speech on pollution in hindi

प्रदूषण पर निबंध | Essay on Pollution in Hindi

प्रदूषण पर निबंध, essay on pollution in hindi

Hindi Essay and Paragraph Writing – Pollution (प्रदूषण)

प्रदूषण पर निबंध – इस लेख में प्रदूषण का अर्थ, प्रदूषण के स्रोत, प्रदूषण के परिणाम, प्रदूषण को रोकने के उपाय के बारे में जानेंगे | जब वायु, जल, मृदा आदि में अवांछनीय तत्व मिलकर उसे इस हद तक गंदा कर देते है, कि स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डालने लगे तो उसे प्रदूषण कहते हैं। प्रदूषण हमारे जीवन के उन प्रमुख विषयों में से एक है, जो इस समय हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में प्रदूषण पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में प्रदूषण  पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250, 350, और 1500 शब्दों में अनुच्छेद और निबंध दिए गए हैं।

  • प्रदूषण पर 10 लाइन
  • प्रदूषण पर अनुच्छेद 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में
  • प्रदूषण पर अनुच्छेद 4 और 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में
  • प्रदूषण पर अनुच्छेद 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में
  • Also See: World Environment Day Slogans, Quotes, and Sayings

प्रदूषण पर 10 लाइन 10 lines on Pollution in Hindi

  • वर्तमान समय में प्रदूषण एक गंभीर समस्या है जो हर किसी के जीवन पर प्रभाव डाल रहा है।
  • प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है- वातावरण में किसी तत्व का असंतुलित मात्रा में विद्यमान होना। 
  • प्रदूषण बढ़ने के मुख्य कारण लगातार वनों की कटाई और बढ़ती हुई जनसंख्या है। 
  • वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण, ये सभी प्रदूषण के विविध रूप हैं।
  • इन प्रदूषणों के कारण ही जलीय जीव-जंतु, पशु-पक्षी और वन्य जीव विलुप्त हो रहे हैं और लोगों को विभिन्न गंभीर प्रकार की बीमारियां हो रही है।
  • इन प्रदूषणों से नदी-झील, सागर-महासागर, पर्वत भी प्रभावित हो रहे हैं।
  • बढ़ते ग्लोबल वार्मिंग का एक कारण प्रदूषण भी है।
  • प्रदूषण की समस्या केवल एक देश का नही है बल्कि पूरे विश्व की समस्या है।
  • भारत के राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण हर साल विश्व स्तर पर लगभग 7 मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु होती है, जिनमें से तकरीबन 4 मिलियन लोगों की मौत घरेलू वायु प्रदूषण के कारण होती है।
  • भारत में हर साल 2 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। 

Short Essay on Pollution in Hindi प्रदूषण पर अनुच्छेद 100, 150, 200, 250 से 350 शब्दों में

प्रदूषण पर निबंध/अनुच्छेद – प्रदूषण, जिसे पर्यावरण प्रदूषण भी कहा जाता है, एक प्रकार का हानिकारक पदार्थ है जो हवा, पानी, धूल-मिट्टी आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य को नुकसान पहुंचाता है बल्कि जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और वनस्पतियों को भी नुकसान पहुंचाता है। आज, इसके परिणामस्वरूप, पृथ्वी पर सभी जीवित प्राणियों का अस्तित्व खतरे में है।

प्रदूषण पर अनुच्छेद कक्षा 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में

प्रदूषण आज के समय में एक बहुत ही गंभीर समस्या है और इससे हर किसी का जीवन प्रभावित हो रहा है। प्रदूषण बढ़ने का प्राथमिक कारण निरंतर वनों की कटाई और बढ़ती जनसंख्या है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण, इसके मुख्य प्रकार है। वायु, जल, भूमि में प्रदूषण हानिकारक तत्वों के मिलने से फैलता है और जबकि ध्वनि प्रदूषण, वाहन, रेडियो, टीवी, स्पीकर के ध्वनि से उत्पन्न होता है। इन प्रदूषणों के बढ़ने से लोगों को विभिन्न गंभीर प्रकार की बीमारियां हो रही है, और बहुत से जीव-जंतु, पशु-पक्षी मर रहे हैं। इसलिए यह जरूरी है कि हम अपने बेहतर भविष्य सुरक्षित करने के लिए प्रदूषण से निपटने के लिए तत्काल कार्रवाई करें।

प्रदूषण पर अनुच्छेद कक्षा 4, 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में

प्रदूषण एक हानिकारक पदार्थ है जो हवा, पानी और धूल जैसे कई विभिन्न माध्यमों से मनुष्यों, जानवरों, पौधों और पर्यावरण को धीरे-धीरे खराब और नुकसान पहुंचा रहा है। आज प्रदूषण के कारण ही प्राणियों की जान खतरे में है। इसी कारण बहुत से जीव-जंतु, पशु-पक्षी और वन्य प्राणी विलुप्त हो गए हैं। ये प्रदूषण तब होता है जब प्रकृति के विभिन्न भागों में असंतुलन होता है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण इसके विभिन्न प्रकार हैं। वाहनों और कारखानों से निकलने वाली हानिकारक गैस वायु प्रदूषण का कारण बन रही है, जिसके परिणामस्वरूप मनुष्यों और जानवरों को श्वसन संबंधी बीमारियाँ हो रही हैं। जल प्रदूषण कारखानों, उद्योगों और सीवरेज से निकलने वाले कचरे को सीधे नदियों में छोड़े जाने के कारण होता है। भूमि प्रदूषण उर्वरकों, कीटनाशकों और अन्य कार्बनिक यौगिकों के उपयोग से होता है। रेडियो, टीवी, स्पीकर आदि द्वारा उत्पन्न ध्वनि, ध्वनि प्रदूषण के कारण है जो की सुनने की समस्या का कारण बन रही हैं। आज प्रदूषण को रोकने और स्वस्थ वातावरण प्राप्त करने के लिए सहयोगात्मक प्रयासों की बहुत आवश्यकता है।

प्रदूषण पर अनुच्छेद कक्षा 6, 7, 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में

प्रदूषण वर्तमान में एक गंभीर समस्या बन चुका है। यह समस्या  सिर्फ एक देश की नहीं बल्कि पूरे विश्व की समस्या है। जिसकी चपेट में धरती पर रहने वाले सभी जीव जंतु और अन्य निर्जीव पदार्थ भी आ गए है। इसका दुष्प्रभाव चारों ओर दिख रहा है। प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है कि प्रकृति में संतुलन न होना, जीवन के लिए सभी जरूरी चीजों का दूषित हो जाना। जैसे- शुद्ध हवा न मिलना, शुद्ध जल न मिलना, शुद्ध भोजन व वातावरण न मिलना। प्रदूषण के मुख्य चार प्रकार है- वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण । इनमें से वायु प्रदूषण को सबसे खतरनाक प्रदूषण माना जाता है। इस प्रदूषण का मुख्य कारण कारखानों, उद्योगों और वाहनों से निकलने वाला धुआं है। इन स्रोतों से निकलने वाले हानिकारक धुएं से इंसान और जानवरों में फेफड़ों के कैंसर सहित अन्य सांस की बीमारियां होती हैं। जल प्रदूषण तब होता है जब कारखानों, उद्योगों और सीवरेज से निकलने वाले हानिकारक कचरे सीधे तौर पर नदियों, झीलों और महासागरों के पानी में बहा दिया जाता है और यह प्रदूषण जलीय जीवों को काफी नुकसान पहुंचाता है और मनुष्यों को स्वच्छ पानी तक पहुंच से वंचित कर देता है। भूमि प्रदूषण उर्वरकों, कीटनाशकों और अन्य कार्बनिक पदार्थों के अत्यधिक उपयोग के कारण होता है, जिससे खेती की गई फसलें प्रदूषित हो जाती हैं। नतीजतन, इन दूषित फसलों के सेवन से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। ध्वनि प्रदूषण भारी मशीनरी, वाहन, रेडियो, टीवी, स्पीकर आदि द्वारा उत्पन्न ध्वनि से होती  है जो की सुनने की समस्या और कभी कभी बहरेपन का कारण बनती हैं। इन प्रदूषण के लिए मनुष्य जिम्मेदार है क्योंकि मनुष्य अपने लाभ के लिए दिन रात प्रकृति को हानि पहुंचा रहा है। इसलिए मनुष्य को ही प्रदूषण के रोकथाम के लिए प्रयास करने चाहिए।

प्रदूषण पर अनुच्छेद कक्षा 9, 10, 11, 12 के छात्रों के लिए 300 शब्दों में

प्रदूषण से तात्पर्य पर्यावरण में किसी भी पदार्थ की असंतुलित मात्रा में उपस्थिति से है। यह वैज्ञानिक प्रगति का एक नकारात्मक परिणाम है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं और प्राणियों की अकाल मृत्यु का आधार बन रही है। प्रदूषण प्रकृति के विभिन्न घटकों का संतुलन बिगड़ने से होता है। जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, भूमि प्रदूषण– ये सभी प्रदूषण के विविध रूप हैं। नदी-नाले, सागर-महासागर, पर्वत और ओज़ोन परत भी इसी प्रदूषण से प्रभावित हो रहे हैं। अत्यधिक वनों का कटाव, आधुनिकीकरण की समस्या और शहरीकरण, बढ़ती जनसंख्या की समस्या आदि वायु प्रदूषण बढ़ने के सबसे बड़े कारण हैं। प्रकृति के अधिकतम शोषण से प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है। ऋतु चक्र में बदलाव आ गया है और शुद्ध वायु का मिलना कठिन होता जा रहा है। बड़े-बड़े कारखानों से निकलने वाला धुआं वायु को प्रदूषित कर रहा है और शहरों और महानगरों से निकलने वाला कचरा साफ पानी के स्रोतों को प्रदूषित कर रहा है। इसके अतिरिक्त, कारखाने गंदा पानी नदियों में छोड़ रहे हैं, जिससे जल प्रदूषण में वृद्धि हो रही है।  यातायात के आधुनिक साधन जहां एक तरफ वायु प्रदूषण बढ़ा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ रहा है, आकाश में उड़ते हवाई जहाज, तेज रफ्तार वाले जेट विमान, दिन-रात बजते हुए लाउडस्पीकरों से जो ध्वनी उत्पन्न होती है उससे हमारी सुनने की क्षमता को नुकसान पहुँच रहा है। भूमि प्रदूषण आज के समय की एक और नई समस्या है। खेतों से अधिकतम उपज प्राप्त करने के लिए रासायनिक खादों का अधिकाधिक प्रयोग धरती को बंजर बना रहा है। यह प्रदूषण सभी प्राणियों के लिए हानिकारक है, यह हवा, पानी और धूल जैसे विभिन्न माध्यमों से मनुष्यों, जानवरों, पक्षियों, पेड़ों और पौधों को नुकसान पहुँचाता है। आज इसी प्रदूषण के कारण सभी प्राणियों का अस्तित्व खतरे में आ गया है। इसलिए प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को शीघ्रता से कार्य करना चाहिए। इसके लिए वनों की कटाई को रोकना और जल स्रोतों के प्रदूषण को नियंत्रित करना आवश्यक है। यदि मनुष्य प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित कर ले तो प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकता है। यदि नहीं, तो परिणाम अप्रत्याशित होंगे।

Long Essay on Pollution in Hindi प्रदूषण  पर निबंध (1500 शब्दों में)

  pollution essay in hindi – प्रदूषण पर निबंध.

In the post will discuss the major causes of Pollution, Pollution Meaning, effects, and measures to prevent pollution

Essay on Pollution in Hindi is an important topic for Class 7th,8th, 9th, 10th, 11th, and 12th. Here we have compiled important points on pollution Essay in Hindi which is a useful resource for school and college students.

Here are some Important Points for प्रदूषण पर निबंध i.e is covered in this Article

  • Essay on Pollution in Hindi
  • प्रस्तावना (Preface)
  • प्रदूषण का अर्थ (What is Pollution (Meaning))
  • प्रदूषण के कारण (Reason for Pollution)
  • प्रदूषण के स्त्रोत (Sources of Pollution)
  • प्रदूषण के परिणाम (Consequences of Pollution)
  • प्रदूषण को रोकने के उपाय (Steps to Reduce Pollution)
  • उप-संहार / सारांश

प्रदूषण पर निबंध – Essay on Pollution in Hindi

  • प्रदूषण का अर्थ है दोष युक्त,अपवित्र  एवं अशुद्ध | अपने नाम के स्वरूप  प्रदूषण न केवल मानव जाति  बल्कि  समस्त  प्राणियों के लिए हानिकारक है | यह बात आज का मानव भली -भाँति  जानता भी है और समझता भी है |
  • लेकिन यह ज्ञान केवल किताबों तक और बातों तक सीमित है , व्यावहारिक  रूप में मानव की प्रगति की चाहत और सुख सुविधाओं की वृद्धि की इच्छा  में उसके द्वारा किये गए नित नए प्रयोगों  ने इस प्रदूषण में दिन- प्रतिदिन वृद्धि की है |
  • इस  प्रदूषण की सीमा केवल  धरती  ही नहीं बल्कि संपूर्ण वातावरण (वायु , जल , ध्वनि) सम्मिलित है | इस विस्तार सीमा के कारण अब प्रदूषण केवल भूमि प्रदूषण न होकर वायु प्रदूषण , जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण भी है |

Top प्रस्तावना – Preface

  • यदि जल दूषित है तो जल प्रदूषण मानव के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है |
  • वायु प्रदूषित है तो सांस  लेना ही दुर्भर हो जायेगा भाव कि जीवन ही खतरे में है | शुद्ध वायु प्राणो के लिए , श्वास प्रक्रिया  के लिए बहुत ही आवश्यक है।

इसी तरह मिट्टी हमारी मूल भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति  के लिए जरूरी है | खाने – पीने के लिए अनाज , शुद्ध हवाओं के लिए पेड़ पौधे  भी हमें इसी से मिलते हैं|  इसके बगैर हम प्राणी जगत और मानव जाती के विकास के बारे में सोच भी नहीं सकते | और यदि वातावरण में शोर अधिक मात्रा में है तो यह ध्वनि प्रदूषण है जो कि  मानसिक असंतुलन का कारण बनता है  |

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प्रदूषण का अर्थ – Meaning of Pollution

भूमि, वायु, जल, ध्वनि में पाए जाने वाले तत्व यदि संतुलित न हो तो असंतुलित होते है | और यह असंतुलन ही प्रदूषण है | इस असंतुलन से इस पर होने वाली फसलें , पेड़ ,आदि सभी प्रभावित होते हैं | इसके अतिरिक्त जो कचरा और कूड़ा करकट हम फेंकते हैं वह भी प्रदूषण का कारण है| अतः  हम कह सकते हैं कि – “पर्यावरण के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में ऐसा कोई अवांछित परिवर्तन जिसका प्रभाव मनुष्य एवं अन्य जीवों पर पड़े या पर्यावरण की प्राकृतिक गुणवत्ता तथा उपयोगिता नष्ट हो प्रदूषण कहलाता है।”

प्रदूषण के कारण  – Reason For Pollution

  • बेकार पदार्थो की बढ़ती मात्रा और उचित  निपटान  के विकल्पों की कमी के कारण समस्या दिन प्रति  दिन बढ़ती जा रही है। कारखानों और घरों से बेकार उत्पादों को खुले स्थानों में रखा  और जलया  जाता है
  • जिससे  भूमि, वायु , जल , ध्वनि  प्रदूषित होते हैं| प्रदूषण विभिन्न मानवीय गतिविधियों के कारण और प्राकृतिक कारणों के कारण भी होता है।
  • कीटनाशकों का  बढ़ता उपयोग, औद्योगिक और कृषि  के बेकार पदार्थो के निपटान के लिए विकल्पों की कमी, वनों की कटाई, बढ़ते शहरी करण, अम्लीय वर्षा और खनन इस प्रदूषण के मूल कारक  हैं।
  • ये सभी कारक कृषि गतिविधियों में बाधा डालते हैं और जानवरों और मनुष्यों में विभिन्न बीमारियों का कारण भी  बनते हैं। जनसंख्या वृद्धि भी   कारण है बढ़ते हुए प्रदूषण’ का |

प्रदूषण के स्त्रोत – Sources of Pollution

प्रदूषण के स्त्रोतों को  निम्न  श्रेणियों  में बाँटा जा सकता है  : 1.घरेलू बेकार पदार्थ,जमा  हुआ  पानी,कूलरो  मे पड|  पानी , पौधो मे जम|  पानी 2. रासायनिक पदार्थ जैसे – डिटर्जेंट्स, हाइड्रोजन, साबुन, औद्योगिक एवं खनन के बेकार पदार्थ 3. प्लास्टिक 4. गैसें जैसे- कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, अमोनिया आदि। 5. उर्वरक जैसे- यूरिया, पोटाश । 6.  गंदा पानी 7. पेस्टीसाइड्स जैसे- डी.डी.टी, कीटनाशी। 8. ध्वनि। 9. ऊष्मा। 10. जनसंख्या वृद्धि

प्रदूषण के परिणाम – Consequences of Pollution

  • आज के समय की मुख्य चिंता है बढ़ता हुआ प्रदूषण | कचरा मैदान के आसपास दुर्गंध युक्त  गंध के कारण सांस लेना दुर्भर होता है | और इसके आस पास का स्थान रहने लायक नहीं रहता | विभिन्न श्वास सम्बन्धी रोग उत्पन्न होते हैं | अपशिष्ट उत्पादों से छुटकारा पाने के लिए जब इन्हे जलाया जाता है तो वायु प्रदूषित होती है |
  •  अपशिष्ट  पदार्थों के सीधे संपर्क में आने से त्वचा सम्बन्धी रोग,  विषाक्त पदार्थ विषैले जीव उत्पन्न करते हैं जो की जानलेवा रोगों के कारण बनते हैं | जैसे कि  मच्छर, मख्खियाँ  इत्यादि | कृषि खराब होती है और खाने पीने की वस्तुएँ खाने के लायक नहीं रहती |
  • पीने   का जल जो कि अमृत माना जाता था वह भी रोगो का साधन बन जाता है | ध्वनि जो की संगीत पैदा करती थी शोर बन कर मानसिक असंतुलन पैदा करती है |धरती पर ग्रीन कवच भी बहुत कम लगभग तीन प्रतिशत ही बच है जो कि चिन्तनीय है |

