हुआ था।

महात्मा गांधी का नारा क्या है?

8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन छेड़ते समय महात्मा गांधी द्वारा ‘ करो या मरो’  का नारा दिया गया था।

महात्मा गांधी का निधन कब हुआ?

महात्मा गांधी का निधन 30 जनवरी 1948 को हुआ।

महात्मा गांधी का पूरा नाम क्या है?

महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है।

महात्मा गांधी ने कितने आंदोलन किए थे?

महात्मा गांधी ने 6 प्रमुख आंदोलन किए थे?

1. चंपारण आंदोलन (1917) 2. खेड़ा आंदोलन (1918) 3. खिलाफत आंदोलन (1919) 4. असहयोग आंदोलन (1920) 5. सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) 6. भारत छोड़ो आंदोलन (1942)

महात्मा गांधी की मृत्यु किसने की थी?

महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे (नाथूराम गोडसे) ने गोली मार कर की थी।

महात्मा गाँधी की मृत्यु कहाँ हुई थी?

महात्मा गांधी की मृत्यु नई दिल्ली में स्थित बिरला हाउस में हुई थी जिसे अब गांधी स्मृति के नाम से जाना जाता है

महात्मा गांधी की मां का क्या नाम था?

महात्मा गांधी की मां का नाम पुतलीबाई था।

महात्मा गांधी ने कौन कौन सी पुस्तक लिखी है?

  • हिन्द स्वराज
  • प्रकृति इलाज
  • ग्राम स्वराज
  • गीता का संदेश
  • सच्चाई भगवान है
  • कानून और वकील
  • मेरे सपनों का भारत
  • दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह
  • सांप्रदायिक सद्भावना का रास्ता
  • पंचायत राज भगवान के लिए मार्ग हिंदू धर्म का सार

महात्मा गांधी को ‘राष्ट्रपिता’ क्यों कहा जाता है?

महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता है क्योंकि उन्हें अपने आदर्शों और सर्वोच बलिदानों के साथ स्वतंत्रता भारत की वास्तविक छाया राखी है।

महात्मा गांधी को सर्वप्रथम बापू किसने कहा था?

महात्मा गांधी को सर्वप्रथम बापू चंपारण के राजकुमार शुक्ला ने कहा था। जो की एक किसान थे। अंग्रेजों के द्वारा किए गए अत्याचारों के खिलाफ बापूजी के आंदोलन की शुरुआत चंपारण से ही हुई थी। बापू को चंपारण बुलाने में सबसे बड़ा योगदान चंपारण के किसान राजकुमार शुक्ला का माना जाता है।

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इस लेख में महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi) बड़े ही सरल शब्दों में प्रस्तुत किया गया है। अक्सर छोटी-बड़ी परीक्षाओं में महात्मा गांधी की जीवनी पर निबंध पूछ लिया जाता है।

यदि आप गांधी जी के ऊपर निबंध की तलाश कर रहे हैं तो आप सही स्थान पर हैं। आज हमने इस लेख मे महात्मा गांधी का प्रारंभिक जीवन, शिक्षा, आजादी मे योगदान, निजी जीवन, मृत्यु,तथा 10 लाइन के बारे मे लिखा है।

Table of Contents

प्रस्तावना महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi)

भारत पर हजारों साल तक विदेशी आक्रमणकारियों का कब्ज़ा था। लेकिन स्वतंत्रता के बाद इसने कई देशों को पीछे छोड़कर प्रगति की है।

भारत को वीरों की भूमि इसीलिए कहा जाता है क्योंकि यहां पर ऐसे महान आत्माओं ने जन्म लिया है जिन्होंने कभी भी भारत माता का  मस्तक झुकने नहीं दिया।

स्वतंत्रता दिलाने में कई महापुरुषों ने अपना योगदान दिया है जिनके आदर्श को भारतवासी सदा याद करते हैं। उन्ही महापुरुषों में से महात्मा गाँधी भी एक हैं।

गांधी जी का जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। इनके पिता ब्रिटिश राज्य में पोरबंदर रियासत के दीवान थे।

परिवार का वातावरण अत्यंत धार्मिक होने के कारण बाल गांधी का जीवन भी आध्यात्मिक ज्ञान से अछूता न रहा। जिसका प्रभाव आगे चलकर गांधी जी पर भी देखने को मिला।

महात्मा गाँधी का प्रारंभिक जीवन Early life of Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में पश्चिम भारत के गुजरात राज्य में पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था।

उनके पिता का नाम करमचंद गांधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। गांधी जी के पिता सनातन धर्म की पंसारी जाति से ताल्लुक रखते थे। 

पुतलीबाई करमचंद गांधी की चौथी पत्नी थी जो स्वभाव से अत्यंत धार्मिक थी। वह हमेशा भगवान के छोटे बड़े व्रत रखा करती थी। घर में धार्मिक तथा शिक्षा का माहौल होने के कारण इसका असर बालक गांधी पर भी धीरे-धीरे पढ़ने लगा था।

गांधी जी पर बचपन से ही जैन परंपराओं का गहरा असर हो चुका था जिससे उनके स्वभाव में शाकाहार, आत्म शुद्धि, अहिंसा  तथा अन्य सद्गुणों की अधिकता देखने को मिलती थी।

करमचंद गांधी एक बेहद पढ़े लिखे व्यक्ति थे इसीलिए वह अपने पुत्र मोहनदास को भी एक शिक्षित व्यक्ति बनाना चाहते थे।

महात्मा गाँधी की शिक्षा Education of Mahatma Gandhi in Hindi

मोहनदास बचपन से ही एक सामान्य विद्यार्थी थे इसलिए उन्हें पढ़ाई में इतनी ज्यादा रुचि नहीं थी। पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ वे खेलकूद में भी इतने अच्छे नहीं थे। मोहनदास का विवाह बहुत कम उम्र में ही कस्तूरबा के साथ कर दिया गया था।

मोहनदास गांधी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में ही संपन्न हुई उसके पश्चात मैट्रिक पास करने के बाद 1888 न्याय शास्त्र की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए।

विदेश में रहकर भी गांधी कभी भी अपनी संस्कृति को नहीं भूले और हमेशा शाकाहार का पालन करते हुए अपनी शिक्षा को पूरा किया।

न्याय शास्त्र की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त हुई जो गुलामी के समय में भारतीयों के लिए अत्यंत कठिन कार्य था।

महात्मा गांधी का आजादी में योगदान Contribution of Mahatma Gandhi in freedom in Hindi

बैरिस्टर की पढ़ाई करने के बाद गांधीजी के एक भारतीय मित्र ने उन्हें कानूनी सलाह देने के लिए दक्षिण अफ्रीका बुलाया। दक्षिण अफ्रीका जाने के बाद गांधी जी को भारतीयों और काले लोगों पर हो रहे अत्याचारों को देखकर अत्यंत दुख हुआ।

गांधी जी ने एक बार स्वयं भी इस भेदभाव को महसूस किया था जब ट्रेन में उनकी बहस एक गोरे से हो गई थी। गांधी जी के पास प्रथम श्रेणी का टिकट था किंतु एक गोरे ने उनके प्रथम श्रेणी में बैठने पर आपत्ति जताई तथा जब गांधी जी ने इसका विरोध किया तो उन्हें ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया।

इस घटना के अलावा उनके साथ कई अन्य भेदभाव हुए। अफ्रीका में कई होटलों में भारतीय और काले लोगों का आना वर्जित कर दिया गया था।

अफ्रीका में गांधी को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। जिससे उन्होंने काले लोगों और दक्षिण अफ्रीका में रह रहे भारतीयों को न्याय दिलाने का दृढ़ निश्चय कर लिया।

गांधी जी द्वारा दक्षिण अफ्रीका में आंदोलन चलाया गया जिसके बाद उनकी लोकप्रियता और पहचान पूरे विश्व में  बढ़ने लगी।

1914 में गांधीजी वापस अपने वतन भारत लौट आए। भारत लौटने के बाद उन्होंने जनसंपर्क शुरू किया  ससे भारतवासियों पर गांधी जी के विचारों का गहरा प्रभाव पड़ा।

