YADAV SIR

Anuched  Lekhan

anuched lekhan |  अनुच्छेद लेखन | Hindi paragraph | anuched lekhan  | paragraph writing in Hindi | CBSE class 10 – anuched lekhan

anuched lekhan | अनुच्छेद लेखन, निबंध का ही छोटा रूप है। आप एक निबंध में किसी विषय पर अपने पूर्ण विचार रखते हैं। आपको 300 शब्द से भी ज्यादा लिखने की आज़ादी होती है। और यही कारण है कि उस विषय पर पूर्ण प्रकाश ही पड़ता है।

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पर अनुछेद लेखन anuched lekhan   में आप 80 से 100 शब्दों में ही किसी विषय पर अपने विचार प्रकट करते है। अनुछेद लेखन एक ऐसी कला है जिससे किसी विषय से सम्बंधित अपने विचार को एक निर्धारित शब्द सीमा में रहकर अपने बुद्धि बल से प्रकाशित करने की शैली होती है। ये पढ़ने में बड़ा ही अनोखा, रोचक और विषय सम्बंधित जानकारी देने में भी सक्षम होता है।

हिंदी अनुछेद ( Hindi Paragraph) को लिखने से पहले हमें विशेष बातों का ध्यान रखना होता है। CBSE class 10 – anuched lekhan  या ICSE exam में कुछ बातों का तो हमें बड़ी ही एकाग्रता से पालन करना पड़ता है।

आइये हम लेखन सम्बंधित कुछ विशेष बिंदु को जानते है-

  • यह एक ऐसी लेखन शैली है जो बड़ी ही संछिप्त रूप से लिखी जाती है।
  • हमें हमेशा मुख्य विषय पर ही ध्यान केंद्रित रखना होगा। बेकार की बातों को न लिखें।
  • परीक्षा में आपको संकेत बिंदु दिए जाते है। आप इन्ही संकेत बिंदु पर ही लिखने का प्रयास करेंगे ।
  • आप जानते ही हैं कि शब्द सीमा 80-100 ही होती है और आपको इसका विशेष रूप से ध्यान रखना है।
  • ये पढ़ने में आकर्षक और अनुभूतिपूर्ण होनी चाहिए ।
  • आप प्रयास करें कि वाक्य रचना छोटी हो पर वे आपस में जरूर एक दूसरे से जुड़ी होनी चाहिए ।
  • किसी बात को बिलकुल न दोहराएं क्योकि   इससे आपके शब्द सीमा पर प्रभाव पड़ेगा ।
  • केवल मुख्य बातों को ही लिखने का प्रयास करें क्योकि शब्द की एक सीमा है।
  • भाषा को बिलकुल सरल रखें ताकि अनुछेद पूर्ण रूप से प्रभावी बन पाए।
  • पाठक के लिए रुचिकर बातों का समावेश जरूर करें।
  • विषय को केंद्र में जरूर रखें ताकि पाठक विषय से भटक न जाये।
  • आप सूक्ति का प्रयोग कर सकते है। पर विषय से सम्बंधित जरूर हो। ये विषय को अवशय ही प्रभावशाली बनाने में मदद करेगा।
  • अनुछेद ( Paragraph ) के अंत में निष्कर्ष जरूर लिखने का प्रयास करें । ये वैयाकरणिक दृस्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण होता है और ये अनुछेद को पूर्णता भी प्रदान करती है।

anuched lekhan

Table of Contents

अनुछेद लेखन के कुछ उदाहरण

१। स्वास्थ्य और व्यायाम .

संकेत बिंदु –

  • स्वास्थ्य का महत्त्व
  • शारीरिक स्वास्थ्य के लिए व्यायाम
  • मानसिक स्वास्थ्य

एक स्वस्थ शरीर से ही आनंदमय जीवन की शुरुआत होती है। तन मन से स्वस्थ व्यक्ति ही जीवन का आनंद उठा सकता है।

व्यायाम एक ऐसी क्रिया है जो  आपके शरीर को मजबूत करने, आपके तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने और आपकी आंतरिक शक्तियों को तेज करती हैं। व्यायाम निश्चित रूप से आपके शरीर को लाभान्वित करते हैं। व्यायाम करने से मानव शरीर तंदुरूस्त, स्वस्थ, सुंदर और सुडौल बनता है। भौतिक शरीर वाले व्यक्ति को हजारों की भीड़ से आसानी से पहचाना जा सकता है। व्यायाम करने से शरीर का अंग स्वस्थ रहता है। शरीर स्वस्थ और तंदुरुस्त बनता है। आलस्य भाग जाता है। दिन भर ऊर्जा और उत्साह बना रहता है। .

व्यायाम का प्रभाव मन पर भी पड़ता है। शरीर के दुर्बल और रोगी होने से मन भी शिथिल हो जाता है। एक स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन और आत्मा रहती  है। व्यायाम करने के बाद दिमाग तेज हो जाता है। उनके हाथ में जो भी काम होता है, जोश और उत्साह के साथ वह पूरा होता है।

स्वस्थ समाज में स्वस्थ लोग होते हैं। व्यक्ति स्वस्थ और सुखी रहेगा, तो समाज भी स्वस्थ और सुखी रहेगा तथा मजबूत होगा। वह किसी भी बीमारी से लड़ने में सक्षम होंगे। वह पुरे जीवन का आनंद ले सकेंगे।

२। शहरी जीवन में बढ़ता प्रदुषण  

  • बढ़ती जनसंख्या
  • विविध प्रकार के प्रदुषण
  • प्रदुषण को रोकने के उपाय

आज ग्रामीण इलाकों से लोग धीरे-धीरे शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं।  जिसके पास मौका होता है वह शहर में बस जाता है । इस वजह से कई छोटे कस्बे कुछ वर्षों में शहर बन गए हैं।

जनसंख्या घनत्व बढ़ने से महानगरों में तरह-तरह के प्रदूषण बढ़ रहे हैं। वही जमीन, वही आसमान, वही नदी, वही पहाड़, लेकिन तीन गुना आबादी यानी तीन गुना उपभोक्ता। इसका सीधा असर बढ़ते प्रदूषण पर पड़ रहा है।

शहरों में प्रदूषण कई तरह से बढ़ रहा है। सबसे भीषण वायु प्रदूषण है। बड़े शहरों में लोग स्वस्थ हवा में सांस नहीं ले सकते। लोगों को सड़क पर चलते समय वाहनों का काला धुंआ पीना पड़ रहा है। भीड़ अधिक होने के कारण जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हैं। फैक्ट्री का धुआं पर्यावरण को जहरीला बनाता है, इसलिए मनुष्य भी स्वच्छ हवा के लिए तरसता है। बड़े शहरों में जल प्रदूषण एक बड़ी समस्या बन गया है। फैक्ट्री का पानी प्रदूषित होने से भूजल भी लाल और काला हो गया। ध्वनि प्रदूषण की वर्तमान स्थिति यह है कि महानगरों के निवासियों के लिए बहरापन और तनाव आम समस्या हो गई है, और शांत स्थानों की जगह शोर ने ले ली है।

इस संबंध में वैज्ञानिक साधनो की तरह आम लोग भी समान रूप से दोषी हैं। हमें प्रदूषण के कारणों और इससे बचने के तरीकों को समझना होगा । लोगों को सचेत करें और उपायों को व्यापक रूप से प्रचारित करें। सरकार और जनता का संयुक्त सहयोग ही प्रदूषण मुक्त वातावरण का निर्माण हो सकता है।