प्रदूषण को रोकने के उपाय – Measures to Prevent pollution

दैनिक जीवन में कुछ छोटे बदलाव करके  इसे कम करने की दिशा में योगदान कर सकते हैं। 1.बायोडिग्रेडेबल उत्पादों का उपयोग करें। क्योंकि बायोडिग्रेडेबल कचरे का निपटान करना आसान है। 2.भोजन कीटनाशकों के उपयोग के बिना उगाया जाए, जैविक सब्जियां और फल उगाए जाए | 3.पॉली बैग और प्लास्टिक के बर्तनों और वस्तुओं के उपयोग से बचें। क्योंकि किसी भी रूप में प्लास्टिक का निपटान करना मुश्किल है। 5.कागज़ या कपड़े की थैलियों का उपयोग करें । 6. अलग-अलग डस्टबिन में गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग निपटाने से कचरा अलग हो जाता है। भारत सरकार ने पहले ही इस अभियान को शुरू कर दिया है और देश भर के विभिन्न शहरों में विभिन्न क्षेत्रों में कई हरे और नीले डस्टबिन लगाए गए हैं। 7.कागज़  उपयोग को सीमित करें। कागज़ बनाने के लिए प्रत्येक वर्ष कई पेड़ काटे जाते हैं। यह   प्रदूषण का एक कारण है। डिजिटल प्रयोग  अच्छा विकल्प  है। 8. पुन: उपयोग योग्य डस्टर और झाड़ू का उपयोग करें। 9.प्रदूषण  हानि पहुँचाता है अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के  इस बारे में जागरूक करें । 10.घरों का कचरा बाहर खुले में नहीं फेंकना चाहिए। 11.खनिज पदार्थ्   भी सावधानी  से प्रयोग करने चाहिए  ताकि  भविष्य के लिये भी प्रयोग किये ज। सके । 12. हमें वायु को भी कम दूषित करना चाहिए और अधिक से अधिक पेड पौधे  लगाने चाहिये  ताकि अम्लीय वर्षा को रोक।| ज। सके  । 13. यदि  हम बेहतर जीवन जीन| चाहते  हैं और वातवरन मे  शुध्ध्ता चाहते  हैं वनो को सरन्क्षित  करना  होगा  | 14.हमें ऐसी चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए जिन्हें हम दोबारा से प्रयोग में ला सके। उपसंहार

उप-संहार / सारांश – Essay on Pollution in Hindi

प्रदूषण एक प्रकार का धीमा जहर है जो हवा, पानी, धूल आदि के माध्यम से न केवल मनुष्य वरन् जीव-जंतुओं, पशु-पक्षियों, पेड़-पौधों और वनस्पतियों को भी सड़ा-गलाकर नष्ट कर देता है। आज प्रदूषण के कारण ही  प्राणियों का अस्तित्व खतरे में है। इसी कारण बहुत से प्राणी, जीव-जंतु, पशु-पक्षी, वन्य प्राणी विलुप्त हो गए हैं। यदि इसी तरह से प्रदूषण फैलता रहा तो जीवन बहुत ही कठिन हो जायेगा | न खाने को कुछ मिलेगा और सांस लेने के लिए शुद्ध हवा भी नहीं बचेगी | प्यास बुझाने के लिए पानी ढूंढने से नहीं मिलेगा | जीवन बहुत ही असंतुलित होगा | ऐसी परस्थितियो से बचने के लिए हमें पर्यावरण संरक्षण की और कदम बढ़ाने होंगे | जीवन आरामदायक बनाने की अपेक्षा उपयोगी बनाना होगा  कर्तव्यपरायणता की ओर कदम बढ़ने होंगे | विकास का  केवल  एक रास्ता शहर नही  गाँव  की  जीवन  शैली पर चलो प्रकृति से दूर नही , विपरीत नही बल्कि  इसके साथ्  हो  चलो जीवन आसान नही श्रमिक  और कृषक से हो चलो श्रमिक  और कृषक से हो चलो शुद्धता  जो चाहिये तो जीवन शैली बदल चलो ,प्र्दूषन को दूर कर प्रकृति से दूर नही, पास हो चलो, पास हो चलो |

प्रदूषण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

इन सवालों के जवाब आपको प्रदूषण पर अपने निबंध में शामिल करने के लिए महत्वपूर्ण बिंदु प्रदान करेंगे।

प्रदूषण वास्तव में क्या है? पर्यावरण में मौजूद संदूषण या रसायन, या पर्यावरण में उनका परिचय, जिसे प्रदूषण कहा जाता है। इन प्रदूषकों या पदार्थों की उपस्थिति या परिचय जीवित प्राणियों और प्राकृतिक दुनिया के लिए हानिकारक या असुविधाजनक हो सकता है।

पर्यावरण प्रदूषण के विभिन्न रूप क्या हैं? प्रदूषण कई प्रकार के होते हैं, जैसे वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण ।

प्रदूषित वायु में योगदान करने वाले कारक क्या हैं? वायु प्रदूषण कई अलग-अलग कारकों का परिणाम है, जिसमें ऑटोमोबाइल और औद्योगिक गतिविधियों से उत्सर्जन, जीवाश्म ईंधन का जलना और जंगलों का विनाश शामिल है।

प्रदूषित जल के कुछ परिणाम क्या हैं? पानी का प्रदूषण जलीय जीवन के लिए हानिकारक हो सकता है, जो तब पारिस्थितिक तंत्र को परेशान कर सकता है, और जो पानी वे पीते हैं उसे दूषित करके लोगों के स्वास्थ्य को भी खतरे में डाल सकते हैं।

मृदा संदूषण वास्तव में क्या है? मिट्टी में जहरीले यौगिकों की उपस्थिति, जो पौधों, जानवरों और अंततः इन संसाधनों पर निर्भर मनुष्यों के लिए हानिकारक हो सकती है, को मृदा प्रदूषण कहा जाता है।

“ध्वनि प्रदूषण” से वास्तव में क्या अभिप्राय है? ध्वनि जो अत्यधिक, अवांछित, या परेशान करने वाली है जो मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ वन्यजीवों के स्वास्थ्य और प्राकृतिक पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालने की क्षमता रखती है, ध्वनि प्रदूषण कहलाती है।

औद्योगीकरण किन विशिष्ट तरीकों से प्रदूषण की समस्या को बढ़ाता है? वायु, जल और भूमि में हानिकारक रसायनों और अपशिष्ट उत्पादों का निर्वहन सबसे आम तरीकों में से एक है जिससे औद्योगीकरण प्रदूषण का कारण बनता है। “प्रकाश प्रदूषण” का वास्तव में क्या अर्थ है? “प्रकाश प्रदूषण” शब्द कृत्रिम प्रकाश की अधिकता या इसके गलत दिशा को संदर्भित करता है, दोनों के मनुष्यों के स्वास्थ्य के साथ-साथ वन्य जीवन और पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य पर हानिकारक परिणाम हो सकते हैं।

प्रदूषण कम करने के समग्र लक्ष्य में व्यक्ति कैसे योगदान दे सकते हैं? कचरे में कमी , ऊर्जा का संरक्षण , सार्वजनिक परिवहन या हाइब्रिड वाहन का उपयोग, और पारिस्थितिक रूप से अनुकूल उत्पादों को बढ़ावा देने के सभी तरीके हैं जिनमें व्यक्ति प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में योगदान दे सकते हैं।

प्रदूषण को रोकने और साफ करने में सरकार की क्या भूमिका है? प्रदूषण के स्तर को कम करने और प्रदूषण को रोकने के लक्ष्यों के साथ सरकार द्वारा कानूनों और विनियमों की स्थापना और पालन, प्रदूषण नियंत्रण के दो सबसे महत्वपूर्ण पहलू हैं।

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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 100 - 500 शब्दों में यहाँ देखें

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प्रदूषण पर निबंध : प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। आज विश्व की अधिकतर आबादी प्रदूषण की समस्या से ग्रसित है। ऐसे में प्रदूषण पर निबंध (eassay on pollution in hindi) लिखने के लिए अक्सर स्कूलों में कहा जाता है। छात्र इस प्रदूषण पर निबंध (eassay on pollution in hindi) के माध्यम से प्रदूषण जैसी विशाल समस्या के बारे में जानने के साथ-साथ इसकी विषय की संवेदनशीलता का भी पता लगा सकते हैं तथा कैसे ये भयंकर रूप में अब हमारे समक्ष प्रकट हुई है, इसके स्तर का भी अनुमान प्राप्त कर सकते हैं। हिंदी में पत्र लेखन सीखें ।

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 100 - 500 शब्दों में यहाँ देखें

प्रदूषण देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए एक ज्वलंत समस्या का रूप धारण कर चुकी है। प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सभी के योगदान की आवश्यकता होगी। प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi) से देश के भविष्य छात्रों में जागरूकता आएगी तथा प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi) से उनको प्रदूषण की समस्या को दूर करने में अपना योगदान देने में आसानी होगी। इस लेख से प्रदूषण क्या है और प्रदूषण के कितने प्रकार का होता है - वायु, जल, ध्वनि, पर्यावरण, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है, जिससे प्रदूषण पर निबंध हिंदी में (Essay on Pollution in Hindi) ऑनलाइन सर्च कर रहे विद्यार्थियों को प्रदूषण पर निबंध (essay on pollution) लिखने में सहायता मिलेगी।

विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध (essay on world environment day in hindi) लिखने में भी इस लेख की सहायता ली जा सकती है। इसके अलावा कई ऐसे छात्र भी होते हैं जिनकी हिंदी विषय/भाषा पर पकड़ कमजोर होती है, ऐसे में प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) विशेष इस लेख से उन्हें निबंध लिखने के तरीके को समझने व लिखने में सहायता प्राप्त होगी।

ये भी पढ़ें :

होली पर निबंध पढ़ें । हिंदी में निबंध लिखने का तरीका जानें ।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण क्या है? (What is Pollution)

प्रदूषण, जिसे पर्यावरण प्रदूषण भी कहा जाता है। पर्यावरण में किसी भी पदार्थ (ठोस, तरल, या गैस) या ऊर्जा का किसी भी रूप (जैसे गर्मी, ध्वनि, या रेडियोधर्मिता) में उसके पुनर्नवीनीकरण, किसी हानिरहित रूप में संग्रहण या विघटित करने के स्तर से ज्यादा तेजी से फैलना ही प्रदूषण (eassay on pollution in hindi) कहलाता है।

अन्य लेख पढ़ें-

  • हिंदी दिवस पर कविता
  • गणतंत्र दिवस पर भाषण
  • दिवाली पर निबंध

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण का वर्तमान परिदृश्य

प्रदूषण हमारे जीवन के उन प्रमुख विषयों में से एक है, जो इस समय हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा व चिंता का विषय रहा है तथा 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इसके प्रभाव को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी इस समस्या के समाधान हेतु एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीवित रहने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है। इन प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत में ही स्थित हैं। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, बामेंडा, मॉस्को, हेज़, चेरनोबिल, बीजिंग आदि शामिल हैं। हालांकि इन शहरों ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, मगर फिर भी उन्हें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। इन स्थानों की वायु गुणवत्ता खराब है और भूमि तथा जल प्रदूषण में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। अब समय आ गया है कि इन शहरों से प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए, यहाँ मौजूद प्रशासन एक ठोस रणनीति तैयार करके उसपर अमल करे।

  • हिंदी दिवस पर भाषण
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  • इंजीनियर कैसे बन सकते हैं?

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) क्या है? (What is Air Quality Index (AQI)?)

वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) (Air Quality Index (AQI)) एक सूचकांक है जिसका उपयोग सरकारी एजेंसियों द्वारा वायु प्रदूषण के स्तर को मापने के लिए किया जाता है ताकि आम लोग वायु गुणवत्ता को लेकर जागरूक हो सकें। जैसे-जैसे एक्यूआई (AQI) बढ़ता है, इसका मतलब है कि एक बड़ी जनसंख्या गंभीर प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों का अनुभव करने वाली है। वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी AQI लोगों को यह जानने में मदद करता है कि स्थानीय वायु गुणवत्ता उनके स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है। पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) पांच प्रमुख वायु प्रदूषकों के लिए एक्यूआई (AQI) की गणना करती है, जिसके लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक स्थापित किए गए हैं।

  • जमीनी स्तर की ओजोन (ग्राउंड लेवल ओज़ोन)
  • कण प्रदूषण/पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5/pm 10)
  • कार्बन मोनोऑक्साइड
  • सल्फर डाइऑक्साइड
  • नाइट्रोजन डाइऑक्साइड

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण के प्रकार

मूल रूप से प्रदूषण चार प्रकार का होता है, जो नीचे उल्लिखित है -

  • वायु प्रदूषण (Air Pollution)
  • जल प्रदूषण (Water Pollution)
  • ध्वनि प्रदूषण (Pollution Essay)
  • मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)

यह भी पढ़ें -

  • डॉक्टर कसे बनें
  • एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में कैसे संवारें अपना भविष्य

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - आइए एक करके प्रदूषण के विभिन्न प्रकारों के बारे में जानें:

वायु प्रदूषण : वायु प्रदूषण मुख्य रूप से वाहनों से गैस के उत्सर्जन के कारण होता है। बेहद ही हानिकारक गैस कारखानों तथा उद्योगों में उप-उत्पाद के रूप में उत्पादित होती हैं, प्लास्टिक और पत्तियों जैसे जहरीले पदार्थों को खुले में जलाने से, वाहनों के एग्जॉस्ट से, रेफ्रीजरशन उद्योग में उपयोग किए जाने वाले सीएफ़सी से वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होती है।

हाल के दशक में बेहतर आय की वजह से भारत में सड़कों पर वाहनों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी गई है। ये सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों को फैलाने के लिए भी जिम्मेदार हैं। ये गैसें पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा को कम करने के लिए जिम्मेदार हैं। इनकी वजह से सांस लेने की कई समस्याएं, श्वसन रोग, कई प्रकार के कैंसर आदि जैसी बीमारियाँ तेजी से पनप रही हैं।

जल प्रदूषण : जल प्रदूषण आजकल मनुष्यों के सामने मौजूद सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। सीवेज अपशिष्ट, उद्योगों या कारखानों आदि के कचरे को सीधे नहरों, नदियों और समुद्रों जैसे जल निकायों में डाला जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप समुद्री जीव जंतुओं के आवास का नुकसान हो रहा है और जल निकायों में घुली ऑक्सीजन का स्तर भी घट रहा है। पीने योग्य पानी की कमी जल प्रदूषण का एक बड़ा दुष्प्रभाव है। लोग प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं जिससे हैजा, डायरिया, पेचिश आदि रोग होने का खतरा रहता है।

मृदा प्रदूषण : भारतीय आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। इस काम के लिए, किसान बहुत सारे शाकनाशी, उर्वरक, कवकनाशी और अन्य समान प्रकार के रासायनिक यौगिकों का उपयोग करते हैं। इनके इस्तेमाल से मिट्टी दूषित होती है और इससे मिट्टी आगे फसल उगाने लायक नहीं रह जाती। इसके अलावा, अगर अधिकारी जमीन पर पड़े औद्योगिक या घरेलू कचरे को डंप नहीं करते हैं, तो यह भी मिट्टी के प्रदूषण में बड़ा योगदान देता है। इसकी वजह से मच्छरों के प्रजनन में वृद्धि होती है, जो डेंगू जैसी कई जानलेवा बीमारियों का कारण बनता है। ये सभी कारक मिट्टी को विषाक्त बनाने के लिए जिम्मेदार हैं।

ध्वनि प्रदूषण : वायु प्रदूषण में योगदान देने के अलावा, भारतीय सड़कों पर बड़ी संख्या में मौजूद वाहन, ध्वनि प्रदूषण में भी भरपूर योगदान देते हैं। यह उन लोगों के लिए खतरनाक है जो शहरी क्षेत्रों में या राजमार्गों के पास रहते हैं। यह लोगों में चिंता और तनाव जैसे संबंधित मुद्दों का कारण बनता है।

इसके अलावा, पटाखे, कारखानों के कामकाज, लाउडस्पीकर की आवाज (विशेष रूप से समारोहों के मौसम में) आदि भी ध्वनि प्रदूषण में अपनी भूमिका निभाते हैं। अगर इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह हमारे मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकता है।

अक्सर, दिवाली के त्योहार के अगले दिन मीडिया में यह बताया जाता है कि कैसे पटाखों की वजह से भारत के प्रमुख शहरों में ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है।

हालाँकि ये चार प्रमुख प्रकार के प्रदूषण हैं, जीवनशैली में बदलाव के कारण कई अन्य प्रकार के प्रदूषण भी देखे गए हैं जैसे कि रेडियोधर्मी प्रदूषण, प्रकाश प्रदूषण अन्य। यदि किसी स्थान पर अधिक या अवांछित मात्रा में मानवनिर्मित प्रकाश पैदा किया जाता है, तो यह प्रकाश प्रदूषण में योगदान देता है। आजकल, कई शहरी क्षेत्र अधिक मात्रा में अवांछित प्रकाश का सामना कर रहे हैं।

हम परमाणु युग में जी रहे हैं। चूंकि बहुत से देश अपने स्वयं के परमाणु उपकरण विकसित कर रहे हैं, इससे पृथ्वी के वातावरण में रेडियोधर्मी पदार्थों की उपस्थिति में वृद्धि हुई है। इसे रेडियोधर्मी प्रदूषण के रूप में जाना जाता है। रेडियोधर्मी पदार्थों का संचालन और खनन, परीक्षण, रेडियोधर्मी बिजली संयंत्रों में होने वाली छोटी दुर्घटनाएँ रेडियोधर्मी प्रदूषण में योगदान देने वाले अन्य प्रमुख कारण हैं।

उपयोगी लिंक्स -

  • जलवायु परिवर्तन पर निबंध
  • टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज
  • नीट के बिना मेडिकल कोर्स
  • भारत की टॉप यूनिवर्सिटी

प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming)

ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारक है। धरती के चारों ओर गर्मी को फंसाने वाले प्रदूषण की परत ही मुख्य कारण है, जो आजकल ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) को बढ़ा रही है। जैसे मनुष्य जब जीवाश्म ईंधन जलाते हैं, प्लास्टिक जलाते हैं, वाहन से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जंगल अधिक स्तर पर जलाए जाते हैं, तो इनसे खतरनाक गैस का उत्सर्जन होता है।

