speech in hindi by jawaharlal nehru

जवाहरलाल नेहरू का भाषण | Jawaharlal Nehru Speech In Hindi

जवाहरलाल नेहरु उन महापुरुषों में से एक है जिन्होंने अपने भाषणों से हजारो लोगो को प्रेरित किया है। “किस्मत के साथ एक वादा” यह भाषण नेहरू ने आज़ाद भारत को 14 अगस्त 1947 की मध्यरात्रि को दिया था और उन्होंने अपने भाषण में ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ किये गए दशको तक संघर्ष के बारे में बताया था। आइये उनके पुरे भाषण को जानते है – Jawaharlal Nehru Speech In Hindi

Jawaharlal Nehru Speech In Hindi

जवाहरलाल नेहरू का भाषण / Jawaharlal Nehru Speech In Hindi

कई सालों पहले, हमने किस्मत के साथ एक वादा (Tryst with Destiny) किया था और अब समय आ गया है कि हम अपना वादा निभायें, पूरी तरह से न सही पर बहुत हद तक तो निभायें। आधी रात के दौरे के समय, जब दुनिया सो रही होगी, तब भारत जीवन और स्वतंत्रता के लिए जाग जाएगा।

ऐसा पल आता है, मगर इतिहास में ऐसा पल बहुत कम आता है, जब हम पुराने से बाहर निकल कर नये युग में कदम रखते हैं, जब एक युग समाप्त हो जाता है, तब एक देश की लम्बे समय से दबी हुई आत्मा मुक्त होती है. यह संयोग ही है कि इस पवित्र मौंके पर हम भारत और उसके लोगों की सेवा करने के लिये तथा सबसे बढकर मानवता की सेवा करने के लिए समर्पित होने की प्रतिज्ञा कर रहे हैं।

इतिहास की कलम से ही भारत ने अपनी अंतहीन खोज शुरू कर दी, और अनगिनत सदियां इसके संघर्षों और इसकी भव्य सफलताओं, और इसकी विफलताओं से भरी पड़ी है। अच्छे और बुरे दोनों समय में भारत ने न तो कभी अपनी खोज की दृष्टि खोई और न ही उसे ताकत देने वाले आदर्शों को कभी भूला।

आज हमारे दुर्भाग्य का समय खत्म हो गया है और भारत अपनी खोज दोबारा कर लेगा। हम आज जिस उपलब्धि का जश्न मना रहे हैं वो सिर्फ एक कदम है, बड़ी-बड़ी जीतें और उपलब्धियां हमारा इंतजार कर रही हैं। क्या हम इतने ताकतवर और बुद्धिमान हैं कि इस अवसर को समझें और भविष्य की चुनौती स्वीकार कर सकें?

स्वतंत्रता और शासन जिम्मेदारी भी साथ लेकर आते हैं। स्वतंत्रता के जन्म से पहले, हमने कठिन परिश्रम के सारे दर्द सहे हैं और हमारा दिल इस दुःख की याद से जल उठता हैं। उन में से थोडा दर्द अभी भी जारी है। फिर भी, भूतकाल खत्म हो चुका है और अब भविष्य ही है जो हमारी ओर देख रहा है।

ये भविष्य आराम करने या चैन से बैठने का नहीं है, बल्कि लगातार प्रयास करने का है ताकि हमारे द्वारा बार-बार की गयी प्रतिज्ञा को हम पूरा कर सकें। भारत की सेवा का मतलब लाखों पीड़ित लोगों की सेवा करना है। इसका मतलब गरीबी, अज्ञानता, बीमारी और मौको की असमानता को समाप्त करना है।

हमारी पीढ़ी के सबसे महानततम व्यक्ति की महत्वाकांक्षा हर आंख से एक-एक आंसू पौंछने की है। हो सकता है ये कार्य हमारे लिए संभव न हो लेकिन जब तक पीड़ितों के आँसू ख़त्म नहीं हो जाते, तब तक हमारा काम खत्म नहीं होगा।

और इसलिए हमें अपने सपनों को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत और काम ही काम करना पड़ेगा। जो सपने भारत के लिए हैं, वो दुनिया के लिये भी है, सभी राष्ट्र और लोग आज एक दुसरे से नजदीकी से जुड़े हुए हैं, कोई भी अपनेआप को अलग रखने की सोच ही नहीं सकता है। शांति को अविभाज्य कहा जाता है, एसे ही आजादी है, ऐसे ही अब समृद्धि है, और विनाश भी ऐसा ही है, यह दुनिया एक है इसको अलग-अलग टुकड़ों में विभाजित नहीं किया जा सकता है।

भारत के लोगों के लिये, जिनके हम प्रतिनिधि हैं, हम इस महान उपलब्धी पर सबको आस्था और विश्वास के साथ, हमारे साथ शामिल होने की अपील करते हैं। यह घटिया और विनाशकारी आलोचना का समय नहीं है, न ही दुर्भावना रखने या दूसरों पर आरोप लगाने का समय है। हमें मुक्त भारत का ऐसा महान निर्माण करना है, जहाँ उसके सभी बच्चे रह सकें।

नियुक्त किया गया दिन आ गया है – वो दिन जो किस्मत द्वारा नियुक्त था – और भारत लंबी निद्रा और संघर्ष के बाद, आगे के लिए पुन: जागृत, जीवंत, मुक्त और स्वतंत्र खड़ा है।

कुछ हद तक हमारा भूत अभी भी हमें जकड़े हुए है, और हम प्राय: जो प्रतिज्ञा करते आये हैं उसे निभाने के लिए हमें बहुत कुछ करना होगा। अब निर्णायक बिंदु भी इतिहास बन चुका है, हमारे लिए नए सिरे से इतिहास शुरू हो गया है, जिस इतिहास को हम बनायेंगे और जिसके बारे में दूसरे लिखेंगे।

यह हम भारत वासियों के लिए, पूरे एशिया के लिए और दुनिया के लिए एक सौभाग्यपूर्ण पल है। एक नए तारे का उदय हुआ है, पूर्व में स्वतंत्रता का तारा, एक नई आशा लेकर आया है और एक परिपूर्ण दृष्टि को सफल रूप देगा। ये तारा कभी अस्त नहीं होगा और आशा कभी धुंधली नहीं होगी।

हम उस स्वतंत्रता का आनन्द लेंगे, जिसमें हमारे चारों ओर बादल मंडरा रहे हैं, और हमारे कई लोग दुःख से पीड़ित हैं, और कठिन समस्यायें हमें घेरे हुए है। बल्कि आजादी के साथ जिम्मेदारियां और समस्यायें आतीहै और हमें उनका स्वतंत्र और अनुशासित भाव से सामना करना पड़ेंगा।

इस दिन सबसे पहले हम, इस स्वतंत्रता के शिल्पकार, हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को नमन करते हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता की मशाल को उठाया, और हमारे पर छाये हुए अँधेरे को दूर किया, और भारत के पुराने गौरव को स्थापित किया।

हम नासमझी में अक्सर उनके संदेश से भटक जाते हैं, लेकिन न केवल हम, बल्कि आने वाली पीढियां उनके संदेश को याद रखेगी और भारत के इस महान सपूत के अद्वितीय विश्वास और शक्ति तथा साहस और विनम्रता को दिल में संभाल कर रखेगी।

हम कभी भी इस स्वतंत्रता की मशाल बुझने नहीं देंगे, चाहे कितनी ही तेज हवा या तूफानी आंधी आ जाये। हम उन अज्ञात स्वयंसेवकों और सैनिकों को भी नमन करते हैं, जिन्होंने बिना प्रशंसा या इनाम की चाह के, जीवन तक भारत की सेवा की है।

हम हमारे उन भाइयों और बहनों के लिए भी चिंतित हैं जो राजनीतिक सीमाओं के कारण हमसे अलग हो गए हैं और जो दुर्भाग्यवश वर्तमान में मिली स्वतंत्रता को देंख नहीं सकते हैं। चाहे कुछ भी हो जाये वे हमारेहैं और हमारे रहेंगे, हम उनके अच्छे या बुरे वक्त को समान रूप से साझा करेंगे।

भविष्य हमारी तरफ देख रहा है। हमें किधर जाना हैं और हमारे क्या प्रयास होने चाहिए? भारत के आम आदमी, किसानों और श्रमिकों के लिए स्वतंत्रता और अवसर लाने के लिए, गरीबी और अज्ञानता तथा बीमारी से लड़ने और समाप्त करने के लिए, एक समृद्ध, लोकतांत्रिक और प्रगतिशील राष्ट्र का निर्माण करने के लिए और सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संस्थाएं बनायें जो हर आदमी और औरत के लिए न्याय और जीवन की परिपूर्णता को सुनिश्चित करे।

हमारा आगे का काम मुश्किल है। हम में से कोई आराम नहीं कर सकता है जब तक हम अपनी प्रतिज्ञा पूरी नहीं कर लेते, जब तक हम भारत के सभी लोगों को उनकी भाग्यरेखा तक नहीं पहुंचा देते। हम आगे वाली पंक्ति के एक महान देश के नागरिक हैं और हमें उच्च मानकों पर खरा उतरना है।

हम सभी, चाहे हम किसी भी धर्म से संबंधित हों, समान रूप से समान अधिकार, विशेषाधिकार और दायित्व के साथ भारत की संतानें हैं। हम सांप्रदायिकता या संकीर्णता को प्रोत्साहित नहीं कर सकते हैं, कोई भी देश महान नहीं हो सकता है जिसके लोगों की सोच में या कर्म में संकीर्णता हो।

हम दुनिया के देशों और लोगों के लिए शुभकामनाएं करते हैं और हम उनके साथ सहयोग करने शांति, स्वतंत्रता और लोकतंत्र को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिज्ञा लेते हैं।

और भारत की, प्राचीन, शाश्वत और हमेशा नई स्फूर्ति देने वाली, हमारी अत्यंत प्रिय मातृभूमि को श्रद्धा से नमन करते हैं और हम नए सिरे से इसकी सेवा करने का संकल्प लेते हैं।

जय हिन्द…….

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1 thought on “जवाहरलाल नेहरू का भाषण | Jawaharlal Nehru Speech In Hindi”

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gyani ji, Nice Article Pandit Jawaharlal Nehru was the first Prime Minister of independent India. he was a great person who loved children very much throughout his life. i Like Pandit Jawaharlal Nehru Speech. Great Job …..Keep It Up

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जवाहर लाल नेहरु पर भाषण

जवाहरलाल नेहरू एक प्रसिद्ध शख्सियत हैं और वास्तव में उन्हें किसी परिचय की आवश्यकता भी नहीं है। एक कट्टर देशभक्त और महान राजनीतिक नेता के रूप में उनके अलावा और कोई नहीं था जिसने अपनी पूरी ज़िंदगी अपनी मातृभूमि और समाज के कमजोर वर्ग के उत्थान को समर्पित की। उनके महान कर्मों ने उन्हें अमर बना दिया और यही कारण है कि अभी भी सभी आयु वर्ग के छात्र उनकी जीवनी पढ़ने में रूचि दिखाते हैं। विभिन्न अवसरों पर शिक्षक, अक्सर छात्रों को जवाहरलाल नेहरू पर विशेष रूप से बाल दिवस के दिन स्पीच लिखने या बोलने के लिए कहते हैं। जवाहरलाल नेहरू पर निम्नलिखित भाषण व्यापक और समझने में आसान हैं।

जवाहर लाल नेहरु पर भाषण (Speech on Jawaharlal Nehru in Hindi)

भाषण – 1 (jawaharlal nehru par bhasan hindi mein).