३। बेरोजगारी : समस्या और समाधान

  • समस्या का समाधान

बेरोजगारी का तात्पर्य योग्य नौकरियों की कमी से है। भारत में बेरोजगारों को मुख्य रूप  से तीन श्रेणियों में बांटा गया है। एक व्यक्ति जिसके पास जीविकोपार्जन का कोई साधन नहीं है। ये पूरी तरह से खाली हैं। दूसरा, जो कुछ समय से काम कर रहे हैं, लेकिन सीजन या काम का समय खत्म होने के बाद बेकार हो जाते हैं। ऐसे लोगों को बेरोजगार कहा जाता है। तीसरे पक्ष ऐसे हैं जिन्हें योग्यता के आधार पर नौकरी नहीं मिली।

बेरोजगारी का मुख्य कारण जनसंख्या विस्फोट है। जनसंख्या वृद्धि के कारण देश में रोजगार सृजन की सारी योजनाएँ बेकार हो गई हैं।  दूसरा कारण पढ़े- लिखे युवको में छोटे काम न करने की लालसा है। बेरोजगारी का तीसरा प्रमुख कारण भ्रष्ट शिक्षा व्यवस्था है। हमारी शिक्षा प्रणाली लगातार नए बेरोजगार लोगों को पैदा कर रही है।

हमारी शिक्षा में पेशेवर प्रशिक्षण का अभाव है।  सरकार को लघु उद्योगों को प्रोत्साहन देना चाहिए। मशीनीकरण की डिग्री को इस हद तक बढ़ाया जाना चाहिए कि इससे रोजगार के अवसर कम न हों। इसलिए गांधी जी ने मशीन का विरोध किया, क्योंकि इसने कई शिल्पकारों के हाथ बेकार कर दिए।

बेरोजगारी के परिणाम भयानक हैं।  बेरोजगार युवा कुछ भी गलत करने को तैयार हैं। वे शांति भंग करने में सबसे आगे हैं। जो लोग सोचते हैं कि शैक्षिक वातावरण धूमिल है, वे शैक्षिक वातावरण को भी चोट पहुँचाते हैं।

जब जनसंख्या की रफ़्तार धीमी होगी तभी बेरोजगारी की समस्या का समाधान हो सकता है। युवा शारीरिक श्रम करें। सरकार को छोटे उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए। औद्योगिक प्रशिक्षण, शिक्षा में शामिल हों ताकि युवा आत्मनिर्भर बन पाए ।

४। भारत का किसान

  • दयनीय अवस्था के मूल कारण

भारतीय किसान बड़ा ही सरल होता है । वह स्वर्गीय सुख की कामना नहीं करता। वह तो रुखा – सूखा खाकर भी आनंदित रहता है। वह स्वाभाव से ही दयालु और सात्विक मानसिकता का होता है।

एक भारतीय किसान बहुत मेहनती होता है। गर्मी, सर्दी और बारिश के बावजूद वह काम में व्यस्त रहता  हैं। किसान को गरजते बादल या तूफानी हवाएं कोई उसे उसके कर्म करने से नहीं रोक सकती । भारतीय किसानों का जीवन कठिन और चुनौतीपूर्ण होता है। दिन-रात काम करने पर भी वह जीवन की जरूरतों को पूरा नहीं कर सकता है।  उसके पास न तन ढकने के लिए कपड़ा होता है और न ही पर्याप्त भोजन ।

गरीबी और अशिक्षा भारतीय किसानों के पतन का मूल कारण है। शिक्षा की कमी के कारण, वह कई बुराइयों से घिरा हुआ है । अंधविश्वास और रीति-रिवाज उनके जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बन गए हैं। आज भी वह शोषण का शिकार है। आपकी मेहनत दूसरों के लिए सुख-समृद्धि लाती है पर खुद अभावग्रस्त है।

देश की प्रगति किसानों के जीवन में सुधार से जुड़ी है। किसान इस देश की आत्मा हैं। इसलिए हमें इसे सुधारने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। किसानों के महत्व को जानकर लाल बहादुर शास्त्री ने “जय जवान जय किसान” का नारा दिया। यदि जवान देश की सीमाओं की रक्षा करता है, तो किसान उस सीमा के भीतर रहने वाले लोगों को समृद्धि प्रदान करते हैं ।

५। छात्र और अनुसासन 

  • पहला अनुसासन का प्रभाव
  • व्यक्ति और समाज पर प्रभाव
  • जीवन पर प्रभाव

“अनुशासन” शब्द का अर्थ है -नियमों को व्यवस्था के अनुसार जीना। यदि कोई व्यवस्था तय है, तो उस पर जियो। व्यवस्था ठीक न हो तो जीवन में कोई भी नियम अपने लिए बना लें। अनुशासन जीवन को उपयुक्त बनाता है। इससे दक्षता में सुधार होता है। समय का पूरा सदुपयोग होता है।

पहला अनुशासन अनुशासन का पाठ सबसे पहले परिवार से ही सीखा जाता है। परिवार का सारा काम व्यवस्थित तरीके से होगा तो बच्चा भी अनुशासन पर ध्यान देगा। इसलिए लोगों को पहले अपने घर को अनुशासित करना चाहिए।

अनुशासन न केवल व्यक्तिगत जीवन के लिए आवश्यक है, बल्कि सामाजिक जीवन के लिए भी नितांत आवश्यक है। व्यक्तिगत जीवन में अनुशासन का अर्थ है कि छात्रों को प्रत्येक कार्य को समय पर और क्रम से पूरा करने की आदत विकसित करनी चाहिए। आपको अपने काम के घंटे निर्धारित करने होंगे। दिनचर्या निश्चित होनी चाहिए।

सामाजिक जीवन में अनुशासन आवश्यक है। जैसे ट्रेन, बस, स्कूल और कार्यालय हमेशा खुले रहते हैं, वैसे ही कर्मचारियों को अपने-अपने स्थानों पर समय पर काम करने के लिए तैयार रहना चाहिए। कोई ढिलाई नहीं होनी चाहिए।  इसके साथ ही विद्यार्थी समय पर सामाजिक कार्यों में भाग लेने के तत्पर हों।

अनुशासन एक महत्वपूर्ण जीवन मूल्य है, वास्तव में अनुशासन एक प्रकार का स्वभाव है। एक विज्ञान है। अनुशासन का लक्ष्य जीवन को आरामदायक और सुविधाजनक बनाना है। एक अनुशासित व्यक्ति को सुशिक्षित और सभ्य माना जाता है। एक अनुशासित विद्यार्थी अपने जीवन में सफलता तो प्राप्त करता है ही साथ ही साथ समाज में ऊँचा दर्जा भी प्राप्त करता है।

तेनाली रमन की कहानियाँ पढ़ें – Click here  

६। भारतीय संस्कृति : अनेकता में एकता 

  • भारतीयता का भाव
  • पहनावा, संस्कृति व् भोजन की भिन्नता में एकता

भारतवर्ष एक विशाल देश है जिसमें कई संस्कृतियां रहती हैं। जैसे नदी अपनी स्वतंत्रता खो कर समुद्र में विलीन हो जाती है, उसी प्रकार भारत में विभिन्न समुदायों को “भारतीय” भी कहा जाता है, भले ही उनकी अपनी विशेषताएं हों। विभिन्न धार्मिक मान्यताओं का पालन करने के बाद भी ये सभी भारतीयों के जीवन में विलीन हो गए।

यह भारतीय विशेषता इस देश को अन्य देशों से अलग करती है। यहां सद्भाव से रहते हुए, आपको सभी क्षेत्रों में मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा या चर्च मिल जाएंगे। यहां के लोग सभी धर्मों को मानते हैं। सभी धार्मिक अवकाश भी उत्साह के साथ मनाए जाते हैं।   जीवन के सभी क्षेत्रों से भारतीयों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।