गांधीजी का पहला आंदोलन 1918 में चंपारण सत्याग्रह और खेड़ा सत्याग्रह से शुरू हुआ। आगे चलकर गांधी जी ने कई बड़े आंदोलन किए जिससे ब्रिटिश सरकार बहुत चिंता में पड़ गई। 

उनकी विचारधारा से प्रभावित होकर आंदोलनकारियों द्वारा अमृतसर में स्थित स्वर्ण मंदिर के पास जलियांवाला बाग में रोलेट एक्ट  के विरोध में एक सभा आयोजित की गई थी।

अंग्रेज ऑफिसर जनरल डायर को जब इस बात का पता चला तो उसने बिना कुछ सोचे समझे 13 अप्रैल 1919 के दिन जलियांवाला बाग में आकर सभी लोगों को गोलियों से भून दिया जिसमें कई लोगों की जान चली गई और कई घायल हो गए। 

जलियांवाला बाग हत्याकांड से गांधीजी को बहुत बड़ा सदमा लगा। इस दुखद घटना के बाद गांधी जी ने अंग्रेजों के विरुद्ध असहयोग आंदोलन छेड़ दिया था।

इस आंदोलन के बाद गांधी जी भारत वासियों के बीच और भी लोकप्रिय बन गए थे। लेकिन 4 फरवरी 1922 में  चौरी चौरा कांड के कारण उन्हें आंदोलन वापस लेना पड़ा जिसका कई लोगों ने विरोध किया था।

1930 में गांधीजी तथा उनके साथियों द्वारा नमक पर लगाए गए अन्यायपूर्ण कानून को खत्म करने के लिए अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से दांडी मार्च किया गया।

1942 में उन्होंने अंग्रेजों  के खिलाफ ‘भारत छोड़ो’ का नारा प्रस्तुत किया तथा भारतीयों के लिए ‘करो या मरो’ का नारा दिया।

परिणाम स्वरूप अंग्रेजों को वापस लौटना पड़ा और 15 अगस्त 1947 के दिन भारत पूर्ण रूप से एक स्वतंत्र देश बन गया।

महात्मा गांधी का निजी जीवन Personal Life of Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी का विवाह कस्तूरबा गांधी के संग बाल्यावस्था में ही हो गया था। हरिलाल मोहनदास गांधी, मणिलाल मोहनदास गांधी, रामदास गांधी तथा देवदास गांधी इनके पुत्र थे।

अपने जीवन में एक महान राजनीतिज्ञ के साथ गाँधी कुशल बैरिस्टर, दार्शनिक, पत्रकार तथा एक अच्छे लेखक भी थे।

विदेशों में रहने के बावजूद भी गांधीजी अपनी मातृभूमि और संस्कृति को कभी नहीं भूले तथा हमेशा सत्य और अहिंसा का ही साथ दिया।

गांधीजी एक अच्छे बैरिस्टर थे उनके पास धन की कोई कमी नहीं थी किंतु भारत वासियों की दयनीय स्थिति को देखकर उन्होंने कपड़ों का त्याग कर खादी से बने सामान्य धोती धारण कर ली। उनकी सादगी ने भारतवासियों को पश्चिमी जीवनशैली को त्यागने पर मजबूर कर दिया था।

महात्मा गांधी को सर्वप्रथम महात्मा से संबोधित करने वाले व्यक्ति सुभाष चंद्र बोस थे। हालांकि सुभाष चंद्र  बोस तथा गांधीजी के बीच काफी मतभेद थे किंतु बॉस हमेशा से गांधी जी को एक मार्गदर्शक के रुप में मानते थे।

गांधीजी हमेशा अहिंसा का मार्ग अपनाते थे और वह हिंसा के हमेशा विरुद्ध खड़े रहते थे हम भले ही वह स्वतंत्रता के लिए ही क्यों न की जाए। 

भगत सिंह , सुखदेव, राजगुरु और उधम सिंह की फांसी के कारण गरम दल के क्रांतिकारियों ने गांधी जी का प्रतिरोध भी किया गया था।

भारत और पाकिस्तान के बंटवारे के लिए आज भी कई लोग गांधी जी को ही दोषी ठहराते हैं और उनकी निंदा करते हैं किंतु सत्य तो यह है कि गांधी जी ने पाकिस्तान बनने का पूर्ण विरोध किया था।

महात्मा गाँधी पर 10 लाइन Best 10 Lines on Mahatma Gandhi in Hindi

  • महात्मा गाँधी को पूरी दुनियां में ख्याति प्राप्त है।
  • मोहनदास गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था।
  • इनका विवाह कस्तूरबा बाई  के साथ 14 वर्ष की उम्र में हुआ था।
  • इंग्लैंड जाकर गाँधी ने बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त की थी।
  • गांधीजी हमेशा सत्य और अहिंसा का पालन करते थे।
  • सुभाष चंद्र बोस ने सर्वप्रथम मोहनदास गांधी को महात्मा कह कर संबोधित किया था।
  • गोपाल कृष्ण गोखले को गांधीजी अपना गुरु मानते थे। 
  • आजादी में गांधीजी के योगदान के लिए उन्हें राष्ट्रपिता का पद दिया गया।
  • पहली बार इन्होंने ही अंग्रेजो के खिलाफ भारत छोड़ो का नारा दिया था।
  •  23 जनवरी 1948 के दिन नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी।

महात्मा गाँधी की मृत्यु Gandhi ji Death in Hindi

30 जनवरी 1948 को गांधी जी जब नई दिल्ली के बिड़ला भवन में चहलकदमी कर रहे थे उसी समय नाथूराम गोडसे नामक एक व्यक्ति ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी।

यह दिन पूरे भारत के लिए एक काला दिन साबित हुआ था। गांधी जी की मृत्यु की सूचना जवाहरलाल नेहरू ने रेडियो के माध्यम से भारत वासियों को दिया था।

निष्कर्ष Conclusion

इस लेख में आपने महात्मा गांधी पर निबंध (Essay on Mahatma Gandhi in Hindi) पढ़ा।आशा है यह निबंध आपको जानकारी से भरपूर लगा हो। यदि यह निबंध आपको अच्छा लगा हो तो लाइक और शेयर जरूर करें। 

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राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबंध | Essay on Father of the Nation : Mahatma Gandhi in Hindi

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राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी पर निबंध | Essay on Father of the Nation : Mahatma Gandhi in Hindi!

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी हमारे देश के ही नहीं अपितु संपूर्ण मानव जाति के नेता थे । वह एक युगपुरुष थे जिन्होंने समस्त मानव जाति को ‘ सत्य और अहिंसा ‘ का मार्ग अपनाने का संदेश दिया ।

ADVERTISEMENTS:

महात्मा गाँधी का वास्तविक नाम श्री मोहनदास करमचंद गाँधी था । आपका जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 ई॰ में काठियावाड़ जिले के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ । पिता करमचंद पोरबंदर के दीवान थे तथा माता पुतलीबाई एक साध्वी महिला थीं जो नित्य पूजा-पाठ व व्रत-उपवास आदि में पूर्ण आस्था रखती थीं । गाँधी जी के जीवन पर माता के उत्तम संस्कारों की अमिट छाप पड़ी ।

गाँधी जी की प्रारंभिक शिक्षा राजकोट में हुई । आप विद्‌यार्थी जीवन में अधिक मेधावी छात्र न थे । एक साधारण छात्र होते हुए भी सत्य और अहिंसा के असाधारण गुण आपको बाल्याकाल से ही प्राप्त हुए । 1887 में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के उपरांत आप कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए ।

इंग्लैंड में उन्होंने अपनी माता को दिए गए वचनों का पूरी तरह निर्वाह किया । वहाँ से कानून की शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् वापस लौट आए तथा मुंबई व राजकोट में अपनी वकालत प्रारंभ की । गाँधी जी का विवाह 13 वर्ष की अल्पायु में एक अत्यंत साध्वी युवती कस्तुरबा के साथ इंग्लैंड यात्रा के पूर्व ही हो गया था ।