सभी सम्मानित जनों को मेरा प्रणाम, आज मैं आप सबको एक ऐसे महापुरुष के बारे में बताने जा रही हूं जो एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे और जिनको भारत के प्रथम प्रधानमंत्री होने का गौरव प्राप्त है।

जिनका जन्म 14 नवंबर को 1889 में संगम नगरी इलाहाबाद में हुआ था। इनके पिता थे श्री मोतीलाल नेहरु और माता श्रीमती स्वरूपरानी थुस्सू थीं। इन्होने विदेश जाकर अपनी शिक्षा ली और एक सच्चे भारतीय होने के नाते अपनी शिक्षा का उपयोग, देश हित के लिये भारत में आकर किया।

इनका ताल्लुकात कुलीन वर्ग से था, परंतु इन्होने गांधी जी के नक्शे कदम को अपनाते हुए, सादा जीवन अपनाया और खादी के वस्त्र धारण किये। वो इनका देश के प्रति प्रेम ही था जो इन्होने बिना डरे भारत देश के आज़ादी के लिए कई आंदोलनो का सफल नेतृत्व किया। कई बार जेल भी गये और भारत के आज़ादी में एक महत्त्व पूर्ण भूमिका भी निभाए तथा कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष भी बने।

इनका विवाह कमला कौल से हुआ था और इनकी पुत्री का नाम इन्दिरा गांधी था। वे एक बहुत अच्छे लेखक भी थे। इनकी कुछ प्रमुख पुस्तकें हैं, मेरी कहानी, विश्व इतिहास की झलक, भारत की खोज/हिन्दुस्तान की कहानी आदि। इन्हे बच्चों से बहुत लगाव था, बच्चे प्यार से इन्हे चाचा नेहरू कहा करते थे, इसलिये इनके जन्म दिवस को ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

जवाहर लाल नेहरु एक महान शख्सियत के साथ एक महान व्यक्ति भी थे और उनके भारतीय इतिहास में अपने अतुल्य योगदान के लिये भारत रत्न से भी नवाज़ा जा चुका है और इन्हे आज भी याद किया जाता है।

भाषण – 2

सभी बड़ों को मेरा नमस्कार, मैं कक्षा 2 में पढ़ने वाली सोनल आज आपको जवाहर लाल नेहरु के जीवन से जुड़े कुछ तथ्य बताने जा रही हूं और उम्मीद करती हूं की यह आप सबको अवश्य पसंद आएगा।

जवाहर लाल नेहरु का जन्म 14 नवम्बर सन् 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। तब भारत गुलाम था। उनके पिता का नाम श्री मोती लाल नेहरु और माता का श्रीमती स्वरूपरानी थुस्सू था। वे एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे। इन्होने कैम्ब्रिज, लंड़न के ट्रिनिटी से उच्च शिक्षा प्राप्त की और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अपनी लॉ की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वे भारत आ गये और भारत के स्वतंत्रता की क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और देश के लिये कई बार जेल भी गये।

देश को आजाद कराने में उनकी बहुत अहम भूमिका रही है। उन्हें बच्चों से बहुत लगाव था और बच्चे प्यार से उन्हे चाचा नेहरू बुलाते थे और इसलिये उनके जन्मदिन ‘14 नवम्बर’ को बाल दिवस के रूप में भी मनाते हैं।

भाषण – 3

माननीय प्रधानाचार्य, उपाध्यक्ष, शिक्षकगण और मेरे प्यारे छात्रों!

मैं कक्षा 12वीं सेक्शन-ए से नम्रता आज के इस शुभ अवसर पर आपकी मेजबान हूं। मैं आप सभी का 21वें वार्षिक दिवस समारोह में स्वागत करती हूं।

आज के समारोह और शो को शुरू करने से पहले मैंने भारत के महान राष्ट्रीय नेताओं में से एक पर एक संक्षिप्त भाषण देने का विचार किया और मेरे दिमाग में सबसे पहला नाम जो आया वह है स्वतंत्र भारत के पहले प्रधान मंत्री अर्थात जवाहरलाल नेहरू। मैं जानती हूं कि उन्हें किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है क्योंकि भारत की स्वतंत्रता संग्राम के प्रति उनके महान योगदान ने उन्हें अमर बना दिया और यही वजह है कि वे हर भारतीय के दिल में रहते हैं।

14 नवंबर 1889 को पैदा हुए जवाहरलाल नेहरू भारत और राजनीति के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख व्यक्ति थे। वह 1947 में हमारे देश के सत्तारूढ़ प्रमुख बने और 1964 में अपनी मृत्यु तक उन्होंने शासन किया। वे समकालीन भारतीय राष्ट्र-राज्य: एक धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी, सार्वभौम और लोकतांत्रिक गणराज्य के निर्माता माने जाते है। दिलचस्प बात यह है कि उन्हें कई नामों से संबोधित किया जाता है जैसे पंडित नेहरू कश्मीरी पंडित समुदाय में जन्म के कारण और चाचा नेहरू बच्चों के लिए उनके मन में बसे शुद्ध प्रेम के लिए।

उनका जन्म एक समृद्ध परिवार में हुआ था। उनके पिता मोतीलाल नेहरू एक प्रसिद्ध वकील के साथ-साथ एक राष्ट्रवादी नेता भी थे और उनकी मां का नाम स्वरुप रानी नेहरू था। उन्होंने ट्रिनिटी कॉलेज, कैंब्रिज से अपनी स्नातक स्तर की पढ़ाई पूरी की और बाद में इनर टेम्पल में एक बैरिस्टर के रूप में प्रशिक्षण लिया। जब वे भारत लौट आए तब उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपना अभ्यास शुरू किया जहां से राष्ट्रीय राजनीति में उनकी रुचि बढ़ी और जिसके कारण उन्होंने अपनी कानूनी अभ्यास भी छोड़ दिया।

1910 के उग्र संकट के दौरान जवाहरलाल नेहरू अपने किशोरावस्था से एक प्रतिबद्ध राष्ट्रवादी बन गए और देश-राज्य की राजनीति में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। उन्होंने एक और महान राष्ट्रवादी नेता, महात्मा गांधी, के संरक्षण के तहत काम किया और 20वीं शताब्दी की शुरुआत में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वामपंथी विभाजन के प्रसिद्ध नेता बने और आखिरकार 1929 में पूरी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बनने के बाद नेहरू ने भारत के लोगों को ब्रिटिश शासन से सम्पूर्ण आजादी के लिए लड़ने का आग्रह किया। हमें यह कहने की जरूरत नहीं है कि हमारे देश ने उनके कार्यकाल के दौरान सफलता की ऊंचाइयों को हासिल किया है।

हमारे स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने एक बार जवाहरलाल नेहरू के बारे में कहा “देश पंडितजी के नेतृत्व में प्रगति की राह पर आगे बढ़ रहा है।” इसके अलावा एक महान राजनेता होने के नाते वह एक समान वक्ता भी थे। लेखक के रूप में भी उन्होंने कई पुस्तकों को लिखा जैसे “द डिस्कवरी ऑफ इंडिया”, “ग्लिम्प्सज़ ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री”, “एन ऑटोबायोग्राफी: टूवर्ड फ्रीडम”, “लेटर्स फ्रॉम अ फादर टू हिज़ डॉटर” आदि।

नेहरू शांति के सच्चे प्रोत्साहक थे और उन्होंने ही “पंचशील” नामक पांच महत्वपूर्ण सिद्धांतों को प्रस्तुत किया था। उन्होंने अपना पूरा जीवन अपने देश के अच्छे के लिए समर्पित किया। आज के समय जब हमारे सामाजिक-राजनीतिक क्षेत्र में भ्रष्टाचार बहुत अधिक है तो हमें वास्तव में उन नेताओं की ज़रूरत है जो भारत के विकास और प्रगति के प्रति समर्पित मन से काम कर सकते हैं।

मेरी स्पीच समाप्त होने से पहले चलिए हम सभी एक साथ “भारत माता की जय” करें!

भाषण – 4

आदरणीय प्रधानाचार्य, उपाध्यक्ष, सहकर्मियों और मेरे प्रिय छात्रों आप सभी को सुप्रभात!

आज हम यहां बाल दिवस के दिन इकट्ठे हुए हैं और निश्चित रूप से उन छात्रों को विशेष महत्व देने के लिए जो वे वास्तव में उसके योग्य हैं। प्रबंधन समिति ने आज किसी भी कक्षा का संचालन नहीं करने का निर्णय लिया है और सभी बच्चों को इस समारोह विशेषकर उन चीजों का आनंद लेने के लिए जिसके लिए वे यहाँ संगठित हुए है।

हम सभी जानते हैं कि हर साल 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है लेकिन आप में से कितने इस दिन के महत्व को जानते हैं? उत्सव के लिए केवल इस तारीख को क्यों चुना गया है? जो बच्चें इस दिन के बारे में नहीं जानते मैं उनके चकित चेहरे देख रहा हूं तो मैं आपको यह बताना चाहूंगा कि यह तारीख हमारे महान भारतीय राजनेता और पहले भारतीय प्रधान मंत्री यानी पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन की तारीख है और देशभर में इसे बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उलझे होने के बावजूद बच्चों के लिए उनका अत्यधिक प्यार और स्नेह समय के साथ कम नहीं हुआ क्योंकि उन्हें बच्चों की मासूमियत बेहद आनंद देती थी। दूसरे शब्दों में बच्चें चाचा नेहरू के लिए मासूमियत, प्रेम और देखभाल का प्रतीक थे।

एक राजनीतिक नेता के रूप में भी जवाहरलाल नेहरू ने अपनी योग्यता साबित की थी और आर्थिक सुधार नीति के रूप में राष्ट्र को अपना विशेष योगदान दिया अर्थात योजना आयोग। भारत के योजना आयोग की रचना जवाहरलाल नेहरू की थी। योजना आयोग के तहत भारत सरकार अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए ‘पांच साल की योजना’ तैयार करती है। आयोग विभिन्न अन्य आर्थिक सुधारों की मेजबानी करता है। 8 दिसंबर, 1951 को पहली बार पंचवर्षीय योजना की शुरुआत खुद नेहरू ने की थी।

यह सिर्फ जवाहरलाल नेहरू द्वारा स्थापित किये उपक्रम की शुरुआत थी और इसके बाद नेहरु भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थापित कुटीर उद्योगों के मूल्य का एहसास करने के लिए भारत के पहले नीति निर्माता बन गए। उनके तीव्र अवलोकन ने छोटे पैमाने पर उद्योगों की वृद्धि को जन्म दिया जिसने भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बहुत अधिक आवश्यक उत्पादन क्षमता को स्थापित किया। बदले में कुटीर औद्योगिक क्षेत्र ने कृषि मजदूरों को अपने लिए जीवित रहने के बेहतर स्तर के विकास के लिए समर्थन दिया। यह किसानों द्वारा उत्पन्न अतिरिक्त आय के कारण हुआ।

राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्र के अलावा शैक्षणिक क्षेत्र में उनके योगदान की अनदेखी नहीं की जा सकती क्योंकि उन्होंने भारतीय समाज में बदलाव के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य किया और उच्च शिक्षा के लिए भारतीय संस्थानों की स्थापना में पर्दे के पीछे से कार्य किया जैसे हमारे पास दुनिया भर में विख्यात अखिल भारतीय संस्थान मेडिकल साइंसेज (एम्स), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) आदि हैं। शिक्षा का मूल स्तर अनिवार्य और नि: शुल्क बनाया गया। इसके अलावा वयस्क शैक्षणिक संस्थान भी स्थापित किए गए थे।

नेहरु खुद एक शिक्षित व्यक्ति थे और वे शिक्षा के महत्व को जानते थे की कैसे हर भारतीय नागरिक पढ़ना और लिखना सीखेगा जिससे हमारे देश का चेहरा बदल सकता है। समकालीन भारतीय गणराज्य में उनके द्वारा किए सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक सुधारों के निशान स्पष्ट रूप से सफ़ल दिखाई देते हैं और हमारे देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था इस वास्तविकता को रेखांकित करती है।