भारतीय संस्कृति की एकता भी इसी भाषा में अभिव्यक्त होती है। हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन के लिए कोई अलग भाषा नहीं है। एक प्रांत के सभी निवासी एक ही भाषा बोलते हैं। राष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी के साथ पूरा देश जुड़ा हुआ है।

भारत के प्रत्येक प्रांत में अलग-अलग वेशभूषा है। इस तरह के कपड़े जलवायु और स्थानीय जरूरतों के अनुसार विकसित हुए। उदाहरण के लिए, पूरे उत्तर प्रदेश में किसान सिर पर पगड़ी पहनते हैं।

भारत में कई नृत्य शैलियाँ हैं। भरतनाट्यम, ओडिसी, कुचिपुड़, कथकली, मणिपुरी कथक, आदि पारंपरिक नृत्य शैलियाँ हैं, और भगड़ा, गिदा नागा, बिहू, आदि  नृत्य के लोकप्रिय रूप हैं।

पुरे भारत में विचरण करें तो ज्ञात होगा भारत में भोजन की बहुत समृद्ध विविधता है। कहीं दाल-बाटी, तो कहीं चावल और मछली, तो कहीं रोटी-साग,  इडली और डोसा। इस विविधता के बीच एकता का प्रमाण यह है कि आज दक्षिण भारतीयों को दाल और कबाब खाने का उतना ही शौक है जितना उत्तर भारतीय  इडली डोसा खाते हैं। इसी कारण ये विश्वा में आकर्षण का केंद्र बानी हुई है।

७। भारतीय नारी  

  • समर्पण का स्वभाव
  • पश्चिमी नारी
  • भारतीय नारी
  • वर्त्तमान नारी

भारतीय नारी का नाम सुनते ही प्रेम, करुणा, दया, त्याग और सेवा की मूर्तियाँ हमारे सामने प्रस्तुत हो जाती  हैं। नारी व्यक्तित्व में सौम्यता और सुंदरता का मिश्रण होता है। यही कारण है कि इसमें प्रेम, करुणा, त्याग आदि गुण अधिक होते हैं। इसी भावना से नारी ने अपना और अपने परिवार का जीवन खुशहाल बनाया।

पश्चिमी देशों में महिलाओं ने अंधी प्रतियोगिताओं में पुरुषों के साथ प्रतिस्पर्धा और प्रगति करना शुरू कर दिया है। वे पैसे की तलाश में पुरुषों के समान व्यवसाय में लगे हुए हैं। उन्हें अपने राग, प्रेम और स्नेह की परवाह नहीं है। कई महिलाएं तो मां बनने पर भी विचार नहीं करती हैं। वह बस अपनी खुशी, सुंदरता और विलासिता में डूबी रहना चाहती है।

भारत ने शुरू से ही महिलाओं के मातृत्व को समझा है। यही कारण है कि यहां हमेशा महिलाओं की पूजा की जाती रही है।भारत में महिलाएं प्राचीन काल में पुरुषों की तरह स्वतंत्र थीं। घुसपैठियों के डर से उसे घर की दीवारों में कैद रहना पड़ा। सैकड़ों वर्षों तक, जब वह घर के काम में लगी हुई थी, लेकिन वर्तमान युग के  बदलते परिवेश में, भारतीय महिलाओं के पास समाज के लिए खुलने का अवसर है,

आज महिलाओं में पढ़ने, लिखने और कुछ करने की इच्छा है। महिलाएं अब शीर्ष पर पहुंच चुकी हैं।  उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में पुरुषों को पीछे छोड़ दिया है। कंप्यूटर विज्ञान के क्षेत्र में इसकी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।  चिकित्सा शिक्षा और सेवा के क्षेत्र में उनका योगदान असाधारण है। आज कई महिलाएं इंजीनियरिंग, बिजनेस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी सफल हैं। आज भारतीय महिलाओं का गुणगान सारा विश्व  कर रहा है।

८। पर्यटन का महत्त्व 

  • पर्यटन क्या है
  • एक उद्योग के रूप में

आनंद के लिए घूमना ही पर्यटन कहलाता है। घूमने वाला प्राणी हमेशा आनंदित रहता है। उसे किसी बात की चिंता नहीं सताती। लोगों का तो यहाँ तक मानना है कि इससे मानसिक रोगी में बहुत सुधार भी देखे जाते हैं।

राहुल सांकृत्यायन ने कहा कि अब तक दुनिया का सारा विकास पथिक की कृपा से हुआ है। जितने भी धर्म विकसित हुए हैं, वे पथिकों की कृपा से विकसित हुए हैं। कोलंबस और वास्को डी गामा ने यात्रा के माध्यम से भारत और अमेरिका की खोज की। आज भी सबसे धनी लोगों का व्यवसाय पूरी दुनिया में फैला हुआ है।

पर्यटन आज एक उद्योग बन गया है। भारत में कई पर्यटक आकर्षण हैं। कश्मीर, कुरु-मनाली, मसूरी, नैनीताल और ऊटी की सुरम्य पहाड़ियां हर साल हजारों पर्यटकों को आकर्षित करती हैं तथा धार्मिक स्थलों पर हर साल लाखों पर्यटक आते हैं। कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और असम में पर्यटन वहां की आर्थिक व्यवस्था की रीढ़ है।

पर्यटन से मानव जाति को कई लाभ होते हैं। पर्यटकों को दुनिया में कई संस्कृतियों से अवगत कराया जाता है। इससे आपको सभी फायदों के बारे में पता चलता है। उनकी दृष्टि व्यापक हो गई। पर्यटन ने दुनिया में आपसी भाईचारा पैदा किया है।

“वसुधैव कुटुम्बकम” का आदर्श वाक्य तभी समझ में आता है जब दुनिया भर के लोग खुद को आपके परिवार का सदस्य मानते हैं। यह केवल पर्यटन के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है। आज पर्यटन मनोरंजन का साधन बनता जा रहा है। आम लोग भी अपनी आमदनी का कुछ हिस्सा पर्यटन के लिए इस्तेमाल करने लगे हैं। पर्यटन वास्तव में लोगों को दैनिक जीवन की परेशानियों से मुक्त करता है। यह मानव जाति को बचाने का एक अच्छा तरीका है।

९। समाचार पत्र का महत्त्व

  • समाज का सम्बन्ध
  • प्रचार का माध्यम
  • व्यापार में उपयोगी
  • मनोरंजन के लिए

समाचार पत्र हमारे और शेष विश्व के बीच की कड़ी हैं। जब हम अखबार में देशी-विदेशी खबरें पढ़ते हैं तो हम पूरी दुनिया का हिस्सा बन जाते हैं। लोग इसके माध्यम से अपनी इच्छा, विरोध और आलोचना व्यक्त करते हैं।

आज प्रचार का युग है। यदि आप अपने उत्पाद, अपने विचार, अपने कार्यक्रम या अपनी रचना को राष्ट्रीय स्तर पर बनाना चाहते हैं तो अखबार की मदद लें। अखबारों के जरिए लोग रातों-रात नेता या सेलिब्रिटी बन जाते हैं।

व्यापार बढ़ाने में समाचार पत्र काफी मददगार साबित हुए हैं। विज्ञापनों की मदद से व्यवसायों के उत्पाद न केवल देश और विदेश में बेचे जाते हैं। नौकरी तलाशने के लिए समाचार पत्र भी एक अच्छा साधन हैं। सभी बेरोजगारों का सहारा अखबारों में नौकरी के विज्ञापन हैं। वे सभी दलों और महान लोगों के महत्व को समझते हैं।