एक बार जब यह गैस पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर जाती है, तो अंततः यह पूरे विश्व में फैल जाती है। नतीजतन, गर्मी फिर से उत्सर्जित होने के बाद अगले 50 या 100 सालों तक पृथ्वी के चारों ओर फंस जाती है। सबसे गंभीर बात यह है कि कार्बन डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैस का स्तर खतरनाक दर से बढ़ा है। इससे आने वाली पीढ़ी सैकड़ों वर्षों तक ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के प्रभावों को महसूस करेगी।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए प्रमुख कदम

पर्यावरण प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिकारियों ने कई कदम उठाए हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल : भारत सरकार ने भारत में पर्यावरण से संबंधित मुद्दों पर अंकुश लगाने के लिए NGT की स्थापना की थी। 2010 से जब कई उद्योग एनजीटी के आदेश का पालन करने में विफल रहे हैं, तो इसने ऐसे उद्योगों पर भारी जुर्माना लगाया। इसने कई प्रदूषित झीलों को साफ करने में भी मदद की है। इसने गुजरात में कई कोयला आधारित उद्योगों को बंद करने का भी आदेश दिया, जिससे वायु प्रदूषण में इजाफा हो रहा था।

ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत : पिछले कुछ वर्षों से, भारत सरकार लोगों को ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर जाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। तमिलनाडु राज्य के निवासियों के लिए अपनी छतों पर सौर पैनल और वर्षा जल संचयन प्रणाली रखना अनिवार्य है। वैकल्पिक ऊर्जा के अन्य स्रोत जैव ईंधन, पवन ऊर्जा, जलविद्युत ऊर्जा आदि हैं।

BS-VI ईंधन : भारत सरकार द्वारा घोषणा के बाद देश अब BS-VI (भारत चरण VI) ईंधन का उपयोग करने में सक्षम है। इस नियम अस्तित्व में आने के बाद, वाहनों से सल्फर के होने वाले उत्सर्जन में 50% से अधिक की कमी आने की संभावना है। यह डीजल कारों से नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन को 70% और पेट्रोल कारों में 25% तक कम करता है। इसी तरह, कारों में पार्टिकुलेट मैटर के उत्सर्जन में 80% की कमी आएगी।

वायु शोधक: वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए लोग अब वायु शोधक विशेष रूप से इनडोर में इस्तेमाल किए जाने वाले का उपयोग कर रहे हैं। एयर प्यूरीफायर हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर को साफ करते हैं, हानिकारक बैक्टीरिया को हटाते हैं और हवा की गुणवत्ता में काफी हद तक सुधार करते हैं।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण पर अंकुश लगाने में यूएनओ की भूमिका

अपने बैनर के तहत, संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1972 में प्रदूषण के मुद्दे को संबोधित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की शुरुआत की गई थी। इसने जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन, पर्यावरण प्रशासन, संसाधन दक्षता आदि जैसे कई मुद्दों की तरफ आम लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। इसने कई सफल संधियों को मंजूरी दी है, जैसे कि मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (1987) जो गैसों के उत्सर्जन को सीमित करने के लिए सुरक्षात्मक ओजोन परत को पतला कर रहे थे, जहरीले पारा आदि के उपयोग को सीमित करने के लिए मिनामाता कन्वेंशन (2012) यूएनईपी प्रायोजित 'सौर ऋण कार्यक्रम' जहां विभिन्न देशों के लाखों लोगों को सौर ऊर्जा पैनल प्रदान किए गए थे।

प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण पर अंकुश लगाने के विभिन्न तरीके

हालांकि विभिन्न शहरों के अधिकारी प्रदूषण के मुद्दे पर अंकुश लगाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। ऐसे में नागरिकों और आम लोगों का भी यह कर्तव्य है कि वे इस प्रक्रिया में अपना योगदान दें। सभी प्रकार के प्रदूषण को रोकने के कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं -

पटाखों का इस्तेमाल बंद करें : जब आप दशहरा, दिवाली या किसी अन्य अवसर पर त्योहार मनाते हैं, तो पटाखों का इस्तेमाल ना करें। यह ध्वनि, मिट्टी के साथ-साथ प्रकाश प्रदूषण का कारण बनता है। साथ ही इसका हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।

वाहनों का प्रयोग सीमित करें : वाहन प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। वाहनों का प्रयोग कम से कम करें। यदि संभव हो, तो उन्हें व्यक्तिगत उपयोग के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने का प्रयास करें। आने-जाने के लिए ज्यादा से ज्यादा सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें।

अपने आस-पास साफ-सफाई रखें : एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य होना चाहिए कि हम अपने घर के आस-पास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखें। हमें कचड़ा इधर-उधर फेंकने की बजाय कूड़ेदान में फेकना चाहिए।

रिसाइकल और पुन: उपयोग - कई गैर-बायोडिग्रेडेबल उत्पाद जैसे कि प्लास्टिक से बने दैनिक उपयोग की वस्तुएं हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं। हमें या तो इन्हें ठीक से डिकम्पोज करना होगा या इसे रिसाइक्लिंग के लिए भेजना होगा। आजकल सरकार प्लास्टिक को रिसायकल करने के लिए बहुत सारी योजनाएं चला रही है, जहां नागरिक न केवल अपने प्लास्टिक के कचरे को दान कर सकते हैं, बल्कि अन्य वस्तुओं के बदले में इसका आदान-प्रदान भी कर सकते हैं।

पेड़ लगाएं : कई कारणों से पेड़ों की कटाई जैसे सड़कों का चौड़ीकरण, घर बनाना आदि के कारण विभिन्न प्रकार के प्रदूषण में वृद्धि हुई है। पौधे वातावरण में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड आदि जैसे हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं। चूंकि वे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीजन छोड़ते हैं, इसलिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाएं और उनकी देखभाल करें।

प्रदूषण एक ऐसी समस्या है, जिसका हमें जल्द से जल्द समाधान करने की जरूरत है, ताकि मनुष्य व अन्य जीव जन्तु, इस ग्रह पर सुरक्षित रूप से रह सकें। यह महत्वपूर्ण है कि हम इस मुद्दे के समाधान के लिए सुझाए गए उपायों का पालन करें। यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम अपने घर को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाएं। पृथ्वी को जीवित रखने के लिए हमें इसे प्रदूषित करना बंद करना होगा।

Frequently Asked Question (FAQs)

वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) (Air Quality Index) दैनिक आधार पर वायु गुणवत्ता की रिपोर्ट करने के लिए एक सूचकांक है।

प्रदूषण पर हिंदी में निबंध लिखने के लिए आप इस लेख को संदर्भित कर सकते हैं। इस लेख में प्रदूषण पर निबंध से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

प्रदूषण मुख्य रूप से 4 प्रकार के होते हैं, जिन्हे वायु प्रदूषण (Air Pollution), जल प्रदूषण (Water Pollution), ध्वनि प्रदूषण (Pollution Essay), मृदा प्रदूषण (Soil Pollution) के रूप में जाना जाता है। 

पटाखों के इस्तेमाल पर कमी, अधिक से अधिक पेड़ लगाकर, वाहनों के उपयोग पर कमी और अपने आस-पास स्वच्छता रखकर प्रदूषण में कमी की जा सकती है। 

सांविधिक संगठन, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वर्ष 1974 में गठित किया गया था।

पर्यावरण में किसी भी पदार्थ (ठोस, तरल, या गैस) या ऊर्जा का किसी भी रूप (जैसे गर्मी, ध्वनि, या रेडियोधर्मिता) में उसके पुनर्नवीनीकरण, किसी हानिरहित रूप में संग्रहण या विघटित करने के स्तर से ज्यादा तेजी से फैलना ही प्रदूषण है। प्रदूषण उन प्रमुख मुद्दों में से एक है, जो हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा में है, 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया गया है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इन प्रभावों को रोकने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।

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प्रदूषण पर निबंध 100, 150, 250 & 300 शब्दों में (10 lines Essay on Pollution in Hindi)

speech on pollution in hindi

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – प्रदूषण के प्रति जागरूक होना इन दिनों सभी छात्रों के लिए काफी अनिवार्य है। आने वाली पीढ़ियों के लिए दुनिया का एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए हर बच्चे को पता होना चाहिए कि मानवीय गतिविधियाँ पर्यावरण और प्रकृति पर कैसे प्रभाव छोड़ रही हैं। प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) यह विषय काफी महत्वपूर्ण है। और, स्कूली बच्चों को ‘ प्रदूषण निबंध पर (Pollution Essay in Hindi )’ सहजता से एक दिलचस्प निबंध लिखना सीखना चाहिए। नीचे एक नज़र डालें। 

प्रदूषण निबंध 10 पंक्तियाँ (Pollution Essay 10 Lines in Hindi)

  • 1) प्रदूषण प्राकृतिक संसाधनों में कुछ अवांछित तत्वों को मिलाने की क्रिया है।
  • 2) प्रदूषण के मुख्य प्रकार वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और भूमि प्रदूषण हैं।
  • 3) प्रकृति के साथ-साथ मानवीय गतिविधियाँ, दोनों प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
  • 4) प्रदूषण के प्राकृतिक कारण बाढ़, जंगल की आग और ज्वालामुखी आदि हैं।
  • 5) प्रदूषण एक राष्ट्रीय नहीं बल्कि एक वैश्विक समस्या है।
  • 6) प्रदूषण को रोकने के लिए पुन: उपयोग, कम करना और पुनर्चक्रण सबसे अच्छे उपाय हैं।
  • 7) अम्ल वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग प्रदूषण के परिणाम हैं।
  • 8) प्रदूषण हमेशा जानवरों और इंसानों पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • 9) प्रदूषित हवा और पानी इंसानों और जानवरों में कई बीमारियों का कारण बनते हैं।
  • 10) हम पर्यावरण के अनुकूल संसाधनों और सौर पैनलों का उपयोग करके प्रदूषण को रोक सकते हैं।

प्रदूषण पर निबंध 100 शब्द (Pollution Essay 100 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण इन दिनों एक बड़ी समस्या बन गया है। तेजी से हो रहे औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण पर्यावरण जिसमें हवा, पानी और मिट्टी शामिल है, प्रदूषित हो गया है। वनों की कटाई और औद्योगीकरण के कारण, हवा अत्यधिक प्रदूषित हो रही है, और इससे ग्लोबल वार्मिंग हो रही है। आज सभी जल स्रोत अत्यधिक प्रदूषित हैं। कीटनाशकों और उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग ने मिट्टी को बुरी तरह प्रदूषित कर दिया है। पटाखों, लाउडस्पीकरों आदि का प्रयोग। हमारी सुनने की क्षमता को प्रभावित करता है प्रदूषण का हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। यह सिरदर्द, ब्रोंकाइटिस, हृदय की समस्याओं, फेफड़ों के कैंसर, हैजा, टाइफाइड, बहरापन आदि का कारण बनता है। प्रदूषण के कारण प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। हमें इस मुद्दे को गंभीरता और गंभीरता से लेना होगा।

प्रदूषण पर निबंध 150 शब्द (Pollution essay 150 Words in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) – यह एक बड़ी पर्यावरणीय समस्या है। जब पर्यावरण दूषित होता है तो प्रदूषण उत्पन्न होता है। पर्यावरण में तीन प्रमुख प्रकार के प्रदूषण हैं। मृदा प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण आदि।

प्रदूषण के कुछ प्रमुख कारण हैं, जैसे ईंधन वाहनों का अत्यधिक उपयोग, कृषि में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग।

प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य को बहुत बुरी तरह प्रभावित करता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है। वायु प्रदूषण से सांस संबंधी बीमारियां और फेफड़ों से जुड़ी अन्य समस्याएं होती हैं। जल प्रदूषण जल को प्रदूषित करता है। ध्वनि प्रदूषण से बीपी की समस्या और सुनने की समस्या होती है। यह तनाव का कारण भी बनता है। मृदा प्रदूषण से फसलों के उत्पादन में कमी आती है, हमें इसे रोकना चाहिए। उत्पादन को भी बनाए रखने के द्वारा। औद्योगिक कचरे का उचित उपचार, वर्षा जल की आपूर्ति का भंडारण, प्लास्टिक उत्पादों को कम करना और इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का उपयोग करना।इस प्रकार के उपाय करके हम प्रदूषण पर भी नियंत्रण कर सकते हैं।

इनके बारे मे भी जाने

  • Essay in Hindi
  • New Year Essay
  • New Year Speech
  • Mahatma Gandhi Essay
  • My Best Friend Essay
  • My School Essay

प्रदूषण पर निबंध 250 शब्दों में – 300 शब्दों में (Essay on pollution in Hindi)

प्रदूषण पर निबंध (Pollution Essay in Hindi ) प्रदूषण कई अलग-अलग रूपों में होता है। यह पूरी दुनिया में एक प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दा बन गया है। हवा, जमीन, मिट्टी, पानी आदि में कोई भी अप्रिय और अप्रिय परिवर्तन। प्रदूषण में योगदान देता है। ये सभी परिवर्तन रासायनिक, जैविक या भौतिक परिवर्तनों के रूप में हो सकते हैं। प्रदूषण फैलाने वाले माध्यम को प्रदूषक कहते हैं।

दुनिया में प्रदूषण को रोकने के लिए कई कानून बनाए गए हैं। भारत में पर्यावरण की सुरक्षा और उसकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए बनाया गया कानून पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 है।

आइए हम विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों पर विस्तार से एक नज़र डालें:

वायु प्रदुषण

जब पूरा वातावरण आर्थिक और औद्योगिक गतिविधियों के कारण निकलने वाली हानिकारक जहरीली गैसों से भर जाता है, तो इससे वायु और पूरा वातावरण प्रदूषित होता है। इससे वायु प्रदूषण होता है।

यह प्रदूषण का एक और प्रमुख रूप है जो प्रकृति के लिए बहुत विनाशकारी है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि पानी के प्राकृतिक स्रोत दिन-ब-दिन कम होते जा रहे हैं और इसने पानी को एक दुर्लभ वस्तु बना दिया है। दुर्भाग्य से, इन महत्वपूर्ण समय में भी, ये शेष जल स्रोत कई स्रोतों (जैसे औद्योगिक अपशिष्ट, कचरा निपटान आदि) से अशुद्धियों से दूषित हो रहे हैं, जो उन्हें मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त बनाता है।

कचरा प्रदूषण

जब लोग अपशिष्ट निपटान के उचित तंत्र का पालन नहीं करते हैं, तो इसका परिणाम कचरे का संचय होता है। यह बदले में कचरा प्रदूषण का कारण बनता है। इस समस्या का समाधान करने का एकमात्र साधन यह सुनिश्चित करना है कि अपशिष्ट निपटान के लिए एक उचित प्रणाली मौजूद है जो पर्यावरण को दूषित नहीं करती है।

ध्वनि प्रदूषण

ध्वनि प्रदूषण के पीछे सामान्य कारण उद्योग, योजनाओं और अन्य स्रोतों से आने वाली ध्वनि है जो अनुमेय सीमा से अधिक तक पहुँचती है। स्वास्थ्य और शोर के बीच एक सीधा संबंध है जिसमें उच्च रक्तचाप, तनाव से संबंधित आवास, श्रवण हानि और भाषण हस्तक्षेप शामिल हैं।

Pollution Essay से सबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs):

Q.1 प्रदूषण के प्रभाव क्या हैं.

A.1 प्रदूषण अनिवार्य रूप से मानव जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। यह हमारे द्वारा पीने वाले पानी से लेकर हवा में सांस लेने तक लगभग सभी चीजों को खराब कर देता है। यह स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों को नुकसान पहुंचाता है।

प्रश्न 2 प्रदूषण को कैसे कम किया जा सकता है?

उ.2 हमें प्रदूषण कम करने के लिए व्यक्तिगत कदम उठाने चाहिए। लोगों को चाहिए कि वे अपने कचरे को सोच समझकर विघटित करें, उन्हें अधिक से अधिक पेड़ लगाने चाहिए। इसके अलावा, जो कुछ वे कर सकते हैं उसे हमेशा रीसायकल करना चाहिए और पृथ्वी को हरा-भरा बनाना चाहिए।

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Pollution Problem And Solution Essay In Hindi

प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – Pollution Problem And Solution Essay In Hindi

प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – essay on pollution problem and solution in hindi.