1893 ई॰ में अपने एक मुकदमे के कारण गाँधी जी को दक्षिण अफ्रीका की यात्रा करनी पड़ी । उस समय दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद बहुत अधिक था । अप्रवासी भारतीयों की तत्कालीन समय में अत्यंत दयनीय दशा थी । स्वयं गाँधी जी को एक बार रेलयात्रा करते हुए फर्स्ट क्लास का टिकट लेने के बावजूद डिब्बे से अपमानित करके इसलिए उतार दिया गया क्योंकि वे एक भारतीय थे । उन्होंने तभी मन में इस भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाने का संकल्प किया था ।

दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों पर रंगभेद के चलते होने वाले अत्याचारों को देखकर उनका मन उद्‌वेलित हो उठा । दक्षिण अफ्रीका में रहकर उन्होंने वहाँ के समस्त भारतीयों को संगठित किया । उनके नेतृत्व में असहयोग आंदोलन हुए । अपने कठिन प्रयासों से उन्हें अपने कार्यों में आशातीत सफलता प्राप्त हुई ।

अफ्रीका से लौटने के उपरांत देश में अंग्रेज शासकों के अत्याचार को वे सहन न कर सके । दक्षिण अफ्रीका की सफलता ने गाँधी जी को पहले ही अत्यंत लोकप्रिय बना दिया था । उनका व्यक्तित्व इतना अधिक प्रभावशाली था कि करोड़ों भारतीयों ने सहर्ष उनको अपना नेता स्वीकार किया । वे जिस ओर चले करोड़ों लोग उनके पीछे चल पड़े।

प्रथम विश्व युद्‌ध में ब्रिटेन भी पूरी तरह शामिल था । भारतीयों का इस युद्‌ध में पूर्ण सहयोग प्राप्त करने हेतु उन्होंने गाँधी जी से आग्रह किया तथा बदले में युद्‌ध के उपरांत अनेक अधिकार सौंपने की बात कही । युद्‌ध के समाप्त होने पर गाँधी जी व देशवासियों को पूर्ण निराशा हाथ लगी ।

‘रौलट एक्ट’ व ‘जलियाँवाला बाग’ हत्याकांड ने यह सिद्‌ध कर दिया कि अंग्रेज कभी भी स्वेच्छा से भारतीयों को अधिकार नहीं सौंपेंगे । गाँधी जी के निर्देश से देश भर में असहयोग आंदोलन छेड़ा गया । अपनी प्रसिद्‌ध ‘डांडी यात्रा’ के क्रम में समुद्र तट पर जाकर उन्होंने ‘नमक कानून’ तोड़ा । अंग्रेजों व अंग्रेजी वस्तुओं का पूर्णतया बहिष्कार किया गया ।

परिणामत: असंख्य लोग जेल में ठूँस दिए गए । अनगिनत देशभक्त गोलियों के शिकार हुए । मुश्किलों व अनेक कठिनाइयों के बावजूद गाँधी जी अटल रहे । 1942 ई॰ में ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो’ आंदोलन छेड़ा गया । अंतत: उनके भगीरथ प्रयास से भारत सैकड़ों वर्षों की गुलामी के पश्चात् 15 अगस्त 1947 ई॰ को आजाद हुआ ।

आजादी से पूर्व गाँधी जी को गहरा आघात सहना पड़ा जब मुस्लिमों की पृथक देश की माँग पर उन्हें अपनी स्वीकृति देनी पड़ी । भारत का हिंदुस्तान व पाकिस्तान दो खंडों में विभाजन हुआ । पूरे देश में सांप्रदायिक दंगों का तांडव आरंभ हो गया । पाकिस्तान से हिंदुओं और सिखों का भारी मात्रा में पलायन होने लगा । दूसरी ओर भारत के कुछ मुस्लिम पाकिस्तान में अपनी किस्मत आजमाने के लिए विवश हुए ।

इन घटनाओं से गाँधी जी अत्यंत आहत हुए । दिल्ली में 30 जनवरी 1948 ई॰ को प्रात:काल जब वे प्रार्थना सभा की ओर जा रहे थे तब ‘गोडसे’ नामक व्यक्ति ने गोली मार कर उनकी हत्या कर दी । संपूर्ण राष्ट्र शोकाकुल हो उठा । उनकी हत्या पर पूरी मानवता कराह उठी । वह महान पुरुष जिसने देश को अपने भगीरथ प्रयासों से सैकड़ों वर्ष की गुलामी से मुक्ति दिलाई उसकी देश के ही एक धर्माध नागरिक ने हत्या कर दी ।

गाँधी जी सच्चे अर्थों में युगपुरुष थे । सत्य और अहिंसा का जो पाठ उन्होंने सिखाया वह पूरे विश्व के लिए अनुकरणीय है । उनके महान कृत्यों के कारण आज भी पूरा विश्व उन्हें श्रद्‌धा सुमन अर्पित करता है । गाँधी जी एक निष्काम कर्मयोगी थे । उन्होंने सदैव लोगों को सद्मार्ग पर चलने हेतु प्रेरित किया । उनका मत था- ‘ बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो तथा बुरा मत देखो ‘ । गाँधी जी समाज में फैले छुआछूत के कट्‌टर विरोधी थे । उन्होंने पिछड़ी जाति के लोगों को जो अछूत समझे जाते थे उन्हें ‘हरिजन’ कह कर संबोधित किया ।

गाँधी जी का संपूर्ण जीव, उनका आत्मसंयम, अनुशासन व महान चरित्र अनुकरणीय है । राष्ट्र उन्हें ‘ राष्ट्रपिता ‘ के रूप में श्रद्‌धा सुमन अर्पित करता है । उनके जन्म दिवस 2 अक्टूबर को हम हर वर्ष राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाते हैं ।

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महात्मा गांधी की जीवनी: Mahatma Gandhi Ka Jivan Parichay

Information About Mahatma Gandhi in Hindi:  श्री मोहनदास करमचंद गांधी जी (महात्मा गांधी) – (02 अक्टूबर 1869 – 30 जनवरी 1948) – महात्मा गांधी का जीवन परिचय आपको नीचे पढ़ने को मिलेगा।⇓

महात्मा गांधी जी को राष्ट्रीय पिता, बापू जी, महात्मा गांधी भी कहा जाता है। पूरे भारत वर्ष में महात्मा गांधी जी को सुपर फाइटर के नाम से भी जाना जाता है। जिन्होंने कई आंदोलन किये और जीते भी। इन्हे कौन नहीं जानता? पूरे भारत वर्ष में शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो इन्हे नहीं जानता होगा। आज के इस लेख में हम बात केवल  महात्मा गांधी की जीवनी की ही नहीं उनसे जुड़ी घटनाओं की भी बात करेंगे।

जन्म तिथि 02 अक्टूबर 1869 , पोरबंदर (गुजरात) (समुन्द्रिय तट)
मृत्यु 30 जनवरी 1948, रात के समय बिड़ला भवन (नई दिल्ली) में हत्या की गयी थी (नाथूराम गोडसे द्वारा)
राष्ट्रीयता भारतीय (भारत में जन्म हुआ)
प्रसिद्ध नाम महात्मा गांधी जी, बापू जी, गाँधी जी
की जाती (CAST) गुजराती
शिक्षा प्राप्त की अल्फ्रेड हाई स्कूल, राजकोट, इनर यूनिवर्सिटी कॉलेज, लन्दन
पिता का नाम करमचंद गांधी, कट्टर हिन्दू एवं ब्रिटिश सरकार के अधीन गुजरात मे पोरबंदर रियासत के प्रधानमंत्री थे।
माता का नाम पुतलीबाई
पत्नी का नाम कस्तूरबा गांधी

मैं आपको कुछ ऐसी महत्वपूर्ण बातें बताने जा रहा हूँ जिन्हें आपको जानने में बहुत आनंद आयेगा।