महिलाएं अपने परिवार को संभालने के नए तरीके सीखती हैं। समाचार पत्रों में अक्सर हमें विभिन्न सूचना और मनोरंजन मीडिया प्रदान करने के लिए ऐसे कई स्थायी कॉलम होते हैं।आज, समाचार पत्रों ने मनोरंजन के क्षेत्र में भी प्रगति की है। इसने नई कहानियाँ, उपाख्यान, कविताएँ और अन्य बाल साहित्य प्रकाशित किए। वास्तव में आज के समाचार पत्र बहुमुखी हो गए हैं।

आज अखबार के माध्यम से मनचाहा वर-वधू ढूंढ सकते हैं। आप घर, कार, वाहन खरीद और बेच सकते हैं। आप खोए हुए भाई को बुला सकते हैं। आप अपनी परीक्षा का परिणाम जान सकते हैं। इसलिए समाचार पत्रों का महत्व बहुत अधिक हो गया है।

१०। आदर्श विद्यार्थी 

  • जानने की इच्छा

विद्या का अर्जन करने वाला ही विद्यार्थी कहलाता है। इसके मन में सीखने की लालसा होती है। वह ज्ञान का प्यासा होता है।

छात्रों का पहला गुण जिज्ञासा है। आपको हमेशा नए विषयों के बारे में नई  जानकारी की आवश्यकता होती है। वह न केवल पुस्तकों और शिक्षकों पर निर्भर करता है, वह अपने प्रयासों से ज्ञान प्राप्त करता है। एक सच्चा छात्र आस्तिक होता है। एक वास्तविक छात्र सांसारिक सुख और आराम में विश्वास नहीं करेगा।

आदर्श विद्यार्थी प्रयास, दृढ़ता और पश्चाताप को आग की लपटों में पिघलाकर सोना बनाता है। आराम और सुविधा के जाल में फंसने वाले छात्र अपने जीवन की नींव को कमजोर कर देते हैं।  आदर्श छात्र अपना दैनिक जीवन स्वयं निर्धारित करेगा और उसका सख्ती से पालन करेगा। अपने अध्ययन, खेल, व्यायाम, मनोरंजन और अन्य गतिविधियों का समन्वय करें।

वह खेल और व्यायाम का एक निश्चित कार्यक्रम भी रखता है। एक आदर्श छात्र का साधारण जीवन ही होता है , जो फैशन और आकर्षण की दुनिया से बहुत दूर है। वह अपने मन  में ऊंचे विचारों के साथ एक मौलिक  जीवन जीता है। वे छात्र जो श्रृंगार पसंद करते हैं, वे अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। वे अपने मुकाम तक कभी पहुंच नहीं पाते ।

 Best motivational quotes   – click here  

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कैसे लिखे सबसे अच्छा आर्टिकल?

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  • Updated on  
  • दिसम्बर 2, 2022

Article writing in Hindi बहुत ही आसान होता है, परंतु जब हम उसे लिखने बैठते हैं, तो हमें समझ नहीं आता कि क्या लिखें और क्या नहीं! जब हम बोलते हैं तब हमारी बातों पर हमारा कंट्रोल नहीं होता, हम बहुत सारी बातें बोलते हैं। परंतु जब लिखने की बात आती है तब हम वही बातें लिखते हैं जो बहुत जरूरी होती है। ठीक उसी तरह आर्टिकल लिखने मतलब होता है कि कम से कम शब्दों में ज्यादा से ज्यादा और जानकारी के बारे में बताना। जब हम बातें करते हैं तो हमें सामने वाले चेहरे को देखकर पता चलता है कि हम जो बोल रहे हैं वह उसे समझ आ रहा है या नहीं, परंतु जब लिखने के बाद आती है तब हमें इस बात का पता नहीं चलता।

यदि आप पैराग्राफ राइटिंग इन हिंदी लिखना चाहते हैं तो इस लिंक पर क्लिक करें:  Paragraph writing in Hindi

आर्टिकल लेखन क्या है?

आर्टिकल लेखन एक ऐसा तरीका है जिसमें हम किसी भी विषय के बारे में लिखकर उसकी जानकारी या उसके बारे में बता सकते है। उसे हिंदी में ‘ लेख ‘ कहा जाता है। Article writing in Hindi का मतलब होता है कि किसी भी विषय पर ज्यादा से ज्यादा जानकारी देना। आर्टिकल राइटिंग दो प्रकार के होते हैं-

  • पहला प्रकार-  जिसके हर शब्द का अपना एक अलग ही महत्व होता है।
  • दूसरा प्रकार- किसी भी आर्टिकल में उस विषय की जानकारी को सरल और साधारण भाषा में समझाया गया हो।

आर्टिकल लेखन के उद्देश्य

एक लेख निम्नलिखित उद्देश्यों को ध्यान में रखकर लिखा जाना चाहिए-

  • इसे विषय या रुचि के विषय को अग्रभूमि में लाना चाहिए।
  • लेख में सभी आवश्यक जानकारी पर चर्चा होनी चाहिए।
  • इसे पाठकों को सिफारिशें करनी चाहिए या सुझाव देना चाहिए।
  • यह पाठकों पर प्रभाव डालने और उन्हें सोचने पर मजबूर करने के योग्य होना चाहिए।
  • लेख में लोगों, स्थानों, उभरती चुनौतियों और तकनीकी प्रगति सहित विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल होनी चाहिए।

आर्टिकल लेखन फॉर्मेट

आप जो कुछ भी लिखना चाहते हैं, आपके लिए यह महत्वपूर्ण है कि आप पहले लेख की संरचना को जानें और फिर उसके अनुसार विवरण का उल्लेख करें। मुख्य रूप से 3 खंडों में  विभाजित- शीर्षक, बायलाइन और मुख्य भाग  , आइए हम लेख लेखन प्रारूप पर एक नज़र डालते हैं जिसे आपको अपनी जानकारी लिखते समय ध्यान में रखना चाहिए।

शीर्षक या उप शीर्षक

पहली बात जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए और लेख लेखन में सबसे महत्वपूर्ण घटक शीर्षक/शीर्षक है। पाठकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए यह आवश्यक है कि लेख को 5 से 6 शब्दों से अधिक का आकर्षक शीर्षक दिया जाए। 

बायलाइन या लेखक का नाम

शीर्षक के नीचे एक बाइलाइन आती है जिसमें उस लेखक का नाम होता है जिसने लेख लिखा है। यह हिस्सा लेखक को वास्तविक श्रेय अर्जित करने में मदद करता है जिसके वे हकदार हैं।

लेख का मुख्य भाग

मुख्य भाग में एक लेख की मुख्य सामग्री होती है।  कहानी लेखन  हो या लेख लेखन, यह पूरी तरह से लेखक पर निर्भर करता है कि वह रचना की लंबाई और उन पैराग्राफों की संख्या तय करे जो जानकारी को एम्बेड करेंगे। आम तौर पर, एक लेख में 3 या 4 पैराग्राफ होते हैं, जिसमें पहला पैराग्राफ पाठकों को यह बताता है कि लेख किस बारे में होगा और सभी आवश्यक जानकारी। दूसरे और तीसरे पैराग्राफ में विषय की जड़ को शामिल किया जाएगा और यहां सभी प्रासंगिक डेटा, केस स्टडी और आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं। इसके बाद, चौथा पैराग्राफ उस लेख को समाप्त करेगा जहां समस्याओं के समाधान, जैसा कि दूसरे और तीसरे मार्ग (यदि कोई हो) में प्रस्तुत किया गया है, पर चर्चा की जाएगी। 

ऑटिकल कैसे लिखा जाता है?