बच्चों मैं आशा करता हूं कि आप सभी ने चाचा नेहरू की उपलब्धियों को सुनकर आनंद लिया होगा जितना मैंने उनके बारे में बात करके लिया था। इसी के साथ मैं अपनी स्पीच का अंत करता हूं और हमारे माननीय प्रधानाचार्य को कुछ शब्द कहने का अनुरोध करता हूं ताकि इसके बाद के कार्यक्रमों को शुरू किया जा सके।

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श्री जवाहर लाल नेहरू

श्री जवाहर लाल नेहरू

पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवम्बर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने घर पर निजी शिक्षकों से प्राप्त की। पंद्रह साल की उम्र में वे इंग्लैंड चले गए और हैरो में दो साल रहने के बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया जहाँ से उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। 1912 में भारत लौटने के बाद वे सीधे राजनीति से जुड़ गए। यहाँ तक कि छात्र जीवन के दौरान भी वे विदेशी हुकूमत के अधीन देशों के स्वतंत्रता संघर्ष में रुचि रखते थे। उन्होंने आयरलैंड में हुए सिनफेन आंदोलन में गहरी रुचि ली थी। उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अनिवार्य रूप से शामिल होना पड़ा।

1912 में उन्होंने एक प्रतिनिधि के रूप में बांकीपुर सम्मेलन में भाग लिया एवं 1919 में इलाहाबाद के होम रूल लीग के सचिव बने। 1916 में वे महात्मा गांधी से पहली बार मिले जिनसे वे काफी प्रेरित हुए। उन्होंने 1920 में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में पहले किसान मार्च का आयोजन किया। 1920-22 के असहयोग आंदोलन के सिलसिले में उन्हें दो बार जेल भी जाना पड़ा।

पंडित नेहरू सितंबर 1923 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव बने। उन्होंने 1926 में इटली, स्विट्जरलैंड, इंग्लैंड, बेल्जियम, जर्मनी एवं रूस का दौरा किया। बेल्जियम में उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक आधिकारिक प्रतिनिधि के रूप में ब्रुसेल्स में दीन देशों के सम्मेलन में भाग लिया। उन्होंने 1927 में मास्को में अक्तूबर समाजवादी क्रांति की दसवीं वर्षगांठ समारोह में भाग लिया। इससे पहले 1926 में, मद्रास कांग्रेस में कांग्रेस को आजादी के लक्ष्य के लिए प्रतिबद्ध करने में नेहरू की एक महत्वपूर्ण भूमिका थी। 1928 में लखनऊ में साइमन कमीशन के खिलाफ एक जुलूस का नेतृत्व करते हुए उन पर लाठी चार्ज किया गया था। 29 अगस्त 1928 को उन्होंने सर्वदलीय सम्मेलन में भाग लिया एवं वे उनलोगों में से एक थे जिन्होंने भारतीय संवैधानिक सुधार की नेहरू रिपोर्ट पर अपने हस्ताक्षर किये थे। इस रिपोर्ट का नाम उनके पिता श्री मोतीलाल नेहरू के नाम पर रखा गया था। उसी वर्ष उन्होंने ‘भारतीय स्वतंत्रता लीग’ की स्थापना की एवं इसके महासचिव बने। इस लीग का मूल उद्देश्य भारत को ब्रिटिश साम्राज्य से पूर्णतः अलग करना था।

1929 में पंडित नेहरू भारतीय राष्ट्रीय सम्मेलन के लाहौर सत्र के अध्यक्ष चुने गए जिसका मुख्य लक्ष्य देश के लिए पूर्ण स्वतंत्रता प्राप्त करना था। उन्हें 1930-35 के दौरान नमक सत्याग्रह एवं कांग्रेस के अन्य आंदोलनों के कारण कई बार जेल जाना पड़ा। उन्होंने 14 फ़रवरी 1935 को अल्मोड़ा जेल में अपनी ‘आत्मकथा’ का लेखन कार्य पूर्ण किया। रिहाई के बाद वे अपनी बीमार पत्नी को देखने के लिए स्विट्जरलैंड गए एवं उन्होंने फरवरी-मार्च, 1936 में लंदन का दौरा किया। उन्होंने जुलाई 1938 में स्पेन का भी दौरा किया जब वहां गृह युद्ध चल रहा था। द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने से कुछ समय पहले वे चीन के दौरे पर भी गए।

पंडित नेहरू ने भारत को युद्ध में भाग लेने के लिए मजबूर करने का विरोध करते हुए व्यक्तिगत सत्याग्रह किया, जिसके कारण 31 अक्टूबर 1940 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें दिसंबर 1941 में अन्य नेताओं के साथ जेल से मुक्त कर दिया गया। 7 अगस्त 1942 को मुंबई में हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में पंडित नेहरू ने ऐतिहासिक संकल्प ‘भारत छोड़ो’ को कार्यान्वित करने का लक्ष्य निर्धारित किया। 8 अगस्त 1942 को उन्हें अन्य नेताओं के साथ गिरफ्तार कर अहमदनगर किला ले जाया गया। यह अंतिम मौका था जब उन्हें जेल जाना पड़ा एवं इसी बार उन्हें सबसे लंबे समय तक जेल में समय बिताना पड़ा। अपने पूर्ण जीवन में वे नौ बार जेल गए। जनवरी 1945 में अपनी रिहाई के बाद उन्होंने राजद्रोह का आरोप झेल रहे आईएनए के अधिकारियों एवं व्यक्तियों का कानूनी बचाव किया। मार्च 1946 में पंडित नेहरू ने दक्षिण-पूर्व एशिया का दौरा किया। 6 जुलाई 1946 को वे चौथी बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए एवं फिर 1951 से 1954 तक तीन और बार वे इस पद के लिए चुने गए।

speech in hindi by jawaharlal nehru

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पंडित जवाहरलाल नेहरु tryst with destiny speech.

Last Updated: August 17, 2023 By Gopal Mishra 26 Comments

Dear friends, आज AchhiKhabar.Com पर हम आपके साथ भारत के प्रथम प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरु (Jawaharlal Nehru) द्वारा, August 14, 1947 की मध्यरात्रि को दी गयी Famous Speech “TRYST WITH DESTINY” HINDI में share कर रहे हैं। यह प्रसिद्द भाषण नेहरु जी ने  India’s Constituent Assembly (precursor to Parliament) को संबोधित करते हुए दिया था।

rummy gold

Tryst with Destiny ” Speech in Hindi by Pundit Jawaharal Nehru

हमने नियति को मिलने का एक वचन दिया था, और अब समय आ गया है कि हम अपने वचन को निभाएं, पूरी तरह ना सही, लेकिन बहुत हद्द तक। आज रात बारह बजे, जब सारी दुनिया सो रही होगी, भारत जीवन और स्वतंत्रता की नयी सुबह के साथ उठेगा। एक ऐसा क्षण जो इतिहास में बहुत ही कम आता है, जब हम पुराने को छोड़ नए की तरफ जाते हैं, जब एक युग का अंत होता है, और जब वर्षों से शोषित एक देश की आत्मा, अपनी बात कह सकती है। ये एक संयोग है कि इस पवित्र मौके पर हम समर्पण के साथ खुद को भारत और उसकी जनता की सेवा, और उससे भी बढ़कर सारी मानवता की सेवा करने के लिए प्रतिज्ञा ले रहे हैं।

यह भाषण YouTube पे सुनें:

इतिहास के आरम्भ के साथ ही भारत ने अपनी अंतहीन खोज प्रारंभ की, और ना जाने कितनी ही सदियाँ इसकी भव्य सफलताओं और असफलताओं से भरी हुई हैं। चाहे अच्छा वक़्त हो या बुरा, भारत ने कभी इस खोज से अपनी दृष्टि नहीं हटाई और कभी भी अपने उन आदर्शों को नहीं भूला जिसने इसे शक्ति दी।आज हम दुर्भाग्य के एक युग का अंत कर रहे हैं और भारत पुनः खुद को खोज पा रहा है।आज हम जिस उपलब्धि का उत्सव मना रहे हैं, वो महज एक कदम है, नए अवसरों के खुलने का, इससे भी बड़ी विजय और उपलब्धियां हमारी प्रतीक्षा कर रही हैं। क्या हममें इतनी शक्ति और बुद्धिमत्ता है कि हम इस अवसर को समझें और भविष्य की चुनौतियों को स्वीकार करें?

भविष्य में हमें विश्राम करना या चैन से नहीं बैठना है बल्कि निरंतर प्रयास करना है ताकि हम जो वचन बार-बार दोहराते रहे हैं और जिसे हम आज भी दोहराएंगे उसे पूरा कर सकें। भारत की सेवा का अर्थ है लाखों-करोड़ों पीड़ित लोगों की सेवा करना। इसका मतलब है गरीबी और अज्ञानता को मिटाना, बिमारियों और अवसर की असमानता को मिटाना।हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की यही महत्वाकांक्षा रही है कि हर एक आँख से आंसू मिट जाएँ। शायद ये हमारे लिए संभव न हो पर जब तक लोगों कि आँखों में आंसू हैं और वे पीड़ित हैं तब तक हमारा काम ख़त्म नहीं होगा।

Rummy Perfect

और इसलिए हमें परिश्रम करना होगा, और कठिन परिश्रम करना होगा ताकि हम अपने सपनो को साकार कर सकें। वो सपने भारत के लिए हैं, पर साथ ही वे पूरे विश्व के लिए भी हैं, आज कोई खुद को बिलकुल अलग नहीं सोच सकता क्योंकि सभी राष्ट्र और लोग एक दुसरे से बड़ी समीपता से जुड़े हुए हैं। शांति को अविभाज्य कहा गया है, इसी तरह से स्वतंत्रता भी अविभाज्य है, समृद्धि भी और विनाश भी, अब इस दुनिया को छोटे-छोटे हिस्सों में नहीं बांटा जा सकता है। हमें स्वतंत्र भारत का महान निर्माण करना हैं जहाँ उसके सारे बच्चे रह सकें।

आज नियत समय आ गया है, एक ऐसा दिन जिसे नियति ने तय किया था – और एक बार फिर वर्षों के संघर्ष के बाद, भारत जागृत और स्वतंत्र खड़ा है। कुछ हद्द तक अभी भी हमारा भूत हमसे चिपका हुआ है, और हम अक्सर जो वचन लेते रहे हैं उसे निभाने से पहले बहुत कुछ करना है। पर फिर भी निर्णायक बिंदु अतीत हो चुका है, और हमारे लिए एक नया इतिहास आरम्भ हो चुका है, एक ऐसा इतिहास जिसे हम गढ़ेंगे और जिसके बारे में और लोग लिखेंगे।

ये हमारे लिए एक सौभाग्य का क्षण है, एक नए तारे का उदय हुआ है, पूरब में स्वतंत्रता का सितारा।, एक नयी आशा का जन्म हुआ है, एक दूरदृष्टिता अस्तित्व में आई है। काश ये तारा कभी अस्त न हो और ये आशा कभी धूमिल न हो।! हम सदा इस स्वतंत्रता में आनंदित रहे।

भविष्य हमें बुला रहा है। हमें किधर जाना चाहिए और हमारे क्या प्रयास होने चाहिए, जिससे हम आम आदमी,किसानो और कामगारों के लिए स्वतंत्रता और अवसर ला सकें, हम गरीबी, अज्ञानता और बिमारियों से लड़ सकें, हम एक समृद्ध, लोकतान्त्रिक और प्रगतिशील देश का का निर्माण कर सकें, और हम ऐसी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक संस्थाओं की स्थापना कर सकें जो हर एक आदमी-औरत के लिए जीवन की परिपूर्णता और न्याय सुनिश्चित कर सके?