महात्मा गांधी का जीवन परिचय पर निबंध

महात्मा गांधी जी भारत के मात्र एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्हे सम्पूर्ण भारत “बापू जी” के नाम से बुलाता है। बापू जी ने हमेशा एक सदाचार जीवन व्यतीत किया था। महात्मा गांधी जी एक साधारण परिवार में जन्मे थे और उन्होने अपना जीवन अपनी जनता के लिए बिताया। साधारण जीवन जीना बेहद ही मुश्किल होता है और ऐसे साधारण जीवन में बड़े बड़े काम कर देना भी कोई आसान काम नहीं है।

अगर मैं बात करू की गांधी जी ने ऐसा किया क्या जिसकी वजह से भारत की सम्पूर्ण जनसंख्या उन्हे “बापू जी” के नाम से बुलाते है। तो इसे जानने के लिए सम्पूर्ण लेख पढ़ना होगा। बेहद ही आसान शब्दों में  महात्मा गांधी का जीवन परिचय लिखा गया है कृपया ध्यानपूर्वक पढ़ें।

About Gandhiji in Hindi ( Short Bio )

महात्मा गांधी जी का जन्म गुजरात राज्य के पोरबंदर जिला में 02 अक्तूबर 1869 को एक साधारण से परिवार में उनका जन्म हुआ था। गांधी जी के पिता करमचंद गांधी , कट्टर हिन्दू एवं ब्रिटिश सरकार के अधीन गुजरात में पोरबंदर रियासत के प्रधानमंत्री थे। गांधी जी की माता अत्यधिक धार्मिक महिला थी, अत: उनका पालन पोषण वैष्णव माता को मानने वाले परिवार में हुआ और उन पर जैन धर्म का भी अधिक गहरा प्रभाव रहा। जिसकी वजह से इसके मुख्य सिद्धांतों जैसे- अहिंसा, आत्म शुद्धि और शाकाहार को उन्होंने अपने जीवन में उतारा था और गांधी जी भी इस नियम को मानते थे।

गांधी जी की शिक्षा अल्फ्रेड हाई स्कूल, राजकोट , यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ लंदन से पूरी हुई। पढ़ाई के बाद वो अपने देश भारत वापस लौट आए। गांधी जी का विवाह 13 वर्ष की आयु में ही कर दिया गया। विद्यालय में पढ़ने वाले गांधी जी का विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा माखनजी से कर दिया गया था। अब हम Mahatma Gandhi Ke Bare Mein (महात्मा गांधी हिस्ट्री हिंदी) विस्तार से जानते हैं।

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Essay on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी हिस्ट्री हिंदी निबंध

गांधी जी का जन्म पश्चिमी भारत में गुजरात के एक तटीय पोरबंदर नामक स्थान पर 02 अक्टूबर 1869 को हुआ था। उनके पिता करमचंद गांधी जी कट्टर हिन्दू एवं ब्रिटिश सरकार के अधीन गुजरात में काठियावाड़ की छोटी रियासत पोरबंदर के प्रधानमंत्री थे। बाद में वो उनके पिता जी सनातन धर्म की पंसारी जाती से सम्बन्ध रखते थे। वैसे गुजराती भाषा में गांधी का मतलब पंसारी से होता है। इसका मतलब इत्र (perfume) बेचने वाला भी होता है।

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महात्मा गांधी की माता का नाम पुतलीबाई था और वो परनामी वैश्य समुदाय की थी। महात्मा गांधी जी के पिता की पहले तीन पत्नियां थी और प्रसव पीड़ा के कारण उनकी मृत्यु हुई थी जिस कारण करमचंद गांधी जी का चौथा विवाह करना पड़ा था। उनकी माता पहले से ही भगवान की पूजा पाठ में व्यस्त रहती थी तो उनका ये सकारात्मक प्रभाव गांधी जी पर भी पड़ा। जिसकी वजह से गांधी जी हमेशा कमजोरों में ताकत व ऊर्जा की भावना जगाते रहते थे, शाकाहारी खाना, आत्मा की शुद्धि के लिए व्रत भी किया करते थे।

महात्मा गांधी की शिक्षा: Mahatma Gandhi Education in Hindi

बम्बई यूनिवर्सिटी से मेट्रिक 1887 ई में पास किया और उसके आगे की शिक्षा भावनगर के शामलदास स्कूल से ग्रहण की। दोनों ही परीक्षाओं में वह शैक्षणिक स्तर वह एक औसत छात्र रहे। उनका परिवार उन्हें बैरिस्टरी बनाना चाहता था। 4 सितम्बर 1888 ई, को गांधी जी बैरिस्टरी की शिक्षा के लिए लंदन गए जहाँ उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ लंदन ( University College London ) में दाखिला (ADMISSION) लिया।

गांधी जी शुरू से ही शाकाहारी थे और उन्होंने लंदन में भी इस नियम को बनाए रखा। जिस रवैये ने गांधी जी के व्यक्तित्व को लंदन में एक अलग छवि प्रदान की। गांधी जी ने शाकाहारी मित्रों की खोज की और थियोसोफिकल नामक सोसाइटी के कुछ मुख्य सदस्यों से मिले। इस सोसाइटी की स्थापना विश्व बंधुत्व (संपूर्ण एकता) के लिए 1875 ई में हुई थी और तो और इसमें बोध धर्म सनातन धर्म के ग्रंथों का संकलन भी था।

About Mahatma Gandhi in Hindi | ( वकालत का आरम्भ )

  • 👉 इंग्लैंड और वेल्स बार एसोसिएशन द्वारा बुलाये जाने पर गांधी जी वापस मुंबई लौट आये और यहां अपनी वकालत शुरू की।
  • 👉 मुंबई (बम्बई) में गांधी जी को सफलता नहीं मिली जिसके कारण गांधी जी को अंशकालिक शिक्षक के पद पर काम करने के लिए अर्जी दाखिल की किन्तु वो भी अस्वीकार हो गयी।
  • 👉 जीविका के लिए गांधी जी को मुकदमों की अर्जियां लिखने का कार्य आरम्भ करना पड़ा। परन्तु कुछ कारणवश उनको यह काम भी छोड़ना पड़ा।
  • 👉 1893 ई में गांधी जी एक वर्ष के करार के साथ दक्षिण अफ्रीका गए।
  • 👉 दक्षिण अफ्रीका में ब्रिटिश सरकार की फर्म नेटल से यह वकालत करार हुआ था।

Mahatma Gandhi Biography in Hindi Short

महात्मा गांधी जी का विवाह

महात्मा गांधी जी का विवाह कब और किसके साथ हुआ?

सन् 1883 में उनका विवाह कस्तूरबा माखनजी से हुआ। उस समय गांधी जी की उम्र केवल साढ़े तेरह वर्ष थी (13.5 years) और कस्तूरबा मखंजी जी 14 वर्ष की थी। गांधी जी, “कस्तूरबा”  जी को “बा” कह कर बुलाते थे। यह बाल विवाह उनके माता पिता द्वारा तय करा गया था| गाँधी जी और कस्तूरबा जी की उम्र कम थी और उस समय बाल किशोरी दुल्हन को अपने माता पिता के घर रहने का नियम था। कुछ 2 साल बाद सन् 1885 में गांधी जी 15 साल के हो गये थे और तभी उन्हें पहली संतान ने जन्म लिया था, लेकिन कुछ ही समय पश्चात उसकी मृत्यु हो गयी और उसी वर्ष गांधी जी के पिता करमचंद गांधी जी की मृत्यु हो गयी।

महात्मा गांधी के बेटे का नाम क्या था

  • हरिलाल गांधी (1888 ई)
  • मणिलाल गांधी (1892 ई)
  • रामदास गांधी (1897 ई)
  • देवदास गांधी (1900 ई)

विदेश में वकालत व शिक्षा: महात्मा गांधी का जीवन परिचय

4 सितम्बर 1888 ई को गांधी जी यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में कानून (law) की शिक्षा ग्रहण करने व बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड चले गये। भारत छोड़ते वक्त जैन भिक्षु बेचारजी की दी गयी।

सिख व अपनी माता को दिए गये वचन की “मास मदिरा” का सेवन न करने को लंदन में काफी सक्षम रखा।