जब भी आप किसी भी टॉपिक पर आर्टिकल लिखते हैं तो आपको बहुत सारी बातों को ध्यान रखना पड़ता है जो आपके लिखने की क्षमता को कई गुना ज्यादा निखरता हैं इसलिए ऑटिकल लिखने के लिए नीचे दिए गए जानकारी को ध्यान से पढ़े जो आपको ऑटिकल लिखने में कई ज्यादा मदद करेंगा।

सोचकर लिखना सीखें

यह Article writing in Hindi का सबसे महत्वपूर्ण अंग और सबसे पहला भाग है कि आप किसी भी टॉपिक में कोई भी ऑटिकल लिखते है तो सिर्फ एक विचार को ध्यान में रखकर ना लिखे बल्कि उस पूरे समाज और सभी लोगों के लिए लिखें जो आपके इस ऑटिकल का फायदा मिल सकें। और इमेजिनेशन ही एक ऐसी चीज है जिसे आप हर तरह का सीन क्रिएट कर सकते हैं इमेजिनेशन के जरिये ही आप अपने अंदर ही अंदर आर्टिकल का एक बेतरीन स्ट्रक्चर तैयार कर सकते है जो आपके रीडर्स को आपका पूरा आर्टिकल पढ़ने के लिए उत्साहित करता है।

शांत वातावरण

अक्सर आपने फिल्मों में देखा और पढ़ा होगा कि अगर कोई लिखता है तो वह एक ऐसा वातावरण देखते है जहाँ शाति हो और वहाँ वे अपनी लिखने की कौशल को एक बेहतर लेखन शैली पर लेकर जा सकें। ऐसा इसलिए ताकि वह किसी भी तरीके से डिस्टर्ब न हो ताकि वह अपनी इमेजिनेशन पर पूरी तरह से केंद्रित रह सकें क्योंकि हमारा मन बहुत चंचल हैं और अगर कोई हमें डिस्टर्ब कर देता है तो हम उस इमेजिनेशन से एक दम बहार आ जाते है औऱ फिर से उसपर केंद्रित होने में काफ़ी समय लग सकता है इसलिए हमेशा एक अच्छा और बेहतरीन ऑटिकल लिखने के पहले शांत वातावरण की जरूरत होती है।

एक शब्द का इस्तेमाल बार-बार ना करें

ऑटिकल लिखते समय इस बात का हमेशा आपको ध्यान रखना है कि आप किसी भी शब्द को एक से ज्यादा बार अपने ऑटिकल में इस्तेमाल नहीं करें। अब इसका मुख्या कारण यानी ऐसा करने से आपके रीजर्स ऑटिकल पढ़ते पढ़ते बोर हो जाते है जिसके बाद उस ऑटिकल में ज्यादा संख्या में व्यू नहीं आते हैं। इसलिए एक जैसे शब्दों का प्रयोग न करके उसके जैसे समान अर्थ वाले शब्दों का प्रयोग करें जिसे रीडर्स को यह न लगे कि वह बार-बार की की लाइन पढ़ रहा है।।

ज़ीरो से लिखना शुरू करें

आर्टिकल लिखते समय आपको नहीं पता होता कि आपका यह ऑटिकल दुनिया के किन कौने में कौन से व्यक्ति द्वारा पढ़ा जा रहा है। इसलिए आपने ऑटिकल में जब भी आप किसी भी टॉपिक के बारे में बताएं तो इस बात को ध्यान में रखकर लिखें जिसको पढ़कर उस टॉपिक के बारे में किसी भी रीडर में मन में अधूरी जानकारी ना रहें। इसलिए आपको अपने आर्टिकल को बिल्कुल ज़ीरो से लिखना चाहिए ताकि हर वर्ग का व्यक्ति बहुत आसनी से समझ सकें क्योंकि जब आपके लिखे गए तथ्य लोगों के समझ नही आते तो वह आपके आर्टिकल को छोड़कर चले जाते है।

अपने अनुभव के साथ लिखें

अगर आप किसी एक ऐसे विषय पर लिख रहे हैं जिसमे आपका अपना कोई पर्सनल अनुभव हैं तो आपको उसी आधार पर अपने आर्टिकल को लिखना चाहिए। क्योंकि हम सब की एक जैसी समस्याएं होती हैं और रीडर्स उस समय सबसे ज्यादा आर्टिकल को पढ़ने के लिए उत्साहित होता है जब उसे लगता है कि उसकी समस्या भी बिल्कुल ऐसी है और फिर वह उनका हल जाने के लिए अंत तक आर्टिकल पढ़ता है।

आर्टिकल लिखने का सही तरीका

Article writing in Hindi सरल और साधारण भाषा में होना चाहिए। ताकि उसे एक बार पढ़ना शुरू करें तो अंत तक उसे पूरा पढ़ कर ही रखें।आर्टिकल पढ़ने वाले के लिए लाभदायक होना चाहिए ताकि उसके हर सवालों के जवाब उसके अंदर उसे मिल जाए। इसलिए आर्टिकल लिखने से पहले उसके फॉर्मेट के बारे में हमें पता होना चाहिए। आर्टिकल लिखने की शुरुआत कैसी करनी चाहिए? कहां पर किस बारे में बताना चाहिए ?आर्टिकल को पूरा कैसे करना चाहिए ?उसके अंदर कौनसी-कौनसी बातों का उल्लेख करना चाहिए? ऐसे कई सारी बातों का ध्यान में रखकर आर्टिकल आप शानदार रूप से लिख सकते हैं। Article writing in Hindi को तीन भाग में विभाजित किया गया है:

लेख लेखन उद्घाटन अनुभाग

लेख लेखन कार्रवाई अनुभाग, लेख लेखन समापन अनुभाग.

यदि आप  informal letter in Hindi  के बारे में जानकारी चाहते हैं तो दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

आर्टिकल लेखन की शुरुआत सरल और आसान भाषा से होनी चाहिए। आर्टिकल के अंदर कहीं जाने वाली बातों का उल्लेख करना चाहिए। सीधे-सीधे बातों को पेश न करके उसे रोचक वाले शब्दों से उद्घाटन करना चाहिए। इमैजिनेशन जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके आर्टिकल को पढ़ने पर मजबूर करने वाले शब्दों का प्रयोग करें। अपने कई बार देखा होगा न्यूज़ में कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग होता है जिससे हम न्यूज़ को देखने के लिए व्याकुल हो जाते हैं।

उदाहरण के तौर पर,” गौर से देखिए इस मासूम बच्ची को”, यह शब्द सुनते ही हमारा पूरा ध्यान न्यूज़ की  तरफ केंद्रित हो जाता है। हमें वह न्यूज़ को देखने पर मजबूर कर देता है। ठीक उसी तरह हमारे आर्टिकल में भी कुछ ऐसे शब्दों का प्रयोग करके हम रीडर्स को अपनी तरफ आकर्षित कर सकते हैं। किसी भी बात को समझाने के लिए सीधे-सीधे ना बताकर, रोचक वाले शब्दों का इस्तेमाल करके अपने आर्टिकल को आकर्षित बना सकते हैं।

यह सबसे अहम विमाग होता है। जिसमें हम उन बातों का उल्लेख करता है , जिसके लिए रीडर आर्टिकल को पढ़ने के लिए आया होता है। इसलिए यह एक्शन पार्ट कहलाता है। इसके अंदर रीडर्स के सवालों के जवाब के बारे में लिखा जाता है।

उदाहरण के लिए-

  • डॉक्टर कैसे बने
  • डॉक्टर के लिए कौन सी पढ़ाई करनी चाहिए
  • डॉक्टर के लिए कौन सा कोर्स करना चाहिए
  • डॉक्टर के लिए टॉप कॉलेज
  • डॉक्टर के लिए टॉप सरकारी कॉलेज
  • डॉक्टर के लिए कितने साल की पढ़ाई होती है
  • डॉक्टर की पढ़ाई के बाद क्या करना चाहिए
  • ऐसे कई सारे सवालों का जवाब आर्टिकल के अंदर उल्लेख होना चा