हमे कठिन परिश्रम करना होगा। हम में से से कोई भी तब तक चैन से नहीं बैठ सकता है जब तक हम अपने वचन को पूरी तरह निभा नहीं देते, जब तक हम भारत के सभी लोगों को उस गंतव्य तक नहीं पहुंचा देते जहाँ भाग्य उन्हें पहुँचाना चाहता है।

हम सभी एक महान देश के नागरिक हैं, जो तीव्र विकास की कगार पे है, और हमें उस उच्च स्तर को पाना होगा। हम सभी चाहे जिस धर्म के हों, समानरूप से भारत माँ की संतान हैं, और हम सभी के बराबर अधिकार और दायित्व हैं। हम और संकीर्ण सोच को बढ़ावा नहीं दे सकते,क्योंकि कोई भी देशतब तक महान नहीं बन सकता जब तक उसके लोगों की सोच या कर्म संकीर्ण हैं।

विश्व के देशों और लोगों को शुभकामनाएं भेजिए और उनके साथ मिलकर शांति, स्वतंत्रता और लोकतंत्र को बढ़ावा देने की प्रतिज्ञा लीजिये। और हम अपनी प्यारी मात्रभूमि, प्राचीन, शाश्वत और निरंतर नवीन भारत को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और एकजुट होकर नए सिरे से इसकी सेवा करते हैं।

Jawaharlal Nehru

Note:The video doesn’t have the complete speech।

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speech in hindi by jawaharlal nehru

August 31, 2018 at 5:10 pm

very good and inspirational speech

speech in hindi by jawaharlal nehru

July 28, 2017 at 8:26 pm

Brilliant speech ??

speech in hindi by jawaharlal nehru

February 16, 2017 at 8:44 pm

Reached to core of heart & inspired.

January 28, 2017 at 1:47 am

Really it was very brilliant speech given by our first prime minister.

December 6, 2016 at 3:30 pm

My name is Arooba Idrees and this speech is very good speech thank you

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आजाद भारत के लिए अपने पहले भाषण में जवाहर लाल नेहरू ने क्या कहा था?

जब 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ तो जवाहर लाल नेहरू ने आजाद देश के लिए भाषण दिया था. तो पढ़ते हैं उन्होंने अपने भाषण में क्या कहा था.

आजाद भारत के लिए अपने पहले भाषण में जवाहर लाल नेहरू ने क्या कहा था?

भारत आज 76वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. भारत को 1947 में ये आजादी लंबे संघर्ष के बाद मिली थी. भारत को आजादी मिलने के बाद देश के लिए नया सूर्योदय हुआ था और 14 अगस्त 1947 के दिन जब लोग सोए होंगे तो 15 अगस्त को उनकी आंख आजाद भारत में खुली होगी. इस मौके पर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भी 15 अगस्त की रात को भाषण दिया था और बताया था कि भारत को आजादी तो मिल गई है, लेकिन अब किन परिस्थितियों का सामना करना होगा. उनका कहना था कि अब आराम करने का नहीं बल्कि निरंतर प्रयास करने का है.

ऐसे में आज हम आपको बताते हैं कि जब देश आजाद हो रहा था, तब जवाहर लाल नेहरू ने पहले भाषण में आजाद भारत के लिए क्या कहा था. आप नीचे दिए गए पूरे भाषण में पढ़िए कि उस दौरान नेहरू जी ने देशवासियों को क्या कहा था…

15 अगस्त 1947 को संविधान परिषद में जवाहर लाल नेहरू ने कहा था-

‘बहुत वर्ष हुए हमने भाग्य भाग्य से एक सौदा किया था और अब अपनी प्रतिज्ञा पूरी करने का समय आया है- पूरी तौर पर या जितनी चाहिए उतनी तो नहीं, फिर भी काफ़ी हद तक. जब आधी रात के घण्टे बजेंगे, जबकि सारी दुनिया सोती होगी, उस समय भारत जगकर जीवन और स्वतंत्रता प्राप्त करेगा. एक ऐसा क्षण आता है, जो कि इतिहास में कम ही आता है, जबकि हम पुराने को छोड़कर नए जीवन में पग धरते हैं, जबकि एक युग का अन्त होता है, जबकि राष्ट्र की चिर दलित आत्मा उद्धार प्राप्त करती है. यह उचित है कि इस गम्भीर क्षण में हम भारत और उसके लोगों और उससे भी बढ़कर मानवता के हित के लिए सेवा अर्पण करने की शपथ लें.

इतिहास के उषाकाल में भारत ने अपनी अनंत खोज आरम्भ की. दुर्गम सदियाँ उसके उद्योग, उसकी विशाल सफलता और उसकी असफलताओं से भरी मिलेंगी. चाहे अच्छे दिन आए हों, चाहे बुरे, उसने इस खोज को आँखों से ओझल नहीं होने दिया. न उन आदर्शों को ही भुलाया जिनसे उसे शक्ति प्राप्त हुई. आज हम दुर्भाग्य की एक अवधि पूरी करते हैं, और भारत अपने आपको फिर पहचानता है. जिस कीर्ति पर हम आज आनन्द मना रहे हैं, वह और भी बड़ी कीर्ति और आनेवाली विजयों की दिशा में केवल एक पग है, और आगे के लिए अवसर देने वाली है. इस अवसर को ग्रहण करने और भविष्य की चुनौती स्वीकार करने के लिए क्या हममें काफ़ी साहस और काफी बुद्धि है?

(फोटो- IGNCA)

स्वतंत्रता और शक्ति जिम्मेदारी लाती हैं. वह ज़िम्मेदारी इस सभा पर है, जो कि भारत के सम्पूर्ण सत्ताधारी लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाली सम्पूर्ण सत्ताधारी सभा है. स्वतंत्रता के जन्म से पहले हमने प्रसव की सारी पीड़ाएँ सहन की हैं और हमारे हृदय इस दुःख की स्मृति से भरे हुए हैं. इनमें से कुछ पीड़ाएं अब भी चल रही हैं. फिर भी, अतीत समाप्त हो चुका है और अब भविष्य ही हमारा आह्वान कर रहा है.

यह भविष्य आराम करने और दम लेने के लिए नहीं है बल्कि निरंतर प्रयत्न करने के लिए है, जिससे कि हम उन प्रतिज्ञाओं को, जो हमने इतनी बार की हैं और उसे जो आज कर रहे हैं, पूरा कर सकें. भारत की सेवा का अर्थ करोड़ों पीड़ितों की सेवा है. इसका अर्थ दरिद्रता और अज्ञान और अवसर की विषमता का अन्त करना है. हमारी पीढ़ी के सबसे बड़े आदमी की यह आकांक्षा रही है कि प्रत्येक आँख के प्रत्येक आँसू को पोंछ दिया जाए. ऐसा करना हमारी शक्ति से बाहर हो सकता है, लेकिन जब तक आँसू हैं और पीड़ा है, तब तक हमारा काम पूरा नहीं होगा.

इसलिए हमें काम करना है और परिश्रम करना है और कठिन परिश्रम करना है जिससे कि हमारे स्वप्न पूरे हों. ये स्वप्न भारत के लिए हैं, लेकिन ये संसार के लिए भी हैं, क्योंकि आज सभी राष्ट्र और लोग आपस में एक-दूसरे से इस तरह गुँथे हुए हैं कि कोई भी बिल्कुल अलग होकर रहने की कल्पना नहीं कर सकता. शांति के लिए कहा गया है कि वह अविभाज्य है. स्वतंत्रता भी ऐसी ही है, और अब समृद्धि भी ऐसी है, और इस एक संसार में, जिसका कि अलग-अलग टुकड़ों में अब विभाजन सम्भव नहीं, संकट भी ऐसा ही है.

भारत के लोगों से, जिनके हम प्रतिनिधि हैं, हम अनुरोध करते हैं कि विश्वास और निश्चय के साथ वे हमारा साथ दें. यह क्षुद्र और विनाशक आलोचना का समय नहीं है. असद्भावना या दूसरों पर आरोप का भी समय नहीं है. हमें स्वतंत्र भारत की विशाल इमारत का निर्माण करना है, जिसमें कि उसकी संतान रह सकें.

Speech

महोदय, मैं यह प्रस्ताव उपस्थित करने की आज्ञा चाहता हूँ: यह निश्चय हो कि:

1. आधी रात के अन्तिम घण्टे के बाद, इस अवसर पर उपस्थित संविधान सभा के सभी सदस्य यह शपथ लें: इस पवित्र क्षण में, जबकि भारत के लोगों ने दुःख झेलकर और त्याग करके स्वतंत्रता प्राप्त की है, मैं, जो कि भारत की संविधान सभा का सदस्य हूँ, पूर्ण विनयपूर्वक भारत और उसके निवासियों की सेवा के प्रति, अपने को इस उद्देश्य से अर्पित करता हूँ कि यह प्राचीन भूमि संसार में अपना उपयुक्त स्थान ग्रहण करे और संसारव्यापी शांति और मनुष्य मात्र के कल्याण के निमित्त अपना पूरा और इच्छापूर्ण अनुदान प्रस्तुत करे.

2. जो सदस्य इस अवसर पर उपस्थित नहीं हैं वे यह शपथ (ऐसे शाब्दिक परिवर्तनों के साथ जो कि सभापति निश्चित करें) उस समय लें जब कि वे अगली बार इस सभा के अधिवेशन में उपस्थित हों.

बता दें कि जवाहर लाल नेहरू इसके अलावा समाचार पत्रों के लिए भी एक भाषण दिया था, जिसे नियत दिवस के नाम से जाना जाता है. इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के बाद नई दिल्ली में भी उनका एक और भाषण प्रसारित किया गया था, जिसे ‘भारत की जनता प्रथम सेवक’ के रूप में जाना जाता है.

500 साल पुराना, 'हाथी पांव' नाम से फेमस... अनोखे इमली के पेड़ की कहानी

speech in hindi by jawaharlal nehru

 

 

: Source origin and authenticity is unclear.

:  "He will wipe every tear from their eyes. There will be no more death or mourning or crying or pain, for the old order of things has passed away."

: Linked directly to Archive.org

: Wikipedia.org

: to external source with additional speech content unconfirmed as delivered per English language audio above

: 6/21/22

: ) .

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जवाहरलाल नेहरू पर भाषण

जवाहरलाल नेहरू किसी भी परिचय के मोहताज नहीं है। वह एक जानी-मानी हस्ती है और बहुत ही प्रसिद्ध शख्सियत है। जवाहरलाल नेहरू भारत देश के एक कट्टर देशभक्त और महान राजनीतिक नेता के रूप में उभरे थे।

Speech-on-Jawaharlal-Nehru-in-Hindi

उन्होंने अपने जीवन में बहुत ही महान कार्य किए थे। इसी के साथ वह छात्रों को भी पढ़ाने में रुचि रखा करते थे। ऐसे में विशेष तौर पर बाल दिवस पर जवाहरलाल नेहरू पर भाषण दिया जाता है, जो इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं।

जवाहरलाल नेहरू पर भाषण (Speech on Jawaharlal Nehru in Hindi)

माननीय अतिथि गण, प्रधानाचार्य जी, उपाध्यक्ष, शिक्षक गण, एवं मेरे प्यारे सहपाठियों, आप सभी को मेरा सुप्रभात।

आज हम सभी बाल दिवस के उपलक्ष में एकत्रित हुए हैं। इसी के साथ में आप सब को यहां पर संबोधित करने जा रहा हूं।

जैसा कि आप जानते हैं हर वर्ष 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है लेकिन इस दिन को इतना महत्व क्यों दिया जाता है। इस तारीख पर ऐसा क्या हुआ था। क्या आप जानते हैं? अगर नहीं तो आइए मैं आपको इसके बारे में पूरी जानकारी देता हूं।

पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री थे। 14 नवंबर उनकी जन्म तारीख थी और इसीलिए इस दिन को बाल दिवस के रूप में पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है।

पंडित जवाहरलाल नेहरू का स्वतंत्रता संग्राम में बहुत ही बड़ा योगदान रहा है। इसके बावजूद भी वह बच्चों से बहुत ही ज्यादा प्यार करते थे क्योंकि बच्चों की मासूमियत उन्हें बहुत ही आनंद देती थी। बच्चे उन्हें प्यार से चाचा नेहरू कह कर पुकारते थे।