हांलाकि, महात्मा गांधी जी ने लंदन में रह कर वहां की सभी रीति रिवाजों को अपनाया व अनुभव किया। उदाहरण के लिए गांधी जी वहां पर नृत्य कक्षाओं में भी जाया करते थे। मगर फिर भी उन्होंने कभी भी अपनी मकान मालकिन द्वारा बनाये मास एवं पत्ता गोभी को नहीं खाते थे। वे शाकाहारी भोजन खाने के लिए शाकाहारी भोजनालय जाते थे। उनकी माता से उन्हें काफी लगाव था वो अपनी माता की कही बातों पर बहुत अमल करते थे। इसी वजह से उन्होंने बौद्धिकता से शाकाहारी भोजन को ही अपनाया।

उन्होंने शाकाहारी समाज की सदस्यता अपनाई और इस कार्यकारी समिति के लिए उनका चयन भी हो गया। जहाँ उन्होंने एक स्थानीय अध्याय की नीव भी रखी। बाद में उन्होंने संस्थाए भी गठित की तभी उनकी मुलाकात कुछ शकाहारी लोगों से हुई जो थिओसोफिकल सोसाइटी के सदस्य थे। इस सोसाइटी की स्थापना 1875ई विश्व बंधुत्व को प्रबल करने के लिए बनाई गयी थी और बौध धर्म एवं सनातन धर्म के साहित्य के अध्यन के लिए समर्पित किया गया था।

उन लोगों के विशेष रूप से कहे जाने पर गांधी जी ने श्रीमद्भागवत गीता को पढ़ा और जाना। लेकिन गांधी जी हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई में और अन्य प्रकार की जाती में विशेष रूचि नहीं रखते थे। इंग्लैंड और वेल्स एसोसिएशन में वापस बुलावे पर वे भारत लौट आये किन्तु बम्बई में वकालत करने में उन्हें कोई खास सफलता नहीं मिली। इसके बाद अंशकालिक नौकरी वो भी एक स्कूल में प्रार्थना पत्र भेजा वो भी आस्विकर हो गया जिसके कारण उन्हें जरूरतमंदों के लिए राजकोट को अपने मुकाम बना लिया। मगर एक अंग्रेज अधिकारी की बेवकूफी के कारण उन्हें यह पद भी छोड़ना पड़ा।

अपनी आत्मकथा में उन्होंने इस घटना का वर्णन अपने बड़े भाई की और से परोपकार की असफल कोशिश के रूप में किया है। इसी कारणवश उन्होंने 1893ई में एक भारतीय फर्म से नेटाल दक्षिण अफ्रीका में, जो उन दिनों ब्रिटिश का भाग होता था, एक वर्ष के करार पर वकालत का कारोवार स्वीकार किया।

महात्मा गांधी पर निबंध 10 लाइन

Mahatma Gandhi History in Hindi

महात्मा गांधी जी की दक्षिण अफ्रीका यात्रा

  • महात्मा गांधी साउथ अफ्रीका कब गए थे
  • दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी के आश्रम का नाम
  • दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों को क्या कहते हैं
  • दक्षिण अफ्रीका के सत्याग्रह का इतिहास PDF

दक्षिण अफ्रिका में गांधीजी को भारतीयों पर हो रहे भेदभाव का सामना करना पड़ा।

प्रथम श्रेणी कोच की वैध (VALID) टिकट होने के बाद भी उन्हें तीसरी श्रेणी (3rd category) के डिब्बे में भी जाने से मना कर दिया था और तो और पायदान पर बची हुई यात्रा पर एक यूरोपियन यात्री के अन्दर आने पर चालक द्वारा मार भी खानी पड़ी। उन्होंने अपनी इस यात्रा में कई तरह की बेइज्जती सही और और कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, अफ्रीका के कई होटलों को उनके लिए बंद कर दिया गया।

इन घटनाओं में एक घटना ये भी थी जिसमें एक न्यायधीश ने उन्हें अपनी पगड़ी उतारने के लिए भी कहा। दक्षिण में हो रहे अन्याय को गांधी जी दिल और दिमाग पर ले गये जिस कारण आगे गांधी जी ने अपना जीवन भारतीयों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ कदम उठाये।

भारत का स्वतंत्रता संघर्ष : महत्वपूर्ण तथ्य

सन् 1916 ई में गांधी जी अपने भारत के लिए वापस भारत आये और अपनी कोशिशों में लग गए।

कांग्रेस के लीडर लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु हो गयी थी। मगर पहले हम बात करेंगे चंपारण और खेड़ा सत्याग्रह आंदोलन के बारें में।

चंपारण और खेड़ा आंदोलन | महात्मा गांधी का जीवन परिचय

1918 ई गांधी जी की पहली उपलब्धि चंपारण (CHAMPARAN) और खेडा सत्याग्रह आन्दोलन में मिली। नील की खेती जैसी खेती जिसे करने से किसानों को कोई फायदा नहीं हो रहा था। अपने खाने पीने तक का कोई खेती नहीं हो पा रही थी बस कुछ घर पर आता और बाकि पैसा कर्ज में काट लिया जाता था। कम पैसे कमाना और ज्यादा कर भरना किसानों पर जुल्म था जो की गांधी जी देखा नहीं गया।

गाँव में गंदगी, अस्वस्थता और अन्य कई तरह की बीमारियां भी फैलाने लगी थी। खेड़ा (KHEDA), गुजरात (GUJARAT) में भी यही समस्या थी। गांधी जी ने वहां एक आश्रम बनाया, वहां पर गांधी जी के सभी साथी और अपनी इच्छा से कई लोग आकर समर्थक के रूप में कार्य करने लगे। सबसे पहले तो गांधी जी ने वहां पर सफाई करवाई और स्कूल और अस्पताल बनवाए जिससे ग्रामीण लोगों में विश्वास उत्पन्न हुआ।

उस समय हुए शोर शराबे के कारण गांधी जी को पुलिस ने शोर शराबे से हुई परेशानी के कारण थाने में बंद कर दिया जिसका विरोध पूरे गांव वालों ने किया, बिना किसी कानूनी कारवाही के थाने से छुड़ाने को लेकर गांव वालों ने थाने के आगे धरना प्रदर्शन भी किया। गांधी जी ने अदालत में जमीदारों के खिलाफ टिप्पणी और हड़ताल का नेतृत्व भी किया और गांव के लोगों पर हुए कर वसूली व खेती पर नियंत्रण, राजस्व में बढ़ोतरी को रद्द करने जैसे कई मुद्दों पर एक समझौते पर हस्ताक्षर करवाए।

Mahatma Gandhi Ka Jivan Parichay

महात्मा गांधी के आंदोलन के नाम

खिलाफत आंदोलन कब हुआ | महात्मा गांधी के आंदोलन के नाम

अब गांधी जी को ऐसा लगने लगा था कि कांग्रेस कहीं न कहीं हिन्दू व मुस्लिम समाज में एकता की कमी की वजह से कमजोर पड़ रही हैं जो की कांग्रेस की नैया डूब भी सकती है तो गांधी जी ने दोनों समाजों हिन्दू व मुस्लिम समाज की एकता की ताकत के बल पर ब्रिटिश की सरकार को बाहर भगाने के प्रयास में जुट गए। इस उम्मीद में वे मुस्लिम समाज के पास गए और इस आन्दोलन को विश्वस्तरीय रूप में चलाया गया जो की मुस्लिम के कालिफ [CALIPH] के खिलाफ चलाया गया था।

गांधी जी सम्पूर्ण राष्ट्रीय के मुस्लिमों की कांफ्रेंस  [ALL INDIA MUSLIM CONFERENCE] रखी थी और वो खुद इस कॉन्फ्रेंस के प्रमुख व्यक्ति भी बने। गांधी जी की इस कोशिश ने उन्हें राष्ट्रीय नेता बना दिया और कांग्रेस में उनकी एक खास जगह बन गयी। कुछ समय बाद ही गांधी जी की बनाई एकता की दीवार पर दरार पड़ने लग गई जिस कारण सन् 1922 ई में खिलाफत आन्दोलन पूरी तरह से बंद हो गया | गांधी जी सम्पूर्ण जीवन ‘हिन्दू मुस्लिम की एकता के लिए’, कार्य करते रहे मगर गांधी जी असफल रहे।