“आज हमारा वायुमण्डल अत्यधिक दूषित हो चुका है, जिसकी वजह से मानव का जीवन खतरे में आ गया है। आज यूरोप के कई देशों में प्रदूषण इतना ज्यादा बढ़ गया है, जिसके कारण वहाँ कभी–कभी अम्ल–मिश्रित वर्षा होती है। ओस की बूंदों में भी अम्ल मिला रहता है। यदि समय रहते हुए हमने इस तरफ ध्यान नहीं दिया तो एक दिन विश्व में संकट छा जाएगा।”

–’खनन भारती से उद्धृत

साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं।

प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – Pradooshan Kee Samasya Aur Samaadhaan Par Laghu Nibandh

  • प्रदूषण का अर्थ,
  • विभिन्न प्रकार के प्रदूषण– (क) वायु–प्रदूषण, (ख) जल–प्रदूषण, (ग) रेडियोधर्मी प्रदूषण, (घ) ध्वनि–प्रदूषण, (ङ) रासायनिक प्रदूषण,
  • प्रदूषण पर नियन्त्रण,

प्रदूषण का अर्थ– प्रदूषण वायु, जल एवं स्थल की भौतिक, रासायनिक और जैविक विशेषताओं में होनेवाला वह अवांछनीय परिवर्तन है, जो मनुष्य और उसके लिए लाभदायक दूसरे जन्तुओं, पौधों, औद्योगिक संस्थानों तथा दूसरे कच्चे माल इत्यादि को किसी भी रूप में हानि पहुंचाता है।

जीवधारी अपने विकास और व्यवस्थित जीवनक्रम के लिए एक सन्तुलित वातावरण पर निर्भर करते हैं। सन्तुलित वातावरण में प्रत्येक घटक एक निश्चित मात्रा में उपस्थित रहते हैं। कभी–कभी वातावरण में एक अथवा अनेक घटकों की मात्रा कम अथवा अधिक हो जाया करती है या वातावरण में कुछ हानिकारक घटकों का प्रवेश हो जाता है। परिणामत: वातावरण दूषित हो जाता है, जो जीवधारियों के लिए किसी–न–किसी रूप में हानिकारक सिद्ध होता है। इसे ही प्रदूषण कहते हैं।

विभिन्न प्रकार के प्रदूषण–प्रदूषण की समस्या का जन्म जनसंख्या की वृद्धि के साथ–साथ हुआ है। विकासशील देशों में औद्योगिक एवं रासायनिक कचरे ने जल ही नहीं, वायु और पृथ्वी को भी प्रदूषित किया है। भारत जैसे देशों में तो घरेलू कचरे और गन्दे जल की निकासी का प्रश्न ही विकराल रूप से खड़ा हो गया है।

विकसित और विकासशील सभी देशों में विभिन्न प्रकार के प्रदूषण विद्यमान हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

(क) वायु–प्रदूषण–वायुमण्डल में विभिन्न प्रकार की गैसें एक विशेष अनुपात में उपस्थित रहती हैं। जीवधारी अपनी क्रियाओं द्वारा वायुमण्डल में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का सन्तुलन बनाए रखते हैं। अपनी श्वसन प्रक्रिया द्वारा हम ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते रहते हैं।

हरे पौधे प्रकाश की उपस्थिति में कार्बन डाइऑक्साइड लेकर ऑक्सीजन निष्कासित करते रहते हैं। इससे वातावरण में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का सन्तुलन बना रहता है, किन्तु मानव अपनी अज्ञानता और आवश्यकता के नाम पर इस सन्तुलन को बिगाड़ता रहता है। इसे ही वायु–प्रदूषण कहते हैं।

वायु–प्रदूषण का मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे श्वास सम्बन्धी बहुत–से रोग हो जाते हैं। इनमें फेफड़ों का कैंसर, दमा और फेफड़ों से सम्बन्धित दूसरे रोग सम्मिलित हैं। वायु में विकिरित अनेक धातुओं के कण भी बहुत–से रोग उत्पन्न करते हैं। सीसे के कण विशेष रूप से नाडीमण्डल सम्बन्धी रोग उत्पन्न करते हैं।

कैडमियम श्वसन–विष का कार्य करता है, जो रक्तदाब बढ़ाकर हृदय सम्बन्धी बहुत–से रोग उत्पन्न कर देता है। नाइट्रोजन ऑक्साइड से फेफड़ों, हृदय और आँखों के रोग हो जाते हैं। ओजोन नेत्र–रोग, खाँसी ए की दुःखन उत्पन्न करती है। इसी प्रकार प्रदूषित वायु एग्जीमा तथा मुँहासे आदि अनेक रोग उत्पन्न करती है।

(ख) जल–प्रदूषण–सभी जीवधारियों के लिए जल बहुत महत्त्वपूर्ण और आवश्यक है। पौधे भी अपना भोजन जल के माध्यम से ही प्राप्त करते हैं। जल में अनेक प्रकार के खनिज तत्त्व, कार्बनिक–अकार्बनिक पदार्थ तथा गैसें घुली रहती हैं। यदि जल में ये पदार्थ आवश्यकता से अधिक मात्रा में एकत्र हो जाते हैं तो जल प्रदूषित होकर हानिकारक हो जाता है।

केन्द्रीय जल– स्वास्थ्य इंजीनियरिंग अनुसन्धान संस्थान’ के अनुसार भारत में प्रति 1,00,000 व्यक्तियों में से 360 व्यक्तियों की मृत्यु आन्त्रशोथ (टायफाइड, पेचिश आदि) से होती है, जिसका कारण अशुद्ध जल है। शहरों में भी शत–प्रतिशत निवासियों के लिए स्वास्थ्यकर पेयजल का प्रबन्ध नहीं है।

देश के अनेक शहरों में पेयजल किसी निकटवर्ती नदी से लिया जाता है और प्रायः इसी नदी में शहर के मल–मूत्र और कचरे तथा कारखानों से निकलनेवाले अवशिष्ट पदार्थों को प्रवाहित कर दिया जाता है, परिणामस्वरूप हमारे देश की अधिकांश नदियों का जल प्रदूषित होता जा रहा है।

(ग) रेडियोधर्मी प्रदूषण–परमाणु शक्ति उत्पादन केन्द्रों और परमाणु परीक्षण के फलस्वरूप जल, वायु तथा पृथ्वी का प्रदूषण निरन्तर बढ़ता जा रहा है। यह प्रदूषण आज की पीढ़ी के लिए ही नहीं, वरन् आनेवाली पीढ़ियों के लिए भी हानिकारक सिद्ध होगा। परमाणु विस्फोट के समय उत्पन्न रेडियोधर्मी पदार्थ वायुमण्डल की बाह्य परतों में प्रवेश कर जाते हैं, जहाँ पर वे ठण्डे होकर संघनित अवस्था में बूंदों का रूप ले लेते हैं और बहुत छोटे–छोटे धूल के कणों के रूप में वायु के झोंकों के साथ समस्त संसार में फैल जाते हैं।

द्वितीय महायुद्ध में नागासाकी तथा हिरोशिमा में हुए परमाणु बम के विस्फोट से बहुत–से मनुष्य अपंग हो गए थे। इतना ही नहीं, इस प्रकार के प्रभावित क्षेत्रों की भावी सन्तति भी अनेक प्रकार के रोगों से ग्रस्त हो गईं।

(घ) ध्वनि–प्रदूषण–अनेक प्रकार के वाहन; जैसे मोटरकार, बस, जेट विमान, ट्रैक्टर, लाउडस्पीकर बाजे एवं कारखानों के सायरन व विभिन्न प्रकार की मशीनों आदि से ध्वनि–प्रदूषण उत्पन्न होता है। ध्वनि की तरंगें जीवधारियों की क्रियाओं को प्रभावित करती हैं।

अधिक तेज ध्वनि से मनुष्य के सुनने की शक्ति का ह्रास होता है और उसे ठीक प्रकार से नींद भी नहीं आती। यहाँ तक कि ध्वनि–प्रदूषण के प्रभावस्वरूप स्नायुतन्त्र पर कभी–कभी इतना दबाव पड़ जाता है कि पागलपन का रोग उत्पन्न हो जाता है।

(ङ) रासायनिक प्रदूषण–प्रायः कृषक अधिक पैदावार के लिए कीटनाशक, शाकनाशक और रोगनाशक दवाइयों तथा रसायनों का प्रयोग करते हैं। इनका स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है। आधुनिक पेस्टीसाइड्स का अन्धाधुन्ध प्रयोग भी लाभ के स्थान पर हानि ही पहुँचा रहा है।

जब ये रसायन वर्षा के जल के साथ बहकर नदियों द्वारा सागर में पहुँच जाते हैं तो ये समुद्री जीव–जन्तुओं तथा वनस्पति पर घातक प्रभाव डालते हैं। इतना ही नहीं, किसी–न–किसी रूप में मानव–शरीर भी इनसे प्रभावित होता है।

प्रदूषण पर नियन्त्रण– पर्यावरण में होनेवाले प्रदूषण को रोकने व उसके समुचित संरक्षण के लिए विगत कुछ वर्षों से समस्त विश्व में एक नई चेतना उत्पन्न हुई है। औद्योगीकरण से पूर्व यह समस्या इतनी गम्भीर कभी नहीं हुई थी और न इस परिस्थिति की ओर वैज्ञानिकों व अन्य लोगों का उतना ध्यान ही गया था, किन्तु औद्योगीकरण और जनसंख्या दोनों ही की वृद्धि ने संसार के सामने प्रदूषण की गम्भीर समस्या उत्पन्न कर दी है।

प्रदूषण को रोकने के लिए व्यक्तिगत और सरकारी दोनों ही स्तरों पर प्रयास आवश्यक हैं। जल–प्रदूषण के निवारण एवं नियन्त्रण के लिए भारत सरकार ने सन् 1974 ई० से ‘जल–प्रदूषण निवारण एवं नियन्त्रण अधिनियम’ लागू किया है।

इसके अन्तर्गत एक ‘केन्द्रीय बोर्ड’ व सभी प्रदेशों में ‘प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड’ गठित किए गए हैं। इन बोर्डों ने प्रदूषण नियन्त्रण की योजनाएँ तैयार की हैं तथा औद्योगिक कचरे के लिए भी मानक निर्धारित किए हैं।

उद्योगों के कारण उत्पन्न होनेवाले प्रदूषण को रोकने के लिए भारत सरकार ने हाल ही में एक महत्त्वपूर्ण निर्णय यह लिया है कि नए उद्योगों को लाइसेंसू दिए जाने से पूर्व उन्हें औद्योगिक कचरे के निस्तारण की समुचित व्यवस्था तथा पर्यावरण विशेषज्ञों से स्वीकृति भी प्राप्त करनी ग्री। इसी प्रकार उन्हें धुएँ तथा अन्य प्रदूषणों के समुचित ढंग से निष्कासन और उसकी व्यवस्था का भी दायित्व लेना होगा।

वनों की अनियन्त्रित कटाई को रोकने के लिए कठोर नियम बनाए गए हैं। इस बात के प्रयास किए जा रहे हैं कि नए वनक्षेत्र बनाए जाएँ और जनसामान्य को वृक्षायण के लिए प्रोत्साहित किया जाए। पर्यावरण के प्रति जागरूकता से ही हम आनेवाले समय में और अधिक अच्छा एवं स्वास्थ्यप्रद जीवन व्यतीत कर सकेंगे और आनेवाली पीढ़ी को प्रदूषण के अभिशाप से मुक्ति दिला सकेंगे।

उपसंहार– जैसे–जैसे मनुष्य आपदी वैज्ञानिक शक्तियों का विकास करता जा रहा है, प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है। विकसित देशों द्वारा वातावरण का प्रदूषण सबसे अधिक बढ़ रहा है।

यह एक ऐसी समस्या है, जिसे किसी विशिष्ट क्षेत्र या राष्ट्र की सीमाओं में बाँधकर नहीं देखा जा सकता। यह विश्वव्यापी समस्या है, इसलिए सभी राष्ट्रों का संयुक्त प्रयास ही इस समस्या से मुक्ति पाने में सहायक हो सकता है।

पर्यावरणीय प्रदूषण पर भाषण Speech on Environmental Pollution in Hindi

आप सभी ने टीवी पर, अखबारों में या फिर अन्य स्रोतों से यह तो सुना ही होगा कि पर्यावरण बहुत अधिक बढ़ गया है और इसके परिणाम बहुत भयावह है। सबसे पहले तो यह सवाल की प्रदूषण होता क्या है?

जल प्रदूषण, जल के प्रदूषित होने के कारण होता है । वायु प्रदूषण , वायु मे वो विभिन्न तरह के अशुद्ध रासायनिक समीकरण मिश्रित होने के कारण होता है उसी तरह अन्य प्रदूषण जैसे कि थल प्रदूषण , थल के अशुद्ध होने के कारण होता हैं । प्रदूषण का आखिरी प्रकार पर्यावरणीय प्रदूषण है । पर्यावरण सभी कारकों से मिलकर बना है ।

डायनासोर, यह नाम आपने सुना होगा। बचपन के दौरान कॉमिक्स में और युवावस्था के दौरान किताबों में। डायनासोर विलुप्त हो गए उसका प्रमुख कारण था, पृथ्वी का तापमान असमान रूप से बढ़ना और पर्यावरण का उनके प्रति अनुकूल न होना।

आदरणीय श्रोताओं यह सभी पर्यावरणीय प्रदूषण के दुष्परिणाम थे, लेकिन मैं आपको केवल दुष्परिणामों से ही अवगत नहीं कराउंगा। मैं आपको पर्यावरणीय प्रदूषण के कारणों से भी अवगत कराउँगा।

पर्यावरण का दूसरा एवं प्रमुख कारण है वनोन्मूलन । बीते दशकों में यह देखा गया है कि वृक्षों की अंधाधुंध कटाई की जाती है और उनके स्थान पर वृक्षारोपण भी बिल्कुल नहीं किया जाता। वृक्ष पर्यावरण का एक अभिन्न हिस्सा है एवं वे पर्यावरण में मौजूद अन्य सभी घटकों के जीवन का आधार भी हैं।

पर्यावरण प्रदूषण का चौथा कारण है प्रदूषित धरा । पर्यावरण धरा पर उपस्थित है चाहे वो पर्यावरण का कोई भी हिस्सा क्यूं न हो वो सब धरा पर उपस्थित है । धरा के प्रदूषित होने से पेड़ों के विकास एवं आरोपण में समस्या होगी और यह समस्या सम्पूर्ण पर्यावरण को नुकसान पहुंचाएगी । 

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पर्यावरण प्रदूषण और इसके विभिन्न प्रकार

Environmental Pollution in Hindi : ईश्वर ने इस पृथ्वी कि रचना इस प्रकार से कि हैं की इस पर जीवन संतुलित रूप से चलता रहे। धरती का संतुलन बनाने में वायु, भूमि, जल, वनस्पति, पशु-पक्षी और पेड़-पौधों के साथ साथ मनुष्यों का अहम योगदान हैं। लेकिन दुर्भाग्य से धरती पर असंतुलन के कारन आज पर्यावरण प्रदूषण जैसी विकट परिस्थिति पैदा हो गयी हैं। जो की हम मनुष्यों के साथ-साथ अन्य प्राणियों के लिए भी खतरे कि घंटी हैं।

पिछले कुछ वर्षों कि तुलना में आज पर्यावरण को नुकसान अधिक हो रहा हैं। जहाँ पहले पेड़-पौधों, खेत व जल स्रोतों कि संख्या अधिक थी, वहीँ अब उसकी जगह बड़े बड़े मकान, उद्योग और फैक्ट्रियों ने ले ली हैं। बड़े-बड़े बिल्डर भी अधिक से अधिक जंगलों कि कटाई करके वहां कॉलोनियां बसा रहे हैं, जिसकी वजह से पर्यावरण में बहुत ही नुकसान हो रहा हैं। सड़कों पर पहले कि तुलना में वाहनों कि संख्या में भी भारी इजाफा हुआ हैं। यह भी एक बड़ा कारण है।

Environmental Pollution in Hindi

निरंतर हमारे आसपास का वातावरण दूषित होता जा रहा हैं। वायु के साथ साथ जल प्रदूषण का स्तर भी तेजी से बढ़ रहा हैं, इन सबके साथ-साथ जगह जगह कचरे कि बदबू व ध्वनि यंत्रों कि तेज आवाजें निरंतर पर्यावरण को दूषित करने के काम काम कर रहे हैं।

आज बड़े-बड़े शहरों के साथ छोटे शहर व गाँवों में भी प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा हैं। आपको यह जानकारी होनी चाहिए कि इन सबके ही कारण स्वास्थ्य से संबंधित कई नयी व पुरानी बीमारियाँ व्यापक रूप से फ़ैल रही है। इसके लिए हम सभी को नए सिरे से और सृजनात्मक विचारधारा के साथ इसका स्थायी समाधान खोजने कि जरुरत हैं। इसके लिए हम इस आर्टिकल में पर्यावरण प्रदूषण (Environmental pollution) के निवारण से सम्बन्धित ऐसे उपायों के बारे में चर्चा करेंगे।

Read Also: पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित करते नारे

पर्यावरण प्रदूषण और इसके प्रकार – Environmental Pollution in Hindi

प्रदूषण क्या है.

आपके मन में यह सवाल जरुर आता होगा कि प्रदूषण का अर्थ क्या हैं? अथवा प्रदूषण क्या है? (Environmental Pollution in Hindi) तो इसका उत्तर यह हैं जब पर्यावरण में कोई भी पदार्थ कि मात्र सामान्य से अधिक हो जाती हैं तब वह पर्यावरण को दूषित करने का काम करता हैं। ऐसे में उसे प्रदूषण कहा जाता हैं।

नदियों का पानी दूषित हो जाता हैं तब वह मानव उपयोग के लिए असुरक्षित होता हैं, अधिक धुआं व धुल के कारण हमारे आसपास कि वायु दूषित हो जाती है उसे वायु प्रदूषण कहते हैं। वायु के दूषित होने से स्वांस लेने में परेशानी होने लगती हैं।

आप जानते होंगे कि फैक्ट्रियों और चिमनियों के धुंए के कारण वायु में प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता हैं। उद्योगों के कारण मृदा भी प्रदूषित होती है, इसके अलावा ध्वनि भी वातावरण को दूषित करने का काम करती है।

प्रदूषक क्या होता है?

जिन प्रदार्थों के कारण प्रदूषण होता हैं, उसको प्रदूषक कहते हैं। इसको गलत जगह, समय और मात्रा के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता हैं। प्रदूषक मानव स्वास्थ के लिए हानिकारक होते हैं। हमारे नदी में नहाने और कपड़े धोने कि वजह से शरीर से निकला मैल व कपड़ों के साबून के नदियों में जाने से नदियों का जल भी प्रदूषित हो जाता हैं।

प्रदूषण के प्रकार – Types of Pollution in Hindi

प्रदूषण का वर्गीकरण (Environmental Pollution in Hindi) निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है:

  • वायु प्रदूषण
  • मृदा प्रदूषण 
  • ध्वनी प्रदूषण

वायु प्रदूषण क्या है – Air Pollution in Hindi

वायु प्रदूषण प्रस्तावना – Environmental Pollution in Hindi

हम सबको ज्ञात हैं की मानव जीवन के लिए आक्सीजन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, केवल मानव जीवन ही क्यों सभी प्राणियों के लिए आक्सीजन आवश्यक चीज है। हम ऑक्सीजन को स्वांस के रूप में लेते हैं और कार्बनडाईऑक्साइडओक्सिद को छोड़ते है। पेड़ पौधों में यही प्रक्रिया उलटी होती हैं। वे दिन के समय कार्बडाईआक्साइड ग्रहण करते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं।

इससे वायु में ऑक्सीजन तथा कार्बनडाईआक्साइड का संतुलन बना रहता हैं। वर्तमान में अधिकांश जगह अलग-अलग प्रकार के प्रदूषक होते है जो मानव स्वास्थ के लिए नुकसानदायक होते हैं।

वायु प्रदूषण के स्रोत – Sources of Air Pollution in Hindi

मनुष्य कि अनेक गतिविधियाँ वायु प्रदूषण का कारण होती हैं, इसलिए इनकी विशेष रूप से जांच होनी चाहिए। वायु प्रदूषण जैसे वाहनों से निकलने वाले धुंए, पटाखों के जलने और कोयले आदि के धुंए से कई क्षेत्रों में जहरीला पदार्थ फैलता है।

अगर वास्तविक सच्चाई देखी जाये तो इस प्रदूषण का मुख्य कारण मनुष्य खुद ही हैं। इसके अलावा कुछ ऐसे प्राकृतिक स्रोत भी जिसके कारण प्रदूषण फैलता हैं, जैसे ज्वालामुखी, जंगलों में लगने वाला आग जो कि वायु के साथ फैलकर प्रदूषण फैलाती हैं, हालाँकि यह मनुष्य के द्वारा फैलने वाले प्रदूषण कि तुलना में बेहद कम हैं।

वायु प्रदूषण के प्रभाव – Chief Air Pollutant & their effects in Hindi

आइए, अब vayu pradushan के कुछ प्रभावों के बारे में विस्तार से चर्चा करते है।

पेड़-पौधों में भोजन प्रणाली सूर्य के प्रकाश के कारण संचालित होती है। ऐसे में जब प्रदूषण होता हैं तो पेड़ पौधों के पत्तियों के छिद्र बंद हो जाते है और उनकी स्वांस लेने कि प्रक्रिया बंद हो जाती है। जैसा कि हमने पहले चर्चा कि हैं कि मनुष्य कि स्वांस प्रणाली में पेड़ पौधों का अहम योगदान होता हैं, ऐसे में मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए एक प्रकार से यह खतरा साबित होते है।

क्‍या आप जानते हैं?