जवाहरलाल नेहरू ने एक नेता के रूप में अपनी योग्यता को साबित किया था। इसी के साथ आर्थिक सुधार नीति के रूप में राष्ट्रीय को भी अपना विशेष योगदान दिया था। इसका मतलब है योजना आयोग, जी हां योजना आयोग की रचना जवाहरलाल नेहरु के द्वारा ही की गई थी।

इस योजना के तहत भारत सरकार अर्थव्यवस्था को चलाने के लिए 5 साल की योजना तैयार की जाती है। 8 दिसंबर 1951 को पहली बार पंचवर्षीय योजना की शुरुआत पंडित जवाहरलाल नेहरु के द्वारा हुई थी।

पंडित जवाहरलाल नेहरू राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्र के साथ-साथ शैक्षणिक क्षेत्र में भी उनका बहुत ही अधिक योगदान देखा गया था क्योंकि चाचा नेहरू ने भारतीय समाज में बहुत ही अधिक बदलाव के लिए कार्य किए थे और उच्च शिक्षा के लिए भारतीय संस्थानों की स्थापना भी की थी।

इसके लिए उन्होंने दुनियाभर में बहुत ही अधिक विख्यात अखिल भारतीय संस्थान मेडिकल साइंसेज, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, आईआईटी, भारतीय प्रबंधन संस्थान, आईआईएम इत्यादि की स्थापना की थी। इसी के साथ शैक्षिक संस्थान भी स्थापित किए गए थे।

पंडित जवाहरलाल नेहरू खुद एक बहुत ही अच्छी शिक्षा व्यक्ति थे और वह शिक्षा के महत्व को समझते थे, इसीलिए वह हर भारतीय नागरिक को पढ़ाना और लिखआना चाहते थे। उनका मानना था कि इसी के जरिए हमारे देश का चेहरा बदल सकता है।

समकालीन भारतीय गणराज्य में पंडित जवाहरलाल नेहरु के द्वारा सामाजिक राजनीतिक और आर्थिक सुधार किए गए थे और यह सुधार बढ़ते गए और सफल भी हुए। इसके जरिए हमारे देश की बढ़ती हुई। अर्थव्यवस्था वास्तविक में रेखतांकित हुई थी।

यहीं पर मैं अपनी वाणी को विराम देते हुए केवल इतना ही कहना चाहूंगा कि मैंने आप सभी के सामने चाचा नेहरू की कुछ उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी है। इसी के साथ आप उनकी अधिक से अधिक जानकारी अपने अध्यापक अध्यापिका से ग्रहण कर सकते हैं।

यह भी पढ़े: बाल दिवस पर भाषण

जवाहरलाल नेहरू पर भाषण (500 शब्द)

सम्मानित प्रधानाचार्य जी, शिक्षक गण, एवं मेरे सहपाठियों, आप सभी को सुप्रभात। आज हम सभी बाल दिवस महोत्सव मना रहे हैं। इसी के उपलक्ष में हम सभी यहां पर एकत्रित हुए हैं। आज मैं आप सभी के समक्ष जवाहरलाल नेहरू के बारे में विचार प्रकट करने जा रहा हूं। आशा करता हूं आप सभी इस में मेरा सहयोग करेंगे।

पंडित जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र देश के पहले प्रधानमंत्री थे। हम जानते हैं कि चाचा नेहरू किसी भी प्रकार के परिचय के मोहताज नहीं हैं क्योंकि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने जो महान योगदान दिया है। उसके लिए उन्हें अमर बना दिया गया और यही वजह है कि चाचा नेहरू हमेशा भारत के लोगों के दिल में राज करते हैं।

पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को हुआ था। चाचा नेहरू 1947 में हमारे देश के सत्तारूढ़ प्रमुख बने थे और 1964 में अपनी मृत्यु होने तक उन्होंने भारत देश पर शासन किया।

वह समकालीन भारतीय राष्ट्रीय राज्य एक धर्मनिरपेक्ष समाजवादी सार्वभौम और लोकतांत्रिक गणराज्य के भी निर्माता माने जाते हैं। सबसे बड़ी बात यह है, कि उन्हें कई नामों से संबोधित किया जाता है जैसे कि पंडित नेहरू, कश्मीरी पंडित, समुदाय के जन्म के कारण और चाचा नेहरू बच्चे उन्हें प्यार से चाचा नेहरू संबोधित करते थे।

चाचा नेहरू का जन्म एक बहुत ही अच्छे समृद्ध परिवार में हुआ था। उनके पिताजी का नाम मोतीलाल नेहरू था, जो कि एक बहुत ही प्रसिद्ध वकील के साथ-साथ एक राष्ट्रवादी नेता भी थे।

उनकी माता का नाम स्वरूप रानी नेहरू था। उन्होंने ट्रिनिटी कॉलेज क्या ब्रिज से अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की इसके पश्चात इनर टेंपल में एक बैरिस्टर के रूप में प्रशिक्षण भी लिया।

इसके पश्चात वह भारत लौट आए और उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपना अभियान शुरू कर दिया। जहां पर राष्ट्रीय राजनीति में उनकी रुचि और भी अधिक बढ़ने लगी जिसकी वजह से उन्होंने अपनी कानूनी अभ्यास को भी छोड़ दिया।

1910 में जब बहुत ही अधिक संकट भारत पर आया तब जवाहरलाल नेहरू ने अपनी किशोरावस्था में ही एक प्रतिबंध राष्ट्रवादी बन गए और उन्होंने देश राज्य की राजनीति में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। चाचा नेहरू ने महान राष्ट्रवादी नेता महात्मा गांधी के संरक्षण के तहत काम किया।

इसके पश्चात बीसवीं शताब्दी में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वामपंथी विभाजन के प्रसिद्ध नेता भी बने, और 1929 में कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष बन गए। जिसके पश्चात नेहरू ने भारत के लोगों को ब्रिटिश शासन से पूरी तरह से आजादी के लड़ने का आग्रह किया।

इन सभी के बीच स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने यह बात कही थी कि जवाहरलाल नेहरू देश पंडित के नेतृत्व में प्रगति की राह पर आगे बढ़ रहे हैं। यह केवल एक महान राजनेता ही नहीं अपितु एक वक्ता भी हैं।

इसी के साथ लेकर के रूप में चाचा नेहरू ने कई पुस्तकों को भी लिखा जैसे कि द डिस्कवरी ऑफ इंडिया, गलिम्पलज़ ऑफ़ वर्ल्ड हिस्ट्री एन ऑटो बायोग्राफी, टू वर्ड फ्रीडम लेटर्स फ्रॉम अ फादर टू हिस डॉटर इत्यादि।

चाचा नेहरू शांति के सच्चे प्रोत्साहन थे। इसी के साथ उन्होंने एक पंचशील नामक पांच महत्वपूर्ण सिद्धांतों को भी प्रस्तुत किया था। उनका पूरा जीवन अपने देश के लिए ही निकला था। आज के समय में जो सामाजिक राजनीतिक क्षेत्र में बहुत ही अधिक भ्रष्टाचार फैला रहे हैं।

ऐसे में वास्तव में हमें ऐसे नेता की जरूरत है, जो भारत के विकास और प्रगति में कार्य करें और अपने आप को समर्पित कर दें।

इसी के साथ मैं यहां पर अपनी वाणी को विराम देता हूं और आशा करता हूं। आप सभी चाचा नेहरू का पूरे दिल से मान सम्मान करेंगे और हमेशा वह हमारे दिल में राज करेंगे। आज बाल दिवस के उपलक्ष्य में आप सभी को बाल दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

इस आर्टिकल के जरिए हमने जवाहरलाल नेहरू पर भाषण (Speech on Jawaharlal Nehru in Hindi) प्रस्तुत किया है। अगर आप किसी स्कूल या कॉलेज के छात्र है और आपको बाल दिवस पर जवाहरलाल नेहरू के उपलक्ष में भाषण देना है तो यह आर्टिकल आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

Rahul Singh Tanwar

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प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय

» पंडित जवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय «

नाम पंडित जवाहरलाल नेहरू
जन्म तिथि 14 नवम्बर 1889
जन्म स्थान उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में
पिता का नाम श्रीमान मोतीलाल नेहरू
माता का नाम श्रीमती स्वरूप रानी नेहरू
पत्नी कमला नेहरू (सन् 1916)
बच्चे श्रीमती इंदिरा गांधी जी
मृत्यु 27 मई 1964 (नई दिल्ली)
मृत्यु का कारण दिल का दौरा
पुरस्कार भारत रत्न (सन् 1955)

इसे पढ़े: जीवन में सफलता प्राप्त करने के 3 अद्भुत तरीके

प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय

14 नवम्बर 1889 नेहरू जी का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। पिता मोतीलाल नेहरू और माता स्वरूप रानी नेहरू थे। इनके पिता जी मशहुर बैरिस्टर और समाजवादी थे।

नेहरू जी इकलौते बेटे थे और तीन बहने भी थी। उन्होंने देश-विदेश के नामी विद्यालयों एवं महाविद्यालयों से शिक्षा प्राप्त की थी और इसके बाद उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से कानून शास्त्र में पारंगत हुए।

7 वर्ष इंग्लैंड में रहकर फैबियन समाजवाद एवं आयरिश राष्ट्रवाद की जानकारी विकसित की।

नेहरू जी भारत के सबसे पहले प्रधानमंत्री थे। उनके जन्मदिन को ही बाल दिवस के रूप में देशभर में मनाया जाता है । जवाहरलाल नेहरू जी का जीवन भी अन्य स्वतंत्रता सेनानियों की तरह रहा है।

कहां जाता है कि उन्हें बच्चों से बहुत प्यार था। जिस कारण बच्चे उन्हें प्यार से चाचा जी कहा करते थे। महात्मा गांधी जी उन्हें अपना शिष्य मानते थे। जवाहर लाल जी के अंदर अपने देश के लिए बहुत प्रेम था।

Biography of Jawaharlal Nehru in Hindi

Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

जवाहर लाल जी को पंडित क्यों कहा जाता था?

कश्मीरी पंडित समुदाय के साथ उनके मूल की वजह से वे पंडित नेहरू कहलाये जाते थे।

सन् 1941 में जवाहर लाल जी को स्वतंत्र भारत का प्रधानमंत्री बनने का प्रश्न सुलझ चुका था, वे भारत के सपनों को साकार करने के लिए चल पड़े और भारत के अधिनियम लागू होने के बाद उन्होंने आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक सुधारों के लिए योजना बनाने लगे।

उन्होंने बहुवचनी दलीय को बनाए रखा और अंग्रेजी शासन से भारत को एक गणराज्य देश बना दिया। उन्होंने विदेश नीति में भारत को दक्षिण एशिया में एक क्षेत्रीय नायक के रूप में दिखाया और गैर-निरपेक्ष आन्दोलन में सबसे आगे रहे।

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नेहरू के शासन में कांग्रेस पार्टी 1951, 1957, 1962 के चुनाव लगातार जीतते रहे और 1962 के चीनी-भारत युद्ध में उनके नेतृत्व को असफलता मिली।

Pandit Jawaharlal Nehru History in Hindi

  • सन्-1912: नेहरू जी भारत वापस आए और वकालत शुरू।
  • सन्-1916:  नेहरू जी की शादी “कमला नेहरू” जी के साथ हुई।
  • सन्-1917:   “होमरूल लीग” शामिल हुए।
  • सन्-1919: “ महात्मा गांधी “ जी से मिले और राजनीति में अपना योगदान दिया। जिस समय महात्मा गांधी जी ने रॉलेट एक्ट अधिनियम के खिलाफ एक अभियान शुरू किया था।
  • सन्-(1920-1922): जवाहर लाल नेहरू ने भी असहयोग आन्दोलन में सहयोग दिया और गिरफ्तार भी हुए और कुछ दिनों के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।
  • सन्-1924:   “इलाहाबाद” के अध्यक्ष चुने गये और 2 साल तक कार्यकारी अधिकारी के रूप में काम किया। 1926 में ब्रिटिश अधिकारियों से सहायता न मिलने पर इस्तीफा दे दिया।
  • सन्-(1926-1928): जवाहर लाल नेहरू ने अखिल भारतीय कांग्रेस के नेता के रूप में कार्य किया।
  • सन्-(1928- 1929): मोतीलाल की अध्यक्षता में कांग्रेस का वार्षिक सत्र का आयोजन किया और तभी जवाहर लाल नेहरू और सुभाष चन्द्र बोस ने पूर्ण राजनीतिक की स्वतंत्रता की मांग की जबकि मोतीलाल नेहरू और अन्य नेताओं ने ब्रिटिश साम्राज्य के अन्दर ही संपन्न राज्य का दर्जा पाने की मांग की।