असहयोग आन्दोलन सन् 1920 ई | NON COOPERATION MOVEMENT IN HINDI

गांधी जी अहिंसा के पुजारी थे और शांतिपूर्ण जीवन जीना पसंद करते थे। पंजाब में जब जलियांवाला नरसंहार जिसे सब अमृतसर नरसंहार के नाम से भी जाना जाता हैं। उस घटना ने लोगों के बीच काफी क्रोध और हिंसा की आग लगा दी थी।

दरअसल बात ये थी कि अंग्रेजी सरकार ने सन् 1919 ई रॉयल एक्ट लागू किया। उसी दौरान गांधी जी कुछ सभाएं भी आयोजित करते थे। एक दिन गांधी जी ने शांति पूर्ण एक सभा पंजाब के अमृतसर में जलियांवाला बाग में एक आयोजित की थी और उस शांतिपूर्ण सभा को अंग्रेजों ने बहुत ही बुरी तरह रौंदा था जिसका वर्णन करते भी आंखों से आंसू आता है।

सन् 1920 ई में असहयोग आन्दोलन आरंभ किया गया । इस आन्दोलन का अर्थ था की किसी भी प्रकार से अंग्रेजों की सहायता न करना और किसी भी प्रकार की हिंसा का प्रयोग न की जाये। इस आन्दोलन को गांधी जी का प्रमुख आन्दोलन भी कहा जाता है।  असहयोग आन्दोलन सितम्बर 1920ई – फरवरी 1922 तक चला। गांधी जी को पता था कि ब्रिटिश सरकार भारत में राज करना चाहती है और वो भारत के सपोर्ट के बिना असंभव है। गांधी जी को ये भी पता था कि ब्रिटिश सरकार को कहीं न कहीं भारत के लोगों की सहायता ही पड़ती हैं यदि इस सहायता को बंद करा दिया जाये तो ब्रिटिश सरकार अपने आप ही वापस चली जायेगी या फिर भारतीयों पर जुल्म नहीं करेगी।

गांधी जी ने ऐसा ही किया उन्होंने सभी भारतीयों को बुलाया और अपनी बात को स्पष्ट रूप से समझाया और सभी भारतीयों को गांधी जी की बात पर विश्वास भी हुआ और उन्होंने गांधी जी की कही हुई बातों को गांठ बांध ली, सभी लोग बड़ी मात्रा में शामिल हुए और इस आन्दोलन में अपना योगदान दिया।

सभी भारतीयों ने ब्रिटिश सरकार की सहायता करने से मना कर दिया, उन्होंने अपनी नौकरी त्याग दी अपने बच्चों को सरकारी स्कूल और कॉलेजों से निकाल लिया, सरकारी नौकरियां, फैक्ट्री, कार्यालय भी छोड़ दिया। लोगों के उस फैसले से कुछ लोग गरीबी व अनपड की मार से झुलसने लगे थे, स्थिति तो ऐसी उत्पन्न हो गयी थी की भारत तभी आजाद हो जाता परन्तु एक घटना जिसे हम चौरा-चौरी के नाम से जानते हैं। जिसकी वजह से गांधी जी को अपना आन्दोलन वापस लेना पड़ा और आन्दोलन को वहीं समाप्त करना पड़ा।

चोरा चोरी की घटना कब हुई थी? चौरी चौरा की घटना का क्या महत्व था?

उत्तर प्रदेश के चौरा चौरी नामक स्थान पर जब भारतीय शांतिपूर्ण रूप से रैलियां निकाल रहे थे तब अंग्रेजों ने उन पर गोलियां चला दी और कई भारतीयों की मृत्यु भी हो गयी, जिसके कारण भारतीयों ने गुस्से में पुलिस स्टेशन में आग लगा दी और 22 पुलिस सैनिकों को मार दिया।

गांधी जी का कहना था की “ हमें सम्पूर्ण आन्दोलन के दौरान किसी भी हिंसात्मक प्रकिया का प्रयोग नहीं करना था और हम अभी किसी भी प्रकार से आज़ादी के लायक नहीं हैं “ जिस के कारण गांधी जी ने अपने आन्दोलन को वापस ले लिया था।

सविनय अवज्ञा आन्दोलन/ डंडी यात्रा / नमक आन्दोलन सन् 1930 – CIVIL DISOBEDIENCE MOVEMENT / DANDI MARCH / SALT MOVEMENT

सविनय अवज्ञा का अर्थ होता है किसी भी बात को ना मानना और उस बात की अवहेलना करना। सविनय अवज्ञा आन्दोलन भी गांधी  जी ने लागू किया था| ब्रिटिश सरकार के खिलाफ ये आन्दोलन था।

इस आन्दोलन में मुख्य कार्य यही था की ब्रिटिश सरकार जो भी नियम लागू करेगी उसे नहीं मानना और उसके खिलाफ जाना जैसे: ब्रिटिश सरकार ने नियम बनाया था की कोई नहीं अन्य व्यक्ति या फिर कोई कंपनी नमक नहीं बनाएगी। तब 12 मार्च 1930 को दांडी यात्रा द्वारा नमक बनाकर इस कानून को तोड़ दिया था। वे दांडी नामक स्थान पर पहुंच कर नमक बनाया था और कानून का उल्लंघन किया था।

गांधी जी ने साबरमती आश्रम जो की गुजरात के अहमदाबाद नामक शहर के पास ही है 12 मार्च, सन् 1930 से 6 अप्रैल 1930 तक ये यात्रा चलती रही। 31 जनवरी 1929 को भारत का झंडा लाहौर में फहराया गया था। इस दिन को भारतीय नेशनल कांग्रेस ने आजादी का दिन समझ कर मनाया था। यह दिन लगभग सभी भारतीय संगठनों द्वारा भी माना गया था। इसके बाद ही नमक आन्दोलन हुआ था। 400 किलोमीटर (248 मील) तक का सफ़र अहमदाबाद से दांडी, गुजरात तक चलाया गया था।

गांधी जी सुभाष चन्द्र बोस और पंडित जवाहरलाल नेहरू के आजादी की मांग के विचारों को भी सिद्ध किया और अपने विचारों को 2 सालों की वजह 1 साल के लिए रोक दिया। इस आन्दोलन की वजह से 80000 लोगों को जेल जाना पड़ा। लार्ड एडवर्ड इरविन ने गांधी जी के साथ विचार विमर्श किया। इस इरविन गांधी जी की संधि 1931 में हुई। सविनय अवज्ञा आन्दोलन को बंद करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने अपनी रजामंदी दे दी थी।

गांधी जी को भारत के राष्ट्रीय कांग्रेस के एक मात्र प्रतिनिधि के रूप में लंदन में आयोजित गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया था। यह सम्मेलन निराशाजनक रहा। इस आयोजन का कारण भारतीय कीमतों व अल्पसंख्यकों पर केंद्रित होना था। लार्ड विलिंगटन ने भारतीय राष्ट्रवादियों को नियंत्रित और कुचलने के लिए नया अभियान आरम्भ किया और गांधी जी को फिर से गिरफ्तार भी कर लिया गया था और उनके अनुयायियों को उनसे मिलने तक भी नहीं जाने दिया। मगर ये युक्ति भी बेकार गयी।

Mahatma Gandhi History in Hindi | हरिजन आंदोलन और निश्चय दिवस क्या है?