1990-91 में खाड़ी युद्ध के दौरान तेल के कुओं में आग लग गयी थी। इससे अधिक मात्रा में धुआं निकला था जिस वजह से वहां के आसपास के तापमान का स्तर बढ़ गया था। इसके साथ ही बड़ी मात्रा में वनस्पति नष्ट हो जाने के साथ प्राकृतिक सौन्दर्य भी समाप्त हो गया था।

वायु प्रदूषण के निवारण –  Air pollution prevention measures in Hindi

यदि हम नीचे दिए गये उपायों के सम्बन्ध में विचार करेंगे, तो जरुर इस प्रदूषण को नियंत्रित कर सकते हैं।

  • घर के अंदर धुंए तो बाहर निकलने के लिए चूल्हे पर बड़ी चिमनी का प्रयोग करें, और धुंए रहित चूल्हे का उपयोग करें।
  • आप घर में बायोगैस का प्रयोग कर सकते हैं, यहाँ धुआं रहित इंधन हैं।
  • सूर्य कि उर्जा से चलने वाला सौलर कुकर भी इसमें बहुत उपयोगी हैं।
  • बड़ी फैक्ट्रियों के चिमनियों में फिल्टर होने चाहिए ताकि विषैले पदार्थ बाहर हवा में न फैलकर अंदर ही रह जाएं।
  • जहाँ रिहायशी इलाके हो वहां फैक्ट्रियों को लगाने कि इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
  • वाहनों पर ऐसे यंत्र लगने चाहिए, जिनसे वाहनों के धुंए में प्रदूषक पदार्थों कि मात्रा कम हो सके।
  • सीसा रहित पेट्रोल का प्रयोग तथा सीएनजी का अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए।
  • कूड़े-कचरे का निपटन साफ़ तरीके से करना चाहिए, ना कि उसे जलाना चाहिए। इसका प्रयोग भूमि भराव में भी किया जा सकता हैं।
  • वातावरण में धुल न उड़े इसके लिए पक्की सडकों का निर्माण होना चाहिए। ताकि हवा साफ़ रह सके।
  • वातावरण को शुद्ध रखने में वृक्षों का अहम योगदान होता हैं, इसलिए अधिक से अधिक वृक्ष लगाने चाहिए।
  • मृदा को सुरक्षित रखने के लिए पूरे साल कोई न कोई फसल उगाते रहना चाहिए।

जल प्रदूषण क्या है – Water Pollution in Hindi

जल प्रदूषण का अर्थ – Environmental Pollution in Hindi

आमतौर पर हमारे घरों में उपलब्ध होने वाला पेय जल सुरक्षित व कीटाणु रहित होता है। क्योंकि इसे नगर निगम प्राधिकारियों द्वारा फिल्टर करने के बाद ही घरों में आपूर्ति के लिए भेजा जाता हैं। इस पानी कि यह विशेषता होती हैं कि इसमें कोई गंध, स्वाद, कीटाणु व धूल नहीं होती हैं। यह पानी पीने के लिए उपयुक्त होता।

हर प्रकार का जल पीने योग्य नहीं होता हैं। आमतौर पर घर में अन्य कार्यों के लिए उपयोग होने वाला जल भी सुरक्षित नहीं होता हैं। न पीने योग्य पानी में ठोस कण पाए जाते हैं जो पानी को दूषित करते हैं।

क्या आप जानते हैं?

प्रदूषित जल रंगयुक्त हो सकता है इसमें धूल के कण हो सकते हैं, इसमें दुर्गन्ध हो सकती है और इसमें स्वाद भी हो सकता है।

जल प्रदूषण के स्रोत

इन वस्तुओं को जल में डालने के कारण जल प्रदूषित हो जाता है।

घरेलू अपशिष्ट – Domestic effluents

अलग-अलग प्रकार कि घरेलु गतिविधियों के कारण घरेलु अपशिष्ट पैदा होता हैं। वही जल जब नदियों व तालाबों के आसपास फैलता हैं या उनमें जाकर मिलता हैं तो नदियों का साफ़ पानी भी दूषित हो जाता हैं।

ओद्योगिक अपशिष्ट – Industrial effluents

विभिन्न प्रकार कि फैक्टरियों से निकलने वाला हानिकारक जल तालाबों व नदियों तथा समुन्द्रों में मिलता हैं तो इससे भी जल प्रदुषण होता है।

कृषि अपशिष्ट – Agricultural effluents

सामान्य तौर पर कृषि में रासायनिक खाद व कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता हैं वर्ष के दौरान खेतों में बहने वाला कटाव वाला पानी साफ़ जल्द में मिल जाता हैं। बाद में वही जल नदियों, तालाबों में मिल जाता हैं, जो जल्द प्रदूषण का कारण बनता हैं।

तेल का रिसाव – Oil Pollution

कई बार ऐसा होता हैं कि तेल के टैंकरों से तेल का रिसाव होता हैं, जिसकी वजह से समुन्द्र का पानी दूषित हो जाता हैं और उसमें मौजूद समुंद्री जीव व पौधों के लिए नुकसानदायक होता है।

जल प्रदूषण के प्रभाव – Harmful effects of water pollution in Hindi

जो भी प्रदूषित जल का सेवन करते है, वे सभी इस जल प्रदूषण से प्रभावित होते हैं। उनमें से मनुष्य, पशु और पेड़-पौधे शामिल हैं। कई बार महामारियां फैलती हैं, जिसका मुख्य कारण जल प्रदूषण भी होता हैं।

पानी में रहने वाले जीव और पेड़-पौधे भी समुंद्री जल के दूषित होने से प्रभावित होते हैं। क्योंकि समुन्द्र के पानी में ऑक्सीजन कि मात्रा कम हो जाती हैं इससे समुन्द्र में मौजूद जीव मर जाते हैं।

जल प्रदूषण के निवारण – Water pollution prevention and control in Hindi

Jal Pradushan को रोकने के लिए नीचे कुछ उपाय दिए गये हैं, जो उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं।

  • हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्वच्छ जल स्रोत में गन्दा जल न मिले।
  • उद्योगों को वेस्ट जल को नदियों व तालाबों में डालने कि अनुमित नहीं देनी चाहिए।
  • जल स्रोत के पास और खुले में शौच नहीं करना चाहिए और इसके लिए शौचालय का ही प्रयोग करना चाहिए।
  • स्वच्छ जल स्रोतों के नजदीक नहाना, कपड़े धोना तथा पशुओं को नहलाना नहीं चाहिए इसके लिए विशेष रूप से बनाये गये स्रोतों का ही प्रयोग करना चाहिए।
  • कचरे को समुन्द्रों व नदियों में नहीं डालना चाहीये।
  • जल स्रोत के रूप में उपयोग लाये जाने वाले तालाब या कुएं के चारों और पक्की फर्श व मुंडेर होनी चाहिए।

मृदा प्रदूषण क्या है – Soil Pollution in Hindi

भौतिक, रासायनिक व जैविक रूप से होने वाले परिवर्तन को मृदा प्रदूषण हैं जो जीवों पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं। फैक्ट्रियों के अपशिष्ट को फेंका जाता हैं तब मृदा प्रदूषित हो जाती हैं इससे वह भूमि बंजर बन जाती हैं।

इसके अलावा भूमि में अत्यधिक मात्रा में कीटनाशकों व उर्दरकों का प्रयोग करने से यह पौधों व फलों और सब्जियों में मिल जाते हैं। इसके बाद वही रसायन हमारे भोजन के माध्यम से पेट में जाकर पाचनतंत्र को नुकसान पहुंचाता हैं।

हमारे देश में खुले में शौच और पेशाब करना सामान्य बात हैं, इसमें मौजूद कीटाणु मृदा को दूषित कर देते हैं। बारिश के समय वही मृदा स्वच्छ जल स्रोतों में जाकर मिल जाती हैं जिससे, साफ़ जल भी दूषित हो जाता हैं।

मृदा प्रदूषण के निवारण – Soil pollution control and prevention measures in Hindi

यहाँ हम मृदा प्रदूषण के कुछ निवारणों के बारे में चर्चा करेंगे जो इस प्रकार हैं।

कूड़े-कचरे का उचित निपटान

घर में ढक्कनयुक्त कूड़े दान का प्रयोग करना चाहिए, ताकि इस पर मक्खियाँ, मच्छर व कॉकरोच पैदा न हो सके। इसके साथ कूड़े के निपटान के लिए घरमे उचित व्यवस्था होनी चाहिए।

कूड़े-कचरे का निपटान शहर से बाहर करना

घर के अपशिष्ट पदार्थों को गड्ढे में भर दिया जाता है और इन्हें टहनियों और पौधों से ढक दिया जाता हैं ताकि इन पर मक्खियाँ और मच्छर न पनप सकें। जब ये गड्ढे भर जाते हैं तो इन्हें मिट्टी से ढक दिया जाता है।

खाद बनाना (कंपोस्टिंग)

घर के बगीचे में कूड़े को एक जगह गड्ढा खोदकर डाल देना चाहिए और उसे राख और पत्तियों से ढक देना चाहिए। धीरे-धीरे इसके नीचे कि परतें खाद बनती जाती है, बाद में उस खाद को बागवानी के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता हैं।

कूड़े-कचरे को जलाना

कूड़े-कचरे को इकठ्ठा जला देना उचित समाधान हैं, इसे कचरे कि मात्रा कम हो जाती हैं और उसमें मौजूद रोगाणु समाप्त हो जाते हैं।

कूड़े से निपटने के लिए भस्मीकरण तरीका बहुत अच्छा हैं लेकिन यह महंगा हैं, इसमें भारी मात्रा में इंधन का इस्तेमाल होता हैं। इसमें एक भट्टी में कचरा भरकर जला दिया जाता हैं। धीरे-धीरे कचरा राख के छोटे-छोटे ढेर में बदल जाता हैं।

हालाँकि ऊपर बताये गये तरीकों में से कोई भी कचरे से निपटने के लिए उचित तरीका नहीं हैं। प्रय्तेक तरीके के अपने-अपने गुण और दोष हैं। लेकिन हम घरों से निकलने वाले कचरे के सम्बन्ध में आसपास के लोगों को शिक्षित करके वातावरण को साफ़ सुधरा रख सकते हैं।

मृदा प्रदूषण को नियंत्रित करने के कुछ अन्य उपाय हैं:

  • स्वच्छ शौचालयों का प्रयोग
  • कीटनाशक तथा उर्वरकों का सीमित प्रयोग
  • पर्यावरणसहिष्णु वस्तुओं का प्रयोग

ध्वनि प्रदूषण क्या है

ध्वनि यंत्रों को तेज आवाज में चलाने से ध्वनि प्रदुषण फैलता हैं। जब भी हम संगीत अथवा मित्रों के साथ तो वार्ता का आनंद लेते हैं, लेकिन जब मशीनों और लाउडस्पीकर के शोर और यातायात कि ध्वनि सुनते हैं तो इसकी आवाज अधिक होती हैं। यह ध्वनि परेशान कर देने वाली होती हैं। और इससे ध्वनि प्रदूषण फैलता है।

ध्वनि प्रदूषण के स्रोत

अपने आस-पास देखिए और पहचानिए कि dhwani pradushan ध्वनि प्रदूषण के कौन-कौन से स्रोत आपके आस-पास विद्यमान हैं। इसमें से कुछ स्रोत इस प्रकार हो सकते हैं:

  • मोटर-वाहन, रेलगाड़ियाँ और विमान
  • लाउडस्पीकर, रेडियों तथा टेलीविजन, जब वे ऊँची आवाज में चल रहे हों।
  • उद्योग तथा मशीनें

ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव

लम्बे समय तक तेज आवाजें सुनते रहने से हमारे कानों कि नसों पर दबाव बनने लगता हैं और सिरदर्द होता हैं। निरंतर ऐसा होने से धीरे-धीरे हमारे सुनने कि क्षमता कम हो जाती है। अक्सर ऐसा देखा गया हैं जो लोग फैक्ट्रियों में काम करते है या ड्राईवर, पायलट ये लोग अधिक आवाज सुनने के आदि होते हैं उनको धीमी आवाजें कम सुनाई देती है।

उनके कान का परदा खराब हो जाता है और कभी- कभी वे बहरे भी हो जाते हैं। अधिक शोर के कारण तनाव बढ़ता है और मानसिक अस्थिरता की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।

ध्वनि प्रदूषण के निवारण

ध्वनि प्रदूषण पर हम पूरी तरह से तो छुटकारा नहीं पा सकते हैं, किन्तु कुछ निश्चित रूप से इसकी मात्रा को कम कर सकते हैं। इसके लिए कुछ सुझाव इस प्रकार से है।

  • रेडियो तथा टेलीविजन धीमी आवाज में चलाना।
  • लाउडस्पीकर इस्तेमाल न करना।
  • अत्यंत आवश्यक होने पर ही वाहन का हॉर्न बजाना।
  • फैक्टरियों को रिहायशी इलाकों से दूर बनाना।
  • हवाईअड्डों का निर्माण शहर से बाहर करना।

इस लेख “Environmental Pollution in Hindi” में आपने विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों तथा सभी जीवों पर उनके हानिकारक प्रभावों का अध्ययन किया है। आप इन प्रदूषणों को नियंत्रित करने के कुछ उपायों के बारे में भी जान चुके हैं। इतने अध्ययन के बाद हम यह कह सकते हैं कि प्रदूषण को पूरी तरह से नियंत्रण में करना हमारे ही हाथ में है।

इन छोटे-छोटे प्रयासों से हम लोगों को अंधेपन व साँस के रोगों से बचा सकते हैं। हमारा यह भी कर्तव्य है कि हम ध्वनि के प्रदूषण को भी बहुत कम कर दें और लोगों को बहरा होने तथा मानसिक तनावों से बचा लें। हम जल प्रदूषण को राकने के लिए सख्त नियम बना सकते हैं और इस प्रकार लोगों को दस्त, आंत्रशोथ तथा हेपेटाइटिस जैसे रोगों से बचा सकते हैं।

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Rahul Singh Tanwar

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दा इंडियन वायर

प्रदूषण पर भाषण

speech on pollution in hindi

By विकास सिंह

speech on pollution in hindi

पूरी दुनिया में प्रदूषण एक बड़ा पर्यावरणीय मुद्दा रहा है। यह मानव और अन्य जीवित प्राणियों को काफी हद तक प्रभावित कर रहा है। इसे सबसे शक्तिशाली दानव का रूप ले लिया गया है जो प्राकृतिक पर्यावरण को बहुत तेजी से नष्ट कर रहा है।

हमने प्रदूषण पर विभिन्न भाषण नीचे दिए हैं ताकि छात्रों को किसी भी समारोह में स्कूल में भाषण पाठन गतिविधि में सक्रिय रूप से भाग लेने में मदद मिल सके। नीचे दिए गए सभी प्रदूषण भाषण छात्रों के लिए बहुत आसान शब्दों और छोटे वाक्यों का उपयोग करके लिखे गए हैं। तो, आप अपनी आवश्यकता और पसंद के अनुसार प्रदूषण पर किसी भी भाषण का चयन कर सकते हैं:

प्रदूषण पर भाषण, Speech on pollution in hindi -1

सभी को सुप्रभात। इस अवसर पर प्रदूषण पर भाषण देना चाहूंगा। मेरे प्यारे दोस्तों, पर्यावरण प्रदूषण और मानव जीवन को प्रभावित करने वाली सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक रहा है। यह आज पूरे विश्व में लोगों द्वारा सामना किया जाने वाला एक पर्यावरणीय मुद्दा है। विभिन्न स्रोतों से खतरनाक और विषाक्त पदार्थों की विविधता पर्यावरण में अंतर हो रही है और विभिन्न प्रकार के प्रदूषण जैसे जल, वायु, मिट्टी प्रदूषण या भूमि प्रदूषण , शोर प्रदूषण और थर्मल प्रदूषण का कारण बन रही है।

उद्योगों और कारखानों से निकलने वाले धुएँ और जहरीली धूल हवा में मिल जाती है और वायु प्रदूषण का कारण बनती है। जब हम हवा में सांस लेते हैं तो ऐसी प्रदूषित हवा फेफड़ों के लिए बहुत खराब होती है। उद्योगों और कारखानों से निकलने वाले मल और अन्य अपशिष्ट सीधे बड़े जलस्रोतों (नदी, झीलों, समुद्रों आदि) में जाते हैं।

इससे वे पीने के पानी में मिल जाते हैं। जल से जल प्रदूषण होता है। ऐसा प्रदूषित पानी (जिसमें कीटाणु, बैक्टीरिया, विषैले पदार्थ, वायरस, आदि) मनुष्य, जानवरों और पौधों (जो भी इस पानी को पीते हैं) के स्वास्थ्य के लिए बहुत खराब है।