इन दोनों के बीच की बहस को गांधी जी ने हल निकालने के लिए कहा की ब्रिटेन को भारत के राज्य का दर्जा देने के लिए दो साल का समय दिया जायेगा और यदि ऐसा नहीं हुआ तो कांग्रेस स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करेगी।

नेहरू और बोस ने मांग की, कि इस समय को कम करके एक साल का कर दिया जाये जिस पर ब्रिटिश सरकार का कोई फैसला नहीं आया।

  • सन्-1929: दिसम्बर के महीने में कांग्रेस के अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू जी को कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष चुना गया। तभी पूर्ण स्वराज की मांग भी की गयी थी। ये अधिवेशन लाहौर में हुआ था ।
  • 26 जनवरी 1930: जवाहर लाल नेहरू ने लाहौर में स्वतंत्र भारत का झंडा फहराया था। गांधी जी ने तभी 1930 में सविनय अवज्ञा नमक आन्दोलन की शुरुआत की ओर वो इतना सफल हुआ की ब्रिटिश को एक महत्वपूर्ण निर्णय के लिये मजबूर होना पड़ा।
  • सन्-1935 में: ब्रिटिश सरकार ने अधिनियम लागू करने का प्रस्ताव सामने रखा तो कांग्रेस ने चुनाव लड़ना ही सही समझा, नेहरू ने चुनाव के दौरान पार्टी का समर्थन चुनाव से बाहर रह कर ही किया। कांग्रेस हर प्रदेश में छा गयी और सबसे अधिक जगहों पर जीत हासिल की।
  • सन्-1936-1937: नेहरू जी को कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया गया।
  • सन्-1942: गांधी जी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आन्दोलन हुआ जिसमें जवाहर लाल नेहरू जी को जेल भी हुई और जिसके बाद उन्हें 1945 में जेल के बाहर आये।

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री कौन थे?

Pandit Jawaharlal Nehru Essay in Hindi

सन् 1947 में भारत को आजादी मिल गयी थी। तब बात ये हुई की प्रधानमंत्री के लिए कांग्रेस में मतदान हुआ तो सरदार पटेल को सबसे ज्यादा मतदान मिले और उनके बाद सबसे ज्यादा मत आचार्य कृपलानी को मिले लेकिन गांधी जी के कहने पर सरदार पटेल और आचार्य कृपलानी ने अपना नाम वापस ले लिया और जवाहर लाल नेहरू जी को प्रधान मंत्री बनने दिया।

अंग्रेजों ने 500 देशी रियासतों को रिहा किया था। प्रधानमंत्री बनने के बाद उनके आगे सबसे बड़ी परेशानी आ गयी थी की आजाद लोगों को एक झंडे के सामने लाना और उन्होंने भारत को दोबारा बनाया और आगे आने वाली हर समस्या का सामना समझदारी के साथ किया।

जवाहर लाल नेहरू ने आधुनिक भारत के निर्माण में योगदान दिया। उन्होंने विज्ञान और प्रोद्योगिकी के विकास को प्रोत्साहित किया। साथ में तीन लगातार पंचवर्षीय योजनाओं का शुभारंभ किया।

उनके कारण व उनके निर्णयों व उनकी नीतियों की वजह से देश में कृषि व उद्योग की लहर आ गयी। नेहरू जी ने विदेशी नीति में एक अपनी भूमिका निभाई।

नेहरु जी ने एशिया और अफ्रीका में उपनिवेशवाद को खत्म करने के लिए जोसिप ब्रोज़ टिटो और अब्दुल गमाल नासिर के साथ मिलकर एक गुट निरपेक्ष आन्दोलन की रचना की। उन्होंने अपना योगदान कोरियाई युद्ध का अंत करने, स्वेज नहर विवाद सुलझाने और कांगो समझौते को अन्य समस्याओं को सुलझाने में दिया।

जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार

पंडित जवाहर लाल नेहरू को वर्ष 1955 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

पंडित जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु कब और कैसे हुई?

Jawaharlal Nehru and Gandhiji

»नेहरू जी ने पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के रिश्तों को सुलझाने की भी कोशिश की मगर असफल रहे।

»पाकिस्तान कहता है कि कश्मीर हमारा है और जब चीन से दोस्ती की बात करो तो वो सीमा विवाद आगे कर देता है। जिस कारण नेहरू जी ने एक बार चीन से मित्रता के लिए हाथ भी बढ़ाया लेकिन 1962 में चीन ने मौके का फायदा उठा कर धोखे से आक्रमण कर दिया।

»नेहरू जी को इस बात का बहुत बड़ा झटका लगा और लोगों का कहाँ था की हो सकता है इस झटके के कारण ही उनकी मृत्यु हुई हो।

»27 मई 1964 को जवाहरलाल नेहरू को दिल का दौरा पड़ा जिसमें उनकी मृत्यु हो गई।

जवाहरलाल नेहरू के नाम सड़कें, स्कूल, यूनिवर्सिटी और हॉस्पिटल क्यों बनाये गए?

Jawaharlal Nehru Original Photo

उनकी मृत्यु होने से भारत को बहुत बड़ी चोट पहुंची थी। जवाहरलाल नेहरू जी सबके लोकप्रिय थे उन्होंने देश के लिए जो भी किया वो बहुत ही कीमती था उन्हें भुलाया नहीं जा सकता था।

जिस कारण उनकी याद में देश के महान नेताओं ने व स्वतंत्रता सेनानियों ने उन्हें हर पल याद रखने के लिए सड़के मार्ग, जवाहर लाल नेहरू स्कूल, जवाहर लाल नेहरु टेक्नोलॉजी यूनिवर्सिटी, जवाहरलाल नेहरु कैंसर हॉस्पिटल आदि को बनाने की शुरुआत की गयी।

Pandit Jawaharlal Nehru Biography in Hindi

(जवाहर लाल नेहरू जी पर आलोचना – श्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय)

पंडित जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु कब और कैसे हुई

गांधी जी ने जब सरदार वल्लभ भाई पटेल की जगह जवाहर लाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया तो बहुत लोगों में क्रोध जाग उठा।

बहुत लोगों का ये सोचना था की नेहरू जी ने अन्य भारत के स्वतंत्रता सेनानियों की तुलना में योगदान कम दिया था और फिर भी गांधी जी ने उन्हें प्रधानमंत्री बनाया और तो और जब कांग्रेस के अध्यक्ष बनने की बात आजादी से पहले हुई थी तो ये कहा गया था की जो भी कांग्रेस का अध्यक्ष बनेगा वही आजाद भारत का पहला प्रधानमंत्री बनेगा।

तब भी गांधी जी ने प्रदेश कांग्रेस समितियों के प्रस्ताव अनदेखा करते हुए बातों को न मानते हुए नेहरू जी को अध्यक्ष बनाने की कोशिशें की।

नेहरू के प्रधानमंत्री बनने पर लोगों ने कहा की गांधी जी ने नेहरू को प्रधानमंत्री बनवाया है और जरूर गांधी जी उनसे वो काम करवा पाएंगे जिन्हें वो खुद करना चाहते थे और कर न सके लेकिन सच्चाई ये नहीं थी।

ये बात किसी और ने नहीं बल्कि उनके साथ एक टीम के तौर पे काम करने वाले जयप्रकाश नारायण जी 1978 में आई किताब “गाँधी टुडे” में कहा था.

जयप्रकाश, नेहरू के काफी नजदीक थे और उनके मित्र भी थे और उनकी कही बातों पर विश्वास भी किया जा सकता है। इसके बावजूद भी जयप्रकश ने नेहरू के बनाये मॉडल की कमियों को उजागर किया था।

List of Prime Ministers of India From 1947 To 2020

जवाहरलाल नेहरू
(1889–1964)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 15 अगस्त 1947 से 27 मई 1964
गुलजारीलाल नंदा
(1898–1998)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 27 मई 1964 से 9 जून 1964
लाल बहादुर शास्त्री
(1904–1966)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966
गुलजारीलाल नंदा
(1898–1998)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 11 जनवरी 1966 से 24 जनवरी 1966
इंदिरा गांधी
(1917–1984)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 24 जनवरी 1966 से 24 मार्च 1977
मोरारजी देसाई
(1896–1995)
जनता पार्टी 24 मार्च 1977 से 28 जुलाई 1979
चरण सिंह
(1902–1987)
जनता पार्टी (सेक्युलर) 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980
इंदिरा गांधी
(1917–1984)

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

14 जनवरी 1980 से 31 अक्टूबर 1984
राजीव गांधी
(1944–1991)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 31 अक्टूबर 1984 से 2 दिसंबर 1989
विश्वनाथ प्रताप सिंह
(1931–2008)
जनता दल 2 दिसंबर 1989 से 10 नवंबर 1990
चंद्र शेखर
(1927–2007)
समाजवादी जनता पार्टी 10 नवंबर 1990 से 21 जून 1991
पी वी नरसिम्हा राव
(1921–2004)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 21 जून 1991 से 16 मई 1996
अटल बिहारी वाजपेयी
(1924–2018)
भारतीय जनता पार्टी 16 मई 1996 से 1 जून 1996
एच डी देवगौड़ा
(1933–)
जनता दल 1 जून 1996 से 21 अप्रैल 1997
इंद्र कुमार गुजराल
(1919–2012)
जनता दल 21 अप्रैल 1997 से 19 मार्च 1998

(1924–2018)
भारतीय जनता पार्टी 19 मार्च 1998 से 22 मई 2004
मनमोहन सिंह
(1932–)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस 22 मई 2004 से 26 मई 2014
नरेंद्र दामोदरदास मोदी
(1950–)
भारतीय जनता पार्टी 26 मई 2014 से (अभी भी पद पर है)

10 Lines on Pandit Jawaharlal Nehru Essay in Hindi

जवाहरलाल नेहरू पर निबंध:  पंडित जवाहर लाल नेहरू (14 नवंबर 1889-27 मई 1964)

भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 इलाहाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था। उनका जन्मदिन प्रत्येक वर्ष बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। पंडित जवाहरलाल नेहरू जी के पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था, जो एक धनाढ्य परिवार के थे और माता का नाम स्वरूपरानी था। उनके पिता पेशे से वकील थे।

जवाहरलाल नेहरू उनके इकलौते पुत्र थे और 3 पुत्रियां थी। नेहरू जी को बच्चों से बड़ा स्नेह और लगाव था और वे बच्चों को देश का भावी निर्माता मानते थे।

जवाहरलाल नेहरू को दुनिया के बेहतरीन स्कूलों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त करने का मौका मिला था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा हैरो और कॉलेज की शिक्षा ट्रिनिटी कॉलेज, लंदन से पूरी की थी।

उन्होंने अपनी लॉ की डिग्री कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पूरी की। हैरो और कैम्ब्रिज में पढ़ाई कर 1912 में नेहरू जी ने बार-एट-लॉ की उपाधि ग्रहण की और वे बार में बुलाए गए।

जवाहर लाल नेहरू शुरू से ही गांधी जी से प्रभावित रहे और 1912 में कांग्रेस से जुड़े। 1920 के प्रतापगढ़ के पहले किसान मोर्चे को संगठित करने का श्रेय उन्हीं को जाता है।