1932, डा० बाबा साहेब आंबेडकर जी के चुनाव प्रचार के माध्यम से, सरकार ने अछूत लोगों को एक नए संविधान में अलग निर्वाचन दे दिया। इसके विरुद्ध गांधी जी ने 1932 में 6 दिन का अनशन ले लिया था जिसने सफलतापूर्वक दलित से राजनैतिक नेता पलवंकर बालू द्वारा की गयी। मध्यस्थता वाली एक सामान्य व्यवस्था को अपनाया गांधी जी ने अछूत लोगों को हरिजन का नाम दिया।

डॉ० बाबासाहेब आंबेडकर ने गांधी जी की हरिजान वाली बात की निंदा की और कहा की दलित अपरिपक्व है और सुविधासंपन्न जाती वाले भारतीयों ने पितृसत्तात्मक भूमिका निभाई है।

अम्बेडकर और उनके सहयोगी दलों को महसूस हुआ की गांधी जी दलितों के अधिकार को समझ नहीं पा रहे हैं या फिर दलित अधिकार को कम आंक रहे हैं। गांधी जी ने ये भी बाते आंकी की वो दलितों के लिए आवाज उठा रहे हैं। पुन संधि में ये साबित हो गया की गांधी जी नहीं अम्बेडकर ही हैं दलितों के असली नेता। उस समय छुआछूत सबसे बड़ी समस्या थी। हरिजन लोगों को मंदिरों में जाने भी नहीं दिया जाता था। केरल राज्य का जनपद त्रिशूर दक्षिण भारत की एक प्रमुख नगरी है, जनपद में एक प्रतिष्ठित मंदिर भी हैं। गुरुवायुर मंदिर जिसमें  कृष्ण भगवान बल रूप के दर्शन कराती मूर्तियां है परंतु वहां पे भी हरिजन लोगों को जाने नहीं दिया जाता था।

भारत छोड़ो आन्दोलन कब शुरू हुआ | QUIT INDIA MOVEMENT IN HINDI

अभी तक के आंदोलनों में ये सबसे ज्यादा प्रभावी आन्दोलन था। सन् 1940 के दशक तक सभी लोग बड़े हो या फिर बच्चा सभी अपने देश की आजादी के लिए लड़ने मरने को तैयार थे। उनमें बहुत गुस्सा भरा था और ये गुस्सा सन् 1942ई में बहुत ही प्रभावशाली रहा, परंतु इस आंदोलन को संचालन करने में हुई कुछ गलतियों के कारण ये आन्दोलन भी असफल रहा। प्रमुख बात ये थी कुछ लोग अपने काम और विद्यार्थी अपनी पढ़ाई में लगे रहे उस समय उन्हें लगा की अब तो भारत आजाद हो ही जायेगा तो उन्होंने अपने कदम धीरे कर लिए मगर यही बहुत बड़ी गलती थी। इस प्रयास से ब्रिटिश सरकार को ये तो पता चल ही गया था की अब भारत पर उनका राज नहीं चल सकता और भारत फिर आजाद होने के लिए फिर प्रयास करेगा।

महात्मा गांधी जी की मृत्यु कब और किस प्रकार हुई थी?

महात्मा गांधी जी की हत्या कब और कैसे हुई थी

Mahatma Gandhi Death Information in Hindi

30 जनवरी 1948 को गांधी जी अपने बिड़ला भवन में चहलकदमी (walking) कर रहे थे और उनको गोली मार दी गयी थी।

गांधी जी के हत्यारे का नाम नाथूराम गोडसे था। ये राष्ट्रवादी थे जिनके कट्टर पंथी हिन्दू महासभा के साथ सम्बन्ध थे जिसने गांधी जी को पाकिस्तान को भुगतान करने के मुद्दे पर भारत को कमजोर बनाने के लिए दोषी करार दिया। गौडसे और उनके सह् षड्यंत्रकारी नारायण आप्टे को केस चला कर जेल भेज कर सजा दी गयी थी। नाथूराम गोड से  को 15 नवम्बर 1949 को फांसी दी गयी थी।

राजघाट जो की NEW DELHI में है, यहां पर गांधी जी के स्मारक पर देवनागरी भाषा में हे राम लिखा हुआ है कहा जाता है की गांधी जी को जब गोली लगी थी तब उनके मुख से ‘हे राम’ निकला था। ऐसा जवाहर लाल नेहरू जी ने रेडियो के माध्यम से देश को बताया था।

गांधी जी की अस्थियों को रख दिया गया और उनकी सेवाओं की याद में पूरे देश में घुमाया गया। महात्मा गांधी की अस्थियों को इलाहाबाद में संगम नदी में 12 फरवरी 1948 ई को जल में प्रवाह कर दिया था। शेष अस्थियों को 1997 में तुषार गांधी जी ने बैंक में नपाए गए एक अस्थि – कलश की कुछ सामग्री को अदालत के माध्यम से इलाहबाद के संगम नामक नदी में प्रवाह कर दिया था। 30 जनवरी 2008 को दुबई में रहने वाले एक व्यापारी ने गांधी जी के अर्थी वाले एक अन्य कलश को मुंबई संग्रहालय में भेजने के उपरांत उन्हें गिरगाम चौपाटी नामक स्थान पर जल में विसर्जित कर दिया गया।

एक अन्य अस्थि कलश आगा खान जो पुणे में है (जहाँ उन्होंने 1942 से कैद किया गया था 1944 तक) वहां समाप्त हो गया था और दूसरा आत्मबोध फेल्लोशीप झील में मंदिर में लॉस एंजिल्स रखा हुआ है। इस परिवार को पता था कि राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इस पवित्र रख का दुरूपयोग भी हो सकता था लेकिन उन्हें यहां से हटाना नहीं चाहती थी क्यूंकि इससे मंदिरों को तोड़ने का खतरा पैदा हो सकता था।

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महात्मा गांधी का जीवन परिचय

महात्मा गांधी जी का जीवन बहुत ही सीधा और सरल था। उन्हे अहिंसा में विश्वास था उनका मानना था की अगर कोई गाल पर एक चांटा लगा दे तो उसके आगे दूसरा गाल भी कर दो जिससे मरने वाला शर्म के मारे मर जाए और आपसे माफी मांगे। अहिंसा परमों धर्मा गांधी जी का मानना था की अगर किसी समस्या का हल निकालना है तो उसे ठन्डे दिमाग से बिना क्रोध किए निकालने की कोशिश करनी चाहिए। अगर आप अपने गुस्से से किसी समस्या का हल निकलेंगे तो आप ओर भी ज्यादा उस समस्या में फंसते चले जाएंगे।

गांधी जी ने स्वतंत्रता की लड़ाई बिना किसी अस्त्र शस्त्र के जीत के दिखाई थी। अपनी बेइज्जती होने के बाद भी गुस्से में गलत कदम नहीं उठाया था उन्होने अपने शिष्यों को भी ऐसी ही सलाह दी थी की जिससे उनका जीवन सफल हो जाए। दोस्तों, गांधी जी के जीतने भी आंदोलन थे सब के सब बिना किसी हिंसा, बिना किसी शोर शराबे के चलाये गए थे।

महात्मा गांधी के अनमोल विचार

महात्मा गांधी का नारा था

“कारों या मारो”
“अहिंसा परमो धर्म”
“आंदोलन को हिंसक होने से बचाने के लिए मैं हर एक अपमान, यतनापूर्ण बहिष्कार, यहां तक की मौत भी सहने को तैयार हूँ।”
“बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो और बुरा मत कहो”
“सादा जीवन उच्च विचार”
बनना है तो गांधी जी के जैसा बनने की कोशिश करो बिना लड़ाई झगड़े के अपने जीवन को बदल के रख दो.