आजकल परिवहन, ध्वनि प्रणाली, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों आदि के माध्यम से बढ़ते शोर के स्तर के कारण पर्यावरण शांतिपूर्ण नहीं है, इस तरह की आवाज़ें ध्वनि प्रदूषण का कारण बन रही हैं और हमारे कानों की प्राकृतिक सहनशक्ति को खराब कर रही हैं। वाहनों के अत्यधिक और असहनीय शोर, लाउड स्पीकर, आदि कान की समस्याओं और विशेष रूप से वृद्ध लोगों और बच्चों में स्थायी बहरापन का कारण बन सकते हैं।

जब भी लोग जड़ी बूटी, कीटनाशक, फसल उर्वरक आदि का प्रयोग करते हैं या उद्योगों और कारखानों जैसे हाइड्रोकार्बन, सॉल्वैंट्स, भारी धातुओं आदि से मानव निर्मित रसायन मिट्टी में मिल जाते हैं, । ठोस, तरल या गैस के रूप में ऐसे प्रदूषक मिट्टी या भूमि प्रदूषण का कारण बन रहे हैं जो पूरी पृथ्वी को दूषित कर रहे हैं। ऐसे दूषित जल और वायु प्रदूषण भी पैदा कर रहे हैं क्योंकि वे पानी की आपूर्ति के नीचे मिश्रित हो जाते हैं और कुछ रसायन क्रमशः हानिकारक वाष्प उत्पन्न करते हैं।

कभी लोगों द्वारा प्लास्टिक के उपयोग को बढ़ाने से पर्यावरण स्तर पर भारी प्रदूषण हो रहा है और वन्यजीवों, वन्यजीवों के आवास और मनुष्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। बिजली संयंत्रों और औद्योगिक निर्माताओं द्वारा शीतलक के रूप में पानी के विशाल स्तर के उपयोग के कारण थर्मल प्रदूषण बढ़ रहा है। यह बड़े जल निकायों में पानी के तापमान में बदलाव का कारण बन रहा है। यह जलीय जानवरों और पौधों के लिए बहुत हानिकारक है क्योंकि पानी का बढ़ा हुआ तापमान पानी के ऑक्सीजन स्तर को कम कर देता है।

मेरे प्यारे दोस्तों, हम चारों ओर से प्रदूषण के मोटे आवरण से घिरे हुए हैं। हम प्रदूषण में जी रहे हैं लेकिन सबसे आश्चर्य की बात यह है कि कुछ लोगों को इसकी जानकारी भी नहीं है। दुनिया भर में प्रदूषण के इस बढ़े हुए स्तर के लिए बड़े और विकसित देश अत्यधिक जिम्मेदार हैं। यह इस ग्रह का बहुत ही चुनौतीपूर्ण मुद्दा है जिसे तत्काल आधार पर हल करने की आवश्यकता है। हालाँकि, इसे एक या दो देशों द्वारा हल नहीं किया जा सकता है; यह केवल तभी हल किया जा सकता है जब सभी देश इस मुद्दे के बारे में विभिन्न पहलुओं से कठिन और सख्त प्रयास करें।

विभिन्न देशों ने प्रदूषण में कमी पर कुछ प्रभावी कानून अपनाए हैं, जो इस शक्तिशाली दानव को हराने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। इसे सभी देशों के सरकारी कार्यों को पूरी तरह से समाप्त करने की जरूरत है। आम लोगों को उनके आवश्यक प्रयास प्राप्त करने के लिए उच्च स्तर की जागरूकता फैलाई जानी चाहिए। देश के प्रत्येक व्यक्ति को इस समस्या, इसके कारणों और जीवित प्राणियों के लिए हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूक और सतर्क रहना चाहिए।

लोगों, उद्योगों और कारखानों द्वारा हानिकारक और जहरीले रसायनों के उपयोग को सरकार द्वारा बहुत सख्ती से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। आम लोगों को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी एजेंसियों द्वारा शिविरों या अन्य माध्यमों से पर्यावरण के अनुकूल चीजों और आदतों का उपयोग करके पर्यावरण को बचाने और इसे स्वस्थ रखने के लिए जागरूक किया जाना चाहिए।

आप सभी को धन्यवाद।

प्रदूषण पर भाषण, Speech on pollution in hindi -2

सर, मैडम, और मेरे प्यारे साथियों को सुप्रभात। मेरा नाम विकास है और मैं कक्षा बारहवीं में अध्ययन करता हूं। मैं आज भारत में प्रदूषण के विषय पर भाषण देना चाहूंगा।  मेरे प्यारे दोस्तों, जैसा कि हम सभी प्रदूषण शब्द से अच्छी तरह से वाकिफ हैं। मैं आपको बताना चाहता हूं कि प्रदूषण एक धीमा और मीठा जहर है जो हमें और हमारे जीवन को शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और बौद्धिक रूप से सभी पहलुओं में बहुत बुरी तरह से परेशान कर रहा है। इसे एक बार में रोकना इतना आसान नहीं है, लेकिन इसे धीरे-धीरे रोकना इतना कठिन नहीं है।

प्रदूषण के मुख्य कारण रासायनिक उद्योगों और कारखानों से निकलने वाले कचरे को सीधे बड़े जल निकायों में डालना है। ऐसे प्रदूषकों को प्राकृतिक वातावरण में लाया जाता है और प्रतिकूल परिवर्तन होता है। प्रदूषण मानव निर्मित या प्राकृतिक हो सकता है लेकिन प्राकृतिक स्रोतों से प्रदूषण मानव निर्मित की तुलना में कम नुकसानदायक है। प्रदूषण या प्रदूषण के घटक प्राकृतिक संसाधनों जैसे पानी, हवा, मिट्टी आदि में मिल जाते हैं। प्रदूषण प्रागैतिहासिक काल से शुरू किया गया था, लेकिन वर्तमान में वनों की कटाई, शहरीकरण, तकनीकी प्रगति और उन्नत जीवन शैली के कारण यह उफान पर है।

लोगों को पर्यावरण के महत्व को समझना चाहिए जहां वे रहते हैं और भगवान द्वारा पृथ्वी पर एक साधारण जीवन जीने के लिए दिए गए ग्रह (जीवन के लिए एकमात्र ज्ञात ग्रह) का सम्मान करते हैं। विभिन्न प्रकार के प्रदूषण जैसे जल प्रदूषण, मिट्टी या भूमि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, और ध्वनि या ध्वनि प्रदूषण, ये सभी मनुष्य और जानवरों के स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक हैं।

लोग अपने जीवन में तकनीकी प्रगति के लिए उपयोग किए गए हैं और उस वजह से सभी मौजूदा समस्याओं के बारे में भूल गए हैं। कृषि में कई वर्षों से विभिन्न उर्वरकों और अन्य रसायनों के उपयोग ने बेहतर और स्वस्थ फसल प्राप्त करने के लिए मानवता के लिए गंभीर समस्या पैदा की है।

शहरों में वाहनों की बढ़ती संख्या वायु प्रदूषण का एक और मुख्य कारण है। डीजल वाहन पेट्रोल वाहनों की तुलना में अधिक खतरनाक होते हैं क्योंकि वे अधिक कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन करते हैं, दोनों स्वास्थ्य और वातावरण के लिए बहुत हानिकारक हैं।

मेरे प्यारे दोस्तों, आम जनता को प्रदूषण के बुरे प्रभावों के बारे में पता होना और उसके प्रभावों को कम करने के लिए प्रदूषण के खिलाफ उस दिशा में कार्य करना बहुत आवश्यक है। हमें पर्यावरण में प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने के लिए आसपास के इलाकों और सड़कों के किनारों पर अधिक से अधिक हरे पौधे लगाने चाहिए।

प्रदूषण हमारे जीवन को प्रभावित कर रहा है इसलिए हमें व्यक्तिगत कदम उठाने होंगे और हर संभव काम करना होगा जो हम कर सकते हैं। हमें कुछ सकारात्मक बदलावों के लिए केवल अपने सरकारी कार्यों पर निर्भर नहीं होना चाहिए। हमारे जैसे आम लोग ही प्रदूषण के प्रसार को रोकने के लिए मुख्य कारक हैं।

प्रदूषण पर भाषण, Speech on pollution in hindi -3

आदरणीय महोदय, मैडम और मेरे मित्रों को सुप्रभात। इस घटना में, मैं प्रदूषण पर भाषण देना चाहूंगा, जो आधुनिक समय का सबसे गंभीर मुद्दा है। पर्यावरण प्रदूषण के रूप में सबसे शक्तिशाली दानव ने पर्यावरण के पारिस्थितिक संतुलन को बिगाड़ दिया है। यह एक बड़ा वैश्विक मुद्दा है जो क्षेत्रीय विविधताओं के साथ इसकी प्रकृति और सीमा में भिन्न होता है। यह इस मुद्दे को हल करने के लिए चिंता और बहस का विषय है। यह एक दूसरे पर आरोप लगाने का समय नहीं है, हालांकि यह समय है कि इस दानव से कुछ प्रभावी हथियारों के साथ मिलकर लड़ें। अमीर, शक्तिशाली और विकसित देश प्रदूषण के इतने बड़े प्रसार और ग्लोबल वार्मिंग के लिए अत्यधिक जिम्मेदार हैं लेकिन सभी देश इस समस्या को झेल रहे हैं।

हम इस पर्यावरण प्रदूषण के शिकार हुए हैं लेकिन हम इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि यह समस्या हमारे द्वारा बनाई गई है। यह हम हैं जिन्होंने प्राकृतिक संसाधनों के बढ़ते उपभोग स्तर और आधुनिक समय के रहन-सहन के पैटर्न के कारण इस समस्या को जन्म दिया है। प्रदूषण उद्योगों और कारखानों से तेजी से शहरीकरण, वनों की कटाई, औद्योगीकरण, प्रौद्योगिकियों और असहनीय कचरे का परिणाम है। कृषि में उर्वरकों के उच्च खपत स्तर, चिमनियों से उत्सर्जन, मोटर वाहनों से निकलने वाले धुएं आदि के कारण इसमें उछाल आ रहा है।

वाहनों की बढ़ती संख्या ने ईंधन के उपभोग स्तर को बढ़ा दिया है जिससे वायु प्रदूषण काफी हद तक कम हो रहा है। बढ़ती जनसंख्या प्रदूषण का एक और बड़ा मुद्दा है। इसने अधिक घरों की जरूरत पैदा की है, रहने के स्थानों को बनाने के लिए पौधों को काटने और लोगों की अन्य आधुनिक जरूरतों को प्रदूषण के लिए अग्रणी है। कोई भी इस मुद्दे के बारे में नहीं सोच रहा है लेकिन हर कोई पैसा बनाने और शारीरिक आराम की चीजों को इकट्ठा करने में व्यस्त है। अधिक पानी की वजह से ताजे पानी की खपत, लकड़ी की खपत आदि बढ़ गई है। भौतिक आराम की बढ़ती मानव आवश्यकताओं (जैसे एसी, टीवी, बिजली, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, उर्वरक, फ्रीज, वॉशिंग मशीन, आदि) का सीधा संबंध प्रदूषण फैलाने से है।

अब, हमारे पास सांस लेने के लिए ताज़ी हवा, पीने के लिए ताज़ा पानी, स्वस्थ फ़सलों को प्राप्त करने के लिए ताज़ा ज़मीन और सोने के लिए शांतिपूर्ण वातावरण का अभाव है। हम अपनी लापरवाही के कारण वह सब झेल रहे हैं। हमें वास्तविक शारीरिक और मानसिक आराम पाने के लिए प्राकृतिक ताजा वातावरण प्राप्त करने के लिए लगातार कड़ी मेहनत करनी होगी।

हमें इस दानव पर नियंत्रण प्राप्त करना है और अधिक से अधिक पेड़ लगाने, उद्योगों और कारखानों से कचरे का प्रबंधन, भारी वाहनों की आवश्यकता को कम करने और अन्य प्रभावी कदमों द्वारा यहां जीवन को बचाना है।

धन्यवाद।

प्रदूषण पर भाषण, Speech on pollution in hindi -4

सभी को सुप्रभात। इस समारोह में, मैं प्रदूषण पर एक भाषण सुनाने जा रहा हूं। मेरे प्यारे दोस्तों, प्रदूषण हमारे लिए कोई अनजान शब्द नहीं है। हम इसके बारे में अच्छी तरह जानते हैं, इसके कारण और पर्यावरण और हमारे जीवन पर इसके बुरे प्रभाव हैं। एक प्राकृतिक पर्यावरण में पृथ्वी पर जीवित प्राणियों के अस्तित्व, विकास और विकास के लिए आवश्यक सभी चीजें शामिल हैं। हालाँकि, अगर यह वातावरण विभिन्न माध्यमों से प्रदूषित हो जाए तो क्या होगा। सब कुछ गड़बड़ हो जाएगा और यहां जीवन के अस्तित्व के साथ हस्तक्षेप करेगा।

खतरनाक अप्राकृतिक अवयवों को प्राकृतिक संसाधनों में मिलाने के कारण प्रदूषण होता है, जो पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन का कारण बनता है और इस प्रकार मानव और जानवरों के लिए विभिन्न स्वास्थ्य खतरों का कारण बनता है। प्रदूषण पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचा रहा है और संतुलन को नष्ट कर रहा है।

यह सब औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, वनों की कटाई, तकनीकी उन्नति, जनसंख्या से अधिक होने आदि के कारण है, ये सभी जहरीली गैसों के बढ़ते स्तर (वायु प्रदूषण के कारण), ठोस / तरल अपशिष्ट (जल, भोजन और मिट्टी के प्रदूषण) के बड़े कारण हैं। ) और ध्वनि (ध्वनि प्रदूषण का कारण)। सभी प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र में कुछ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीकों से असंतुलन का कारण हैं।

यह बड़ी चिंता और विचार की बात है और इसे हल करने की जरूरत है। प्रदूषण की वजह से शिशुओं का  दोषों की विविधता के साथ जन्म होता है और लोगों की जीवन प्रत्याशा कम हो जाती है क्योंकि कैंसर, मधुमेह, हृदय की समस्या आदि जैसी घातक बीमारियां हैं, मैं आपको प्रदूषण के बारे में कुछ तथ्य साझा करना चाहता हूं: डब्ल्यूएचओ के अनुसार दुनिया भर में होने वाली सभी मौतों का लगभग 6.7% और दुनिया भर में 7 मिलियन अकाल मौतों का कारण वायु प्रदूषण है।

मिसिसिपी नदी में लगभग 1.5 मिलियन मीट्रिक टन नाइट्रोजन प्रदूषण होता है। चीन के कारण होने वाला प्रदूषण संयुक्त राज्य अमेरिका के मौसम के मिजाज को बदल सकता है। लगभग, संयुक्त राज्य अमेरिका के 56% कचरे ने लैंडफिल को कवर किया है (इसका आधा हिस्सा केवल कागज है)।

वैश्विक पर्यावरण प्रदूषण का सबसे हानिकारक प्रदूषक जीवाश्म ईंधन है। इसने विशेष रूप से हवा, पानी और मिट्टी के माध्यम से विभिन्न बुरे प्रभाव पैदा किए हैं। हमारे पर्यावरण की रक्षा करना और इसके प्राकृतिक मूल्य में सुधार करना हम सभी का मौलिक कर्तव्य है। हमें इस समस्या से निपटने के लिए अपनी पूरी कोशिश करनी चाहिए और अपनी अगली पीढ़ी को एक अच्छा स्वस्थ भविष्य देना चाहिए।

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विकास नें वाणिज्य में स्नातक किया है और उन्हें भाषा और खेल-कूद में काफी शौक है. दा इंडियन वायर के लिए विकास हिंदी व्याकरण एवं अन्य भाषाओं के बारे में लिख रहे हैं.