1928 में लखनऊ में साइमन कमीशन के विरोध में नेहरू घायल हुए और 1930 के नमक आंदोलन में गिरफ्तार भी हुए। उन्होंने 6 माह जेल काटी।

1935 में अल्मोड़ा जेल में “आत्मकथा” लिखी। उन्होंने कुल 9 बार जेल यात्राएं कीं। उन्होंने विश्वभ्रमण किया और अंतरराष्ट्रीय नायक के रूप में पहचाने गए।

सन् 1947 में भारत को आजादी मिलने पर जब भावी प्रधानमंत्री के लिए कांग्रेस में मतदान हुआ तो सरदार वल्लभभाई पटेल और आचार्य कृपलानी को सर्वाधिक मत मिले थे। किंतु महात्मा गांधी के कहने पर दोनों ने अपना नाम वापस ले लिया और जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया गया।

पंडित जवाहरलाल नेहरू 1947 में स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। आजादी के पहले गठित अंतरिम सरकार में और आजादी के बाद 1947 में भारत के प्रधानमंत्री बने और 27 मई 1964 को उनके निधन तक इस पद पर बने रहे।

नेहरू पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के संबंधों में सुधार नहीं कर पाए। उन्होंने चीन की तरफ मित्रता का हाथ भी बढ़ाया, लेकिन 1962 में चीन ने धोखे से आक्रमण कर दिया।

चीन का आक्रमण जवाहरलाल नेहरू के लिए एक बड़ा झटका था और शायद इसी वजह से उनकी मौत भी हुई। जवाहरलाल नेहरू को 27 मई 1964 को दिल का दौरा पडा़ जिसमें उनकी मृत्यु हो गई।

“स्वाधीनता और स्वाधीनता की लड़ाई को चलाने के लिए की जाने वाली कार्रवाई का खास प्रस्ताव तो करीब-करीब एकमत से पास हो गया। …खास प्रस्ताव इत्तफाक से 31 दिसंबर की आधी रात के घंटे की चोट के साथ, जबकि पिछला साल गुजरकर उसकी जगह नया साल आ रहा था, मंजूर हुआ।” -लाहौर अधिवेशन में स्वतंत्रता प्रस्ताव पारित होने के बारे में नेहरू की “मेरी कहानी” से।

Pandit Jawaharlal Nehru Speech in Hindi

  • जवाहरलाल नेहरू पर भाषण

आप सभी को मेरा नमस्कार, मैं आज आपको जवाहर लाल नेहरू के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताने जा रहा/रही हूं और उम्मीद करता/करती हूं की यह आप सबको अवश्य पसंद आएगा।

पंडित जवाहर लाल नेहरू जी का जन्म 14 नवम्बर सन् 1889 को इलाहाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था। उस समय भारत पर ब्रिटीशियों का राज था और तब भारत गुलाम था। उनके पिता का नाम श्री मोतीलाल नेहरू और माता का श्रीमती स्वरूपरानी थुस्सू था। वे एक कश्मीरी ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते थे।

उन्होने कैम्ब्रिज, लंदन के ट्रिनिटी से उच्च शिक्षा प्राप्त की और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से अपनी लॉ की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वे भारत आ गये और भारत के स्वतंत्रता की क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और जिसके लिए उन्हे कई बार जेल भी जाना पड़ा।

देश को आजाद कराने में उनकी बहुत अहम भूमिका रही थी। उन्हें छोटे बच्चों से बहुत लगाव था और बच्चे प्यार से उन्हे चाचा नेहरू बुलाते थे और इसलिये उनके जन्मदिन ‘14 नवम्बर’ को बाल दिवस के रूप में भी मनाते हैं।

जैल के दौरान नेहरू जी ने “भारत की खोज” नमक पुस्तक भी लिखी थी जिसे दुनिया भरा में बहुत ही प्रतिष्ठा मिली है|

नेहरू जी को बहुत ही अच्छा प्रधानमंत्री कहा जाता है। इनका विवाह “कमला कौल” से हुआ था और इनकी पुत्री का नाम इंदिरा गांधी (पूर्व प्रधानमंत्री) था। वे एक बहुत अच्छे लेखक भी थे। इनकी कुछ प्रमुख पुस्तकें हैं, मेरी कहानी, विश्व इतिहास की झलक, भारत की खोज हिन्दुस्तान की कहानी आदि।

इन्हे बच्चों से बहुत लगाव था, इसलिये इनके जन्म दिवस को ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

जवाहर लाल नेहरू एक महान शख्सियत के साथ एक महान व्यक्ति भी थे और उनके भारतीय इतिहास में अपने अतुल्य योगदान के लिये भारत रत्न से भी नवाजा जा चुका है और इन्हे आज भी याद किया जाता है।

FAQs on Pandit Jawaharlal Nehru in Hindi

Question. Who is the first prime minister of India to be born after independence?

Answer. नरेंद्र मोदी (17 सितंबर 1950) भारत के स्वतंत्रता के बाद पैदा होने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं। अन्य सभी पूर्व प्रधान मंत्री भारत की स्वतंत्रता से पहले पैदा हुए थे।

Question. Who is the first prime minister of India?

Answer. जवाहरलाल नेहरू

Question. Pandit Jawaharlal Nehru Wife Name

Answer. पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की पत्नी का नाम “कमला कौल” था।

Question. Pandit Jawaharlal Nehru Birthday

Answer. पंडित जवाहर लाल नेहरू जी का जन्म 14 नवम्बर सन् 1889 को हुआ था।

Question. When was born Pandit Jawaharlal Nehru?

Answer. इलाहाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था।

Question. What is Nehru famous for?

Answer. जवाहर लाल नेहरू एक महान शख्सियत के साथ एक महान व्यक्ति भी थे और उनके भारतीय इतिहास में अपने अतुल्य योगदान के लिये भारत रत्न से भी नवाजा जा चुका है। नेहरू जी का भारत की आजादी में बहुत ही बड़ा योगदान था उन्होने प्रधानमंत्री बन कर भारत की सेवा भी की थी।

Question. How did Pandit Nehru die?

Answer. नेहरू पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के संबंधों में सुधार नहीं कर पाए। पाकिस्तान के साथ एक समझौते तक पहुंचने में कश्मीर मुद्दा और चीन के साथ मित्रता में सीमा विवाद रास्ते के पत्थर साबित हुए।

नेहरू ने चीन की तरफ मित्रता का हाथ भी बढाया, लेकिन 1962 में चीन ने धोखे से आक्रमण कर दिया। नेहरू के लिए यह एक बड़ा झटका था और शायद / किंचित उनकी मौत भी इसी कारण हुई। 27 मई 1964 को जवाहरलाल नेहरू को दिल का दौरा पड़ा जिसमें उनकी मृत्यु हो गयी।

Question. Is Nehru a Brahmin?

Answer. नेहरू जी कश्मीरी पंडित थे।

पंडित जवाहर लाल नेहरू का जीवन परिचय का यह लेख यही समाप्त होता है।  पंडित जवाहर लाल नेहरु की जीवनी को पढ़ने के लिए धन्यवाद

अगर आपको इस विषय से सम्बन्धित या जवाहरलाल नेहरू जीवनी (चाचा नेहरू) के विषय में कुछ बोलना है तो आप कमेंट के माध्यम से बोल सकते हो। अथवा इस लेख को आप फेसबुक, ट्विटर और व्हाट्सएप्प पर शेयर भी कर सकते हो।

अन्य जीवन परिचय⇓

पंडित जवाहरलाल नेहरू का जीवन परिचय

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Tryst with Destiny – Speech on 15 August 1947 by Nehru

On the eve of 15 th August 1947, the first Prime Minister of India, Pundit Jawaharlal Nehru, gave a famous speech addressed to the Indian Constituent Assembly and the pupils of the country. The speech was delivered in the intervening night of 14 th and 15 th August 1947 and is by far the most impressive speeches of the 20 th century.

In his speech Pt. Nehru spoke about the responsibility of a united and progressive nation, bestowed on the Constituent Assembly. He spoke that instead of resting it is the time for us to move and build the nation, which our great freedom fighters and leaders had aspired.

Speech on 15 August 1947 by Nehru

“Tryst with Destiny” was the title of the speech given on the midnight of 15 th August 1947 by the first Prime Minister of India Jawaharlal Nehru just after the independence of country. He had given speech to the Indian Constituent Assembly in The Parliament in the midnight. The speech given by him is one of the greatest speeches of all times focusing on the history of India and non-violent Indian independence struggle for getting freedom from the British Empire in India.

He gave a message to the nation first time through his speech after independence of the country. His speech was so much inspirational encouraging the mass people of India for the upliftment and development. The aim of his speech was to motivate Indian people in order to build a new and developed India through their hard work, zeal and enthusiasm. His message was to fight and remove all the social evils of the country such as illiteracy, ignorance, poverty, poor health conditions, etc to lead country towards the development.

His speech was to urge Indian people to actively participate in the nation-building process. Through his speech he had also emphasized the concept of equality among the Indian citizens. He paid homage to the Mother India and took pledge to save her in every condition in the future from the rivals. He also made a call to all the Indian citizens to show their togetherness and interest to all the services of Motherland. Following is the exact speech given by the first Prime Minister of India, Pandit Jawaharlal Nehru, on 15 th of August 1947 in the midnight:

Jawaharlal Nehru

Jawaharlal Nehru’s Speech to the Nation on the Independence Day

Tryst with destiny.

“Long years ago we made a tryst with destiny, and now the time comes when we shall redeem our pledge, not wholly or in full measure, but very substantially. At the stroke of the midnight hour, when the world sleeps, India will awake to life and freedom. A moment comes, which comes but rarely in history, when we step out from the old to the new, when an age ends, and when the soul of a nation, long suppressed, finds utterance.

It is fitting that at this solemn moment we take the pledge of dedication to the service of India and her people and to the still larger cause of humanity with some pride.

At the dawn of history India started on her unending quest, and trackless centuries which are filled with her striving and the grandeur of her success and her failures. Through good and ill fortunes alike she has never lost sight of that quest or forgotten the ideals which gave her strength. We end today a period of ill fortunes and India discovers herself again.

The achievement we celebrate today is but a step, an opening of opportunity, to the greater triumphs and achievements that await us. Are we brave enough and wise enough to grasp this opportunity and accept the challenge of the future?

Freedom and power bring responsibility. The responsibility rests upon this assembly, a sovereign body representing the sovereign people of India. Before the birth of freedom we have endured all the pains of labour and our hearts are heavy with the memory of this sorrow. Some of those pains continue even now. Nevertheless, the past is over and it is the future that beckons to us now.

That future is not one of ease or resting but of incessant striving so that we might fulfill the pledges we have so often taken and the one we shall take today. The service of India means the service of the millions who suffer. It means the ending of poverty and ignorance and disease and inequality of opportunity.

The ambition of the greatest man of our generation has been to wipe every tear from every eye. That may be beyond us, but as long as there are tears and suffering, so long our work will not be over.

And so we have to labour and to work, and work hard, to give reality to our dreams. Those dreams are for India, but they are also for the world, for all the nations and peoples are too closely knit together today for anyone of them to imagine that it can live apart.

Peace has been said to be indivisible; so is freedom, so is prosperity now, and so also is disaster in this one world that can no longer be split into isolated fragments.

To the people of India, whose representatives we are, we make an appeal to join us with faith and confidence in this great adventure. This is no time for petty and destructive criticism, no time for ill will or blaming others. We have to build the noble mansion of free India where all her children may dwell.

The appointed day has come – the day appointed by destiny – and India stands forth again, after long slumber and struggle, awake, vital, free and independent. The past clings on to us still in some measure and we have to do much before we redeem the pledges we have so often taken. Yet the turning point is past, and history begins anew for us, the history which we shall live and act and others will write about.

It is a fateful moment for us in India, for all Asia and for the world. A new star rises, the star of freedom in the east, a new hope comes into being, a vision long cherished materialises. May the star never set and that hope never be betrayed!