इन सभी सवालों का जवाब देकर आप रीडर को अपनी तरफ आकर्षित कर सकते हैं। आर्टिकल लेखन हमेशा सरल और साधारण वाक्य और भाषा में होना चाहिए। आर्टिकल को अलग-अलग उदाहरण के साथ समझा भी सकते हैं।

जितना आर्टिकल राइटिंग का ओपनिंग सेक्शन जरूरी होता है ठीक उतना ही आर्टिकल राइटिंग का समापन विभाग भी उतना ही जरूरी होता है। आर्टिकल राइटिंग क्लोजिंग सेक्शन में आप पूरे आर्टिकल के ओवरव्यू के बारे में बताते हैं। इसके अंदर कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में समझा सकते हैं। समापन विभाग तुरंत खत्म ना करें उसके अंदर थोड़ी-थोड़ी रोचक वाले शब्दों का प्रयोग करके  आकर्षित बनाएं ताकि रीडर अंत तक पूरा आर्टिकल पढ़ें। Article Writing in Hindi इस प्रकार तीन हिस्सों में बांट सकते हैं। अगर आप यह तीन हिस्सों में अच्छे से आर्टिकल लिखेंगे तो आप रीडर को अपनी तरफ आकर्षित कर सकते हैं। आर्टिकल राइटिंग को बेहतर बनाने के लिए उसके अंदर राइटिंग स्किल होना बहुत ही जरूरी है। राइटिंग स्किल से आप अपने आर्टिकल को और भी बेहतर बना सकते हैं।

आर्टिकल राइटिंग के लिए स्टेप बाय स्टेप गाइड 

प्रारूप जानने के बाद, आइए लेख लिखने की प्रक्रिया में शामिल 5 सरल चरणों पर एक नजर डालते हैं:-

चरण 1: अपने लक्षित दर्शकों को खोजें

किसी भी विषय पर लिखने से पहले, लेखक के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह पहले उन श्रोताओं की पहचान करे जो लेख लक्षित करता है। यह लोगों, बच्चों, छात्रों, किशोरों, युवा वयस्कों, मध्यम आयु वर्ग, बुजुर्ग लोगों, व्यवसायी लोगों, सेवा वर्ग आदि का एक विशेष समूह हो सकता है। आप जिस भी समूह के लोगों के लिए लिखना चुनते हैं, उस विषय का चयन करें जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हो। उनके जीवन को प्रभावित करता है या प्रासंगिक जानकारी फैलाता है। 

उदाहरण के लिए, यदि लेख माता-पिता पर केंद्रित है, तो आप बाल मनोविज्ञान, बच्चे के दैनिक पोषण आहार आदि के बारे में लिख सकते हैं। स्वर और भाषा भी लेख लेखन में उपयुक्त श्रोताओं से मेल खाना चाहिए। 

चरण 2: एक विषय और एक आकर्षक शीर्षक चुनें

अपने लक्षित दर्शकों को चुनने के बाद, लेख लेखन में दूसरा महत्वपूर्ण कदम अपनी रचना के लिए एक उपयुक्त विषय चुनना है। यह एक विचार देता है कि आपको लेख के साथ कैसे प्रक्रिया करनी चाहिए। विषय का चयन करने के बाद, उसके लिए एक दिलचस्प शीर्षक के बारे में सोचें। 

उदाहरण के लिए, यदि आप छात्रों को उपलब्ध विभिन्न एमबीए विशेषज्ञताओं से अवगत कराना चाहते हैं, तो आप लिख सकते हैं – ”  एमबीए विशेषज्ञता के बारे में आपको जो कुछ भी जानने की आवश्यकता है  “।

चरण 3: रिसर्च कुंजी है

अपने लक्षित दर्शकों, विषय और लेख के शीर्षक का चयन करने के परिणामस्वरूप, लेख लेखन में शोध सबसे महत्वपूर्ण चीज है। लेख में शामिल की जाने वाली सभी सूचनाओं को जानने के लिए ढेर सारे लेख, आंकड़े, तथ्य और डेटा, और नए शासी कानून (यदि कोई हों) पढ़ें। इसके अतिरिक्त, डेटा की प्रामाणिकता की जांच करें, ताकि आप कुछ भी पुराना न बताएं। लेख लिखने के साथ आगे बढ़ने से पहले, बुलेट पॉइंट्स और कीवर्ड्स में लेख का एक रफ ड्राफ्ट या रूपरेखा तैयार करें ताकि आप महत्वपूर्ण जानकारी से न चूकें। 

चरण 4: लिखें और प्रूफरीड

एक बार जब आप सभी तथ्य और डेटा एकत्र कर लेते हैं, तो अब आप अपना लेख लिखना शुरू कर सकते हैं। जैसा कि चर्चा की गई है, लेख को एक परिचयात्मक पैराग्राफ के साथ शुरू करें, उसके बाद एक वर्णनात्मक और एक समापन पैराग्राफ। आपके द्वारा सब कुछ लिखने के बाद, अपने पूरे लेख को प्रूफरीड करना और यह जांचना उचित है कि कहीं कोई व्याकरण संबंधी त्रुटि तो नहीं है। एक पाठक के रूप में, जब आप एक छोटी सी गलती भी देखते हैं तो यह एक बड़ा मोड़ बन जाता है। साथ ही, सुनिश्चित करें कि सामग्री किसी अन्य वेबसाइट से कॉपी नहीं की गई है। 

चरण 5: चित्र और इन्फोग्राफिक्स जोड़ें

लोगों को पढ़ने के लिए अपनी सामग्री को और अधिक आकर्षक बनाने के लिए, आप कुछ इन्फोग्राफिक्स भी शामिल कर सकते हैं। छवियों को जोड़ने से लेख और भी आकर्षक हो जाता है और यह अधिक प्रभावशाली साबित होता है। इस प्रकार आपके लेख लेखन के उद्देश्य को सफल बनाते हैं!