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essay on pollution : प्रदूषण पर हिन्दी निबंध

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प्रदूषण पर भाषण – Pollution Speech in Hindi

हेलो स्टूडेंट्स, इस पोस्ट में हम आपको प्रदूषण पर भाषण के बारे में बताएंगे इसे अंत तक पढ़े |

पूरे संसार में प्रदूषण एक बड़ा ही समस्यापूर्ण विषय बन गया है। यह मनुष्यों और अन्य सजीवों के जीवन को बहुत बड़े स्तर पर प्रभावित कर रहा है। इसने एक शक्तिशाली दानव का रुप ले लिया है, जो प्रकृतिक वातावरण को तेजी से नष्ट कर रहा है।

हम यहाँ स्कूल में आयोजित किसी भी कार्यक्रम में भाषण बोलने में सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से विद्यार्थियों के लिए प्रदूषण पर भाषण उपलब्ध करा रहे हैं। यहाँ उपलब्ध सभी भाषण सरल और आसान शब्दों का प्रयोग करके छोटे-छोटे वाक्यों के रुप में लिखे गए हैं। इसलिए, आप किसी भी प्रदूषण पर भाषण को अपनी आवश्यकता और जरुरत के अनुसार चुन सकते हैं:

Table of Contents

प्रदूषण पर भाषण (Speech on Pollution in Hindi)

सभी के लिए सुप्रभात। मेरा नाम……हैं और मैं कक्षा…में पढ़ता/पढ़ती हूँ। इस अवसर पर मैं प्रदूषण पर भाषण देना चाहता/चाहती हूँ। मेरे प्यारे मित्रों, प्रदूषण वातावरण और मानव के जीवन को प्रभावित करने वाली सबसे बड़ी चुनौती है।

यह आज पूरे विश्व के लोगों द्वारा सामना किया जाने वाला पर्यावरणीय विषय है। अलग-अलग स्रोतों से विभिन्न खतरनाक और विषैले पदार्थ वातावरण में मिलकर विभिन्न प्रकार के प्रदूषणों जैसे: जल, मृदा, वायु, भूमि, ध्वनि, और ऊष्मीय प्रदूषण आदि का कारण बन रहे हैं।

उद्योगों और कारखानों से निकलने वाला धुआं और विषाक्त धूल हवा में मिल जाती है, जो वायु प्रदूषण का कारण बनती है। इस तरह की प्रदूषित वायु फेंफड़ों के लिए बुरी होती है।

उद्योगों और कारखानों का प्रवाहित मल और अन्य अवशिष्टों को सीधे पानी के बड़े स्रोतों (नदी, झील, समुद्र, आदि) में प्रत्यक्ष रुप से प्रवाहित किया जाता है और वो पीने योग्य पानी में भी इसी प्रकार मिश्रित हो जाता है। इस तरह का प्रदूषित पानी (रोगाणु, बैक्टीरिया, जहरीले पदार्थ, वायरस, आदि को धारण किया हुआ) मनुष्यों, पशुओं, पौधों और जलीय जीवों के स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है।

आज-कल, यातायात, ध्वनि प्रणाली, विद्युत उपकरणों, आदि के माध्यम से बढ़ती हुई ध्वनियों के स्तर के कारण वातावरण शान्त नहीं है। इस तरह की आवाजें, ध्वनि प्रदूषण का कारण बनती हैं और कानों की प्राकृतिक सहनशीलता के लिए हानिकारक होती है।

वाहनों, लाउड स्पीकरों आदि का अतिरिक्त और असहनीय शोर विशेषरुप से बुजुर्गों और छोटे बच्चों के लिए कानों की समस्याओं और यहाँ तक कि स्थाई बहरेपन का भी कारण बन सकता है।

उद्योगों और कारखानों में मनुष्य निर्मित रसायन जैसे; हाइड्रोकार्बन, सॉल्वैंट्स, भारी धातु, आदि मिट्टी में मिल जाते हैं, जब लोग हेर्बीसीड्स (किसानों द्वारा फसल में से अवांछित जंगली पौधों को खत्म करने के लिए प्रयोग किया जाने वाला विषाक्त रसायनिक पदार्थ), कीटनाशक, उर्वरक, आदि का प्रयोग करते हैं या फैलाव या रसायनों के भूमिगत रिसाव के माध्यम से मिट्टी में मिल जाते हैं।

ठोस, द्रव या गैस के रूप में इस तरह के दूषित पदार्थ मृदा (मिट्टी) या भूमि प्रदूषण का कारण बनते हैं जो सारी पृथ्वी को दूषित करते हैं। ये दूषित पदार्थ जल और वायु प्रदूषण का भी कारण बनते हैं क्योंकि वो पास की पानी सप्लाई में मिल जाते हैं और कुछ रसायन क्रमशः हानिकारक वाष्पीकरण भी करते हैं।

लोगों के द्वारा निरंतर बढ़ता प्लास्टिक का प्रयोग बड़े स्तर पर पर्यावरण प्रदूषण का कारण बनता है और जो प्रतिकूलता में जंगली जीवन को प्रभावित करता है। थर्मल (ऊष्मीय) प्रदूषण ऊर्जा संयंत्रों और औद्योगिक निर्माताओं द्वारा पानी के बड़े स्तर को एक शीतलक के रूप में उपयोग करने की वजह से बढ़ रहा है।

यह बड़े जल निकायों में पानी के तापमान में परिवर्तन पैदा कर रहा है। यह जलीय जीवों और पौधों के लिए बहुत हानिकारक है क्योंकि पानी के तापमान का बढ़ता हुआ स्तर, पानी में ऑक्सीजन के स्तर को कम करता है।

मेरे प्यारे साथियों, हम ऊपर, नीचे, दाँयें और बाँयें चारों ओर से प्रदूषण के मोटे आवरण से ढके हुये हैं। हम प्रदूषण में रह रहे हैं लेकिन सबसे ज्यादा चौकाने वाली बात यह है कि, कुछ लोग अभी भी इसके बारे में जागरुक नहीं हैं।

संसार में चारों ओर बढ़ते हुये प्रदूषण के लिए बड़े और अच्छी तरह से विकसित देश सबसे अधिक जिम्मेदार हैं। यह पूरे ग्रह के लिए बहुत ही चुनौतीपूर्ण विषय है जिसे तुरंत सुलझाने की आवश्यकता है। यह केवल एक या दो देशों के प्रयासों से नहीं सुलझाया जा सकता हालांकि, इसे तो केवल सभी देशों के संयुक्त, कठिन और कड़े प्रयासों के द्वारा इसके विभिन्न आयामों पर कार्य करके सुलझाया जा सकता है।

विभिन्न देशों ने प्रदूषण को कम करने के लिए कुछ प्रभावशाली कानूनों को अपनाया है हालांकि, वो इस शक्तिशाली दानव को हराने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसके पूरी तरह से उन्मूलन के लिए संयुक्त वैश्विक कार्यवाही की जरुरत है।

आम जनता के आवश्यक प्रयासों को प्राप्त करने के लिए उच्च स्तरीय जागरुकता कार्यक्रमों को शुरु करने की जरुरत है। देश का प्रत्येक व्यक्ति इस समस्या, इसके कारकों, और सजीवों पर इसके दुष्प्रभावों से अवगत और जागरुक होना चाहिए।

लोगों, उद्योगों और कारखानों द्वारा हानिकारक और विषाक्त रसायनों का प्रयोग सरकार के द्वारा कड़ाई से प्रतिबंधित होना चाहिए। सामान्य जनता को शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी एजेन्सियों के कैम्पों या अन्य साधनों के माध्यम से पर्यावरण के अनुकूल चीजों और आदतों को अपनाकर वातावरण को सुरक्षित रखने के लिए जागरुक करना चाहिए।

सर, मैडम और मेरे प्यारे साथियों को सुप्रभात। मेरा नाम…….। मैं कक्षा……में पढ़ता/पढ़ती हूँ। मैं आज भारत में प्रदूषण के विषय पर अपने विचार आप सभी के समक्ष रखना चाहता/चाहती हूँ। जैसा कि हम सभी यहाँ इस कार्यक्रम को मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं, मैनें यह विषय – प्रदूषण, आप सभी के सामने मानवता के बचाव के पक्ष को रखने के लिए चुना है।

मेरे प्यारे साथियों और यहाँ उपस्थित प्रत्येक व्यक्ति, आप सभी प्रदूषण शब्द से अच्छी तरह परिचित हैं। मैं आपको बताना चाहता/चाहती हूँ कि प्रदूषण एक धीमे और मीठे जहर की तरह है जो हमें और हमारे जीने के तरीके को सभी आयामों जैसे; शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और बौद्धिक स्तर को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। इसे तुरंत रोकना बहुत आसान नहीं है हालांकि, इसे धीरे-धीरे रोकना इतना कठिन भी नहीं है।

प्रदूषण के मुख्य कारण रसायनिक उद्योगों से निकलने वाला अपशिष्ट और कारखानों द्वारा अपने अपशिष्ट को बड़े पानी के स्रोतों में प्रत्यक्ष रुप से फेंकना है। इस तरह के दूषित पदार्थ प्राकृतिक पर्यावरण में मिल जाते हैं और प्रतिकूल प्रभाव का कारण बनते हैं।

प्रदूषण, मानव-निर्मित या प्राकृतिक हो सकता है हालांकि, प्राकृतिक स्रोतों से प्रदूषण, मानव-निर्मित प्रदूषण से कम हानिकारक होता है। प्रदूषण या प्रदूषण के तत्व प्राकृतिक संसाधनों जैसे; पानी, हवा, मिट्टी आदि में परस्पर मिश्रित हो जाते हैं।

प्रदूषण प्रागैतिहासिक (जिस समय का कोई लिखित अवशेष प्राप्त नहीं हो) समय से ही शुरु हो गया था हालांकि, अब यह वनों की कटाई, शहरीकरण, तकनीकी उन्नति, और उन्नत जीवन शैली के कारण और भी अधिक बढ़ गया है।

लोगों को, जिस पर्यावरण में वो रह रहे हैं, उसके महत्व को समझना चाहिए और भगवान द्वारा साधारण जीवन जीने के लिए दिए गये एकमात्र ग्रह पृथ्वी का आदर करना चाहिए क्योंकि पूरे ब्रह्मांण में केवल पृथ्वी ही ऐसा ज्ञात ग्रह जिस पर जीवन संभव है।

विभिन्न प्रकार के प्रदूषण जैसे; जल प्रदूषण, मृदा या भूमि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, ध्वनि या आवाज प्रदूषण, सभी मानव और पशुओं के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है। लोग बस अपने जीवन में उन्नत तकनीकी का प्रयोग करते हैं और उनसे होने वाली सभी समस्याओं के बारे में भूल जाते हैं।

कृषि में, बहुत सालों से, बेहतर और अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए बहुत से उर्वरकों और अन्य रसायनों का प्रयोग मानवता के लिए गंभीर समस्याओं का निर्माण कर रहा है।

शहरों में वाहनों की संख्या और प्रयोग का बढ़ना भी वायु प्रदूषण का एक मुख्य कारण है। पैट्रोल से चलने वाले वाहनों की तुलना में डीजल के प्रयोग से चलने वाले वाहन अधिक खतरनाक है, क्योंकि वो कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनो-ऑक्साइड फेंकते हैं, दोनों ही स्वास्थ्य और वातावरण के लिए हानिकारक है।

मेरे प्यारे मित्रों, सामान्य जनता को प्रदूषण के बुरे प्रभावों से अवगत होना बहुत ही जरुरी है और प्रदूषण के विपरीत दिशा में कार्य करने के लिए भी ताकि इसके प्रभावों को कम किया जा सके। हमें वातावरण में प्राकृतिक संतुलन बनाये रखने के लिए चारों ओर के क्षेत्रों और सड़कों के किनारों पर अधिक हरे पेड़-पौधे लगाने चाहिए।

प्रदूषण हमारे जीवन को प्रभावित कर रहा है इसलिए हमें वैयक्तिक तौर पर सभी संभव प्रयासों को करने के कदम उठाने चाहिए। हमें कुछ सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए केवल अपनी सरकार की गतिविधियों पर ही निर्भर नहीं होना चाहिए। हमारी तरह आम इंसान ही फैलते हुए प्रदूषण को रोकने में मुख्य कारक है।

सभी को धन्यवाद।

आदरणीय अध्यापकों, अध्यापिकाओं और मेरे प्यारे मित्रों, आप सभी को मेरा नम्र सुप्रभात। इस अवसर मैं प्रदूषण पर भाषण देना चाहता/चाहती हूँ, जो आधुनिक समय का सबसे गंभीर विषय है। पर्यावरण प्रदूषण के रुप में सबसे शक्तिशाली दानव ने वातावरण के पारिस्थितिक तंत्र के सन्तुलन के क्रम को बाधित कर दिया है।

यह बड़ा वैश्विक विषय है हालांकि, इसकी प्रकृति क्षेत्रों के सीमा परिवर्तन के साथ बदल जाती है। इसे हल करना चिन्ता और बहस का विषय है। यह एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करने का समय नहीं है हालांकि, यह समय तो कुछ प्रभावशाली हथियारों के साथ इस दानव से एक-साथ मिलकर लड़ने का समय है।

धनवान, शक्तिशाली और विकसित देश ही प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग को बड़े स्तर पर फैलाने के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार है जिसके कारण आज सभी देश इस समस्या से जूझ रहे हैं।

हम सभी पर्यावरण प्रदूषण से पीड़ित है हालांकि, हम इससे मना नहीं कर सकते कि यह समस्या हमारे द्वारा निर्मित की गयी है। वो हम ही हैं जिन्होंने इस समस्या को प्राकृतिक साधनों के अनियंत्रित उपभोग और आधुनिक जीवन शैली को अपनाकर बढ़ावा दिया है।

प्रदूषण तेज शहरीकरण, वनों की कटाई, औद्योगिकीकरण, तकनीकीकरण और उद्योगों और कारखानों में से अनियंत्रित अपशिष्टों का परिणाम है। यह खेतों में उर्वरकों के उच्च स्तरीय उपभोग, चिमनी उत्सर्जन, मोटर वाहनों से निकलने वाले धुएं आदि के कारण तेजी के उछाल से बढ़ रहा है।

मोटन वाहनों की बढ़ती हुई संख्या ने ईधन के अपभोग स्तर को बढ़ा दिया है जिसके कारण बड़े स्तर पर वायु प्रदूषण हो रहा है। इस हमेशा बढ़ते प्रदूषण के लिए अत्यधिक जनसंख्या भी एक बड़ा विषय है। इसने अधिक घरों की आवश्यकता को बढ़ा दिया है।

कोई भी इस विषय के बारे में नहीं सोच रहा है। सभी धन कमाने और अपने शारीरिक आराम के लिए वस्तुओं का संग्रह करने में व्यस्त है। अत्यधिक जनसंख्या के कारण ताजे पानी, लकड़ी आदि का उपभोग बढ़ गया है। शारीरिक आराम के लिए मनुष्य की बढ़ती हुई आवश्यकताएं (जैसे; एसी, टीवी, बिजली, विद्युत उपकरण, उर्वरक, फ्रिज, कपड़े धोने की मशीन, आदि) प्रत्यक्ष रुप से प्रदूषण फैलाने से संबंधित हैं।

अब, हमारे पास सांस लेने के लिए ताजी हवा, पीने के लिए ताजा पानी, स्वस्थ्य फसल के लिए उर्वरक जमीन और सोने के लिए शान्त वातावरण आदि की कमी है। हम यह सब अपनी असावधानी और लापरवाही के कारण सह रहे हैं।

हमें प्राकृतिक शुद्ध वातावरण पाने के लिए और वास्तविक शारीरिक व मानसिक शान्ति के लिए निरंतर कड़ा परिश्रम करना है। हमें इस दानव को नियंत्रित करके यहाँ अधिक पेड़ों को लगाकर, कारखानों और उद्योगों के अपशिष्टों का उचित प्रबंधन, भारी वाहनों की आवश्यकता को कम करके और अन्य प्रभावी कदमों के द्वारा जीवन को सुरक्षित करना है।

सभी को मेरा सुप्रभात। इस कार्यक्रम के आयोजन पर, मैं आप सभी के सामने प्रदूषण के विषय पर कुछ कहना चाहता/चाहती हूँ। मेरे प्यारे मित्रों, प्रदूषण हमारे लिए अंजान शब्द नहीं है। हम सभी इससे, और वातावरण और हमारे जीवन पर इसके बुरे प्रभावों बहुत अच्छे से परिचित है।

प्राकृतिक वातावरण में पृथ्वी पर सजीवों के जीवन, वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक सभी चीजें मौजूद हैं। यद्यपि, तब क्या होगा, यदि ये वातावरण बहुत से साधनों के द्वारा प्रदूषित हो जाये। सभी चीजें अव्यवस्थित हो जायेंगी और यहाँ जीवन के अस्तित्व को बाधित करेगी।

प्रदूषण प्राकृतिक संसाधनों में खतरनाक अप्राकृतिक तत्वों के मिश्रण के कारण होता है जो पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन पैदा करता है और इस प्रकार मनुष्य और पशुओं के लिए विभिन्न स्वास्थ्य के खतरों का कारण बनता है।

प्रदूषण पारिस्थितिक तंत्र और संतुलन को नष्ट कर रहा है। यह सब औद्योगिकीकरण, शहरीकरण, वनोल्मूलन, तकनीकी उन्नति, अत्यधिक जनसंख्या आदि के कारण हो रहा है। ये सभी विषाक्त गैसों के बढ़ते स्तर (वायु प्रदूषण का कारण), ठोस/तरल अपशिष्ट (जल, खाद्यान्न और मृदा प्रदूषण का कारण) और आवाज (ध्वनि प्रदूषण का कारण) के बहुत बड़े कारण है। ये सभी प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र में कुछ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रुप से असंतुलन के कारण है।

ये अब हल करने के लिए आवश्यक चिन्ता और विचार का विषय है। प्रदूषण के कारण, बच्चे जन्म से ही बहुत सी कमियों के साथ पैदा हो रहे हैं और बहुत सी जानलेवा बीमारियों जैसे; कैंसर, मधुमेह (डायबिटीज), हृदय रोग आदि के कारण लोगों की जीवन प्रत्याशा कम हो गयी है।

मैं आपसे प्रदूषण के बारे में कुछ तथ्य साझा करना चाहता/चाहती हूँ: विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, सभी मृत्युओं में से लगभग 6.7 प्रतिशत मृत्यु और विश्वभर में 7 लाख अकाल मृत्यु वायु प्रदूषण के कारण हो रही हैं। मिस्सिपी नदी में लगभग 15 लाख मीट्रिक टन नाइट्रोजन प्रदूषण लिए हुए है।

चीन द्वारा किया जाने वाला प्रदूषण संयुक्त राज्य अमेरिका की मौसमी व्यवस्था को बदल सकता है। संयुक्त राज्य अमेरिका के लैडफिलों (जहाँ अपशिष्टों को नष्ट किया जाता है) को लगभग 56 प्रतिशत कचरे ने घेरा हुआ हैं, जिसमें से आधे केवल कागज है।

वैश्विक पर्यावरण प्रदूषण, सबसे हानिकारक प्रदूषक जीवाश्म ईंधन है। इसने बहुत से बुरे प्रभावों को विशेषरुप से वायु, पानी, मिट्टी के माध्यम से निर्मित किया है।

अपने वातावरण को सुरक्षित करना और इसके प्राकृतिक मूल्य को सुधारना हम सभी का मौलिक कर्तव्य है। हमें इस समस्या का सामना करने और अपनी नयी पीढ़ी को अच्छा और स्वस्थ्य भविष्य देने के लिए हमें अपने सबसे बेहतर प्रयासों को करना चाहिये।

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Speech on Pollution for Students and Children

3 minute speech on pollution for students.

Pollution has become one of the most concerning issues for our planet and mankind. It takes place when pollutants contaminate our environment. In other words, pollution is responsible for disturbing the balance of the ecosystem. Moreover, it impacts our lifestyle severely and also contributes greatly to global warming. As the world is getting more modern, pollution is also enhancing day by day. It’s like we are the prisoners of our own creations. Further, it has become rather essential to learn about the causes, types, and impact of pollution to deal with this problem.

3 minute speech on pollution

Causes and Impact of Pollution

Think about it yourself and wonder how you contribute to pollution. As there isn’t just one person, organization or government to blame, but all of us. Moreover, pollution comes in different forms. To begin with, we have air pollution which means contamination of air. It is a very dangerous kind of pollution and which chemically and physically alters the air.

When toxic gases enter the atmosphere, life becomes difficult for human beings. The burning of fossil fuels, mining, automobile exhausts, and more contribute to it. Thus, it causes acid rains, respiratory problems, global warming and more.

Next up, water pollution is on the rise like anything. The industrial waste, sewage, wastewater, oil spills, and more contribute to it. Further, the impact is very deadly as we cannot survive without water. The water needed for drinking, cooking, agriculture and more is declining day by day.