We rejoice in that freedom, even though clouds surround us, and many of our people are sorrow-stricken and difficult problems encompass us. But freedom brings responsibilities and burdens and we have to face them in the spirit of a free and disciplined people.

On this day our first thoughts go to the architect of this freedom, the father of our nation, who, embodying the old spirit of India, held aloft the torch of freedom and lighted up the darkness that surrounded us.

We have often been unworthy followers of his and have strayed from his message, but not only we but succeeding generations will remember this message and bear the imprint in their hearts of this great son of India, magnificent in his faith and strength and courage and humility. We shall never allow that torch of freedom to be blown out, however high the wind or stormy the tempest.

Our next thoughts must be of the unknown volunteers and soldiers of freedom who, without praise or reward, have served India even unto death.

We think also of our brothers and sisters who have been cut off from us by political boundaries and who unhappily cannot share at present in the freedom that has come. They are of us and will remain of us whatever may happen, and we shall be sharers in their good and ill fortune alike.

The future beckons to us. Whither do we go and what shall be our endeavour? To bring freedom and opportunity to the common man, to the peasants and workers of India; to fight and end poverty and ignorance and disease; to build up a prosperous, democratic and progressive nation, and to create social, economic and political institutions which will ensure justice and fullness of life to every man and woman.

We have hard work ahead. There is no resting for any one of us till we redeem our pledge in full, till we make all the people of India what destiny intended them to be.

We are citizens of a great country, on the verge of bold advance, and we have to live up to that high standard. All of us, to whatever religion we may belong, are equally the children of India with equal rights, privileges and obligations. We cannot encourage communalism or narrow-mindedness, for no nation can be great whose people are narrow in thought or in action.

To the nations and peoples of the world we send greetings and pledge ourselves to cooperate with them in furthering peace, freedom and democracy.

And to India, our much-loved motherland, the ancient, the eternal and the ever-new, we pay our reverent homage and we bind ourselves afresh to her service. Jai Hind.”

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Tryst with Destiny by Jawaharlal Nehru

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Tryst with Destiny was a speech delivered by Jawaharlal Nehru, the first Prime Minister of independent India, to the Indian Constituent Assembly in The Parliament, on the eve of India’s Independence, towards midnight on 14 August 1947.

Here is the complete text of the speech.

Long years ago we made a tryst with destiny, and now the time comes when we shall redeem our pledge, not wholly or in full measure, but very substantially. At the stroke of the midnight hour, when the world sleeps, India will awake to life and freedom.

A moment comes, which comes but rarely in history, when we step out from the old to the new, when an age ends, and when the soul of a nation, long suppressed, finds utterance. It is fitting that at this solemn moment we take the pledge of dedication to the service of India and her people and to the still larger cause of humanity.

At the dawn of history India started on her unending quest, and trackless centuries which are filled with her striving and the grandeur of her success and her failures. Through good and ill fortune alike she has never lost sight of that quest or forgotten the ideals which gave her strength. We end today a period of ill fortune and India discovers herself again.

The achievement we celebrate today is but a step, an opening of opportunity, to the greater triumphs and achievements that await us. Are we brave enough and wise enough to grasp this opportunity and accept the challenge of the future?

Freedom and power bring responsibility. The responsibility rests upon this assembly, a sovereign body representing the sovereign people of India. Before the birth of freedom we have endured all the pains of labour and our hearts are heavy with the memory of this sorrow. Some of those pains continue even now. Nevertheless, the past is over and it is the future that beckons to us now.

That future is not one of ease or resting but of incessant striving so that we may fulfil the pledges we have so often taken and the one we shall take today. The service of India means the service of the millions who suffer. It means the ending of poverty and ignorance and disease and inequality of opportunity.

The ambition of the greatest man of our generation has been to wipe every tear from every eye. That may be beyond us, but as long as there are tears and suffering, so long our work will not be over.

And so we have to labour and to work, and work hard, to give reality to our dreams. Those dreams are for India, but they are also for the world, for all the nations and peoples are too closely knit together today for anyone of them to imagine that it can live apart.

Peace has been said to be indivisible; so is freedom, so is prosperity now, and so also is disaster in this one world that can no longer be split into isolated fragments.

To the people of India, whose representatives we are, we make an appeal to join us with faith and confidence in this great adventure. This is no time for petty and destructive criticism, no time for ill will or blaming others. We have to build the noble mansion of free India where all her children may dwell.

The appointed day has come – the day appointed by destiny – and India stands forth again, after long slumber and struggle, awake, vital, free and independent. The past clings on to us still in some measure and we have to do much before we redeem the pledges we have so often taken. Yet the turning point is past, and history begins anew for us, the history which we shall live and act and others will write about.

It is a fateful moment for us in India, for all Asia and for the world. A new star rises, the star of freedom in the east, a new hope comes into being, a vision long cherished materialises. May the star never set and that hope never be betrayed!

We rejoice in that freedom, even though clouds surround us, and many of our people are sorrow-stricken and difficult problems encompass us. But freedom brings responsibilities and burdens and we have to face them in the spirit of a free and disciplined people.

On this day our first thoughts go to the architect of this freedom, the father of our nation, who, embodying the old spirit of India, held aloft the torch of freedom and lighted up the darkness that surrounded us.

We have often been unworthy followers of his and have strayed from his message, but not only we but succeeding generations will remember this message and bear the imprint in their hearts of this great son of India, magnificent in his faith and strength and courage and humility. We shall never allow that torch of freedom to be blown out, however high the wind or stormy the tempest.

Our next thoughts must be of the unknown volunteers and soldiers of freedom who, without praise or reward, have served India even unto death.

We think also of our brothers and sisters who have been cut off from us by political boundaries and who unhappily cannot share at present in the freedom that has come. They are of us and will remain of us whatever may happen, and we shall be sharers in their good and ill fortune alike.

The future beckons to us. Whither do we go and what shall be our endeavour? To bring freedom and opportunity to the common man, to the peasants and workers of India; to fight and end poverty and ignorance and disease; to build up a prosperous, democratic and progressive nation, and to create social, economic and political institutions which will ensure justice and fullness of life to every man and woman.

We have hard work ahead. There is no resting for any one of us till we redeem our pledge in full, till we make all the people of India what destiny intended them to be.

We are citizens of a great country, on the verge of bold advance, and we have to live up to that high standard. All of us, to whatever religion we may belong, are equally the children of India with equal rights, privileges and obligations. We cannot encourage communalism or narrow-mindedness, for no nation can be great whose people are narrow in thought or in action.

To the nations and peoples of the world we send greetings and pledge ourselves to cooperate with them in furthering peace, freedom and democracy.

And to India, our much-loved motherland, the ancient, the eternal and the ever-new, we pay our reverent homage and we bind ourselves afresh to her service. Jai Hind .

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Was Jawaharlal Nehru Slapped By Swami Vidyanand Videh? Here’s The Truth.

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An image of the first prime minister of India, Jawaharlal Nehru, is going viral on social media with the claim that he was slapped by Swami Vidyanand Video in a function for calling Arya Hindu Samaj as refugees in India. Sharing the image a user wrote, “When Nehru was slapped hard on the face by Swami Vidyanand Videh.* Reason.. *Nehru said in his speech at a function that the people of “Hindu Arya Samaj” are refugees in India. On hearing this, Swami Vidyanand Videh, who was the chief guest of that function, stood up and slapped Nehru hard on the stage itself and snatching the mike said that the people of “Arya Samaj” are not refugees, they are our ancestors! And are the original residents of this country! Your own ancestors are “Arabic”, and “Arab” blood is flowing in your body. You are not the original resident of this great country! You are a refugee.” Also said that “If Sardar Patel was the Prime Minister of this country, then we would not have to see all this.” (Rare photo of the time when there was chaos on the stage, which the photographer had kept hidden in his pants with great difficulty) Today we are missing a man like Videh, otherwise this Pappu ..### 😡Videha Gatha:- from page 637″.

Facebook Link | Archived Link.

The same image was forwarded to our 24*7 Factline number 9049053770 too.

Archived Link.

However, as we investigated, we came to know that in the photo actually, security men held back Jawaharlal Nehru to prevent him from plunging into the disorderly crowd at Patna, while he was trying to restore order. Here’s the fact check.

Fact Check 

In the beginning, we conducted a relevant keyword search but found no information that Swami Vidyanand Videh slapped Jawaharlal Nehru. 

Moving forward, by conducting a reverse image search of the viral photo, we found some information. We found a report published in the Times Daily on 8 January 1962. The attached photograph was similar to the viral one and it said that security forces prevented Prime Minister Jawaharlal Nehru from entering the crowd in Patna. The peasants protested strongly at Nehru’s Congress party meetings. The photo was marked as AP Wirephoto.

speech in hindi by jawaharlal nehru

Please Read here . Archived Link.

Next, searching for the viral photo of Jawaharlal Nehru clicked by the AP we found the original photo. It read A security man grabbed Indian Prime Minister Nehru to keep him from plunging into a riotous crowd at a meeting of the Congress Party in Patna, India, January 1962. Later in the year, Communist China’s attack on India plunged Nehru into new troubles. (AP Photo)

speech in hindi by jawaharlal nehru

Please read here . 

Further, we conducted a keyword search to learn about Swami Vidyanand Videh and found some information on a website called Veda Sansthan . Vidyanand Videh was the founder of this institute. But we found no evidence that he slapped Jawaharlal Nehru.

speech in hindi by jawaharlal nehru

Conclusion 

From our investigation, we can say that the claim with the viral photo is misleading. This photo of Jawaharlal Nehru was taken at a Congress meeting in Patna in 1962 where he was prevented by security forces from plunging into the riotous crowd.

Title: Was Jawaharlal Nehru Slapped By Swami Vidyanand Videh? Here’s The Truth.

Result: Misleading

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Chinta Mohan slams Modi for ‘distorting’ historical facts about Nehru, Indira

The former union minster condemns statements of pm modi made in the parliament on jawaharlal nehru and indira gandhi.

Updated - July 06, 2024 07:18 pm IST

Published - July 06, 2024 06:17 pm IST - TIRUPATI

K  Umashanker

Senior Congress leader Chinta Mohan. | Photo Credit: File Photo

Senior Congress leader Chinta Mohan on Saturday, July 6, condemned the statements of Prime Minister Narendra Modi made in the Parliament, which amounted to undermining the reputation of former Prime Ministers Jawaharlal Nehru and Indira Gandhi.

Addressing a press conference here, the senior Congress leader said that it was unfortunate that Mr. Modi made adverse comments about Mr. Nehru by accusing him of “destroying” the political career of Baba Saheb Ambedkar.

“Indeed, it was Nehru who appointed Ambedkar as the chairman of the Draft Committee of the Constitution and twice rejected the latter’s resignation from his post citing pressure from the conservative forces while drafting the Constitution. Nehru and Ambedkar maintained cordial ties till the latter’s death,” Mr. Mohan said.

“It is unjust on the part of Mr. Modi to distort historical facts,” he added.

Mr. Mohan also condemned the Prime Minister’s statements against Indira Gandhi. “Mr. Modi accused Mrs. Gandhi of stopping Babu Jagajjivan Ram from becoming the Prime Minister after the collapse of the Morarji Desai government in the late 1970s. But, it was the then President Neelam Sanjeeva Reddy who had opposed to making Mr. Jagajjivan Ram the Prime Minister and favoured Charan Singh,” the former Union Minister said.

Drawing attention to local issues, Mr. Mohan urged Chief Minister N. Chandrababu Naidu to resume the International Cricket Stadium works at Alipiri in Tirupati.

He said it was during the UPA government that a foundation stone was laid for the stadium, with the Cricket Board sanctioning ₹60 crore to start the works. “At a time when India is making waves internationally in the field of cricket, construction of an international stadium in Tirupati will be apt and would bring global repute to the pilgrim city,” Mr. Mohan added.

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