Speech on Mahatma Gandhi in Hindi (महात्मा गांधी पर भाषण)

2 October Speech in Hindi: महात्मा गांधी जी का जन्म 02 अक्टूबर सन् 1869 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। महात्मा गांधी जी के पिता करमचंद गांधी जी राजकोट के दीवान हुआ करते थे। महात्मा गांधी जी की माता श्रीमती पुतलीबाई एक साधारण से जीवन को जीने वाली भारतीय नारी थी। महात्मा गांधी जी की माता बड़े ही सीधे स्वभाव की शांत रहने वाली महिला थी जिनकी वजह से महात्मा गांधी जी का स्वभाव भी ठीक उनकी ही तरह रहा। महात्मा गांधी जी के माता पिता बहुत साधारण व्यक्तित्व के लोग थे उनका जीवन साधारण लोगों की ही तरह था।

महात्मा गांधी जी की शुरुआती शिक्षा पोरबंदर में पूर्ण हुई थी जिसके बाद महात्मा गांधी जी ने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद अपनी वकालत की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए। जब महात्मा गांधी जी की वकालत की पढ़ाई पूरी हो गयी तो उन्होने भारत वापस आ कर अपनी वकालत शुरू की।

महात्मा गांधी जी को एक मुकदमे के चलते भारत छोड़ कर कुछ दिनों के लिए दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा और वहां उन्होंने भारतीय लोगों की दूरदसा देखी जिस पर उन्हे ये एहसास हुआ की ये बहुत ही गलत हो रहा है। हम भारतीय लोगों के साथ इसे बदला जाना चाहिए नहीं तो हमारे आने वाले वंश इसी तरह रंग भेद और छुआछूत की बीमारी से ग्रसित रहेंगे।

गांधी जी ने बड़े बड़े आंदोलन चलाए और जीते भी, इन आन्दोलन को जीतने की सबसे बड़ी वजह मानव कल्याण के हित में था। गांधी जी ने सब आंदोलन जीते बिना किसी हथियार के इस्तेमाल से और ना बिना किसी दुर्व्यवहार के ये युद्ध जीता। दोस्तों कहने वाली नहीं मानने वाली बात है की महात्मा गांधी जी ही ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने अपने सादे व्यवहार के साथ ब्रिटिशों को भगाया था और भारत में आजादी का तिरंगा फहराया था।

भारत की आजादी के लिए बहुत से स्वतंत्रता सेनानियों ने लोहे के चने चबाये थे। कहा जाए तो आज हिंदुस्तान आजाद हुआ है तो केवल हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के चलते। देश की आजादी के लिए कभी अंग्रेजों की मार खानी पड़ी तो कभी उनकी divide and rule की वजह से अपने हिन्दू मुस्लिम भाइयों में लड़ाई दंगे होते देखे। गांधी जी को केवल अपने स्वतंत्र भारत की ही सूची है हमेशा।

गांधी जी ने अपना पूरा जीवन लोगों की भलाई में लगा दिया। किसी वजह से इनको भारत के राष्ट्रपिता का दर्जा दिया गया हैं।

10 Lines on Mahatma Gandhi in Hindi

आप सभी की जरूरतों को समझते हुए महात्मा गांधी जी के जीवन परिचय में कम शब्दों में जानकारी दी गयी है।

गांधी जी सदा जीवन जीने में बहुत विश्वास करते थे। गांधी जी के जीवन में बहुत से संघर्षों से उनका सामना हुआ लेकिन वो बिना रुके आगे बढ़ते गए और आज उनको राष्ट्रपिता का दर्जा दिया गया है।

गांधी जी अपना सारा जीवन लोगों की भलाई में लगा देना तो कोई बाबूजी से सीखें और उनके जीवन की तरह अपना जीवन जरूरत मंदों के नाम करें।

  • हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी हैं।
  • महात्मा गांधी जी का जन्म 02 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक शहर में हुआ था।
  • महात्मा गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है।
  • महात्मा गांधी जी के माता पिता का नाम पुतलीबाई और करम चन्द्र गांधी था।
  • महात्मा गांधी जी को बापू और राष्ट्र पिता के नाम से जाना जाता है।
  • महात्मा गांधी जी को सदा जीवन उच्च विचार पसंद था।
  • महात्मा गांधी जी ने अन्य सभी क्रांतिकारी स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर हमारे देश को ब्रिटिश शासन से छुटकारा दिलाया था।
  • महात्मा गांधी जी ने भारतीय लोगों को सादा जीवन और स्वदेशी अपनाने का विचार दिया था।
  • महात्मा गांधी जी ने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, नमक आंदोलन,और दांडी मार्च जैसे कई महान कार्य किए।
  • महात्मा गांधी जी की हत्या 30 जनवरी, 1948 मे नाथूराम गोडसे द्वारा कर दी गयी थी।
महात्मा गांधी जी की मृत्यु के बाद उनकी याद में और राष्ट्रपिता होने की वजह से उनका चित्र भारत की मुद्रा में देखने को मिलता है।

10 Lines on Mahatma Gandhi in English for Class 1 to 12

Mahatma gandhi essay in english in 500 words: Realizing the needs of all of you, the life introduction of Mahatma Gandhi has given less information.

Gandhi always believed in living life. He faced many struggles in the life of Gandhi Ji, but he kept moving without stopping and today he has been given the status of Father of the Nation.

If you spend your whole life in the well-being of the people, then one should learn from Bapuji and like his life, make his life in the name of the needy.

  • Our Father of the Nation is Mahatma Gandhi.
  • Mahatma Gandhi was born on 02 October 1869 in a city called Porbandar in Gujarat.
  • Mahatma Gandhi’s full name is Mohandas Karamchand Gandhi.
  • Mahatma Gandhi’s parent’s names were Putlibai and Karam Chandra Gandhi.
  • Mahatma Gandhi is known as Bapu and Father of the Nation. Mahatma Gandhi always loved high thoughts.
  • Mahatma Gandhi along with all other revolutionary freedom fighters got rid of our country from British rule.
  • Mahatma Gandhi had given the idea to the Indian people to adopt a simple life and Swadeshi.
  • Mahatma Gandhi Ji did many great works like the Non-Cooperation Movement, Civil Disobedience Movement, Salt Movement, and Dandi March.
  • Mahatma Gandhi was assassinated on 30 January 1948 by Nathuram Godse.
After the death of Mahatma Gandhi, in the memory of him and being the father of the nation, his picture is seen in the currency of India.

Mahatma Gandhi Poem in Hindi for Students

ऊपर मैंने आपको महात्मा गांधी का जीवन परिचय बताया हैं, अब मैं आपके साथ महात्मा गांधी पर कविताएं  अपडेट करूँगा जो किसी ने ना सुनी हो वो में आपको देने वाला हूँ। कृपया करके इसे पढ़े और अपने मित्रों आदि में शेयर करना ना भूले।

Poem on Mahatma Gandhi in Hindi

महात्मा गांधी जी की वो कविता जिसे दुनिया सबसे ज्यादा प्रिय समझती है।

महात्मा गांधी पर कविता हिंदी में

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर हिन्दी कविता, महात्मा गांधी जयंती पर कविता, gandhi jayanti poem in hindi.

मैं उम्मीद करूंगा की आपको ये लेख अच्छा लगा होगा, अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो देरी ना कीजिए, इस लेख को इतना शेयर कर दीजिये की दुनिया 02 अक्टूबर गांधी जी के जन्मदिन कविताएं को पढ़ कर रो पड़े।

– धन्यवाद

महात्मा गांधी का जीवन परिचय (Mahatma Gandhi Essay in Hindi) का यह लेख यही समाप्त होता है। मुझे उम्मीद है की आपको सभी जानकारी मिली होगी। अगर आपको लेख पसंद आया हो तो इसे शेयर जरुर करें और कमेंट के माध्यम से अपने विचार हमारे साथ व्यक्त करें।

– Biography of Mahatma Gandhi in Hindi

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22 Comments

महात्मा गांधी के बारे में बहुत ही जबरदस्त जानकारी मिली आपकी वेबसाइट को धन्यवाद इतना विस्तार में गांधीजी के बारे में मैंने पहली बार पढ़ा है|

THANK YOU SIR

मुझे बहोत अच्छा लगा मय तुमको गांधी जैसा बनके दिकाउगा ये मेरा आपको वादा है कमसे कम हमारे गावमे तो जररूर बनुगा

अधिक जानकारी मिली। धन्यवाद। ।।।। रामराज सावन

कुछ सही लिखा है कुछ गलत लीखा गया है।

कृपया करके हमे बताये की क्या गलत लिखा है| हम उसको जल्द से जल्द ठीक करेंगे|

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Thank-you so much

SAhi ha shaanu

Thank you SIR

Bahut vdia jivan parchey hai

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मुझे ख़ुशी है की आपको जानकारी पसंद आई…!

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    Mohandas Karamchand Gandhi (ISO: Mōhanadāsa Karamacaṁda Gāṁdhī; [c] 2 October 1869 - 30 January 1948) was an Indian lawyer, anti-colonial nationalist, and political ethicist who employed nonviolent resistance to lead the successful campaign for India's independence from British rule.He inspired movements for civil rights and freedom across the world.