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Further, we have soil pollution where contaminants and toxic chemicals hamper the quality of our soil. Soil pollution has a very negative impact, especially on wildlife and vegetation. In addition to human life and groundwater are also severely damaged. Improper waste disposal, industrial activities, acid rains and more contribute to soil pollution.

Thus, it can contaminate the health of human beings. Moreover, it impacts the growth of plants as it decreases the fertility of the soil. Moreover, it also alters the structure of the soil due to pollution.

How to Curb Pollution?

As pollution impacts our lives negatively, we need to find out ways to curb it and implement them immediately. It does not only degrade the life of humans but also animals and vegetation. We must all begin by adopting conservation approaches and sustainable strategies. It is important more than ever to restore the ecological balance.

We need to bring a change in our transportation choices. Begin with opting for public transportation instead of a private one. Try to carpool or walk and ride bikes to places. Further, we must also make sustainable food choices. Local and organic produce is the way to go.

Furthermore, the little things will go a long way. For instance, switching off the lights and fans when not in use. Unplugging electrical appliances and using energy-efficient appliances.

Moreover, we must also practice recycling and reducing waste production.  Do not use plastic and carry your own cloth or plastic bags when shopping. Use glass containers for storage instead of plastic ones. Further, conserve water at all times. Fix any leakages if present and do not use hot water unnecessarily.

To sum it up, we see that the change begins with us. You don’t have to bank on the government or the industries to curb pollution, as we all contribute to it. We need to control pollution so as to create a healthy future for our upcoming generations. Every person on this earth has a great role to play in restoring the balance of the earth. Educate the public about menacing issues and protect the earth from degrading.

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French court greenlights lawsuit against EDF over wind farm in Mexico

  • After more than three years of legal wrangling, a court in Paris has ruled that a civil case brought by Indigenous communities in Mexico against French energy giant EDF can go ahead.
  • The case was filed by Zapotec communities in Oaxaca state, who complain that EDF’s Gunaa Sicarú wind farm project violates their land rights and lacks reasonable consultation with communities.
  • The case against EDF was filed under the recently approved French Corporate Duty of Vigilance Law, designed to hold French companies accountable for abuses overseas.
  • Projects that support the energy transition and climate change mitigation can stir local conflicts similar to those associated with fossil fuels if community rights are not properly considered, experts warn.

JUCHITÁN, Mexico – Indigenous farmers from southern Mexico angry over landscape damage and poor consultations associated with a massive wind power project have had their day in court in France, where judges have allowed their case to proceed.

Zapotec communities from the Isthmus of Tehuantepec in the state of Oaxaca and their supporters in Europe launched a legal action against French energy giant EDF, alleging the company failed to prevent violence and intimidation of residents who opposed the wind farms on their ancestral land.

After more than three years of legal wrangling, judges at the Paris Court of Appeals authorized the civil case to go forward in a ruling issued June 18, according to a statement from the plaintiffs’ lawyers.

“This landmark decision sends a clear message for transnational corporations,” said Guillermo Torres, a senior lawyer with the Mexican campaign group ProDESC, which helped launch the court action. “Their activities can be subject to judicial review whenever they fail to comply with the law.”

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The court didn’t order EDF to suspend its project, known as the Gunaa Sicarú wind farm, until the merits of the case could be examined at a later date, lawyers said. The June 18 court decision reversed a 2021 move by EDF’s lawyers that stalled the litigation on procedural grounds . The case against EDF was first launched in October 2020.

The ongoing litigation in Paris revolves around past harms associated with Gunaa Sicarú, said Torres. The date for the next court hearing has not been set.

The case highlights how some Indigenous rights campaigners are turning to courts in the home countries of major investors to seek redress for alleged land and environmental rights violations. It also showcases how megaprojects associated with mitigating climate change can produce local conflicts similar to those triggered by fossil fuels if adequate safeguards aren’t put in place.

“If this energy transition is only being focused on the economic lens, and not on the impact of climate change on human rights, then these projects are destined to keep perpetuating those abuses,” Torres told Mongabay.

“The communities do not oppose the energy transition … But that doesn’t mean these projects have carte blanche.”

A test for France’s Duty of Vigilance Law

Local supporters of the wind investments say they’re crucial for addressing climate change by reducing greenhouse gas emissions and transitioning Mexico’s oil-dependent economy away from fossil fuels. Currently, much of Mexico’s growing electricity demand is fed by imported natural gas.

They also point to local job creation, income for landowners who rent property to companies for their turbines, and more tax revenue for the traditionally poor region’s schools, roads and public infrastructure.

The case against EDF over its wind projects in Mexico was filed under the French Corporate Duty of Vigilance Law, recent legislation designed to hold French companies accountable for abuses overseas.

Mexico’s Union Hidalgo region, a hotspot for wind projects in Oaxaca state, is the first Indigenous community to invoke its collective land rights under this French supply chain law, according to the European Center for Constitutional and Human Rights.

Conundrums over consultations

Longtime Union Hidalgo resident Pedro Matus has been raising cattle for decades. Now his single-story home is surrounded by windmills, which he blames for landscape destruction, killing migratory birds and dividing the community, leading to threats and harassment targeting him and other wind farm opponents.

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The Indigenous Zapotec farmer said EDF had wanted to build its project on a tract of communal land comprising more than 4,000 hectares (about 10,000 acres) where he and other residents raised their animals and crops.

“These projects are bringing social problems,” Matus said during an interview at his home. “They [wind companies] believe we are the enemies.”

When EDF first proposed building the project, it organized assemblies to discuss the development with residents, a common practice in Mexico, and something the company touts in its vigilance plan for obtaining consent from residents and mitigating risks like violence.

Problems with the consultations started around 2009, when EDF installed its first turbine, Matus said.

The meetings were typically attended by hundreds of people. At the meetings, Matus said, he and other opponents were harassed and threatened by landowners who had been paid by EDF to install windmills on their land.

It’s a trend Lourdes Alonso, a professor at the University of the Sea in Oaxaca who studies conflicts over wind power on the Isthmus of Tehuantepec, has encountered frequently in the state.

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“There has been a lot of harassment of campaigners and social movements,” she said. “The division of communities is something that people mention a lot. One sector of the population accepted the investment because they could rent [out their] land and other sectors opposed because it would mean environmental and cultural impacts.”

Today, the isthmus hosts an estimated 1,000 windmills from several companies, mostly from Europe, Alonso said, making it one of the biggest wind energy development areas in Latin America, representing hundreds of millions of dollars in investments.

Former EDF official blames campaign groups for strife

Juan Tamayo had been a top EDF official in Oaxaca for more than two decades, before his retirement earlier this year. While he no longer officially speaks for the company, he rejected the critiques from Alonso and Matus.

Most communities surrounding the project supported EDF’s investments, he said, with more than 1,000 people attending some of its assemblies to discuss the wind farms, and many receiving money for leasing out their land.

Once the company started making payments and getting ready to build, he said, an outside civil society group “came in and started their own assemblies with 40-50 people.”

“They claimed they were representing the whole community, but it’s not a legitimate number,” Tamayo said.

That agitation, he said, led Mexico’s Federal Electricity Commission (CFE), the national grid operator, to cancel its power supply contract with EDF for buying electricity from Gunaa Sicarú in 2022, meaning a multimillion-dollar project had nowhere to sell its power.

Other analysts, however, say the CFE’s move was based on a federal court decision in Oaxaca from 2021, when judicial authorities suspended EDF’s project, citing Indigenous rights violations and problems with the company’s consultations.

An armed guard at EDF’s local offices in Juchitán district referred Mongabay’s interview requests to its office in Mexico City. A spokesperson for the company’s international office said: “At this time EDF Renewables does not have any comment on the situation.”

‘Energy doesn’t have a social vision’

In the offices of the Ecological Forum, an environmental organization with deep roots in Juchitán, the group’s legal representative, Gonzalo Bustillo, said he’s noticed migratory birds that used to come to the isthmus have changed their routes since the installation of the windmills.

“This energy doesn’t have a social vision; it’s a vision for the big companies,” Bustillo said, sitting surrounded by folk art and smoking a filterless cigarette as other staff members shuffled papers and answered phones.

Big swaths of farmland have been disrupted by concrete platforms installed by the companies, he added, leaving behind areas where “nothing is growing.”

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On the streets of Union Hidalgo, few people had heard about the French litigation but most had strong opinions on the wind projects.

“I know they’re bringing benefits, but they’re also dividing communities,” said waitress Nisado Lopez Valdivieso.

Some families have seen small reductions in their energy bills due to the projects, and others are profiting by renting out their property, she said. But she added she worries farmers and ranchers have been leaving the land due to the investments, hurting local food production in the process.

“I believe it’s good to have foreign investment,” Lopez Valdivieso said. “But it’s a bit sour and confusing because on one side they are helping but on the other side they are hurting.”

It will likely be months, if not years, for the EDF case in France to reach a final verdict. Campaigners say litigation around land rights and community divisions is likely to intensify beyond Mexico as the drive for a clean energy transition heats up along with the global climate.

“We have to understand energy as a social matter to try and create a more just energy transition,” said Alonso, the university professor. “I think that technically it’s possible to create such a transition, but if it creates sacrifice zones, that is not the transition we want.”

The travel and reporting for this story were funded by a grant from the Global Reporting Centre and Social Sciences Humanities and Research Council. Mongabay maintains complete editorial independence over the reporting.

Banner image : Cars and motorcycles drive alongside wind turbines in Union Hidalgo, Mexico on Saturday, June 8. The region is home to one of Latin America’s largest wind projects with hundreds of millions of dollars invested by primarily European energy firms. Image by Chris Arsenault for Mongabay.

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प्रदूषण पर भाषण

Pollution Speech in Hindi

प्रदूषण पर भाषण : Pollution Speech in Hindi :- आज के इस लेख में हमनें ‘प्रदूषण पर भाषण’ से सम्बंधित जानकारी प्रदान की है। यदि आप प्रदूषण पर भाषण से सम्बंधित जानकारी खोज रहे है? तो इस लेख को शुरुआत से अंत तक अवश्य पढ़े। तो चलिए शुरू करते है:-

प्रदूषण पर भाषण : Pollution Speech in Hindi

सुप्रभात, आदरणीय प्रधानाचार्य जी, माननीय शिक्षकगण एवं मेरे प्यारे साथियों, आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार। मेरा नाम —— है और मैं इस विद्यालय में 11वीं कक्षा का विद्यार्थी हूँ। आज मैं इस शुभ अवसर पर आप सभी के सामने एक छोटा सा भाषण प्रस्तुत करने जा रहा हूँ, जिसका विषय है:- प्रदूषण।

यह एक काफी महत्वपूर्ण विषय है। सर्वप्रथम मैं आप सभी को धन्यवाद देना चाहता हूँ कि आप सभी ने मुझे इस मंच पर अपने विचार व्यक्त करने का अवसर प्रदान किया।

आज मैं “प्रदूषण” जैसे विषय पर दो शब्द कहना चाहता हूँ। आशा करता हूँ कि आपको यह पसंद आएगा। वर्तमान में पूरी दुनिया प्रदूषण की समस्या से बहुत अधिक परेशान है।

प्रदूषण क्या है?

जब हमारा वातावरण दूषित हो जाता है या वातावरण में ऐसे परिवर्तन आते है जो जीव-जंतुओं के लिए हानिकारक होते है, उसे ही प्रदूषण कहते है। आज हमारा वातावरण सभी प्रकार से प्रदूषित हो गया है।

हमारें चारों तरफ कईं प्रकार का प्रदूषण फैल रहा है। जैसे:- जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण आदि। यह सभी दिन-प्रतिदिन प्रदूषित होते ही जा रहे है। नदियों में कारखानों एवं घरों का गंदा पानी जा रहा है।

लोग अपने घरों का कचरा भी नदियों में ही डाल देते है। कईं लोग तो उसी नदी के पानी में अपने जानवरों को भी नहलाते है और उसी में शौच भी कर देते है। जिससे ज्यादातर नदियाँ प्रदूषित हो रही है।

वाहनों से निकलने वाले धुएं, प्लास्टिक की थेलियों को जलाने से, फेक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं और भी कईं तरीके से वायु प्रदूषण होता है। ध्वनि प्रदूषण डी.जे., तेज आवाज वाले उपकरण और सड़कों पर बिना जरूरत के हॉर्न का उपयोग करने से बढ़ता है।

मृदा प्रदूषण तब होता है:- जब प्लास्टिक की थेलियां जमीन में दब जाती है और जमीन को बंजर बना देती है। इस प्रकार से यह सम्पूर्ण वातावरण प्रदूषित हो गया है और दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है।

जिसे हमें रोकने की आवश्यकता है, क्योंकि इसके कईं नुकसान भी होते है। यह जीव-जन्तुओं पर बुरा प्रभाव डालता है और कईं बीमारियों का कारण भी बनता है। जैसे:- गंदे पानी को पीने से पेट संबंधित बीमारियाँ होती है और कईं त्वचा संबंधित बीमारियाँ भी होती है।

वायु प्रदूषण से फेफड़े से सम्बंधित बीमारियाँ होती है। ध्वनि प्रदूषण से कान से संबंधित बीमारियाँ होती है। हम सभी को अपने वातावरण के प्रति और अधिक जागरूक होने की आवश्यकता है।

हमें जितना हो सके उतना प्रदूषण को कम करने के प्रयास करने चाहिए। हमें सबसे पहले कारखानों एवं घरों से निकलने वाले पानी की व्यवस्था करने की आवश्यकता है।

हमें अपने घर का कचरा पानी में या कहीं पर भी नहीं डालना चाहिए। हमें कचरे को सिर्फ कूड़ेदान में ही डालना चाहिए। वायु प्रदूषण को रोकने के लिए हमें अपने निजी वाहनों का कम से कम उपयोग करके सार्वजानिक वाहनों का ही प्रयोग करना चाहिए।

ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए हमें धीमी आवाज में डी.जे. बजाने चाहिए और बिना आवश्यकता के हॉर्न का उपयोग नहीं करना चाहिए। मृदा प्रदूषण को रोकने के लिए हमें प्लास्टिक को कूड़ेदान में ही डालना चाहिए। हम सभी के ऐसे ही छोटे-छोटे प्रयासों से यह पर्यावरण बच पाएगा।

इसी पर हम सभी का जीवन निर्भर करता है। हमें इसकी हमेशा रक्षा करनी चाहिए और जितना हो सके, उतने अधिक पेड़-पौधे लगाने चाहिए। हमें अपने आस-पास के लोगों को भी पर्यावरण के प्रति जागरूक करना होगा।

ताकि, हम सभी मिलकर इस समस्या का समाधान निकाल सके। इतना कहकर मैं अपने भाषण को समाप्त करता हूँ और आशा करता हूँ कि आपको मेरा यह छोटा सा भाषण पसंद आया होगा।

अंत में आशा करता हूँ कि यह लेख आपको पसंद आया होगा और आपको हमारे द्वारा इस लेख में प्रदान की गई अमूल्य जानकारी फायदेमंद साबित हुई होगी।

अगर इस लेख के द्वारा आपको किसी भी प्रकार की जानकारी पसंद आई हो तो, इस लेख को अपने मित्रों व परिजनों के साथ  फेसबुक  पर साझा अवश्य करें और हमारे  वेबसाइट  को सबस्क्राइब कर ले।

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नमस्कार, मेरा नाम सूरज सिंह रावत है। मैं जयपुर, राजस्थान में रहता हूँ। मैंने बी.ए. में स्न्नातक की डिग्री प्राप्त की है। इसके अलावा मैं एक सर्वर विशेषज्ञ हूँ। मुझे लिखने का बहुत शौक है। इसलिए, मैंने सोचदुनिया पर लिखना शुरू किया। आशा करता हूँ कि आपको भी मेरे लेख जरुर पसंद आएंगे।

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    प्रदूषण के प्रकार - Types of Pollution in Hindi. प्रदूषण का वर्गीकरण (Environmental Pollution in Hindi) निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है: वायु प्रदूषण. जल प्रदूषण. मृदा ...

  16. प्रदूषण पर निबंध, अर्थ, कारण और प्रकार

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  17. Speech on pollution in hindi: प्रदूषण पर भाषण

    प्रदूषण पर भाषण, Speech on pollution in hindi -1. सभी को सुप्रभात। इस अवसर पर प्रदूषण पर भाषण देना चाहूंगा। मेरे प्यारे दोस्तों, ...

  18. essay on pollution : प्रदूषण पर हिन्दी निबंध

    essay on pollution : प्रदूषण पर हिन्दी निबंध. प्रस्तावना : विज्ञान के इस युग में मानव को जहां कुछ वरदान मिले है, वहां कुछ अभिशाप भी मिले हैं ...

  19. प्रदूषण पर भाषण

    Hindi Speech प्रदूषण पर भाषण - Pollution Speech in Hindi हेलो स्टूडेंट्स, इस पोस्ट में हम आपको प्रदूषण पर भाषण के बारे में बताएंगे इसे अंत तक पढ़े |

  20. 3 Minute Speech on Pollution for Students and Children

    To begin with, we have air pollution which means contamination of air. It is a very dangerous kind of pollution and which chemically and physically alters the air. When toxic gases enter the atmosphere, life becomes difficult for human beings. The burning of fossil fuels, mining, automobile exhausts, and more contribute to it.

  21. प्रदूषण पर निबंध 10 लाइन/pradushan par nibandh/essay on pollution in

    प्रदूषण पर निबंध 10 लाइन/pradushan par nibandh/essay on pollution in hindi/pollution essay in hindiYour Queries:प्रदूषण पर ...

  22. प्रदूषण पर 10 वाक्य (10 Lines on Pollution in Hindi)

    Pradushan par 10 Vakya - Set 1. 1) 2 दिसंबर को प्रदूषण नियंत्रण दिवस के रूप में उद्घोषित किया गया है।. 2) प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक ...

  23. French court greenlights lawsuit against EDF over wind farm in Mexico

    by Chris Arsenault, Philippe Le Billon on 26 June 2024. After more than three years of legal wrangling, a court in Paris has ruled that a civil case brought by Indigenous communities in Mexico ...

  24. प्रदूषण पर भाषण : Pollution Speech in Hindi

    प्रदूषण पर भाषण : Pollution Speech in Hindi:- आज के इस महत्वपूर्ण जानकारी से परिपूर्ण लेख में हमनें 'प्रदूषण पर भाषण' से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी प्रदान की है।