आर्टिकल राइटिंग के उदाहरण

  • महिला सशक्तिकरण

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः।। जब बात महिलाओं की आती है तो सबसे पहले इसी श्लोक को याद किया जाता है। हम सब औरत को देवी का रुप मानते है, आत्मविश्वास, अनुभव, रचनात्मकता से परिपूर्ण वास्तविकता में यहीं एक औरत की पहचान है। पारंपरिक समाज और चार दिवारों तक सीमित रहने वाली औरत आज देश कि राष्ट्रीय आय में अपनी भूमिका निभा रही है। महिलाएं आर्थिक कारकों के कारण उद्यमिता में प्रवेश करती हैं जो उन्हें अपने दम पर आगे बढ़ाती हैं। भारतीय महिलाएं, जिन्हें बेहतर माना जाता है लेकिन वे समाज में समान भागीदार नहीं हैं। महिलाओं की उद्यमीता में लिंग अंतर बहुत मायने रखता है। जिसके कारण बहुत सी परेशानीयों का सामना करना पड़ता है। आईआईटी, दिल्ली द्वारा किए सर्वेक्षण के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में छोटे व्यवसाय का एक तिहाई महिलाएं है। एशियाई देशों में कुल कार्यबल का 40 प्रतिशत हिस्सा महिलाओं का है। भारत में महिलाएं अपने परिवार से बहुत भावनात्मक रूप से जुड़ी हुई हैं। घर के काम, बच्चों परिवार के सदस्यों की देखभाल करने में व्यस्त रहती है। ऐसे में उनके पास अपने लिए कुछ करने ंका समय कहां बचता है। दुसरी समस्या है हमारा पुरुष प्रधान समाज। महिलओं के साथ पुरुषों के बराबर व्यवहार नहीं किया जाता है। व्यवसाय में उनके प्रवेश के लिए परिवार के प्रमुख की मुजूरी की आवश्यकता होती है। पारंपरिक रूप से उद्यमिता को पुरुषों कि निगरानी में रखा गया है जो महिलाओं के विकास में रूकावट हैं। महिला साक्षरता को लेकर आंकडे बदल रहे है। भारतीय समाजों में प्रचलित परंपराएं और रीति-रिवाज एक बोझ बन जाते है। भारत में महिलाएं स्वभाव से कमजोर, शर्मीली और सौम्य है। ऐसे में शिक्षा, प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता की कमी उनकी क्षमता में कमी कर देती है। चूंकि महिलाएं मार्केटिंग, डिस्ट्रीब्यूशन और मनी कलेक्शन के लिए इधर-उधर भाग दौड़ नहीं कर सकती हैं, इसलिए उन्हें निर्भर रहना पड़ता है। लेकिन इन सबके बाद भी उन्होंने अपनी पहचान पा ली है जैसे- अखिला श्रीनिवासन, प्रबंध निदेशक, श्रीराम इनवेस्टमेंट लि., चंदा कोचर, कार्यकारी निदेशक, आईसीआईसीआई बैंक, एकता कपूर, क्रिएटिव डायरेक्टर, बालाजी टेलीफिल्म्स लि., ज्योति नाइक, अध्यक्ष, लिज्जत पापड., किरण मजूमदार शॉ, अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, बायोकॉन लि, ललिता डी गुप्ते, जेएमडी, आईसीआईसीआई बैंक , नैना लाल किडवार, डिप्टी सीईओ, प्रीता रेड्डी, प्रबंध निदेशक, अपोलो अस्पताल, प्रिया पॉल, अध्यक्ष, एपीजे पार्क होटल राजश्री पैथी, अध्यक्ष, राश्री शुगर्स एंड केमिकल्स लि

छात्रों के लिए कोविड-19 पर लेख लेखन

कोविड-19 ने मानव जीवन के सभी वर्गों को प्रभावित किया है। जबकि इसने सभी उद्योग क्षेत्रों को प्रभावित किया, इसका शिक्षा पर बड़ा प्रभाव पड़ा। रात के भीतर कक्षाओं को ऑफलाइन से ऑनलाइन कर दिया गया था, लेकिन इससे छात्रों में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई, खासकर उन छात्रों के लिए जो कॉलेजों में प्रवेश करने वाले थे। स्थिति बेहतर होने की उम्मीद में छात्रों ने एक साल का अंतराल भी लिया। जबकि दुनिया भर में टीकाकरण के कारण स्कूल और कॉलेज खुल रहे हैं, अभी भी कई चुनौतियाँ हैं।

COVID-19 को समझना, यह कैसे फैलता है, और खुद को कैसे सुरक्षित रखना है, यह सबसे महत्वपूर्ण चीजें हैं जो स्कूल के फिर से खुलते ही सबसे पहले सीखी जानी चाहिए। छात्रों को उन नियमों को जानना चाहिए जिनका वे पालन करने जा रहे हैं और स्कूल कक्षा में कोविड-19 सुरक्षा नियमों का पालन करने के लाभ। बच्चों को समझाना बहुत मुश्किल है क्योंकि हो सकता है कि मासूम दिमाग वर्तमान परिस्थितियों से परिचित न हो।

कोविड-19 के संपर्क में आने के जोखिम से बचने के लिए हर छात्र और स्कूल फैकल्टी को हर समय इन नियमों का पालन करना चाहिए। छात्रों को हर समय हैंड सैनिटाइटर साथ रखना होगा। छात्रों को कभी भी अपने हाथों पर छींक नहीं देनी चाहिए, बल्कि उन्हें इसे अपनी कोहनी से ढंकना चाहिए, या एक ऊतक या रूमाल का उपयोग कर सकते हैं। छात्रों को सूचित करें कि वे अपनी आंख, नाक और मुंह को बार-बार न छुएं। चूंकि आंखों और नाक को छूने से वायरस फैलने की संभावना बहुत अधिक है। यदि छात्र और शिक्षक इन बुनियादी नियमों का पालन करते हैं, तो प्रसार को रोका जा सकता है और स्कूल फिर से खुल सकते हैं।

एक अच्छा लेख लिखने के लिए टिप्स

कुछ ही समय में एक उत्कृष्ट लेख लिखने में आपकी मदद करने के लिए बहुत सारे उपयोगी संकेतों के साथ चरण-दर-चरण मार्गदर्शिका यहां दी गई है:

  • सभी विचारों की सूची बनाना और उन्हें संभाल कर रखना 
  • सभी प्रकार के विकर्षणों को दूर करना 
  • विषय पर कुशलता से शोध करना 
  • इसे सरल और कम जटिल रखना 
  • अपने विचारों को बुलेट पॉइंट्स में लिखने का प्रयास करें 
  • पहला मसौदा लिखने के बाद संपादित करें 
  • एक टाइमर सेट करें 

लेख लेखन में सामान्य गलतियों से बचना चाहिए

त्रुटियों की संभावना अब बढ़ जाती है जब आप लेख लेखन के चरणों और लेख लेखन प्रारूप को समझते हैं। सामान्य भूलों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं: 

  • तथ्यों या उद्धरणों या इसी तरह के मामलों का उपयोग नहीं करना
  • ऐसे स्वर का उपयोग करना जो बहुत औपचारिक हो
  • इसका अर्थ जाने बिना कठिन शब्दावली का प्रयोग करना 
  • अपने लेख के लिए आकर्षक शीर्षक का उपयोग नहीं करना 
  • जानकारी को विभाजित करने के लिए अनुच्छेदों का उपयोग नहीं करना
  • व्यक्तिगत विचार या राय व्यक्त नहीं करना

ध्यान रखने योग्य बातें

  • लेखों के विषय अद्वितीय और प्रासंगिक होने चाहिए
  • लेख पर ध्यान देना चाहिए
  • यह दिलचस्प होना चाहिए
  • इसे पढ़ना आसान होना चाहिए
  • एक लेख लिखने का मुख्य लक्ष्य खोजें। लक्ष्य सूचना, मनोरंजन, और सलाह प्रदान करने या तुलना करने आदि से कुछ भी हो सकता है।
  • शीर्षक आकर्षक, स्पष्ट और दिलचस्प होना चाहिए
  • परिचय या प्रारंभिक पैराग्राफ अत्यधिक चौकस होना चाहिए। अपने शब्दावली कौशल का प्रयोग करें या शुरुआत के लिए कुछ प्रश्नवाचक शब्दों का उपयोग करने का प्रयास करें
  • स्पष्ट कथनों का प्रयोग करें और अभिकथन करें
  • दोहराव और शीर्ष तर्क और कारणों से बचें
  • अनुच्छेद लेखन की शैली का उपयोग करें और सामग्री को विशिष्ट और स्पष्ट रूप से लिखें
  • उन बिंदुओं का उपयोग करने से बचें जो केवल आपकी रुचि रखते हैं और आम जनता के लिए नहीं
  • अपने लेख लेखन को हमेशा एक अच्छे और तार्किक नोट पर समाप्त करें

आर्टिकल लेखन टॉपिक्स

क्या आपको एक लेख लिखना है जो अभी चलन में है और आपको बेहतर स्कोर करने में मदद करेगा या आपको बेहतर अभ्यास करने में मदद करेगा? लेख लेखन के लिए समसामयिक विषयों की सूची इस प्रकार है:

  • ग्लोबल वार्मिंग
  • पर्यावरण प्रदूषण
  • इंटरनेट का प्रभाव
  • शिक्षा और फिल्में
  • शिक्षा में खेलों का महत्व
  • योग और माइंड हीलिंग
  • मानसिक स्वास्थ्य का महत्व
  • समाज में शिक्षा का महत्व
  • शिक्षा के महत्व पर लेख
  • ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध
  • इंटरनेट पर निबंध
  • जीवन में मेरा उद्देश्य पर निबंध
  • शिक्षा प्रणाली पर निबंध
  • लोकतंत्र पर निबंध
  • करियर लक्ष्य निबंध कैसे लिखें?
  • डिजिटल इंडिया पर निबंध

आशा करते हैं कि आपको Article Writing in Hindi ब्लॉग अच्छा लगा होगा । यदि आप विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं, तो हमारे Leverage Edu एक्सपर्ट्स के साथ 30 मिनट का फ्री सेशन 1800 572 000 पर कॉल कर बुक करें।

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15 comments

Mai article likhna chati hu

हिंदी में ऑटिकल लिखने के लिए आप हमारी टीम के साथ जुड़ सकते हैं।

Artical likhna chahate hai but ise kaise aur kis topic pr likhe

आप हमारा आर्टिकल पढ़ सकते हैं।

GOOD KNOWLDGE

धन्यवाद, आप ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर बने रहिए।

धन्यवाद, आप ऐसे ही हमारी वेबसाइट पर आते रहिए।

आपका धन्यवाद, इसी तरह https://leverageedu.com/ पर बने रहें।

Article Writing in Hindi में लेखन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई है।

आर्टिकल लेखन क्या है? इसके बारे में जानने के लिए आप हमारी साइट पर जाकर ब्लॉग्स पढ़ सकते हैं।

बहुत सुन्दर जानकारी आर्टिकल लेखन के लिए।

आपका धन्यवाद

बहुत-बहुत आभार

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CBSE Class 10 Hindi Exam: Letter Writing Format with Important Examples for Full Marks

CBSE Class 10 Hindi Board Exam 2023: Find here the correct format of letter writing (for both formal and informal letters). Also, get important examples of formal and informal letters to practice and score maximum marks in the CBSE Class 10 Hindi Board exam 2023.

article writing in hindi for class 10

Letter Writing Format for CBSE Class 10 Hindi Exam 2023: CBSE board has scheduled the 10th Class Hindi Board Exam 2022-23 on March 17, 2023. For both Hindi course A and course B, formal and informal letter writing is an important part. It will be a 5 marks question and an internal choice between the formal and informal letters will be provided. In this article, we have provided the correct format of Letter writing for formal and informal letter types with solved examples and practice questions so that you can score maximum marks in the upcoming CBSE Class 10 Hindi A and B examinations. 

Also check: CBSE Topper Answer Sheet Class 10 Hindi, Download PDF

Scoring full marks in the letter writing question is majorly dependent on the use of the correct format. Therefore, we have explained below the format that must be used while writing a letter.

Shiv Khera

Class 10 Hindi Letter Writing

Qulaties of a nicely written letter

Letter Writing Format for CBSE Class 10 Hindi Exam 2023

Types of Hindi Letter Writing

Letter Writing Format for CBSE Class 10 Hindi Exam 2023

Types of Formal Hindi Letter Writing

Letter Writing Format for CBSE Class 10 Hindi Exam 2023

Types of Informal Hindi Letter Writing

Letter Writing Format for CBSE Class 10 Hindi Exam 2023

CBSE Class 10 Hindi Formal Letter Writing Example 

Letter Writing Format for CBSE Class 10 Hindi Exam 2023

CBSE Class 10 Hindi Informal Letter Writing Example 

Letter Writing Format for CBSE Class 10 Hindi Exam 2023

Class 10 Hindi Letter Writing Practice Questions

1 आप यश कुमार / यशिका कुमारी हैं। बरसात के दिनों में दुर्घटना को दावत देते खुले पड़े सीवर लाइन के मैनहोलो के संदर्भ में दैनिक जागरण, अ ब स नगर के संपादक को एक समाचार प्रकाशित करने का अनुरोध करते हुए लगभग 100 शब्दो में पत्र लिखिए।

https://www.jagranjosh.com/articles/cbse-class-10-social-science-answer-key-2023-1678853749-1

Important Links for CBSE Class 10 Hindi Board Exam 2023

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  • CBSE Class 10 Hindi Deleted Syllabus 2023
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CBSE Class 10th Hindi Exam Analysis: Writing section rated lengthy, MCQs easy

Cbse class 10th hindi paper analysis: the paper was easy to moderate, all questions were based from ncert. literature section required students to have in-depth knowledge..

article writing in hindi for class 10

CBSE Class 10th Hindi Paper Analysis: The Central Board of Secondary Education (CBSE) today conducted the Hindi exam for Class 10. Indianexpress.com spoke to some teachers and students to know what they thought of the question paper.

As per the teachers, the language section was easier than the literature section. They said the literature section was thought-provoking and required in-depth knowledge of the lessons.

article writing in hindi for class 10

The CBSE Class 10 exams which began on February 15 are scheduled to get over on March 21.

Subha Chandra Jha, Senior TGT, Deputy Head (Dept. of Hindi) at Modern English School, Guwahati said that the question paper was well-designed and well-balanced. The pattern of the question paper was the same as the sample paper released by CBSE. “All the questions were from the prescribed syllabus of NCERT. The difficulty level was easy to moderate. Around 60 per cent questions were knowledge and understanding based. While, 20 per cent were application-based, and the remaining 20 per cent were high order thinking questions which required critical thinking. The paper can be completed within the stipulated time. Except for a few, most of the questions in section-A (MCQs), including grammar, were fairly easy. Questions in the other section had familiar topics. The literature section required in-depth reading of the content and tested understanding and analytical skills,” he said.

Deepika Mehra, TGT Hindi at DPS Raj Nagar Extension, the difficulty level of the Hindi course B question paper was easy to moderate, with most of the questions being based on understanding and application. “The question paper was set in a way which provoked reasoning and thoughtfulness among the students. A few questions in the literature section were analytical, the questions required a deep understanding of the lesson content. On the other hand, some questions were direct and easy also. Students would score well in grammar as questions were as per expectation. According to some students, the writing section was slightly lengthy in nature. The paper did not include anything unpredictable as the question paper pattern was almost the same as in the CBSE sample paper. Overall, it was a well-balanced paper,” she said.

Festive offer

According to Seema Bhatnagar, TGT Hindi, DPS Indirapuram, Delhi the difficulty level of the Class 10 Hindi paper was moderate. Most of the MCQs were direct and the pattern was in accordance with the CBSE sample paper.

“The paper was moderate, balanced, and average. The questions were mainly based on CBSE guidelines. The questions were average. Students were able to attempt the paper in time. The paper pattern was similar to the CBSE Sample Paper for the Session 2022-23. MCQs were mostly easy,” said Vinni Sharma, TGT Hindi at Silverline Prestige School, Ghaziabad.

The duration of the paper was three hours, it began at 10:30 am and got over at 1:30 pm

Pooja Pal, a student of Kendriya Vidyalaya SGPGI, Lucknow said, “My paper went pretty well. There were 17 questions in total. The paper had two sections— grammar and literature. I particularly did not feel that there were difficult questions.”

Mock tests can also help boost confidence, minimize exam stress, and sharpen problem-solving abilities.

The next exam will be conducted on March 21 and it will be Mathematics. With that, CBSE will conclude the Class 10 board exams for the academic year 2022-23.

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